तो हमेशा रहेंगे फिट ऐंड फाइन

यवा दिखने के लिए सब से आवश्यक है आप की लाइफस्टाइल और खानपान, सोने और जागने के समय में बदलाव एवं कुछ व्यायाम जैसे टहलना, दौड़ लगाना, आदि.

यदि हम अपनी दिनचर्या में बदलाव कर ये सब आदत डाल लें तो यकीन मानिए, आप हमेशा स्वस्थ और ऊर्जा से भरे रहेंगे और खुद को यंग महसूस करेंगे.

आइए, जानते हैं इन आदतों को अपना कर कैसे आप खुद को लंबे समय तक स्वस्थ एवं यंग रख सकते हैं:

रूटीन लाइफ जरूरी: बदलती लाइफस्टाइल और तकनीकी के युग में नींद पूरी न होना एक समस्या बनता जा रहा है. आजकल हम सभी को दिनभर की भागदौड़ के बाद रात का समय ही फ्री मिलता है और बस हम अपना मोबाइल ले कर बैठ जाते हैं या अपना खानापीना, सभी काम टीवी को देखते हुए करते हैं और कई बार अनावश्यक और जंक फूड आदि ज्यादा ही खा लेते हैं. ऐसे में समय कब निकल जाता है हमें पता ही नहीं चलता और हमे सोने में देर हो जाती है और फिर सुबह जल्दी उठने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, जिस कारण हम खुद को ऊर्जा से भरा हुआ महसूस नहीं करते. इस का प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है इसलिए खुद को हमेशा चुस्त और दुरुस्त रखने के लिए समय से सोने और जागने की आदत डाल लें.

यदि आप इस दिनचर्या को अपनाएंगे तो शरीर पर अनुकूल फायदे दिखते हैं:

-अच्छी नींद के कारण इम्यूनिटी बूस्ट होती है, जिस से हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो पाता है और हम जल्दी बीमार नहीं पड़ते.

– अध्ययन में यह भी पाया गया है कि अच्छी नींद शरीर को रिपेयर, रिजेनरैट और रिकवर करने में बहुत मदद करती है.

– 7-8 घंटे की नींद हमारे दिमाग को तरोताजा रखती है, जिस से हमारी स्मरण और सोचनेसम झने की शक्ति बढ़ती है. हम कामों को सही ढंग से कर पाते हैं.

– इस से हमारी कार्य करने की क्षमता भी बढ़ती है यानी हम कामों को तेजी से कर सकते हैं.

– मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है.

– कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद हमें कई गंभीर बीमारियों जैसे मोटापा, मधुमेह, हृदयरोग, उक्त रक्तचाप से दूर रखती है.

नियमित शारीरिक व्यायाम: नियमित व्यायाम हमारी बढ़ती उम्र की गति को धीमा कर के आप को अधिक समय तक जवान बनाए रखने में मदद करता है. अच्छे स्वास्थ्य और यंग बने रहने के लिए हमें रोज सुबह आधा या 1 घंटा शारीरिक व्यायाम की आवश्यकता होती है, इस के लिए आप अपने लिए वह ऐक्सरसाइज या व्यायाम चुनें जिसे करने में आप को मजा आए.

आप अपने नियमित व्यायाम जैसे तेज चलना, दौड़ लगाना आदि कर सकते हैं. यदि आप को यह करना बोरिंग लगता है तो आप जुंबा या ऐरोबिक्स या डांस को भी शामिल कर सकते हैं. आप जिम या फिर किसी अन्य फिटनैस क्लास का हिस्सा भी बन सकते हैं.

नियमित रूप से व्यायाम करने के फायदे

– नियमित रूप से व्यायाम करने से मेटाबौलिज्म बढ़ता है एवं हमारी कैलोरी तेजी से बर्न होती है, जिस से वजन नियंत्रण में रहता है.

– नियमित व्यायाम हमारी मांसपेशियों को स्वस्थ रखता है और शरीर में खून के बहाव को भी बेहतर बनाता है, जिस से आप स्वस्थ तो रहते ही हैं साथ ही दिमाग को ब्लड की सही सप्लाई मिलने से यह भी सक्रिय रूप से कार्य करता है एवं नई ब्रैन सेल्स बनने में भी मदद मिलती है.

