जैसी बौडी चाहिए वैसी पाइए, करने होंगे बस ये काम

हर महिला की चाहत होती है कमनीय काया. एक समय था जब यह चाहत कल्पना ही रह जाती थी और अकसर थुलथुल, गदराए बदन वाली स्त्रियां बस एक आह भर कर ही रह जाती थीं. पर अब वक्त बदल चुका है, वक्त की मांग भी बदल चुकी है. अब तो आप जैसी चाहिए वैसी काया पाइए. एक अच्छे कौस्मैटिक सर्जन से एक मुलाकात निश्चित तौर पर आप के सपनों में रंग भर देगी. शारीरिक संरचना में कहीं न कहीं कोई कमी तो रहती ही है. कहीं कमर मोटी, कहीं लटके स्तन तो कहीं अत्यंत छोटे स्तन. पर समस्या कोई भी हो क्यों झेला जाए उसे जब सब का निदान हो सकता है. यह कैसे हो सकता है इस के बारे में बताया कौस्मैटिक सर्जन डा. अजय कश्यप और डा. जे.बी. रती ने.

उन से कौस्मैटिक सर्जरी के बारे में जो बात हुई पेश हैं यहां उस के खास अंश:

कलात्मक अभिरुचियों के कारण डा. अजय कश्यप का रुझान कौस्मैटिक सर्जरी की ओर गया और फिर शुरू हुआ शारीरिक कमियों को ठीक करने का दौर. डा. अजय कश्यप बताते हैं कि जब भी कोई शारीरिक सौंदर्य को बढ़ाने के लिए केस आता है, तो उसे सौंदर्य में ढालने के लिए ही हम सर्जरी करते हैं.

आमतौर पर स्तनों से संबंधित कौन से केस आते हैं, जिन्हें आप औपरेट करते हैं? 

स्तनों से संबंधित हर प्रकार के केस आते हैं. जैसे छोटे स्तनों को बड़ा करना, लटके व बड़े स्तनों को छोटा करना, निप्पल को उठाना या उस का ब्राउनिश हिस्सा जो फैला होता है उसे कम करना. निप्पल बड़े हों तो छोटे हो सकते हैं. निप्पल के ब्राउन भाग को कम करने यानी एरियोला रिडक्शन के केस भी आते रहते हैं. दरअसल, हर महिला की चाहत होती है कि उस के अंग सुंदर लगें. हम अंगों को सुंदर बनाते हैं.

आमतौर पर किस आयु की स्त्रियां ज्यादा आती हैं?

यों तो 20 से 40 के बीच की महिलाएं ज्यादा आती हैं. पर कुछ 50 के आसपास भी आती हैं. इन के बच्चे बड़े हो जाते हैं और इस आयु में वे अपने विषय में सोचती हैं.

अगर कौस्मैटिक सर्जरी की निगाह से देखें तो शारीरिक सौंदर्य कैसे बदलते रहे हैं?

1980 के दौर में ऐथलैटिक शरीर का ज्यादा चलन था. पर अब समय बदल चुका है, लड़कियां जीरो फिगर के चक्कर में रहने लगी हैं. शादी से पहले भी वे जीरो फिगर के लिए औपरेशन कराती हैं. और वे फिगर तो थिन चाहती हैं पर स्तन थोड़े भारी ही चाहती हैं.

जब बदन जीरो फिगर की हो तो स्तनों का क्या अनुपात रहता है? बहुत पतली कमर पर भारी स्तन कैसे लगेंगे?

ब्रैस्ट के भी रेशियो होते हैं. कमर के हिसाब से ब्रैस्ट का साइज होता है. जैसे कमर 24 इंच हो तो ब्रैस्ट 36 इंच होनी चाहिए. ब्रैस्ट कप सी साइज का होना चाहिए.

छोटे स्तनों को आप बड़ा तो सिलिकौन इंप्लांट से करते हैं पर कई बार औपरेशन के बाद ब्रैस्ट सख्त सी हो जाती है. क्या कहेंगे आप?

जी हां, कई बार इंप्लांट से हार्डनैस हो जाती है. इसलिए हम कभीकभी कस्टमर के फैट से ही ब्रैस्ट बना देते हैं, जिसे औटोलोगस फैट ब्रैस्ट औगमैंटेशन कहते हैं. शरीर में जिस जगह भी फैट हो जैसे, जांघ, पेट, कूल्हे या कमर में, वहीं से निकाल कर उस से स्तन बना देते हैं. इस प्रकार अपने ही फैट से ब्रैस्ट बिना इंप्लांट के बनती है.

क्या आप के पास अविवाहिताएं भी आती हैं?

जी हां, अविवाहिताएं भी आती हैं. बेशक कम आती हैं पर आती हैं.

बड़े स्तनों को छोटा कराना कैसा रहता है?

