‘‘मैं विद्रोही हूं इसलिए मैं आगे बढ़ी’’ मृणालिनी देशप्रभु बिजनैस वूमन

एक ऐसा समाज जहां पुरुष बहुलता में हों, वहां एक स्त्री का कुछ हट कर करना सब को चौंका देता है. मृणालिनी देशप्रभु की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन की कहानी न सिर्फ पुरुषों की सोच में बदलाव लाने का दम रखती है बल्कि यंग जैनरेशन को अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी देती है.

मृणालिनी गोवा की रहने वाली है. उस के पास विंटेज कार का बड़ा और बेहतरीन कलैक्शन है जिस में तरहतरह की कारें शामिल हैं. मृणालिनी देशप्रभु पेशे से एक बिजनैस वूमन है. उस के पास एक गैरेज है, जिस में एक औस्टिन सैवन आरपी सैलून, औस्टिन आठ, औस्टिन अटलांटिक और औस्टिन मिनी कारें हैं. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि उस के पास औस्टिन ब्रैंड का एक परिवार है. इस के अलावा उस के पास एक फोर्ड मौडल ए और जेफिर कार भी है. उस का गैरेज विंटेज और क्लासिक कारों से भरा हुआ है. उस के पास एक वोक्सवैगन बस है और दूसरी औस्टिन बस भी है.

बचपन की यादें

मृणालिनी औस्टिन की एक कार दिखाते हुए कहती है, ‘‘यह औस्टिन का पहला मौडल था. इसे बेहद लोकप्रिय 50 के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा था. वहीं मौरिस लाइट, व्लोच की कंपनी, जिसे लार्ड औस्टिनज ने खरीदा था. इसे एक एलियमटेबल फैमिली कार के रूप में देखा गया था. यह यह एक युद्धपूर्व डिजाइन था, जिसे थोड़ा मौडर्न टच भी दिया गया था.

‘‘इस में 900 मिलीग्राम मैकोंग, 24 एचपी, एक प्रीमैटल ग्रैबेक्स, स्वतंत्र सस्पैंशन और लेड्रौलिक ब्रेक ट्रैक्स भी था. इस का कैबिन काफी बड़ा था. इस की अधिकतम गति लगभग 90 किलोमीटर प्रति घंटा थी.’’

मृणालिनी ने आगे बताया, ‘‘देशप्रभु परिवार 48 साल से भी अधिक पुराना है. एक सदी, हमारा परिवार गोवा में कार खरीदने वाला पहला परिवार था. यह समय था 1904 का और साथ ही एक टैलीफोन भी.’’

मृणालिनी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती है, ‘‘जब हम लगभग 13 या 14 साल के थे, तो हम बच्चे घर के चारों ओर दौड़ते थे और कंपाउंड के चारों ओर जीप. गाड़ी चला कर अपने मातापिता को पागल कर देते थे. मेरा पहला प्यार हमेशा से मोटरबाइक ही था. सवारी करना बहुत महिलाओं जैसा नहीं माना जाता था. लेकिन मैं विद्रोही हूं, इसलिए मैं आगे बढ़ी और नतीजों की परवाह किए बिना ऐसा किया. मेरी 20 की उम्र में ही कारों में दिलचस्पी हो गई थी और उस के तुरंत बाद एक दुर्घटना हो गई, शुक्र है कि इस से मु?ो उसे डर नहीं लगा. हालांकि उस के बाद मु?ो ये कारें दोबारा चलाने का मौका नहीं मिला क्योंकि मेरे दिवंगत पिता जितेंद्र ने नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं.

‘‘काश मैं ने उन्हें दिखाया होता कि यह मु?ा में है और मु?ो कारें सचमुच बहुत पसंद हैं.  उन्होंने अपने दोस्त से औस्टिन मिनी खरीदी और मु?ो बताया कि यह मेरे लिए है. लेकिन मु?ो इसे चलाने का मौका कभी नहीं मिला क्योंकि उस गैरेज में सालों से मरम्मत का काम चल रहा था और फिर मैं स्टडी करने के लिए यूएसए चली गई. मु?ो उम्मीद है कि मैं जल्द ही उस कार को चला लूंगी.’’

