शरीर में हो रहे इन बदलावों को भूलकर भी न करें इग्नोर, हो सकते हैं हार्ट अटैक के ये संकेत

हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर समस्या है. इस स्थिति में धमनियां ब्लॉक हो जाती हैं और ह्दय की मांसपेशियों में ब्लड फ्लो ठीक से नहीं हो पाता, ऐसे में क्लॉटिंग होना शुरू हो जाती  है. इस क्लॉटिंग की वजह से खून को ह्दय तक पहुंचने में कठिनाई होती है और इसे ऑक्सीजन नहीं मिल पाती.  वैसे हार्ट अटैक के एक लक्षण से हम सभी लगभग वाकिफ हैं.

अचानक और तेजी से सीने में दर्द होना और दर्द हाथ से नीचे तक फैल जाना. लेकिन हार्ट अटैक की स्थिति के लिए केवल इस एक संकेत को ही समझना काफी नहीं है बल्कि और भी कई ऐसे चेतावनी संकेत हैं, जो हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार हैं. नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के अनुसार, यूएस में लगभग 5.7 मिलियन लोगों को हार्ट फेलियर की समस्या है. वर्तमान में इसका कोई खास इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और दवाओं जैसे उपचार जीवन की गुणवत्ता के मामले में बदलाव ला सकते हैं. कई स्थितियों के लिए आप इसके संकेतों को जितनी जल्दी समझ लेंगे, उतनी ही जल्दी इसे नियंत्रित किया जा सकेगा. यहां ऐसे 6 संकेत दिए गए हैं, जो बताएंगे कि आपका दिल अब पहले की तरह काम नहीं कर रहा और यह स्थिति हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा रहे है. तो आइए जानते हैं हार्ट अटैक के 6 मुख्य संकेतों के बारे में.

1. सांस न ले पाना-

जब कार्यक्षमता की बात आती है, तो दिल और फेफड़ों का बहुत अहम रोल होता है. दिल का दाहिना भाग ऑक्सीजन की कमी वाले ब्लड को लेता है और उसे फेफड़ों में पंप करता है, ताकि उसे ऑक्सीजन की ताजगी मिल सके. डॉक्टर कहते हैं कि सांस की परेशानी हार्ट अटैक का मुख्य संकेत है. इसका मतलब है कि आप कितनी भी गहरी सांस लें, आपको ऐसा नहीं लगता कि आपको पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है.

2. पैरों में सूजन आ जाना-

जब आपका दिल ठीक से काम नहीं करता, तो यह लंग्स में कम ब्लड पंप करता है . इसका असर सबसे पहले आपके शरीर के निचले हिस्से में दिखाई देता है, जिसे एडिमा भी कहते हैं. यह आपके पैरों को प्रभावित करता है. यदि आप सूजी हुई उंगली को दबाते हैं और इसका असर कई सैकंड तक रहता है, तो यह एडिमा का संकेत है.

3. अचानक वजन बढ़ जाना-

अगर आपका वजन तेजी से बढ़ रहा है, तो इसे फैट समझने की गलती मत कीजिए. हो सकता है कि आपके पेट में किसी तरह के तरल पदार्थ का निर्माण हो रहा हो. विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा अचानक हो सकता है कि कुछ ही दिनों में आपका वजन पांच किलो तक बढ़ जए.

4. हर समय थकावट महसूस करना-

हार्ट फेलियर के दौरान शरीर जिस तरह से कंपेन्सेट करता है, ब्लड को मास्तिष्क और मांसपेशियों में पहुंचने में दिक्कत होती है. इससे कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है.

5. भ्रमित महसूस करना-

हार्ट फेल की समस्या सकुर्लेशन के कारण होती है. जब आपके मास्तिष्क में ठीक से ब्लड नहीं पहुंच पाता, तो आपको हल्के चक्कर , एकाग्रता में कमी और भ्रमित होने का अनुभव कर सकते हैं. गंभीर मामलों में आपको बेहोशी जैसी महसूस हो सकती है.

6. हमेशा हाथ और पैरों का ठंडा रहना-

लोगों के हाथ और पैर ठंडे होना आम बात है. लेकिन अगर अचानक से आपके हाथ और पैर ठंडे हो गए हैं और मौजे पहनने के बाद भी यह गर्म नहीं हो रहे, तो यह हार्ट फेलियर का संकेत हो सकता है. डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह के लक्षणों से बचने के लिए रात में अपना सिर ऊपर उठाकर सोएं, ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं और धूम्रपान से परहेज करें.

यदि हार्ट अटैक के लक्षण मामूली हैं, तो आपको जितनी जल्दी हो सके दिल की जांच करानी चाहिए. इससे आप दिल के दौरे से काफी हद तक बच सकते हैं.

