जंक फूड को कहें ना

एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रतिदिन अच्छा पौष्टिक भोजन अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरी होता है लेकिन आज के आधुनिक युग में लगभग सभी लोग जंक फूड खा रहे हैं. इस के पीछे कारण यह भी है कि यह बाजार में हर जगह आसानी से उपलब्ध है, स्वादिष्ट तो होता ही है साथ ही दाम में कम होता है.

बच्चे से ले कर बड़े तक हर व्यक्ति जंक फूड खाने लगा है. विवाहपार्टी हो, बर्थडे पार्टी या गेट टूगेदर हो, जंक फूड बड़े शौक से खाया जाता है – जैसे कोल्ड ड्रिंक, नूडल, बर्गर, पिज्जा, चिप्स, नमकीन, मंचूरियन, समोसा, पकौड़े, केक, आइसक्रीम, चौकलेट आदि जंक फूड पार्टी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं.

पहले लोग जंक फूड को कभीकभी ही बाहर जाने पर खाया करते थे पर अब धीरेधीरे लोग इसे अपने घर का खाना बनाते जा रहे है जिस के कारण लोगों को कई प्रकार के स्वास्थ्य से जुड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या है जंक फूड

जंक फूड में बहुत ज्यादा कैलोरी होती है और विटामिन, प्रौटीन और मिनरल की मात्रा बहुत अधिक होती है. विटामिन और मिनरल जरूरत के अनुसार ही शरीर के लिए सही हैं. कुल मिला कर जंक फूड व्यक्ति के शरीर के लिए लाभदायक कम और हानिकारक ज्यादा है.

एक बात तो साफ है, ज्यादा और लगातार जंक फूड खाने से शरीर को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

वजन बढ़ना : जंक फूड बनाने में तेल, घी, बटर का अत्याधिक उपयोग होता है, जो मोटापे का कारण बनता है और मोटापा शरीर को कई अन्य बीमारियां देता है.

हाइपरटेंशन : जंक फूड में ज्यादा नमक का इस्तेमाल होता है जबकि घर में बने भोजन में हम जरूरत के अनुसार नमक की मात्रा का उपयोग करते हैं. ज्यादा नमक का सेवन हाइपरटेंशन काकारण बन सकता है.

टाइफाइड : घर में बना खाना साफसुथरा, साफ हाथों से बना होता है. होटल, फास्ट फूड सैंटर पर मिलने वाले जंक फूड बनाने में ज्यादा साफसफाई का ध्यान नहीं रखा जाता. अस्वच्छ तरीके से बनाए फूड से टाइफाइड, डायरिया होने का खतरा रहता है.

हृदय से जुड़े रोग : घर पर भोजन बनाने में हम कम तेल का इस्तेमाल करते हैं जबकि जंक फूड को ज्यादा तेल और घीयुक्त बनाया जाता है. ऐसा भोजन शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ाता है, जिस से कई प्रकार के हृदय रोग होने का खतरा रहता है.

कुपोषण : लंबे समय तक बिना पौष्टिक तत्त्वों का जंक फूड खाते रहने से व्यक्ति की भूख कम हो जाती है, जिस से कुपोषण की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. बच्चों का शारीरिक विकास सही प्रकार से नहीं हो पाता.

अंत : जंक फूड खाने के इतने भी शौकीन मत बनाइए कि अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर बैठे. महीने में एक बार स्वाद के लिए जंक फूड खा सकते है पर इस की आदत बना स्वयं के शरीर को स्वयं बरबाद करना है. इसलिए घर का स्वच्छ, स्वस्थ भोजन खाएं और स्वस्थ रहें.

बच्चे और जंक फूड

बच्चों को जंक फूड से अलग करना आज नामुमकिन सा हो गया है इसलिए चाहें तो मातापिता समझदारी से बच्चों को जंक फूड खाने को दे सकते हैं लेकिन इस की एक सीमा निर्धारित कर दें. बच्चों के साथ मिल कर एक दिन तय कर लें कि वह हफ्ते में एक दिन जंक फूड खा सकते हैं ताकि बच्चे भी छिप कर चोरी छिपे बाहर से जंक फूड नहीं खाएं.

यह डील करते समय क्वांटिटी का निर्णय भी मातापिता करें. मतलब कि बच्चा पूरा का पूरा चिप्स का पैकेट नहीं खाए बल्कि उसे कुछ पोर्शन ही दें. जंक फूड डे का मतलब यह भी नहीं कि सुबह से शाम तक बच्चा अपनी मरजी का ही खाए. नहीं, साथ में हैल्दी फूड भी खाने को दें.

इस तरीके से बच्चे को उस की मनपसंद चीज भी खाने को मिल जाएगी, साथ उस की सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचाएगा और उस के विकास में पौष्टिकता की किसी भी तरह की कमी नहीं रह पाएगी.

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