फोन पर फ्रौड से कैसे बचें

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘हैलो… जी नमस्कार. मैं स्टेट बैंक औफ इंडिया से बैंक का मैनेजर प्रभाकर बोल रहा हूं. आप अपने एटीएम कार्ड का सत्यापन करा लीजिए नहीं तो यह ब्लौक कर दिया जाएगा.’’

निशा वैसे तो पढ़ीलिखी थी, पर अचानक आए इस फोन और फोनकर्ता के स्टेट बैंक का मैनेजर बताए जाने पर उस ने मान लिया कि फोन किसी असली मैनेजर का है और फिर फोनकर्ता को निशा ने 16 अंकों का एटीएम कार्ड का नंबर तो बताया ही, साथ ही कार्ड के पीछे लिखा सीवीवी नंबर भी बता दिया.

वह फर्जी फोनकर्ता इतनी चतुराईर् से बात कर रहा था कि निशा सम झ ही नहीं पाई कि माजरा क्या है और जब बीच में फोनकर्ता ने अंगरेजी भी बोली तब तो वह बिलकुल आश्वस्त हो गई कि यह प्रभाकर बैंक का ही मैनेजर है.

बातों के जाल में फंसा कर निशा के मोबाइल पर आया ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) भी पूछ लिया.

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शाम को जब निशा ने अपने बैंक का बैलेंस चैक किया तो उस में से क्व80 हजार की शौपिंग करी जा चुकी थी.

ब्रांच जा कर मैनेजर से शिकायत करी, पुलिस में भी रिपोर्ट करी पर हर तरफ से यही उत्तर आया कि शौपिंग आप के कार्ड से ही हुई, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते.

पढ़ेलिखे ठग

यह है बैंकिंग फ्रौड या ओटीपी फ्रौड चाहे कोई भी नाम दीजिए पर इस में ठगी का शिकार तो ग्राहक ही होता है. ये ठग पलक  झपकते हमारी गाढे़ पसीने की कमाई पर हाथ साफ  कर लेते हैं.

ये औनलाइन ठग पढ़ेलिखे, अंगरेजी बोलने वाले और तकनीक के भी जानकार होते हैं. इंटरनैट के कई स्रोतों से ये हमारा नाम तथा नंबर जान लेते हैं और फिर फोन कर के हम से जरूरी जानकारी जुटा कर हमारे पैसे उड़ा लेते हैं.

आज इंटरनैट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग के चलते यह फ्रौड करना आसान हो गया है. इस तरह के फोन अधिकतर लैंडलाइन नंबरों से आते हैं ताकि किसी को शक न हो सके. आज हर व्यक्ति कैशलैस होना चाहता है, इसलिए वह अपने मोबाइल में ही अपने अकाउंट से जुड़ी पूरी डिटेल रखता है और चाहता है कि उस का हर काम स्मार्टफोन से ही हो जाए. उसे बैंक जा कर लाइन में न लगना पड़े.

ऐसे में जब आप के पास कोई फोन आ जाए कि आप की लौटरी निकली है या खाता बंद हो सकता है तब आप सहजता से फोनकर्ता को सारी जानकारी दे देते हैं.

करोड़पति बनाने का झांसा

एक इसी तरह का नया फ्रौड भी प्रकाश में आया है. ये ठग आप को फोन कर के यह कहते हैं कि ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की तरफ से आप को एक कार इनाम में दी जाती है. बस इस गाड़ी के कागज बनवाने का खर्चा आप को देना होगा. यदि आप खुश हो कर हां कह देते हैं तो ये ठग आप से कार्ड की डिटेल पूछ कर पैसे उड़ा लेते हैं.

इसी तरह नीरजजी और उन के बेटे ने पुरानी जीपकार बेचने वाली एक साइट पर एक कार का विज्ञापन देखा और उस के मालिक के फोन नंबर पर संपर्क किया तो तथाकथित कार मालिक ने उन्हें गाड़ी देखनेपरखने के लिए उसी शहर में एक जगह बुलाया.

जब नीरजजी अपने बेटे को ले कर कार देखने गए तो कार उन्हें पसंद आ गई और फिर दोनों पार्टियों में एक निश्चित तिथि पर सौदा करने का निर्णय किया.

मगर ठीक सौदा होने वाले दिन नीरजजी के पास कार विक्रेता का फोन आया और उन्हें बातों में फंसा कर उस ने कार्ड की डिटेल मांग ली. फिर कुछ ही मिनटों में नीरजजी का अकाउंट साफ हो चुका था.

जब वे कार के सौदे वाली जगह पहुंचे तब न वहां कार थी और न कार वाला और उस विक्रेता का फोन नंबर भी बंद आ रहा था.

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इस पूरे प्रकरण में पुलिस ने भी कोई सहयोग नहीं किया, उलटा नीरजजी के पढ़ेलिखे होने के बावजूद ऐसी गलती कर देने का कुसूरवार उन्हें ही ठहराया गया.

इन सभी घटनाओं से हमें यही सीख मिलती है कि हमें किसी भी हालत में एटीएम कार्ड या क्रैडिट कार्ड का कोई भी नंबर, पासवर्ड या ओटीपी किसी को नहीं बताना है. अगर इस तरह की कौल्स बारबार आप के फोन पर आती हैं तो पुलिस में जा कर लिखित शिकायत करनी चाहिए. तकनीक हमारे रास्ते आसान तो बनाती है पर असावधानी होने पर हमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

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