बेजबानों से प्यार

जिस कार को मृणालिनी नियमित रूप से चलाती है वह औस्टिन 8 है. यह छोटी सी कार वह नहीं है जिसे अकसर कौनकोर्स स्थिति में सम?ा जाता है. मृणालिनी देशप्रभु डौग लवर भी है. उस के पास अलगअलग बिरीड के डौग भी हैं जैसे वुलडौग. ये हमेशा उस के आसपास ही रहते हैं.

देशप्रभु फैमिली को उस की सर्विसेज के लिए धन्यवाद के रूप में पुर्तगालियों ने ‘विस्काउंट डी पेरनेम’ की उपाधि भी दी. यह सम्मान पाने वाली वह एकमात्र हिंदू फैमिली है. मोटर चालित परिवहन और देशप्रभु परिवार के बीच संबंध पुराना है लेकिन अब यह संबंध टूटता जा रहा है.

 

Summer Special: किसी भी मौसम में घूम आइए यहां

भारत के हर कोने में प्रकृति ने अपना नूर बरसाया है और ऐसे ही कुछ शहरों में सालभर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है. जानते हैं कुछ ऐसी ही जगहें जहां आप साल भर में कभी भी छुट्टि‍यां बिताने की प्लानिंग कर सकते हैं…

1. केरल

चारों तरफ फैली हरियाली और सुंदर नजारे केरल की खासियत हैं. यह जगह हनीमून कपल के बीच काफी पसंद की जाती है. केरल का मौसम गर्मियों में पर्यटकों को अपने समुद्रतटों के बीच खींच ही लाता है. लड़की के सुंदर बोट हाउस में रहने का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो करेल से बेहतर दूसरी कोई जगह नहीं हो सकती.

2. जयपुर

मेवाड़ की शान और रॉयल अंदाज के लिए जाना जाने वाला जयपुर भी साल भर पर्यटकों से घिरा रहता है. यहां का मुख्‍य आकर्षण यहां के महल और खानपान है. हवा महल, आमेर किला, पानी के बीचों बीच बना जल जैसे वास्‍तुकला के भव्‍य नजारे आपको और कहीं देखने को नहीं मिलेंगे.

3. गोवा

विदेशी पर्यटकों की ही तरह देशी सैलानियों के बीच भी गोवा काफी कूल डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है. गर्मियों और न्‍यू ईयर ईव पर यहां पर्यटकों की संख्‍या देखने लायक होती है. गोवा का सीफूड, गोवा किला, चोपारा किला और यहां के समुद्री तट यहां के मुख्‍य आकर्षण हैं.

4. कश्‍मीर

धरती की जन्‍नत कहे जाने वाले कश्‍मीर में भी सैलानियों का हुजूम साल भर देखने को मिल जाएगा. यह जगह भी हनीमून कपल की लिस्‍ट में जरूर शामिल रहती है. दूर-दूर तक फैले सुंदर पहाड़ और कश्‍मीरी खाने का स्‍वाद आपको जल्‍दी यहां से जाने नहीं देंगे.

5. कन्‍याकुमारी

समुद्र से घिरा हुआ भारत का सबसे निचला हिस्‍सा है कन्‍याकुमारी. यहां पर डूबता सूरज देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं. कन्‍याकुमारी को केप कोमोरिन के नाम से भी जाना जाता है.

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Summer Special: शाही अंदाज में सैरसपाटा

घुमक्कड़ लोग 2 मिजाज के होते हैं. पहले वाले घुमक्कड़ पर्यटन स्थलों के सैरसपाटे से ही वास्ता रखते हैं. उन के लिए कहां रुकना है या फिर कहां खानपान होगा, ज्यादा माने नहीं रखता. जबकि दूसरे मिजाज के पर्यटक पर्यटन स्थलों को जितनी तरजीह देते हैं उतनी ही तरजीह रहने के शाही ठौर और खाने के मशहूर ठिकानों को देते हैं. दूसरे मिजाज के इन्हीं पर्यटकों के लिए लग्जरी पैकेज का चलन बना है. आमतौर पर लग्जरी पैकेज कुलीन वर्ग या कहें एलीट क्लास के लोग ही अफोर्ड कर सकते हैं क्योंकि इन में शानदार इंटरकौंटिनैंटल रेस्तरां, होटल, लग्जरी रिजौर्ट, पांचसितारा होटल शामिल होते हैं. लेकिन ऐसी कोई शर्त नहीं है कि आम मध्यमवर्गीय लोग लग्जरी पैकेज नहीं ले सकते, साल में 5 बार नहीं तो साल दो साल में 1 बार तो वे भी लग्जरी पैकेज का आनंद ले ही सकते हैं. लग्जरी पैकेज में हम आप के लिए लाए हैं कुछ चुनिंदा पर्यटन ठिकानों के बारे में जानकारीपरक फीचर, ताकि इन छुट्टियों में आप भी लग्जरी टूरिज्म का यादगार अनुभव ले सकें.