बड़े और लटके स्तनों की तो कई समस्याएं हैं. इस में स्तनों के नीचे खुजली व फंगल इन्फैक्शन हो जाता है, कंधों में दर्द रहता है और देखने में फिगर अजीब लगता है. कई बार एक ब्रैस्ट बड़ी व एक छोटी होती है. वह तब भी बुरी लगती है. समस्या कोई भी हो, औपरेशन से सब ठीक हो जाता है.

आप के अनुसार सर्वोत्तम फिगर कौन सी होती है? आजकल किस प्रकार के स्तनों का चलन है और कौन सा वर्ग आप के पास ज्यादा आता है?

हमारे पास ग्लैमर वर्ल्ड के ही लोग ज्यादा आते हैं. देखिए, अच्छी फिगर तो वही होती है जिस में पतली कमर हो. यानी साइज 36-24-36 हो. यही महिलाएं चाहती भी हैं और हम औपरेशन कर के ऐसा शारीरिक सौंदर्य देते भी हैं. रहा सवाल ब्रैस्ट के लेटैस्ट फैशन का, तो हर महिला यह चाहती है कि पतली कमर हो और ब्रैस्ट सुदढ़ और उठी हुई हो. उन के इन्हीं सपनों में तो हम रंग भरते हैं.

इन औपरेशंस में खर्च कितना आता है?

यह औपरेशन पर निर्भर करता है. आमतौर पर 1 लाख से 2 लाख के बीच खर्च आता है.

डा. जे.बी. रती ने बताया कि हमारा काम बहुत चुनौती भरा होता है. यहां बीमार लोग नहीं आते. यहां तो सुंदर लगने के लिए औपरेशन करवाने लोग आते हैं और उन के पैमाने पर हमें खरा उतरना पड़ता है. फिर सौंदर्य के सब के अपने मापदंड होते हैं. कई महिलाएं चाहती हैं कि कमर बेहद पतली हो और ब्रैस्ट बेहद भारी हों, तो कुछ महिलाएं कुछ और चाहती हैं.

किस वर्ग के लोग आप के पास ज्यादा आते हैं?

आमतौर पर मौडल्स, फिल्म और टीवी के लोग ज्यादा आते हैं, क्योंकि वे अच्छी बौडी शेप चाहते हैं. वैसे आम लोग भी आते हैं.

शरीर के किसकिस भाग का औपरेशन करते हैं?

लगभग हर भाग का पर सब से ज्यादा स्तनों से संबंधित औपरेशन होते हैं. उन के अलावा पेट को कम करना, कमर पतली करना, नाक को सुंदर बनाना, होंठ ज्यादा पतले हों तो उन्हें मोटा करना (आजकल थोड़े मोटे होंठ फैशन में हैं) वगैरह के औपरेशन करते हैं.

स्तनों के औपरेशंस के विषय में बताइए?

बड़े व लटके स्तनों को तो हम छोटा कर ही देते हैं, छोटे स्तनों को इंप्लांट द्वारा बड़ा कर देते हैं. इस के अलावा निप्पलों को भी औपरेट कर देते हैं. पर निप्पल छोटे किए जाते हैं. हम छोटों को बड़ा नहीं कर सकते. यह औपरेशन महिलाओं का तो हम करते ही हैं पर स्तनों की समस्या कई पुरुषों में भी पाई जाती है. कई पुरुषों का एक या दोनों ही स्तन महिलाओं जैसे हो जाते हैं. उन्हें हम औपरेट कर के नौर्मल बनाते हैं. ऐसा हारमोनल असंतुलन के कारण होता है.

आजकल किस प्रकार के स्तन चलन में हैं जिन्हें महिलाएं पसंद करती हैं?

पतली कमर हो और ब्रैस्ट भारी और एकदम उठी हुई होनी चाहिए. इसीलिए लटकी ब्रैस्ट को महिलाएं औपरेशन से ठीक कराती हैं. कहने का मतलब यह है कि वे अच्छी फिगर की लगना चाहती हैं. हम औपरेशन से यही सब कर देते हैं. लटकी ब्रैस्ट को उठा देते हैं, सर्जरी से उसे टाइट कर देते हैं. आमतौर पर मौडल्स न तो छोटी ब्रैस्ट चाहती हैं, न ही बहुत बड़ी, बीच का साइज उन्हें ठीक लगता है, पर नोटिसेबल साइज हो. कई महिलाओं की बहुत छोटी ब्रैस्ट होती हैं तब हम सिलिकौन ब्रैस्ट इंप्लांट से उन्हें बड़ा बना देते हैं.

इस का खर्चा कितना आता है?

देखिए, इंप्लांट बाहर से आते हैं जो 35,000 से 45,000 तक के होते हैं. लेकिन सारा खर्च क्व1 लाख से ऊपर ही आता है.

इस में समय कितना लगता है?

ब्रैस्ट इंप्लांट में 2 से 3 घंटे लगते हैं पर ब्रैस्ट कम करने या ब्रैस्ट उठाने में 5 घंटे से कुछ ज्यादा ही समय लग जाता है.

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