आखिर क्या है अंतर हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में, जानें यहां

53 साल के मशहूर सिंगर केके यानि कृष्णकुमार कुन्नथअब हमारे बीच नहीं है. कोलकाता कॉन्सर्ट के दौरान वे थोड़ी असहज महसूस कर रहे थे. इसके बावजूद उन्होंने करीब घंटे भर के अपने शो को पूरा किया और कॉन्सर्ट से होटल जाते हुए उनकी तबियत बिगड़ी और वे गिर पड़े. अस्पताल जाने के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस को इंतजाम में किसी गड़बड़ी का शक था, तो किसी को ये हार्ट अटैक की संभावना बताई गयी, जबकि अंतिम पोस्टमार्टम और ऑटोप्सी के अनुसार गायक की मौत के कारण के रूप में ‘मायोकार्डियल इंफाक्र्शन’बताया गया.

ऐसी ही एक घटना मुंबई की पॉश एरिया में 38 साल के एक व्यक्ति की हुई. ऑफिस से घर लौटने पर उसकी पत्नी और बेटी ने उसकी घबराहट को देखा, उन्हें हवा के नीचे बैठाकर पानी दिया, व्यक्ति पानी पीने से पहले उसका गिलास हाथ से गिर गया और वह बेहोश हो गया. तुरंत डॉक्टर को भी बुलाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी. इस व्यक्ति के पीछे घरेलू हाउसवाइफ और 2 छोटी-छोटी बेटियां बिना किसी सहारे के रह गई.

मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) को साधारणत: हार्ट अटैक कहा जाता है, जब हार्ट में ब्लड फ्लो कम होने लगता है या हार्ट की कोरोनरी आर्टरी बंद हो जाती है, तब ऐसी अवस्था होती है. इस रोग में हृदय की धमनियों के भीतर एक प्लेक सा पदार्थ जमने लगता है, जिसकी वजह से ये धमनियां सिकुड़ने लगती है और हृदय तक खून का पहुंचना बंद हो जाता है.

क्या है अंतर

बहुत से लोग अक्सर हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट को समानार्थी समझ लेते है, लेकिन इन दोनों स्थितियों में काफी अंतर होता है. कुछ लोग कार्डियक अरेस्ट का मतलब दिल का दौरा समझ लेते है, परन्तु दिल का दौरा पड़ने का मतलब होता है हार्ट अटैक आना. दिल का दौरा तब होता है, जब हृदय में रक्त का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता हैऔर कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब मनुष्य का हृदय अचानक कार्य करना बन्द कर देता है, जिससे दिल का धड़कना भीअचानक बंद हो जाता है.कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक की तुलना में अधिक घातक होता है, क्योंकि कार्डिएक अरेस्ट में व्यक्ति को बचाने का समय बहुत कम मिल पाता है.

बने जागरूक

इस बारें मेंमुंबई की कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल की कार्डियोलोजिस्ट डॉ. प्रवीण कहाले कहते है कि दिल का दौरा (हार्ट अटैक) तब होता है, जब हृदय की धमनियों, यानि रक्त वाहिकाएं, जो हृदय की मांसपेशियों को पंप करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करती है उनमे से एक ब्लॉक हो जाती है. ह्रदय मांसपेशी को उसका कार्य सुचारु रूप से कर पाने के लिए सबसे ज़रूरी होता है रक्त, लेकिन धमनी के ब्लॉक हो जाने पर वह नहीं मिल पाता हैऔर अगर इसका इलाज समय पर नहीं किया गया, तो पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन न मिल पाने की वजह से ह्रदय मांसपेशी का कार्य बंद पड़ने लगता है. जब किसी व्यक्ति का हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है तब ह्रदय की गति रुक जाती है, जिसे कार्डियक अरेस्ट कहते है.यह व्यक्ति सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता है. वयस्कों में कार्डियक अरेस्ट बहुत बार दिल के दौरे की वजह से होता है.जब दिल का दौरा पड़ता है, तब ह्रदय की धड़कन में खतरनाक अनियमितता आ जाती है, जिससे कार्डियक अरेस्ट हो सकता है. कमज़ोर ह्रदय वाले लोगों को यह तकलीफ होती है, यानि उनके ह्रदय की पंपिंग क्षमता (इजेक्शन फ्रैक्शन) बड़े पैमाने पर कम हो जाती है (35% से कम) इसे अचानक होने वाली ‘कार्डियक डेथ’ भी कहा जाता है.

दिल के दौरे के लक्षण

चेस्ट में बेचैनी

दिल के दौरों की ज़्यादातर केसेस मेंचेस्ट के बीचोबीच बेचैनी महसूस होती है, जो कई मिनटों तक रहती है, फिर दूर होती है और फिर से होने लगती है. बेचैन कर देने वाला दबाव, छाती को निचोड़ा जा रहा हो, ऐसा दर्द, छाती भरी भरी सी महसूस होना या छाती में दर्द होना, इनमें से कुछ भी हो सकता है.

