जब बनें पहली बार मां तो शरीर में आयरन की मात्रा हो सही

डा. बसब मुखर्जी, औब्सटेट्रिशियन एंड गायनेकोलौजिस्ट, एमआरसीओजी, कोलकाता

वैसे तो उम्र के हर पड़ाव पर चुस्तदुरुस्त रहना व्यक्ति की प्राथमिकता होनी चाहिए, पर पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को अपनी सेहत का ध्यान रखने के लिए खासतौर पर सावधानी बरतनी चाहिए. उन्हें उन बीमारियों या कमियों के बारे में पता होना चाहिए, जो गर्भवती महिलाओं पर असर डाल सकती हैं.

एनीमिया को एक ऐसी स्थिति के रूप में पारिभाषित किया जाता है, जब आप के शरीर में ऊतकों तक पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन पहुंचाने के लिए लाल रक्त कोशिकाओं की कमी रहती है. एनीमिया गर्भवती महिलाओं में पाई जाने वाली सामान्य स्थिति है, जिस से उन के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. सभी गर्भवती महिलाओं में से 42 फीसदी महिलाएं अपनी गर्भावस्था की किसी न किसी स्टेज पर एनीमिया की शिकार होती हैं.

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आयरन और फोलेट से भरपूर संतुलित भोजन करें

एनीमिया से बचने और शरीर में खून या लौह तत्वों की कमी को दूर करने के लिए आयरन या फोलिक एसिड से भरपूर संतुलित भोजन करना पहला कदम है. कई शाकाहारी और मांसाहारी पदार्थों में आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. रेड मीट, चिकन, मछली, अंडों, अंकुरित अनाज, सूखी बीन्स और हरी पत्तेदार सब्जियां आयरन का सब से बेहतरीन स्रोत है. यह फूड आइटम्स सभी जगह आसानी से मिल जाते हैं.

डाक्टरों की सलाह से सप्लिमेंट्स लें, डाइट की पोषक क्षमता बढ़ाएं

हालांकि गर्भावस्था में पोषक तत्वों से भरपूर और संपूर्ण भोजन भी कई बार शरीर की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता, इसलिए गर्भवती महिलाओं को अपनी डाइट में बड़ी मात्रा में आयरन से भरपूर पदार्थों को शामिल करने की जरूरत होती है.

गर्भवती महिलाएं डाक्टर की सिफारिश के अनुसार आयरन सप्लिमेंट्स को अपने आहार में शामिल करें. इस के साथ ही पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को कैल्शियम और आयरन सप्लिमेंट्स भी देने की अकसर सिफारिश की जाती है.

समयसमय पर अपने हीमोग्लोबिन लेवल की जांच करें

समयसमय पर जांच कराते रहने से हमेशा ही किसी समस्या के उभरने का समय से पता चलता है. विशेषज्ञों की सिफारिश के अनुसार गर्भवती महिलाओं को कम से कम 3 बार अपने हीमोग्लोबिन लेवल की जांच करानी चाहिए. जांच में हीमोग्लोबिन का 12 से कम पाया जाना आयरन की कमी का सूचक है, जबकि अगर जांच में किसी का हीमोग्लोबिन लेवल 10.5 से कम निकलता है तो व्यक्ति शरीर में खून की कमी या एनीमिया का शिकार होता है. इसलिए समयसमय पर हीमोग्लोबिन की जांच कराना जरूरी है.

मानसिक स्वास्थ्य भी शारीरिक सेहत जितना महत्वपूर्ण है

हालांकि इस में कोई शक नहीं है कि एनीमिया का प्रारंभिक कारण शरीर को ताकत देने वाले लौह तत्वों से युक्त पदार्थों का भोजन में पर्याप्त रूप से न शामिल होना माना जाता है. कई बार एनीमिया के रोगियों में सोचनेसमझने की क्षमता गड़बड़ हो सकती है और डिप्रेशन के शिकार हो सकते हैं. यह स्थिति एनीमिया को और गंभीर बना देती है.

इस के अलावा पहली बार मां बनने में मानसिक स्वास्थ्य की काफी चुनौतियां आती हैं, जो काफी हानिकारक होती हैं और काफी हद तक नुकसान पहुंचाती हैं. इसीलिए यह महत्वपूर्ण है कि महिला तनाव न ले और अपने जीवन के सब से यादगार और सब से खुशनुमा पलों का आनंद उठाए.

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जागरूक रहें, छोटीछोटी चीजों को ठीक करें

सेहतमंद बने रहने के लिए जागरूक रहना और छोटेछोटे कदम उठाना काफी लाभदायक हो सकता है, जैसे खाना खाने के साथ चाय या कौफी नहीं पीनी चाहिए, क्योंकि यह सब जानते हैं कि इस से भोजन में शामिल आयरन को अपनाने या अवशोषित करने में शरीर को काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. कास्ट आयरन के बरतनों में पका हुआ खाना अन्य बरतनों में पके हुए खाने की अपेक्षा आयरन की मात्रा 80 प्रतिशत तक बढ़ा देता है.

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