– नियमित व्यायाम तनाव को कम करता है एवं ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है.

– नियमित व्यायाम करने से शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रौल की मात्रा घट जाती है और अच्छे कोलेस्ट्रौल की मात्रा बढ़ती है. इस से दिल दुरुस्त रहता है और हम अधिक मात्रा में औक्सीजन ले पाते हैं. इस वजह से व्यक्ति को हार्ट अटैक और दिल से संबंधित अन्य बीमारियां होने का खतरा काफी कम हो जाता है.

संतुलित भोजन ही क्यों

यह जानना आवश्यक है कि न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए संतुलित आहार का सेवन करना जरूरी होता है क्योंकि संतुलित भोजन में शामिल पौष्टिक तत्व हमारे शरीर में पोषण स्तर को बनाए रखता है ताकि आप स्वस्थ रहें.

संतुलित आहार में रखें ध्यान

– सुबह का नाश्ता कभी भी न छोड़ें.

– सोने से लगभग 1 घंटा पहले भोजन करने की आदत डालें.

– रात में कम एवं हलका भोजन करें.

संतुलित आहार के फायदे

– रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

– पाचनतंत्र को मजबूत बनाता एवं स्वस्थ रखता है.

– हमारी मांसपेशियों, दांतों, हड्डियों आदि को मजबूत बनाता है.

– व्यक्ति की कार्य क्षमता को बनाए रखने एवं उस के मूड को भी बेहतर बनाए रखता है.

– मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता है.

– वजन बढ़ने से रोकता है.

खाएं सीजनल और लोकल फूड पर क्यों

लोकल और सीजनल फल एवं सब्जिया वहां की तापमान, जल और वायु के अनुसार एवं इस में कम से कम कीटनाशक एवं रासायनिक पदार्थों के उपयोग से उगाई जाती है और उसी के अनुसार हमारा शरीर ढल जाता है. इसलिए ये हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती है. इस के साथसाथ यह सस्ती होती है. इसलिए कोशिश करें कि हमेशा सीजन की फल एवं सब्जियां ही अपने आहार में शामिल करें.

इस के साथ ही इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अपने आहार में हलदी, लहसुन, नीबू, गिलोय, तुलसी, आंवला, विटामिन सी युक्त चीजें आदि को जरूर शामिल करें.

अपने लक्ष्य पर रहें अडिग

अकसर अधिकतर लोग शरीर को सुडौल व वजन कम करने के लिए शुरू में तो बहुत जोश से भरे हुए होते हैं. मगर कुछ दिनों बाद उन्हें यह करने में दिक्कत होने लगती है और धीरेधीरे उन का जोश थोड़ा ठंडा पड़ने लगता है और वे अपने लक्ष्य से भटकने लगते हैं.

इस से बचने के लिए इसलिए आवश्यक है थोड़ा धैर्य रखें. यदि जब हम किसी काम में बारबार असफल होते हैं और ज्यादा समय लग रहा होता है तो हम उस काम को बीच में ही छोड़ देते हैं जिस के लिए हमे धैर्य की आवश्यकता होती है.

– हमारा धैर्य हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है. हमें लक्ष्य से भटकने नहीं देता.

– हमारे ऊपर निराशा को हावी नहीं होने देता.

-हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.

– हमारा धैर्य ही हमें काम को सही ढंग से और सही समय में करने के लिए प्रेरित करता है.

– धैर्य हम को सिखाता है सफल होने का पाठ क्योंकि इस से हर काम में सफलता मिलना मुमकीन है यंग बनना और बने रहना एक दिन का काम नहीं इस के लिए हमे निरंतर प्रयास करना पड़ता है और अपनेआप को कुछ नियमो में बांधना पड़ता है. इसलिए यदि आप को यंग बने रहना है तो अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएं और उन्हें नियमित रूप से पालन करें. इस के परिणाम आप को कुछ महीनो में अवशय ही मिलेंगे क्योंकि बिना धैर्य के सफलता मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.