शरीर के दूसरे हिस्सों में बेचैनी

दोनों या किसी एक हाथ में, पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट में दर्द या बेचैनी होना.

सांस लेने में तकलीफ

छाती में बेचैनी के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ होना दिल के दौरे का एक लक्षण हो सकता है.कई दूसरे लक्षण जिसे अधिकतर व्यक्ति समझ नहीं पाते, जिसमें बहुत सारा पसीना निकलना, मतली या चक्कर आना.

पुरुषों और महिलाओं में लक्षण कई बार अलगअलग हो सकते है, इसलिए इसे भी जान लेना जरुरी है.
पुरुषों की तरह महिलाओं में भी दिल के दौरे का सबसे प्रमुख लक्षण, छाती में दर्द या बेचैनी होना, लेकिन इसके दूसरे लक्षण पुरुषों से अधिक महिलाओं में दिखाई पड़ते है,जिसमे खास कर सांस लेने में तकलीफ, मतली, उल्टी होना, पीठ और जबड़े में दर्द आदि.

कार्डियक अरेस्टे (cardiac arrest) में अचानक दिल का काम करना बंद हो जाता है. कार्डियक अरेस्टेकिसी लंबी या पुरानी बीमारी का हिस्साक नहीं है, इसलिए कार्डियक अरेस्टा को दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है. लोग अकसर इसे दिल का दौरा पड़ना (heart attack) समझते है. इस बारें में डॉ.प्रवीण कहते है कि इसके लक्षण को जानना बहुत जरुरी है.

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

• अचानक होश खो देना और उसे हिलाने पर भी वह कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दे पाता है,

• सामान्य रूप से सांस न ले पाना,

• अगर कार्डिएक अरेस्ट के व्यक्ति का सिर उठाकर कम से कम पांच सेकंड्स तक देखते है, तो पता चलेगा कि वह सामान्य तरीके से सांस नहीं ले पा रहे है. अगर किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट पड़ रहा है, तो तुरंत कुछ उपाय कर सकते है, जो निम्न है.

क्या करें अचानक उपाय

• कार्डियक अरेस्ट होते ही उस व्यक्ति को सुरक्षित स्थिति में रखें, उसकी प्रतिक्रिया की जांच करे,

• अगर उसकी प्रतिक्रियां महसूस नहीं कर पा रहे है, तो तुरंत मदद के लिए चिल्लाएं, अपने आस-पास के किसी व्यक्ति को अपने इमरजेंसी नंबर पर कॉल करने के लिए कहे,इसके अलावा उस व्यक्ति को एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर) लेकर आने को कहे, उन्हें जल्दी करने के लिए कहे, क्योंकि इसमें समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. यदि आप किसी ऐसे वयस्क के साथ अकेले है,जिन्हें कार्डियक अरेस्ट के लक्षण दिखाई दे रहे है,तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल करन सबसे जरुरी होता है.

• उस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ, सिर्फ हांफ रहा है , सांस नहीं ले पा रहा है, तो कम्प्रेशन के साथ सीपीआर देना शुरू करें.

• हाई क्वालिटी सीपीआर देना शुरू करे, अपने हाथों को मिलाकर छाती को बीचोबीच रखें और छाती कम से कम दो इंच भीतर जाए, इस प्रकार दबाएं. एक मिनट में 100 से 120 बार दबाया जाना चाहिए. हर बार दबाए जाने के बाद छाती को उसकी सामान्य स्थिति में आने दें.

• एईडी का इस्तेमाल करें, जैसे ही एईडी आता है, उसे शुरू करें और संकेतों का पालन करें.

• सीपीआर देना जारी रखें. जब तक वह व्यक्ति सांस लेना या हिलना शुरू न कर दे, या ईएमएस टीम सदस्य जैसा अधिक उन्नत प्रशिक्षण लिया हुआ कोई व्यक्ति जब तक वहां न पहुंचे, तब तक सीपीआर को जारी रखना पड़ता है.

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..तो आने वाला है हार्ट अटैक

हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

2. थकान

बगैर किसी मेहनत या काम के थकान होना भी हार्ट अटैक की दस्तक हो सकती है. जब हृदय धमनियां कोलेस्ट्रॉल के कारण बंद या संकुचित हो जाती हैं, तब दिल को अधि‍क मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जिससे जल्द ही थकान महसूस होने लगती है. ऐसी स्थि‍ति में कई बार रात में अच्छी खासी नींद लेने के बाद भी आप आलस और थकान का अनुभव करते हैं, और आपको दिन में भी नींद या आराम की जरुरत महसूस होती है.

3. सूजन

जब दिल को शरीर के सभी आंतरिक अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए अधि‍क मेहनत करनी पड़ती है, तो शि‍राएं फूल जाती हैं और उनमें सूजन आने की संभावना बढ़ जाती है. इसका असर खास तौर से पैर के पंजे, टखने और अन्य हिस्से में सूजन के रूप में नजर आने लगता है. इसके कभी-कभी होंठों की सतह पर नीला होना भी इसमें शामिल है.