पैलेस औन व्हील्स

लग्जरी पैकेज में पैलेस औन व्हील्स एक ऐसा विकल्प है जो सफर में ही पर्यटन का इतना लुत्फ देता है कि किसी मंजिल तक जाने की जरूरत ही नहीं होती. यानी चलतेचलते ही सैर कर होटल, रेस्तरां और पर्यटन का पैकेज एकसाथ लिया जा सकता है. इसीलिए पैलेस औन व्हील्स सिर्फ देसी पर्यटकों के लिए ही नहीं, बल्कि विदेशी सैलानियों को भी खासा भाता है. राजामहाराजाओं की जीवनशैली और ठाटबाट के साथ राजस्थान की सैर कराने वाली आलीशान ट्रेन ने उत्तर भारत की सर्वश्रेष्ठ लग्जरी ट्रेन का खिताब जीता है. इस ट्रेन को राजस्थान पर्यटन विकास निगम लिमिटेड एवं भारतीय रेलवे द्वारा संचालित किया जाता है. मेहमाननवाजी एवं परंपरागत शाही अंदाज के लिए हर कोई इस की सवारी एक बार जरूर करना चाहता है. ट्रेन में राजसी जीवनशैली के ठाट हैं तो वहीं पर्यटकों की मौडर्न जरूरतों को ध्यान में रखते हुए स्पा और हैल्थ क्लब, जिम आदि का भी इंतजाम है. जरा सोचिए चलती ट्रेन में प्रत्येक सैलून में वाशरूम के साथ वाटर प्यूरीफायर्स की सुविधा के साथ मनोरंजन का भी इंतजाम हो तो कौन नहीं चाहेगा कि यह सफर यों ही चलता रहे. इस गाड़ी में पांचसितारा होटल जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.

फलकनुमा पैलेस

दक्षिण भारत में अगर लग्जरी पर्यटन का मजा लेना है तो ताज फलकनुमा से बेहतर विकल्प हो ही नहीं सकता. बजट यहां भी मोटा होगा लेकिन जिस शाही अंदाज की सुविधाएं यहां मिलती हैं उन्हें देखते हुए इसे महंगा कहना सही नहीं होगा. फलकनुमा पैलेस की हाल में चर्चा सलमान खान की बहन अर्पिता की शादी के दौरान जम कर हुई थी. वैसे फलकनुमा पैलेस अपने शाही मेहमानों के लिए काफी अरसे से मशहूर माना जाता है. यहां आ कर अगर आप को बीते दौर के निजाम या महाराजा जैसा फील हो तो आश्चर्य की बात नहीं.

इतिहास :

हैदराबाद का यह लग्जूरियस पैलेस पैगाह हैदराबाद स्टेट से ताल्लुक रखता है. इस पर बाद में निजामों ने आधिपत्य किया. 32 एकड़ में फैला यह शाही महल चारमीनार से महज 5 किलोमीटर दूर है. इसे नवाब विकार उल उमरा ने बनवाया था जो तत्कालीन हैदराबाद के प्रधानमंत्री थे. फलकनुमा यानी आसमान की तरह या आसमान का आईना. इस की रचना एक अंगरेजी शिल्पकार ने की थी. इसे कुल 9 साल में पूरा किया गया. इटैलियन पत्थर से बना यह फलकनुमा 93,971 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला है. सर विकार इस स्थान को अपने निजी निवास के तौर पर प्रयोग करते थे, बाद में यह हैदराबाद के निजाम को सौंप दिया गया.

