जल्दी खत्म हो जाती है सैलरी…

महंगाई ज्यादा है और सैलरी कम. ऐसे में बचत और निवेश करें, तो कैसे करें. यहां दो जून की रोटी जुगाड़ने में सारा पैसा जा रहा है. हममें से ज्यादातर लोगों की सैलरी महीना पूरा होने से पहले ही खत्म हो जाती है.

फिर शुरू होता है वो दौर जब अगली सैलरी का बेसब्री से इंतजार किया जाता है. सैलरी, बचत और निवेश के कई ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जिन्हें जानकर आप दंग रह जाएंगे.

रोजाना की जरूरत में खर्च होती सैलरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 में से 9 परिवार अपनी सारी कमाई रोजाना की जरूरत पूरा करने में खर्च कर देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में 94% परिवार ऐसे हैं जो 70-100% सैलरी खर्च कर देते हैं. अब इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि भारत के लोग बचत को लेकर कितने अलर्ट हैं.

भारतीयों को लोन का बोझ नापसंद

भले ही सबका सपना घर खरीदने का हो, लेकिन ज्यादातर लोग इसके लिए लोन लेने में सहज महसूस नहीं करते. शायद इसलिए क्योंकि हम भारतीयों की एक खासियत है कि हम किसी के बोझ तले दबे रहने में सुकून महसूस नहीं करते. यही कारण है कि 20 में से 17 परिवारों पर होम लोन का कोई बोझ नहीं है.

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खाली जेब

देश के आधे परिवार की तनख्वाह महीने के अंत तक खत्म हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 47 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो अपनी इनकम का 1-29 फीसदी हिस्सा बचा लेते हैं. वहीं हैरानी वाली बात यह है कि सिर्फ 1.3 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो हर महीने 50-100 फीसदी की बचत करते हैं.

ठन-ठन गोपाल

चौंकाने वाली बात है कि 10 में से 8 परिवार ऐसे हैं, जिनके पास निवेश के लिए कोई बचत नहीं होती. 84 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो 1-29 फीसदी के बीच निवेश करते हैं. वहीं, 50 फीसदी से ज्यादा निवेश करने वालों की लिस्ट में एक फीसदी परिवार भी शामिल नहीं हैं.

बैंक में भागीदारी

करीब आधे भारतीय आज भी बचत के लिए पुराने फिक्स डिपॉजिट पर कायम हैं. वहीं, 5 में से 1 आदमी का पैसा टैक्स बचत वाले देशों के बैंकों में रखा है.

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बचत के लिए अच्छी जगह

भारत में 56.2 फीसदी लोग बैक डिपॉजिट में निवेश करते हैं. वहीं, 9.5 फीसदी (रियल स्टेट), 6.3 फीसदी (बीमा,) 3.8 फीसदी (सोना) और 2.1 फीसदी दूसरी चीजों में. बता दें कि 20.7 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात का जवाब देने से ही इनकार कर दिया.

भविष्य की चिंता

हमारे देश में दो तिहाई लोग ऐसे हैं, जो नौकरी जाने के खौफ से बचत करते हैं. आपको जानकर हैरानी ऐसे लोगों की तादाद 70.6 फीसदी है.

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