4. सर्दी का बना रहना

लंबे समय तक सर्दी या इससे संबंधि‍त लक्षणों का बना रहना भी दिल के दौरे की ओर इशारा करता है. जब दिल, शरीर के आंतरिक अंगों में रक्तसंचार के लिए ज्यादा मेहनत करता है, तब रक्त के फेफड़ों में स्त्रावित होने की संभावना बढ़ जाती है. सर्दी में कफ के साथ सफेद या गुलाबी रंग का बलगम, फेफड़ों में स्त्रावित होने वाले रक्त के कारण हो सकता है.

5. चक्कर आना

जब आपका दिल कमजोर हो जाता है, तो उसके द्वारा होने वाला रक्त का संचार भी सीमित हो जाता है. ऐसे में दिमाग तक आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे निरंतर चक्कर आना या सिर हल्का होना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. यह हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार एक गंभीर लक्षण है, जिस पर आपको तुरंत ध्यान देना चाहिए.

6. सांस लेने में दिक्कत

इनके अलावा सांस लेने में अगर आपको किसी प्रकार का परिवर्तन या कमी का एहसास होता है, तो यह भी दिल के दौरे का लक्षण हो सकता है. जब दिल अपना काम सही तरीके से नहीं कर पाता तो फेफड़ों तक उतनी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जितनी आवश्यकता होती है. इस वजह से सांस लेने में कठिनाई होती है. अगर आपके साथ भी ऐसा ही कुछ होता है, तो बगैर देर किए डॉक्टर को जरूर दिखाएं.

इन 6 लक्षणों में से किसी लक्षण के सामने आने या महसूस होने पर तुरंत अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं या फिर यथासंभव सलाह लें.

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जुड़ सकता है टूटा दिल

कभी किसी के प्यार या बिछोह में दिल टूटता है, तो कभी कोई विश्वासघात कर दिल तोड़ जाता है. किसी बेहद करीबी व्यक्ति की अचानक मृत्यु की खबर भी दिल तोड़ जाती है.

दिल से जुड़ी कोई बुरी खबर जब भी अचानक मिलती है, तो दिल की मांसपेशियां कुछ देर के लिए शिथिल हो जाती हैं. अचानक कोई खुशखबरी मिलने पर भी ऐसा ही होता है. इस के लक्षण कुछकुछ हार्ट अटैक जैसे ही होते हैं, लेकिन इसे मैडिकल की भाषा में ‘ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम’ कहा जाता है. सीने, गरदन व बाएं हाथ में दर्द और सांस फूलना आदि इस के लक्षण होते हैं, लेकिन कई बार यह समझने में दिक्कत आती है कि समस्या क्या है.

डाक्टरों के अनुसार कई बार पेशैंट को हार्ट अटैक का केस मान कर लाया जाता है, लेकिन जब ईसीजी और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, तो पता चलता है कि दिल का बायां हिस्सा काम नहीं कर रहा. जबकि न तो दिल की धमनी में कोई रुकावट है और न ही ब्लड सर्कुलेशन में प्रौब्लम. सिर्फ बाएं हिस्से की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं जोकि ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की वजह से होता है.

दिल का टूटना फिल्मी बात लगती है, लेकिन यह सच है कि चिकित्सा विज्ञान भी मानता है कि दिल टूटता है. मैडिकल साइंस में इसे ‘ताकोत्सुबो कार्डियोपैथी’ कहते हैं. ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम की शिकार 90% महिलाएं 50 से 70 वर्ष के बीच की होती हैं. डाक्टर के अनुसार महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद ऐस्ट्रोजन हारमोन के स्तर में गिरावट आ जाती है. तब कोई अति दुखद और सुखद घटना घटने पर उन का ओटोनौमस नर्वस सिस्टम अधिक सक्रिय हो उठता है. इस से शरीर में बहुत अधिक मात्रा में स्ट्रैस हारमोन का स्राव हो उठता है और इसी के कारण हृदय की मांसपेशियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.

लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि पुरुषों का दिल पत्थर का होता है. अब वैज्ञानिक तौर पर यह बात साबित हो गई है कि पुरुषों के अंदर ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम मौजूद होता है. इस सिंड्रोम की मौजूदगी के चलते उन का दिल टूटने पर संभाले नहीं संभलता. पुरुषों में यह खतरा महिलाओं की तुलना में 6 गुना ज्यादा पाया गया है.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता

ब्रिटिश शोधकर्ताओं के अनुसार पति या पत्नी की मृत्यु हो जाने पर 1 साल के भीतर उस के जीवनसाथी की भी मृत्यु हो जाने का खतरा बना रहता है, क्योंकि उस का दिल टूट जाता है. यह प्रभाव उन लोगों पर ज्यादा पड़ता है, जिन की शादी को काफी लंबा वक्त हो चुका होता है. लेकिन एक अच्छी बात यह है कि वियोग के 1 साल बाद मौत का खतरा घट जाता है. जापान के शोधकर्ताओं ने ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम का सब से पहली बार उल्लेख 1990 के शुरुआती दौर में किया था. प्रमुख शोधकर्ता डाक्टर रिचर्ड रेगनांटे ने कहा कि चोट खाए लोगों को संभालना और उन की पहचान करना हृदयरोग विशेषज्ञों और डाक्टरों के लिए मुश्किल हो सकता है. यह अध्ययन अमेरिकी जर्नल औफ कार्डियोलौजी में प्रकाशित हुआ है.