फलकनुमा पैलेस के निर्माण में इतनी अधिक लागत आई कि एक बार तो सर विकार को भी एहसास हुआ कि वे अपने लक्ष्य से कहीं ज्यादा खर्च कर चुके हैं. बाद में उन की बुद्धिमान पत्नी लेडी उल उमरा की चालाकी से उन्होंने यह पैलेस निजाम को उपहार में दे दिया जिस के बदले में उन्हें इस पर हुए खर्च का पूरा पैसा मिल गया. बाद में निजाम ने इस महल को शाही अतिथि गृह की तरह से प्रयोग करना शुरू कर दिया क्योंकि इस से पूरे शहर का नजारा देखने को मिलता था. सन 2000 तक यह पैलेस सामान्य जनता के लिए बंद था.

शाही ठाट :

वर्ष 2000 में इस को मौडिफाइड कर 2010 में पर्यटकों और शाही मेहमानों के लिए खोल दिया गया. इस के कमरों व दीवारों को फ्रांस से मंगाए गए और्नेट फर्नीचर, हाथ के काम किए गए सामान तथा ब्रोकेड से सुसज्जित किया गया. यहां बिलियर्ड्स रूम भी है जिसे कि बोरो और वाट्स ने डिजाइन किया था. इस में स्थित टेबल अपनेआप में अद्भुत है क्योंकि ऐसी 2 टेबल्स का निर्माण किया गया था जिन में से एक बकिंघम पैलेस में है तथा दूसरी यहां स्थित है. खानपान के मामलों में तो यहां निजामों वाला शाही इंतजाम है. 101 सीट्स वाला भोजनगृह है जिसे दुनिया का सब से बड़ा डाइनिंग हाल माना जाता है. यहां का दरबार हाल भी काफी आकर्षक है.

शाही होटल्स :

फलकनुमा के सभी कमरों में शाही फाइवस्टार होटल के जैसे इंतजाम हैं. इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौनस्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज, बिलियर्ड ऐंड डाइनिंग रूम जैसी शाही सुविधाएं हैं. साथ ही संगीत के विशेष कार्यक्रमों की सौगात भी है.

खानपान :

जितना शाही यह पैलेस है उतना ही शाही यहां का खानपान है. खाने के नाम पर नवाबी अंदाज में बार्बेक्यू रेस्तरां में शाही लजीज कबाब और रौयल अंदाज में बिरयानी सर्व की जाती है. जेड रूम में लंच, स्पैशल खाना, चौकलेट शैंपेन और कई रौयल डिशेज परोसी जाती हैं. वाइन लिस्ट में दुनियाभर की वाइन का इंतजाम होता है. वहीं, बे्रकफास्ट में जेड वरंदाह में परंपरागत हैदराबादी डिश, चारमीनारी ब्रेकफास्ट, टर्किश और साउथ इंडियन खाना खास है. हालांकि यह सुविधा सिर्फ विंटर्स में मिलती है. रौयल टैरेस में भी इंडियन, चाइनीज और कौंटिनैंटल की सारी डिशेज फलकनुमा के टैरेस में रौयल अंदाज में परोसी जाती हैं. हुक्का लाउंज में फ्लेवर्ड हुक्का की बेहतरीन वैराइटीज और रोमांटिक मूड का खास इंतजाम है.

कुल मिला कर इस

के होटल में लग्जरी के सारे विकल्प मौजूद हैं. कौन्फ्रैंस हाल दरबार में 500 मेहमान, जेड रूम में चायपान के लिए 40 मेहमान, राजस्थानी गार्डन में 150 मेहमान और बोर्डरूम में 17 लोगों का खास इंतजाम हर समय रहता है. होटल मैनेजमैंट की तरफ से लोकल टूर गाइड भी मुहैया कराया जाता है, जो आप को लग्जरी ठिकानों की सैर कराता है.

किराया :

ताज फलकनुमा पैलेस में शुरुआती रेट 38 हजार से 40 हजार के बीच है. बाकी टूर औपरेटर्स के जरिए इस से कम की डील भी ली जा सकती है.