डिटौक्सीफिकेशन

हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक और संवेनशील होती है एवं पर्यावरण का इस पर सीधा प्रभाव पड़ता है. इसलिए इस को स्वस्थ, साफ और चमकदार और जवां बनाए रखने के लिए अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है. इस के लिए हम न जाने क्याक्या उपचार, लोशन, क्रीम आदि का उपयोग करते हैं, लेकिन अपने खानेपीने की आदतों में बदलाव नहीं लाते जिस के कारण त्वचा को स्वस्थ और जवां रखने में कई बार पीछे रह जाते हैं और असमय ही हमारे त्वचा पर  झुर्रियां आ जाती हैं.

इन परेशानियों से बचने के लिए त्वचा को डिटौक्सीफाई करना जरूरी है. स्वस्थ रहने और दिखने के लिए शरीर को सिर्फ बाहर से ही नहीं अंदर की गंदगी को दूर करना भी जरूरी है.

शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्त कराना, पोषण देना और आराम पहुंचाना डिटौक्सीफिकेशन कहलाता है.

यदि आप हमेशा सुस्ती का अनुभव करते हैं या अचानक आप के चेहरे पर मुहांसे और त्वचा पर फुंसी निकल आती हैं या आप अपने पाचनतंत्र में कुछ गड़बड़ी महसूस कर रहे हैं, तो आप का शरीर विषाक्त हो चुका है. आप के शरीर को जरूरत है डिटौक्सीफिकेशन की ताकि आप अपने शरीर को स्वस्थ और जवां रख सकें और शरीर को सिर्फ बाहर से ही नहीं अंदर की गंदगियोें को भी दूर कर सकें. यंग रहने और दिखने के लिए आप के चेहरे पर चमक की आवश्यकता होती है. बस इस के लिए आप को उस के देखभाल की जरूरत है.

जोड़ों के दर्द को न करें नजरअंदाज, हो सकता है गठिया बाय

हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी जोड़ों के दर्द से पीडि़त होते हैं. हालांकि सभी जोड़ों के दर्द का मतलब यह नहीं है कि हम आर्थराइटिस से पीडि़त हैं. लेकिन 1 से अधिक जोड़ों में लगातार होने वाले दर्द को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. जोड़ों के दर्द को नजरअंदाज करने से जोड़ों में खराबी आ सकती है और परिणामस्वरूप उनमें विकृति आ सकती है. इसलिए चिकित्सीय सहायता जरूरी है.

इसके अलावा आर्थराइटिस के 200 विभिन्न प्रकार हैं. विभिन्न प्रकार के आर्थराइटिस में गंभीरता के विभिन्न स्तर होते हैं. आर्थराइटिस के विभिन्न प्रकारों में, गठिया बाय भारत में आर्थराइटिस का दूसरा सब से आम प्रकार है. गठिया बाय आर्थराइटिस का गंभीर प्रकार है क्योंकि यह सिर्फ जोड़ों का रोग नहीं है बल्कि यह त्वचा, आंखें, हृदय, फेफड़े और गुर्दे जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित करता है. गठिया बाय एक ऑटोइम्यून रोग है जिसका अर्थ है कि प्रतिरक्षा प्रणाली में कुछ समस्या है. गठिया बाय में रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देती है और दर्द और अन्य लक्षण जैसे सूजन और जकड़न का कारण बनती है. इससे शुरुआत में छोटे जोड़ प्रभावित होते हैं लेकिन बाद में शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं.

गठिया बाय बहुत तेजी से आगे बढ़ता है और इसलिए शरीर के अन्य भागों में विकृति और जटिलताओं को रोकने के लिए प्रारंभिक अवस्था में गठिया बाय का निदान और उपचार करना आवश्यक है.

यहां कुछ लक्षण दिए गए हैं जो गठिया बाय को पहचानने और अपने डॉक्टर से परामर्श करने में मदद कर सकते हैं.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द जो आराम करने से कम नहीं हो रहा है और दिनों दिन बढ़ रहा है. एक से अधिक जोड़ों में दर्द हाथ, कोहनी और कंधे आदि के जोड़. आपके हाथों की उंगलियों के जोड़ और पैरों के तलवों में सूजन इसकी वजह से मुट्ठी बांधना और वस्तुओं को पकड़ना मुश्किल हो जाता है और लोगों से हाथ मिलाते समय भी दर्द होता है.

सुबह 1 घंटे से अधिक समय तक जोड़ों में अकड़न सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना जिस से बिस्तर से उठना और दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है.

