मां बनने का सुख दुनिया में सबसे बड़ा सुख होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं में गर्भधारण के मामलों में करीब 20 फीसदी महिलाओं में गर्भपात की समस्या देखने को मिलती है. दुर्भाग्य से 5 फीसदी मैरिड कपल्स को दो या दो से अधिक बार गर्भपात की समस्या को फेस करना पड़ता है. जिसके कारण वे मायूस हो जाते हैं. और वे इसके कारणों को जानना चाहते हैं , ताकि अगली प्रेगनेंसी में इससे बचा जा सके और उन्हें पेरेंट्स बनने का सुख मिल सके. लेकिन देखने में आया है कि अकसर प्रेगनेंसी लोस के पीछे गर्भ में पल रहे बच्चे में जेनेटिक प्रोब्लम होती है. जिसे अगर समय रहते जान लिया जाता है तो गर्भपात की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है.
जीन्स2मी में वैज्ञानिक मामलों की वरिष्ठ प्रबंधक डाक्टर साइमा नाज बताती हैं कि बारबार होने वाले गर्भपात के मामले अधिकतर जेनेटिक प्रोब्लम की वजह से होते हैं. इन गड़बड़ियों को क्रोमोसोमल या मोनोजेनिक में बांटा जा सकता है. यह सुनने में थोड़ा भयभीत करने वाला जरूर है, लेकिन आप यकीन मानिए कि इस तरह की पीड़ा से गुजर चुकी कई महिलाओं ने दोबारा गर्भधारण किया और उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है.
बारबार होने वाले गर्भपात को रोकने के लिए आनुवंशिक परीक्षण
बारबार होने वाले गर्भपात के मामलों को रोकने के लिए जेनेटिक टेस्टिंग एक बेहद उपयोगी माध्यम है. इस तरह के मामलों में मरीज के क्रोमोसोम्स का टेस्ट करवाने की जरूरत होती है. गर्भपात के इस तरह के मामलों को समझने के लिए भ्रूण के नमूने सीधे इकट्ठे किए जाते हैं और उनका डाईग्नोस्टिक लैब में परीक्षण किया जाता है.
क्रोमोसोम के परीक्षण से गुणसूत्रों की संख्या और बनावट पर निर्भर रहते हुए क्रोमोसोम टेस्ट से कई अनियमितताओ के होने या न होने की पुष्टि की जा सकती है. आमतौर पर गर्भपात का सबसे बड़ा क्रोमोसोम से जुड़ा हुआ कारण ट्राइसोमी हो सकता है. गर्भपात होने के अन्य कारणों में ट्रिपलोईडी , मोनोसोमी , ट्रेटाफ्लोइडी या ट्रांसलोकेशन जैसी संरचनात्मक गड़बड़ियां शामिल हैं. ये जेनेटिक गड़बड़ियां मातापिता से प्राप्त होने की जगह शुक्राणु या अंडे की अनियमितयो के कारण होती है.
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बारबार होने वाले गर्भपात के कारणों को समझने के लिए क्रोमोसोमल टेस्ट
गड़बड़ी मुख्य रूप से अतिरिक्त क्रोमोसोम की मौजूदगी या किसी क्रोमोसोम या गुणसूत्रों के गायब होने से होती है. इसकी पहचान के लिए आनुवांशिक विश्लेषण किया जाता है. आनुवांशिक परीक्षण के क्षेत्र में मायकोएरे टेक्नोलोजी सबसे आधुनिक ताकतवर बायोटेक्नोलोजी की तकनीक बन गई है, जो एक साथ हजारों डीएनए नमूनों का विश्लेषण कर सकती है. इन तकनीकों में डीएनए को निकालने के लिए सीधे भ्रूण के नमूनों का उपयोग किया जा सकता है. इसमें जीवित कोशिकाओं की जरूरत नहीं पड़ती. हाई रेजोल्यूशन क्रोमोसोम विश्लेषण से क्रोमोसोम की बारीक़ से बारीक गड़बड़ियां भी पकड़ में आ जाती है, जो पारम्परिक तरीके से गुणसूत्रों का विश्लेषण करने पर छूट सकती है. परंपरागत कार्योटाइपिंग की अपेक्षा क्रोमोसोम का विश्लेषण करने में क्रोमोसोमल माइक्रोएरे जबरदस्त माध्यम बन गया है.
आप गर्भपात के कारणों का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट की मदद ले सकते हैं. कई डाईग्नोस्टिक लैब सहज या स्वाभाविक गर्भावस्था के लिए इस तरह के जेनेटिक टेस्ट की सुविधा प्रदान करता है. इसी तरह की एक कंपनी जीन्स2मी है, जो बच्चे के जन्म की प्लानिंग कर रहे पेरेंट्स को मदर एंड केयर प्रेगनेंसी टेस्ट की पूरी सीरीज उपलब्ध करवाती है. जीन्स2मी की सीइओ रितु गुप्ता कहती है, ‘ पहली तिमाही में गर्भपात के कई शुरुआती मामले भ्रूण में पाई जाने आनुवंशिक गड़बड़ियों के कारण होते हैं. मनुष्य में सामान्य रूप से 46 क्रोमोसोम होते हैं , जिसमें सामान्य विकास के जीन्स होते हैं , लेकिन गर्भावस्था के शुरुवाती चरण में इस तरह के गर्भपात भ्रूण में अतिरिक्त या कम गुणसूत्र होने के कारण होते हैं. क्रोमोसोम माइक्रोएरे टेस्ट बारबार होने वाले गर्भपात के कारणों को समझने में दंपतियों की मदद कर सकता है, जिससे वह अपने डॉक्टर से बातचीत करने के बाद एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देने की प्लानिंग कर सकते हैं.
बच्चे को जन्म देने की भावी योजना बनाते समय
अगर आपके जेनेटिक टेस्ट से ये पता चलता है कि गर्भपात की समस्या आनुवांशिक गड़बड़ियों की वजह से आ रही है तो आपके मन में इस बारे में कई सवाल हो सकते हैं. आप भविष्य में बच्चे के जन्म की योजना बनाते समय अपने जेनेटिक काउंसलर या फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से बात कर सकते हैं.
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आप क्रोमोसोमल माइक्रोएरे टेस्टिंग से पता चलता है कि उनके गर्भपात के कारणों के पीछे अनियमितता थी तो इसकी काफी ज्यादा संभावना है कि यह केवल एक बार की समस्या हो. इसका मतलब यह नहीं कि भविष्य में जन्म लेने वाले आपके बच्चे में आनुवांशिक गड़बड़ियां होने की संभावना ज्यादा है. लेकिन गर्भपात से होने वाला दर्द न झेलना पड़े , इसके लिए दम्पतियों को हमेशा जेनेटिक टेस्ट करवाना चाहिए.
क्रोमोसोम की गड़बड़ियों के कारण बारबार का दर्द झेलने वाले दंपति अन्य प्रक्रियाओं से गर्भधारण करने का विकल्प आजमा सकते हैं. इसमें प्री इनप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस के साथ इनविट्रो फर्टिलाइजेशन शामिल है. इसके द्वारा पेरेंट्स बच्चों को उनसे होने वाली अनुवांशिक बीमारियों से बचा सकते हैं और पेरेंट्स बनने का सुख भी ले सकते हैं .