कैसे पहुंचें

हैदराबाद पहुंच कर इंजन बावली पहुंच गए तो समझ लीजिए आप फलकनुमा आ गए. पास में और भी पर्यटन स्थल जैसे कि नेहरू जूलौजिकल पार्क, चारमीनार, तारामती बारादरी, सालारजंग संग्रहालय भी हैं. यानी यहां शाही रहनसहन के साथ नजदीकी पर्यटन के अड्डों का भी मजा लेना बेहद आसान है. सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन से इस की दूरी 15 किलोमीटर है जबकि राजीव गांधी हवाई अड्डे से यह 17 किलोमीटर दूर है. अन्य जानकारियां इस की वैबसाइट ताज होटल्स डौट कौम पर मिल जाएंगी.

द लीला : गोआ

अकसर सैलानी गोआ जाने का मतलब वहां के बीच और आईलैंड ही मानते हैं और जब वहां के नजारे के साथ रहने के विकल्प खोजते हैं तो मुश्किल में फंस जाते हैं. कोई पेइंगगैस्ट ढूंढ़ता है तो कोई होटल के मामले में कन्फ्यूज्ड रहता है. जबकि गोआ में घूमने का मतलब ढेर सारी मस्ती, स्पा, बीच और शाही रहनसहन से है. भारत में ज्यादातर नए कपल्स हनीमून के लिए गोआ आते हैं.

लेकिन जरा सोचिए, अगर हनीमून के लिए शाही कमरा या होटल न हो तो फिर गोआ आने का मजा कैसा. इसलिए अगर अपना बजट थोड़ा सा संभाल सकते हैं तो गोआ का द लीला होटल न सिर्फ आप के हनीमून को यादगार बना सकता है बल्कि बीच और आईलैंड के बीच कमरे में रहने और शानदार सुविधाओं का यादगार तोहफा भी देता है.

शाही अंदाज

लीला होटल देशीविदेशी लोगों को लग्जरी के मामले में खासा भाता है. यह कई तरह के पैकेज देता है जो अलगअलग सीजन के हिसाब से मुफीद बैठते हैं. इस पांचसितारा होटल में 206 शानदार कमरे हैं जो वैलफर्निश्ड होने के साथसाथ वाईफाई तकनीक और अन्य आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. इन मौडर्न डिजाइन कमरों में कई क्लास हैं. मसलन, लैगून टैरेस रूम, रूम लैगून, सुइट लैगून, डीलक्स सुइट, क्लब पूल सुइट, रौयल विला आदि. लीला में खानपान के नाम पर इंडियन से ले कर इटैलियन और सभी देशों के व्यंजन मिलते हैं. जरा सोचिए, चांदनी रात में होटल के पूल एरिया में डिनर करना कितना शाही अनुभव होगा. इस के अलावा कैफे, ब्रेकफास्ट सर्विस, बार, बार्बेक्यू ग्रिल और रेस्तरां आप को लग्जरी ट्रिप का पूरा मजा देते हैं. पूल एरिया में ही डांस, मस्ती और बार का भी इंतजाम है. लीला में बौडी मसाज से ले कर स्पा, जिम और बौडी ट्रीटमैंट के भी ढेरों विकल्प मौजूद हैं.

कहां और कैसे

दक्षिण गोआ में स्थित इस होटल तक पहुंचने के लिए एअरपोर्ट से 40 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इस के नजदीक मोबोर बीच काफी फेमस है. अन्य जानकारी इस की वैबसाइट लीला डौट कौम पर मिल जाएगी. पैकेज : लीला में समर गेटवे औफर, समर मानसून पैकेज सीजन के मुताबिक मिलते हैं जिन का किराया, 5 हजार रुपए से शुरू हो कर 10 हजार रुपए तक चलता है. अधिक जानकारियां इस की वैबसाइट द लीला डौट कौम/गोवा होटल्स पर मिलेंगी.

अन्य सुविधाएं : अन्य सुविधाओं में बार, रेस्तरां, बार्बेक्यू, इंटरनैट, बिजनैस सैंटर, जिम, पूल, बेबी सिटिंग सर्विस, ब्यूटी सैलून, कौन्फ्रैंस सर्विस, नौन स्मोकिंग रूम, कौकटेल लाउंज, जकूजी मसाज सर्विस, बौडी ट्रीटमैंट, बैंक्वेट, जेड रूम, हुक्का लाउंज शामिल हैं.