परिवार में किसी भी व्यक्ति को गठिया बाय होना गठिया बाय वंशानुगत हो सकता है. यदि आपके किसी निकट संबंधी को गठिया बाय है तो संभावना है कि आपको भी यह हो सकता है.

थकान और हल्का बुखार

आप थकान का अनुभव करते हैं जो आराम करने से भी कम नहीं होता है और हल्का बुखार रहता है.

जोड़ों के दर्द के लिए दर्द निवारक दवा लेने की जरूरत है 

आपको दर्द नाशक दवाएं लेनी पड़ती हैं क्योंकि घरेलू उपचार से दर्द कम नहीं हो रहा है. दर्द नाशक दवाएं केवल लक्षणों में आराम देते हैं. इसमें खुद से दवा लेना उपयोगी नहीं होता है. यह समय है जब आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें. डॉक्टर इसका सही निदान और उपचार करने में आपकी सहायता करेंगे.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द.

6 सप्ताह से अधिक समय से जोड़ों का दर्द जो आराम करने से कम नहीं हो रहा है और दिनों दिन बढ़ रहा है. एक से अधिक जोड़ों में दर्द हाथ, कोहनी और कंधे आदि के जोड़.

आपके हाथों की उंगलियों के जोड़ और पैरों के तलवों में सूजन इसकी वजह से मुट्ठी बांधना और वस्तुओं को पकड़ना मुश्किल हो जाता है और लोगों से हाथ मिलाते समय भी दर्द होता है.

सुबह 1 घंटे से अधिक समय तक जोड़ों में अकड़न सुबह के समय जोड़ों में अकड़न होना जिस से बिस्तर से उठना और दैनिक कार्य करना मुश्किल हो जाता है.

परिवार में किसी भी व्यक्ति को गठिया बाय होना गठिया बाय वंशानुगत हो सकता है. यदि आपके किसी निकट संबंधी को गठिया बाय है तो संभावना है कि आपको भी यह हो सकता है.

थकान और हल्का बुखार

आप थकान का अनुभव करते हैं जो आराम करने से भी कम नहीं होता है और हल्का बुखार रहता है.

जोड़ों के दर्द के लिए दर्द निवारक दवा लेने की जरूरत है

आपको दर्द नाशक दवाएं लेनी पड़ती हैं क्योंकि घरेलू उपचार से दर्द कम नहीं हो रहा है. दर्द नाशक दवाएं केवल लक्षणों में आराम देते हैं. इसमें खुद से दवा लेना उपयोगी नहीं होता है. यह समय है जब आप अपने डॉक्टर से परामर्श लें. डॉक्टर इसका सही निदान और उपचार करने में आपकी सहायता करेंगे.

सर्वाइकल कैंसर का प्रजनन क्षमता पर पड़ने वाले असर को समझना

कैंसर का पता चलना भारी सदमा पहुँचाने वाला हो सकता है, और कैंसर के उपचार से प्रजनन क्षमता (फर्टिलिटी) और संपूर्ण सेहत, दोनों प्रभावित हो सकते हैं. सर्वाइकल कैंसर, कैंसर का एक प्रकार है जो गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्‍स) में होता है. गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय के निचले हिस्से में स्थित होती है और वजाइना की ओर आगे निकली होती है.

हाल में किए गए शोध के मुताबिक, 30-35 साल की उम्र की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2019 में 45,300 भारतीय महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के कारण अपनी जान गँवानी पड़ी. इसलिए, सही कदमों और उपायों के साथ इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी जानलेवा खतरों का सामना करने के लिए शिक्षित और जागरूक होना बहुत महत्वपूर्ण है.

डॉ. गुंजन सभरवाल, गुरुग्राम में आईवीएफ विशेषज्ञ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, का कहना है कि-

कैंसर के उपचार के बाद प्रजनन दर में कमी आती है

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने के लिए उपचार के अनेक विकल्प उपलब्ध हैं। हालाँकि, इस तरह के स्वास्थ्य संबंधी खतरों के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधियों का भविष्य में गर्भधारण के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है :

सर्जरी :

कैंसर के ग्रेड के आधार पर सर्वाइकल कैंसर का इलाज कोनाइजेशन, एलईईपी, रैडिकल हिस्टेरेक्टॉमी या हिस्टेरेक्टॉमी जैसी सर्जरी की मदद से किया जाता है. ये प्रक्रियाएँ प्रजनन क्षमता में बाधा डाल सकती हैं.

