एक ऐसा समाज जहां पुरुष बहुलता में हों, वहां एक स्त्री का कुछ हट कर करना सब को चौंका देता है. मृणालिनी देशप्रभु की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. उन की कहानी न सिर्फ पुरुषों की सोच में बदलाव लाने का दम रखती है बल्कि यंग जैनरेशन को अपने जीवन में कुछ कर गुजरने की प्रेरणा भी देती है.

मृणालिनी गोवा की रहने वाली है. उस के पास विंटेज कार का बड़ा और बेहतरीन कलैक्शन है जिस में तरहतरह की कारें शामिल हैं. मृणालिनी देशप्रभु पेशे से एक बिजनैस वूमन है. उस के पास एक गैरेज है, जिस में एक औस्टिन सैवन आरपी सैलून, औस्टिन आठ, औस्टिन अटलांटिक और औस्टिन मिनी कारें हैं. यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि उस के पास औस्टिन ब्रैंड का एक परिवार है. इस के अलावा उस के पास एक फोर्ड मौडल ए और जेफिर कार भी है. उस का गैरेज विंटेज और क्लासिक कारों से भरा हुआ है. उस के पास एक वोक्सवैगन बस है और दूसरी औस्टिन बस भी है.

बचपन की यादें

मृणालिनी औस्टिन की एक कार दिखाते हुए कहती है, ‘‘यह औस्टिन का पहला मौडल था. इसे बेहद लोकप्रिय 50 के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा था. वहीं मौरिस लाइट, व्लोच की कंपनी, जिसे लार्ड औस्टिनज ने खरीदा था. इसे एक एलियमटेबल फैमिली कार के रूप में देखा गया था. यह यह एक युद्धपूर्व डिजाइन था, जिसे थोड़ा मौडर्न टच भी दिया गया था.

‘‘इस में 900 मिलीग्राम मैकोंग, 24 एचपी, एक प्रीमैटल ग्रैबेक्स, स्वतंत्र सस्पैंशन और लेड्रौलिक ब्रेक ट्रैक्स भी था. इस का कैबिन काफी बड़ा था. इस की अधिकतम गति लगभग 90 किलोमीटर प्रति घंटा थी.’’

मृणालिनी ने आगे बताया, ‘‘देशप्रभु परिवार 48 साल से भी अधिक पुराना है. एक सदी, हमारा परिवार गोवा में कार खरीदने वाला पहला परिवार था. यह समय था 1904 का और साथ ही एक टैलीफोन भी.’’

मृणालिनी अपने बचपन के बारे में बताते हुए कहती है, ‘‘जब हम लगभग 13 या 14 साल के थे, तो हम बच्चे घर के चारों ओर दौड़ते थे और कंपाउंड के चारों ओर जीप. गाड़ी चला कर अपने मातापिता को पागल कर देते थे. मेरा पहला प्यार हमेशा से मोटरबाइक ही था. सवारी करना बहुत महिलाओं जैसा नहीं माना जाता था. लेकिन मैं विद्रोही हूं, इसलिए मैं आगे बढ़ी और नतीजों की परवाह किए बिना ऐसा किया. मेरी 20 की उम्र में ही कारों में दिलचस्पी हो गई थी और उस के तुरंत बाद एक दुर्घटना हो गई, शुक्र है कि इस से मु?ो उसे डर नहीं लगा. हालांकि उस के बाद मु?ो ये कारें दोबारा चलाने का मौका नहीं मिला क्योंकि मेरे दिवंगत पिता जितेंद्र ने नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं.

‘‘काश मैं ने उन्हें दिखाया होता कि यह मु?ा में है और मु?ो कारें सचमुच बहुत पसंद हैं.  उन्होंने अपने दोस्त से औस्टिन मिनी खरीदी और मु?ो बताया कि यह मेरे लिए है. लेकिन मु?ो इसे चलाने का मौका कभी नहीं मिला क्योंकि उस गैरेज में सालों से मरम्मत का काम चल रहा था और फिर मैं स्टडी करने के लिए यूएसए चली गई. मु?ो उम्मीद है कि मैं जल्द ही उस कार को चला लूंगी.’’

बेजबानों से प्यार

जिस कार को मृणालिनी नियमित रूप से चलाती है वह औस्टिन 8 है. यह छोटी सी कार वह नहीं है जिसे अकसर कौनकोर्स स्थिति में सम?ा जाता है. मृणालिनी देशप्रभु डौग लवर भी है. उस के पास अलगअलग बिरीड के डौग भी हैं जैसे वुलडौग. ये हमेशा उस के आसपास ही रहते हैं.

देशप्रभु फैमिली को उस की सर्विसेज के लिए धन्यवाद के रूप में पुर्तगालियों ने ‘विस्काउंट डी पेरनेम’ की उपाधि भी दी. यह सम्मान पाने वाली वह एकमात्र हिंदू फैमिली है. मोटर चालित परिवहन और देशप्रभु परिवार के बीच संबंध पुराना है लेकिन अब यह संबंध टूटता जा रहा है.

 

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