रामनिवास बाग

जयपुर खूबसूरत बगीचों का शहर है. जयपुर में केसर क्यारी, मुगल गार्डन, कनक वृंदावन, जयनिवास उद्यान, विद्याधर का बाग, सिसोदिया रानी का बाग, परियों का बाग, फूलों की घाटी, रामनिवास बाग, सैंट्रल पार्क, स्मृति वन जलधारा, जवाहर सर्किल, स्वर्ण जयंती उद्यान आदि दर्जनों उद्यान हैं. लेकिन रामनिवास बाग सब को मात दे कर चहेता पर्यटन स्थल बन गया है. यहां के बाग शहर के सब से खूबसरत उद्यानों में से एक हैं. 

इतिहास :

रामनिवास बाग का निर्माण 1868 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रतापसिंह ने कराया. हवामहल का निर्माण कराने वाले महाराजा प्रतापसिंह सौंदर्योपासक थे. उन्होंने जयपुर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास किए जिन में उस समय का सब से खूबसूरत और विशाल उद्यान था रामनिवास बाग. राजस्थान एक कम वर्षा वाला राज्य है. इसलिए यहां के शासकों ने शहर को सुंदर बनाने और सर्वसाधारण को गरमी में विहार करने के लिए उपयुक्त स्थान देने के लिए बागबगीचों का निर्माण कराया. प्राकृतिक संतुलन के लिए भी यह जरूरी है. शाम के समय यहां राजपरिवार के सदस्य भ्रमण के लिए आते थे. अल्बर्ट हाल के स्थान पर एक केंद्रीय बड़ा गुलाब बगीचा था. हर शाम यहां विदेशी मेहमानों के परिवार और राजपरिवार के सदस्यों की मौजूदगी से खुशगवार माहौल बन जाता है. कुछ समय के लिए यह गार्डन नागरिकों के लिए भी खोला जाता था. रामनिवास बाग का निर्माण शहर को सूखे से बचाने के लिए किया गया था.

क्या है खास

रामनिवास बाग आधुनिक महानगर जयपुर के बीचोबीच है और अपने विस्तार व खूबसूरती से सभी को बहुत प्रभावित करता है. शहर के बीचोंबीच इतना बड़ा हराभरा भूभाग अपनेआप में एक मिसाल है. यह जयपुर को ग्रीन सिटी का दरजा दिलाने में अहम भूमिका निभाता है. यहां मनोरंजन के भी कई विकल्प हैं. यहां फुटबाल का एक बड़ा मैदान है. इस के अलावा इस के कई टुकड़ों में बने वर्गाकार बगीचों में नागरिकों के बैठने, सुस्ताने और आराम करने के लिए छायादार घने वृक्ष हैं. रामनिवास बाग परिसर में ही रवींद्र मंच, अल्बर्ट हाल, चिडि़याघर आदि हैं जो पर्यटकों के लिए मनोरंजन के विशेष साधन हैं.

आकर्षण :

बाग के बीचोंबीच गोलाकार सर्किल में शहर का म्यूजियम अल्बर्ट हाल स्थित है. जब रामनिवास बाग बना था तब यहां यह म्यूजियम नहीं था. बाद में महाराजा प्रतापसिंह से माधोसिंह (द्वितीय) तक के कार्यकाल में इसे बना कर तैयार किया गया. वर्तमान में अल्बर्ट हाल रामनिवास बाग की पहचान बन गया है. वहीं रवींद्र मंच रामनिवास बाग के उत्तरपूर्वी परिसर में स्थित है. रवींद्र मंच एक विशाल प्रेक्षागृह है. यह राजस्थान का सब से बड़ा प्रेक्षागृह है. समयसमय पर यहां नाटकों का मंचन किया जाता है. यहां 2 चिडि़याघर हैं. जयपुर के चिडि़याघर में दुर्लभ वन्यजीवों के साथ टाइगर का होना मुख्य आकर्षण है.

कैसे जाएं

यहां जाने के लिए जयपुर के अजमेरी गेट जाना पड़ता है. उस के पास ही यह बाग स्थित है.

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