कीमोथेरेपी :

कीमोथेरेपी साइटोस्टैटिक्स और साइटोटॉक्सिन नामक दवाओं का उपयोग करके तेजी से विभाजित होने वाली कैंसर कोशिकाओं के विभाजन को नष्ट करती या रोकती है। चूँकि,दवा आमतौर पर “व्‍यवस्थित रूप से” रक्तप्रवाह के माध्यम से दी जाती है, इसलिए यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को भी लक्षित कर सकती है। यदि इसका असर अंडों के डीएनए पर असर पड़ता जाता है (यानी, अंडा आनुवंशिक रूप से असामान्य हो जाता है), तो हो सकता है इसका निषेचन (फर्टिलाइजेशन) नहीं हो, या इसके कारण गर्भपात या जन्म दोष हो सकता है.

रेडिएशन थेरेपी :

रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने की उम्‍मीद में उच्च-ऊर्जा किरणों को निर्देशित करना शामिल है. लेकिन, इस उपचार के दौरान, शरीर कैंसर से अप्रभावित हिस्सों पर भी बहुत जोखिम हो जाता है, जिससे महिला के सभी अंडाणु नष्ट हो जाते हैं. विकिरण गर्भाशय की परत को भी प्रभावित करेगा और उन पर घाव के दाग पैदा करेगा. रेडिएशन थेरेपी से गुजरने वाली महिलाओं के समय से पहले मेनोपॉज होने की संभावना नहीं होती है.

सर्वाइकल कैंसर से लड़ने वाली महिलाओं के लिए प्रजनन के विकल्प

कैंसर से जंग जीतने वाले जो लोग उपचार से पहले प्रजनन संरक्षण करा लेते हैं, उनके पास परिवार शुरू करने के कई विकल्प होते हैं. आईवीएफ, आईयूआई, एग या एम्ब्रियो फ्रीजिंग जैसे अत्‍याधुनिक फर्टिलिटी समाधान कैंसर के उपचार से पीड़ित महिलाओं या उसके बाद के चरण में पैरेंटहुड  की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होता है.

अन्य प्रक्रियाओं, जैसे कि डिम्बग्रंथि के ऊतकों की फ्रीजिंग के लिए अपनी प्रजनन योजनाओं को शुरू करने से पहले आपको अपने प्रजनन विशेषज्ञ से परामर्श करने और उनका मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता होती है. आपके प्रजनन संबंधी विकल्पों और प्रजनन क्षमता पर कैंसर के उपचार के संभावित प्रभाव के बारे में अपने डॉक्टर के साथ व्यापक बातचीत करना महत्वपूर्ण है. सही दृष्टिकोण के साथ, कपल्‍स के पास भविष्य में माता-पिता बनने की सबसे अच्छी संभावना हो सकती है.

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम और टीकाकरण

सर्वाइकल कैंसर से बचाव में मदद के लिए आप जो दो सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर सकते हैं, वह है जल्दी टीका लगवाना और नियमित रूप से जाँच कराना. एचपीवी वैक्सीन एचपीवी के उन प्रकारों से रक्षा कर सकता है जो सर्वाइकल कैंसर का कारण बनते हैं, और पैप टेस्‍ट और एचपीवी टेस्‍ट जैसे नियमित जाँच कराने से सर्वाइकल कैंसर का जल्द पता लगा सकते हैं, खासकर जब यह सबसे अधिक उपचार के योग्य होता है.

सेलेब्रिटी की फिटनेस का राज बता रहे है, फिटनेस ट्रेनर योगेश भटेजा

कई बार एक फिल्म का इम्पैक्ट कहानी पर नहीं, बल्कि एक लीड एक्टर की लुक पर निर्भर करता है. इसमें अभिनेता आमिर खान की फिल्म दंगल, करीना कपूर की फिल्म टशन या फिर अभिनेता सोनू सूद की फिल्म R राजकुमार, सिम्बा, हैप्पी न्यू इयर, कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म ‘किस किस को प्यार करू’ आदि सभी फिल्मों में एक्टर को चरित्र के हिसाब से अपनी बॉडी बनाने में ट्रेनर का मेहनत रहा है. वे उन्हें वैसी बॉडी पाने के लिए लगातार मोटीवेट करते रहते है.