इस में यह भी कहा गया है कि टूटे दिल के लक्षण गरमियों और वसंत ऋतु में अधिक उभर कर सामने आते हैं, जबकि हृदयाघात अमूमन जाड़ों में होता है. इस अवस्था में रोगी को आईसीयू में कड़ी निगरानी में रखा जाता है. सब से महत्त्वपूर्ण बात यह है कि डाक्टर को पता हो कि यह ब्रोकन हार्ट का मामला है ताकि वह हृदयाघात के लिए उपचार शुरू न कर दे. ऐसा करना खतरनाक हो सकता है. हृदय के बाएं हिस्से की मांसपेशियों में आई शिथिलता धीरेधीरे कुछ दिनों या कभीकभी कुछ सप्ताह में दूर हो जाती है. इस घटना के कारण मांसपेशी को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता.

क्या करें

कहा जाता है खुशी बांटने से बढ़ती है और दुख बांटने से कम होता है. अपनी भावनाएं किसी के साथ शेयर करें. इस से मन में हलकापन महसूस होता है. अगर मन किसी बात से दुखी है तो रो कर अपना मन हलका करें. दर्द का गुबार आंसू बन कर बह जाएगा. तनाव की स्थिति में शौपिंग पर निकल जाएं या दोस्तों और परिवार वालों के साथ ऐंजौय करें. अगर डिप्रैशन ज्यादा महसूस हो रहा हो तो मनोचिकित्सक से संपर्क करें.

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प्यार की गरमाहट में न हो कमी

बड़े प्यार से 2 साथी मिल कर अपना जीवनसफर शुरू करते हैं. सब अच्छा चल रहा होता है. फिर भी कहीं न कहीं कुछ उदासी सी भरने लगती है. अगर मस्ती और दीवानगी जरा भी कम हो रही हो, तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे में घबराने की नहीं, थोड़ा सतर्क होने की जरूरत है. सब से खास बात यह है कि बदलाव दोनों की तरफ से ही आता है, पर दोनों में से एक भी चौकन्ना रह कर प्रेम के इजहार में पीछे न रहे, कोई मौका न छोड़े. ऐसा करने से प्रेम की सरिता पुन: धाराप्रवाह बहने लगेगी. 1-2 दिनों के लिए कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाया जा सकता है, ऐसा कर के मिठास को वापस लाया जा सकता है. खास अवसर की प्रतीक्षा किए बगैर कुछ अनूठा प्रयोग कर डालिए. कोई पसंदीदा डिश बनाइए या फिर साथी के पसंद के मित्रों को घर पर आमंत्रित कर लीजिए. सब कुछ नयानया लगने लगेगा. कोई छोटीमोटी शरारत भी गजब ढा सकती है. जैसे जानबूझ कर सब्जी में नमक न डालना, उन का जरूरी गैजेट खुद छिपाना, फिर खुद ही ढूंढ़ कर दे देना आदि. पुराना मजेदार किस्सा सुनाना भी बहुत असर करेगा. बस भावनाएं आहत न हों, इस का ध्यान रखना जरूरी है. साथी के पर्स या बैग में मस्ती भरी चिट्ठी लिख कर डाल दीजिए या फिर मजेदार एसएमएस कीजिए. बचपना भी बुरा नहीं है. संबंधों में ताजगी लाने के लिए यह दवा जैसा काम करेगा.

Top 10 Best Heart Disease Tips: दिल की बीमारी की 10 अहम खबरें हिंदी में

Heart Disease Tips in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं गृहशोभा की 10 Heart Disease Tips Stories in Hindi 2021. हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है. वहीं इसका कारण दिल का दौरा बताया जा रहा है. इसी के चलते आज हम आपको Heart से जुड़ी बीमारियों की Stories के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी हेल्थ पर फर्क पड़ सकता है. तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Heart Disease Tips Stories in Hindi.

1. सावधान : हार्ट अटैक का बड़ा कारण है ज्यादा तनाव

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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2. क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

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पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

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3. बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा, ऐसे रखें दिल का ख्याल

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बिग बॉस 13 के विनर और टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का महज 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. जिससे हर कोई सदमे में हैं. उनके फैंस इसलिए भी दुखी और हैरान हैं क्योंकि वो एक हेल्दी पर्सन थे और फिटनेस का पूरा ख्याल रखते थे. फिर भी वो हार्ट अटैक का शिकार हो गए.

