40 प्लस महिलाओं के लिए जरूरी हैं ये 6 टेस्ट

पुरुष हो या स्त्री सभी को अपने सेहत का ख्याल रखना चाहिए. पर देखा जाता है कि घर की जिम्मेदारियों में उलझ कर महिलाएं अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख पाती. खास तौर पर जो महिलाएं 40 के पार की होती हैं, वो अपनी सेहत को ले कर काफी लापरवाह होती हैं. जबकि इसी दौरान जरूरी होता है कि आप अपने सेहत को ले कर ज्यादा सजग रहें. क्योंकि इस दौरान स्वास्थ्य की समस्याओं की संभावनाएं और ज्यादा बढ़ जाती हैं. स्वास्थ्य के बारे में पता लगाने के लिए आपको समय रहते कुछ टेस्ट करवा लेनी चाहिए. ये टेस्ट आपके शरीर को स्वस्थ और हेल्दी रखने में मदद करती हैं और यदि किसी प्रकार की कोई समस्या होती है तो उसकी जानकारी भी दे देती है.

1. बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट

40 के बाद महिलाओं को ये टेस्ट कराते ही रहना चाहिए क्योंकि ये बीमारी हार्मोन एस्ट्रोजेन के घटते स्तर के कारण होती है. हड्डियों के सुरक्षा में हार्मोन एस्ट्रोजेन की भूमिका अहम होती है. इसलिए इस टेस्ट को कराते रहना जरूरी है.

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2. ब्लड प्रेशर

स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है कि समय समय पर आप बल्ड प्रेशर नापते रहें. ब्लड प्रेशर संबंधी परेशानी उम्र के किसी पड़ाव पर हो सकती है. सही डाइट, एक्सरसाइज और मेडिकेशन की मदद से आप अपने बल्ड प्रेशर को नियंत्रित रख सकती हैं.

3. थायरायड टेस्ट

आजकल महिलाओं में थायरायड की शिकायत तेज हुई है.  इसके कारण उनमें वजन का बढ़ना या घटना, बालों का झड़ना, नाखून के टूटने की शिकायत होती है. इसका कारण थायरायड है. यह ग्रंथि हार्मोन टी 3, टी 4 और टीएसएच को गुप्त करता है और शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होता है. इसलिए हर 5 सालों में आपको ये टेस्ट कराते रहना चाहिए.

4. ब्लड शुगर

असंतुलित आहार के कारण ब्लड शुगर का खतरा काफी बढ़ जाता है. इसलिए जरूरी है कि 40 की उम्र के बाद ब्लड शुगर टेस्ट कराया जाए. इसे हर साल करनाना चाहिए ताकि आप अपने ब्लड में शुगर की मात्रा से हमेशा अपडेट रह सकें.

5. पेल्विक टेस्ट

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा काफी अधिक रहता है. इस लिए जरूरी है कि 40 की उम्र के बाद आप स्त्री रोग विषेशज्ञ के संपर्क में रहें.

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6. लिपीड प्रोफाइल टेस्ट

ट्राइग्लिसराइड और बैड कोलेस्ट्रौन के स्तर की जांच के लिए ये टेस्ट जरूरी है. कोलेस्ट्रौल एक मोटा अणु है, जो उच्च स्तरों में उपस्थित होने से रक्त वाहिकाओं में जमा हो सकता है और आपके दिल, रक्त वाहिकाओं और मस्तिष्क के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इसलिए हर 6 महीने पर इसकी जांच जरूर करवाएं.

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