मिली प्रेरणा

असल में फिट रहना सभी चाहते है, लेकिन जब सेलेब्स की बात हो, तो फिटनेस उनके जीवन का खास अंग होता है, क्योंकि उनकी खूबसूरती फिटनेस में छुपी रहती है, फिर चाहे वह जीरो साइज़ हो या प्लस साइज़, चरित्र के अनुसार उन्हें अपनी काया में बदलाव करनी पड़ती है. इस काम के लिए वे बहुत सारा पैसा खर्च भी करते है, क्योंकि आउटडोर होने पर सेलेब्स अपने फिटनेस ट्रेनर को साथ भी ले जाते है और उनकी डाइट, ट्रेनर के हिसाब से चलती है. इस बारें में सेलेब्रिटी फिटनेस ट्रेनर योगेश भतेजा कहते है कि स्कूल के समय से ही थोड़ी रूचि फिटनेस को लेकर थी. मैं प्रोफेशनल फुटबाल प्लेयर बनना चाहता था, लेकिन मैंने फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएट किया और मुझे अब फुटबॉल प्लेयर से अधिक ट्रेनर बनने की इच्छा हुई और मैंने एक जिम में ज्वाइन किया. मुझे ये फील्ड बहुत रुचिकर लगा, जिसमें मैंने फिटनेस, अलग-अलग तरह की वर्कआउट, व्यायाम आदि को लेकर सर्टिफिकेशन करता गया और मैंने एक बॉडी बिल्डर कम्पटीशन में ज्वाइन किया. वहां बहुत ही विस्तृत तरीके से बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन के बारें में प्रशिक्षण दिया जाता है, इससे अधिक गहराई से मैं बॉडी पार्ट के बारें में सीख सकते है. मैंने उसमें ज्वाइन किया और टॉप 5 में चुना गया. वही से जिम की जर्नी शुरू हुई. आज 16 साल से मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ.

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कठिन होती है सेलेब्स की ट्रेनिंग

एक सेलिब्रिटी और एक आम इंसान को ट्रेन करने के अंतर के बारें में फिटनेस ट्रेनर योगेश का कहना है कि एक बहुत बड़ा अंतर दोनों में है. आम इंसान की लाइफ में एक रूटीन होता  है, लेकिन सेलेब्स का टाइम फिक्स्ड नहीं होता, कभी दिन तो कभी रात में शूट चलता रहता है. शूटिंग के घंटे कई बार लम्बे हो जाते है और उन्हें फेस, बॉडी और डाइट पर भी काम करना होता है. नए-नए स्किल्स जिसमें खासकर कलरी सीखना चाहते है, कई सारी चीजे उन्हें सीखनी पड़ती है और इससे पोषण बॉडी से ही लेना पड़ता है. उस समय रूटीन बहुत मुश्किल होने के साथ-साथ डिमांडिंग भी हो जाता है. बॉडी टायर्ड होने पर भी उन्हें वर्कआउट करना पड़ता है. ऐसे में उनकी एनर्जी के साथ वर्कआउट को पुश करना, ताकि वे उस लेवल तक जा सकें और उन्हें अच्छा दिखना भी जरुरी होता है. हर बार मुझे उनके हिसाब से ट्रेनिंग देनी पड़ती है, जो बहुत कठिन होता है.

जरुरी है मोटिवेशन

सभी सेलेब्स योगेश की बात को मानते है, क्योंकि उन्हें चरित्र के हिसाब से बॉडी चाहिए. वे आगे कहते है कि हाईली सेल्फ मोटीवेटेड इंसान अभिनेता सोनू सूद है. वहां मेरी मेहनत थोड़ी कम हो जाती है. मुझे हर किसी को उनके अनुसार बॉडी देना ही मेरा काम है, इसलिए जो आम इंसान फिट होना चाहते है मैं उन्हें कहता हूँ,‘If you have the will, I have the skillकोई भी सामने वाला अगर फिटनेस के लिए राजी होता है, तो उसे ठीक करना मुश्किल नहीं और मैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने का रास्ता बता देता हूँ.