मौजूदा समय में बदलती लाइफस्टाइल और तनाव के बीच आम लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. ताकी आपका दिल स्वस्थ रहे.

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4. अधिक उबासी लेना हो सकता है आने वाले हार्ट अटैक का संकेत

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हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें हमारी जान जाने तक का खतरा भी होता है. इसमें हमारा रक्त प्रवाह ब्लॉक हो जाता है और हमारे ह्रदय की मसल्स डेमेज होने लगती हैं. जैसा कि हमने आज तक देखा या सुना है हम सोचते हैं कि हार्ट अटैक के लक्षण केवल छाती में दर्द होना या फिर जमीन पर गिरना ही होते हैं. परन्तु असल में जब आप को हार्ट अटैक आने की सम्भावना होती है तो यह लक्षण आप के आस पास भी नहीं फिरते हैं. हार्ट अटैक के कुछ लक्षण बहुत ही अजीब व हैरान पूर्वक भी हो सकते हैं जिनमें से एक लक्षण होता है उबासियां लेना. क्या आप चौंक गए? चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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5. हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

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मेरी उम्र 32 साल है. कुछ साल पहले मेरे पापा को दिल का दोरा पड़ा था और कुछ दिनों पहले ही पता चला कि मेरा दिल लगभग फेल हो चुका है. समस्या गंभीर होने के कारण डाक्टर ने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी है. मैं जानना चाहता हूं कि हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर में क्या फर्क है?

जवाब-

किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब आता है, जब हृदय की तरफ बहने वाले रक्त में बाधा पैदा हो. अमूमन ऐसा धमनियों में प्लाक जमा होने के कारण होता है. हृदय तक खून नहीं पहुंच पाने की ऐसी गंभीर समस्या के चलते हृदय की मांसपेशियों के बुरी तरह क्षतिग्रस्त होने की आशंका पैदा हो जाती है. दूसरी तरफ, हार्ट फेल्योर एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति को धीरेधीरे शिकार बनाती है. इस में हृदय की मांसपेशियां कमजोर और कड़ी पड़ जाती हैं और ऐसे में उन्हें रक्त को पंप करने में मुश्किल आती है, जोकि रक्तप्रवाह के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है.

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6. सर्दियों में बढ़ता हार्ट अटैक का खतरा, जानें क्यों

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ठंड का मौसम खुशियों का मौसम होता है, इस खुशनुमा मौसम का मतबल है ढेर सारे त्‍यौहार, छुट्टियां और कई और चीजें. सर्दियों का यह मौसम बच्‍चों और बुजुर्गों की सेहत के लिये परेशानी खड़ी कर कर सकता है, ठंड का यह मौसम अपने साथ हमेशा ही कुछ चुनौतियां और सेहत से जुड़े खतरे लेकर आता है, खासकर बुजुर्गों के लिये. वातावरण में काफी बदलाव होने की वजह से बुजुर्गों के लिये एक सामान्‍य जीवनशैली का पालन कर पाना मुश्किल हो जाता है.

बुजुर्ग जब युवा होते हैं तो उसकी तुलना में इस उम्र में बौडी हीट जल्‍दी खो देते हैं. शरीर में होने वाला बदलाव उम्र बढ़ने के साथ आता है, जिससे आपके लिये ठंड महसूस होना ज्‍यादा मुश्किल हो सकता है. इससे पहले कि बुजुर्ग व्‍यक्ति को कुछ पता चले कि आखिर क्‍या हो रहा है, बहुत ज्‍यादा ठंड खतरनाक समस्‍याओं में बदल सकता है.

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7. जानिए किन ब्लड ग्रुप के लोगों में है हार्ट अटैक की ज्यादा संभावना

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क्या आपको पता है कि आपका ब्लड ग्रुप इस बात की जानकारी देता है कि आपको दिल से संबंधित बीमारियां होंगी या नहीं? जी हां, आपका ब्लड ग्रुप ऐसी कई बातें बताता है. एक शोध के अनुसार जिन लोगों का ब्लड ग्रुप ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ है, उन्हें दिल संबंधित बीमारी होने की संभावना अन्य से 9 फीसदी ज्यादा होती है. वहीं ‘O’ ब्लड ग्रुप के लोगों में ये खतरा तुलनात्मक रूप से कम होता है. शोध परिणामों से पता चला है कि ‘A’, ‘B’ या ‘AB’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में ये परेशानी विलेब्रांड के कारण है. विलेब्रांड एक तरह का प्रोटीन है, जो रक्त को जमा देता है.

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8. ..तो आने वाला है हार्ट अटैक

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हार्ट अटैक कभी भी अचानक आ सकता है, लेकिन कुछ लक्षण हैं, जो हार्ट अटैक के 1 महीने पहले नजर आने लगते हैं.  अगर आपको भी नजर आते हैं यह 6 लक्षण तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आप हार्ट अटैक के शि‍कार हो सकते हैं. अभी जानिए इन लक्षणों को, ताकि हार्ट अटैक से बचा जा सके.

1. सीने में असहजता

यह दिल के दौरे के लिए जिम्मेदार लक्षणों में से एक है. सीने में होने वाली किसी भी प्रकार की असहजता आपको दिल के दौरे का शि‍कार बना सकती है. खास तौर से सीने में दबाव या जलन महसूस होना. इसके अलावा भी अगर आपको सीने में कुछ परिवर्तन या असहजता का अनुभव हो, तो तुरंत अपने चिकित्सक से सलाह लें.

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9. सेक्स के दौरान हार्टअटैक, जानें क्या है सच्चाई

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सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

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10. पेन किलर दवाइयों से बढ़ता है हार्टअटैक का खतरा

सामान्य दर्द निवारक दवाई डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल दिल का दौरा और आघात जैसी हृदय संबंधी प्रमुख बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है. एक नए अध्ययन में इस बात को लेकर आगाह किया गया है. एक अध्ययन में डाइक्लोफेनेक के उपयोग की तुलना कोई भी दवा का प्रयोग नहीं करने, पैरासिटामोल तथा अन्य पारंपरिक दवा निवारक दवाओं से करने के साथ की गई है.

पेन किलर के पैकेट पर हो जोखिम का उल्लेख

डेनमार्क स्थित आरहुस विश्वविद्यालय अस्पताल के शोधकर्ताओं ने बताया कि डाइक्लोफेनेक सामान्य बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं होनी चाहिए और अगर यह बिकती है, तो उसके पैकेट के आगे के भाग पर इसके संभावित जोखिम का विस्तारपूर्वक उल्लेख किया जाना चाहिए. डाइक्लोफेनेक एक पारंपरिक नौन-स्टेरोयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग (एनएसएआईडी) होता है, जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में बड़े पैमाने पर दर्द और सूजन के निवारण के लिए किया जाता है.

इस शोध में डाइक्लोफेनेक का इस्तेमाल शुरू करने वाले लोगों में हृदय रोग संबंधी जोखिम की तुलना अन्य एनएसएआईडी दवाइयों और पैरासिटामोल के इस्तेमाल करने वालों से की गई है.

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क्यों होते हैं कम उम्र में हार्ट अटैक

हाल ही में बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला का मात्र 40 साल की उम्र में हार्ट अटैक से अचानक निधन हो गया है.खबर सुनकर हर कोई हैरान है आखिर ऐसा कैसे हो गया.एक हँसता खेलता जीवन के लिए सपने देखने वाला शख़्स इस तरह कैसे जा सकता है.

पहले तो हार्ट अटैक बड़ी उम्र के लोगों में देखा जाता था पर पिछले 2 सालों से कम उम्र के युवा इसका शिकार होने लगे हैं. स्टडी है कि हर मिनिट में 3 से 4 भारतीय जिनकी उम्र 30 से 50 के मध्य है वो एक सीवियर हार्ट अटैक से गुजरते हैं .साउथ एशिया के लोग अन्य किसी भी जगह के लोगों की अपेक्षा ज्यादा हार्ट अटैक झेलते हैं .क्योंकि ये हाई ब्लड प्रेशर, टाइप टू डायबिटीज और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित होते हैं.आखिर क्या कारण है कि युवा इतनी कम उम्र में दिल के मरीज़ हो जा रहे हैं तो आइए इसके कारण जानते हैं.

मानसिक तनाव –

आजकल युवा मानसिक रूप से अधिक परेशान होते हैं .धैर्य की कमी और काम के दौरान य्या उसकी वजह से होने वाले तनाव के कारण एंग्जायटी डिसऑर्डर होंना एक आम समस्या हो गई है .एंग्जायटी के कारण स्ट्रेस के लिए जिम्मेदार हार्मोन कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है.

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लाइफ स्टाइल –

आजकल के युवाओं की जीवन शैली बहुत ही अलग हो गई है जिसके कारण उन्हें कईं बीमारियों का सामना करना पड़ता है जिनमे हार्ट अटैक भी एक है. देर रात तक जागना और काम करना सुबह सुबह सोना ये सब हाइपरटेंशन को बढ़ा देता है जिस से हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ जाती है.बहुत देर तक फिजिकल वर्क नहीं करना भी सेहत पर विपरीत प्रभाव डालता है.आजकल समय की कमी के कारण चलना फिरना न के बराबर हो गया है.एक्सरसाइज नहीं करने से डायबिटीज और ओबेसिटी का खतरा बढ़ जाता है.जब ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ता है तो क्लॉट होने के चांस बढ़ जाते हैं जिस से हार्ट अटैक आ सकता है.ये आर्टरीज की दीवारों में सूजन का कारण बनता है जिस से हार्ट अटैक हो सकता है. घर से आफिस गाड़ी में जाना और वहाँ भी बैठे हुए काम करना भी सेहत के लिए हानिकारक है.वैसे ही हमारे देश को डायबिटीज कैपिटल के रूप में जाना जाता है.