बनती है फिटनेस चार्ट

योगेश का अपना कोई जिम नहीं है, क्योंकि उन्हें कई बार फिल्म के लिए मुंबई से बाहर कई महीने या साल भर बाहर रहना पड़ता है. ऐसे में जिम को स्टाब्लिश करना उनके लिए मुश्किल है. यही वजह है कि योगेश कई सारे जिम के साथ जुड़े है. उनकी टीम में उनका भाई देवेन्द्र भटेजा और 5 अन्य व्यक्ति है, जिन्हें योगेश ने ट्रेनिंग दी है और उनके व्यस्त रहने पर टीम अपना काम करती है. योगेश कहते है कि सेलेब्रिटी के साथ जाने का उद्देश्य बॉडी को उस चरित्र के अनुसार शेप में बनाए रखना है. अभिनेत्री कंगना रनौत जब फिल्म ‘थलाईवा” किया, उस समय उन्हें करीब 20+ किलो वजन बढ़ाना पड़ा, ताकि वह स्वर्गीय जयललिता जैसी दिखे. इससे बॉडी के जॉइंट और इंटरनल काफी लोड आया और दर्द शुरू हुआ, ऐसे में साथ जाने पर उनके डाइट और हार्ट की जांच करता हूँ. इस दौरान बनाये गए फिटनेस चार्ट को ऐसा बनाया जाता है, ताकि वजन को एक तालमेल के साथ धीरे-धीरे घटाया जाय. परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने अपना बेस्ट देने के लिए ‘दंगल’ फिल्म में अपना वजन बढाया.

भेड़चाल में न हो शामिल

ट्रेनर योगेश आगे कहते है कि आइडियली देखा जाय तो 3 महीने में प्लस 3 या माइनस 3 किया जा सकता है, इससे अधिक करने पर बॉडी सिस्टम पर गलत अवश्य पड़ता है. हेल्दी डाइट और हेल्दी living के साथ अगर वजन बढ़ाते है, तो वह ठीक होता है, उसी प्रकार एक सिमित दायरे में वजन घटाने पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती. बिना सोचे-समझे बार-बार शरीर बढ़ाना और घटाना ठीक नहीं. इसमें सबसे गलत काम आज के यूथ करते है, जो कही पढ़कर या देखकर ओवरनाईट में वैसी शरीर बनाना चाहते है, जो ठीक नहीं. इससे नींद की समस्या,कई प्रकार की बीमारियाँ, हार्मोनल समस्याएँ आदि हो जाती है.इसके अलावा नमक छोड़ देना या पानी कम पीने से वजन कभी नहीं घटता.

अमिताभ बच्चन की बात करें तो सारे प्रोफेशनल का आपस में बातचीत चलती रहती है. उनके डॉक्टर, ट्रेनर, डाइटिशियन, शेफ आदि सब मिलकर काम करते है. इसके अलावा अमिताभ बच्चन समय के बहुत पाबंदी रखते है. समय से खाना, समय से सोना और समय से काम करना ये सब उनकी सूची में रहती है.

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वजन घटाना नहीं मुश्किल

वजन के बढ़ने में फ़ूड का बहुत बढ़ा हाथ होता है. बॉडी की जरुरत और टाइप के अनुसार ही डाइट चार्ट होनी चाहिये, जिसमें प्रोटीन, फैट, फाइबर आदि को नहीं छोड़ना चाहिए. इसलिए न्यूट्रीनिस्ट से मिलकर सही डाइट प्लान बनाना जरुरी है, जिससे वजन घटाना मुश्किल न हो. संतुलित भोजन और नियमित वर्कआउट से वजन बहुत जल्दी घटता है. आजकल मोटापे के शिकार बच्चे अधिक होते है, कुछ कारण निम्न है,

  • बच्चों में मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण, उनका बाहर जाकर न खेलना,
  • गेजेट्स का बच्चों के जीवन पर अधिक प्रभाव,
  • जंक फ़ूड का अधिक से अधिक सेवन,
  • समय से न सोना आदि है.

इसके अलावा शुगर, सॉफ्ट ड्रिंक और जंक फ़ूड को अवॉयड करें, पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल खाए, समय से खाना और समय से सोना, बॉडी को रोज सुबह डिटोक्स करें.

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