खान पान-

आजकल के युवाओं का खान पान सही नहीं है. अधिकतर उनके पास समय की कमी होने से जंक फूड उनकी पहली पसंद है जिसके कारण शरीर मे बेड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है जो आगे जाकर हार्ट अटैक में बदल सकता है.इसी कारण लोग मोटापे से ग्रसित हैं जो कि एक बहुत बड़ी समस्या है.

नशा

आजकल बढ़ते तनाव के चलते युवाओं में नशा करने की लत लग जाती है जो कि हार्ट के लिए सही नहीं है.जो भी दिन में 10 सिगरेट या उस से ज्यादा पीता है उसमें हार्ट अटैक होने की सम्भावना सामान्य से ज्यादा होती है.तम्बाकू का सेवन सेहत के लिए सही नहीं है ये रक्त शिराओं में जाने वाली ऑक्सीजन का प्रवाह काट देता है जिस से हार्ट तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.कुछ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं जिस से धमनियाँ जल्दी सिकुड़ने लगती हैं और हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है.

बचाव के तरीके-

यदि आप इस सबसे बचना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने जीवन मे थोड़ा अनुशासन लाना होगा . सुबह जल्दी उठ कर एक्सरसाइज करना चाहिए.खान पान में बदलाव करना चाहिए  बहुत अधिक तेल वाला खाना और जंक फूड पूरी तरह बंद कर देना चाहिए. समय पर सोना और समय पर जागना चाहिए 8 घंटे की नींद लेना बहुत जरूरी है.मानसिक स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए.इस तरह हम अपने हृदय का खयाल रकह सकते हैं.

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जब अपने होते है, अचानक दूर

40 साल के हंसमुख और विनम्र अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक सिवियर हार्ट अटैक से मौत पूरी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए एक सदमा है और हो भी न क्यों? फिटनेस फ्रीक सिद्धार्थ ने कभी वर्कआउट को मिस नहीं किया, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि अगर बॉडी फिट है तो माइंड भी फिट है.ये बात सही है, लेकिन कई बार अधिक वर्कआउट भी शरीर के लिए घातक होता है, क्योंकि सिद्धार्थ स्ट्रेस में कभी नहीं दिखे, उनका काम इंडस्ट्री में कुछ न कुछ नियमित चलता था. फिर चाहे वह टीवी शो, फिल्म,रियलिटी शो या ओटीटी हर जगह वे अच्छे काम और हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे और सबसे अच्छी बात वे अपने परिवार के साथ मुंबई में रहते थे और माँ के बहुत करीब थे. खाली समय में वे अपने परिवार के साथ रहना अधिक पसंद करते थे, ऐसे होनहार, स्पोर्ट्स पर्सन, जिन्दादिली इंसान का अचानक गुजर जाना सबके लिए एक हादसे के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता.

ऐसे जिंदादिल 40 वर्षीय बिग बॉस 13 विनर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक हार्ट एटैक से गुजर जाने की वजह पूछे जाने पर मुंबई के चेंबूर की जेन मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलोजिस्ट डॉ. नारायण गडकर कहते है कि आज के यूथ 20, 30 और 40 की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम के शिकार हो जाते है और इसकी वजह उनका स्ट्रेसफुल लाइफ का होना है, जिसमें कम वेतन, नौकरी न रहना, वित्तीय कमी का होना, पर्सनल प्रॉब्लम आदि कई है, लेकिन अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का सीवियर हार्ट एटैक की वजह पता नहीं है, लेकिन कुछ वजह निम्न हो सकते है,

• अचानक हार्ट एटैक की वजह स्ट्रेस, कोमॉर्बिडीटीस जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, आर्टरीज का हेल्दी न होना, जिसमें अनजाने में आर्टरीज में प्लाक का जमा हो जाना, धूम्रपान की वजह से खून की धमनियों का पतला हो जाना आदि कई है. हाई कोलेस्ट्रोल के होने पर भी हार्ट की समस्या हो जाती है. खासकर फिट युवा पीढ़ी कुछ लक्षण होने पर भी उसे इग्नोर करती है और समय पर उसका इलाज नहीं करवाती.

• कई बार यूथ व्यायाम भी अपनी शरीर की अवस्था को न समझते हुए करते है, जिसका प्रभाव शरीर पर अधिक पड़ जाता है. किसी भी फिटनेस रूटीन को अपनाने से पहले सम्बंधित डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है. उस एक्सरसाइज को अवॉयड करें, जिससे हार्ट पर अधिक दबाव महसूस होता हो.

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• 6 पैक और टोंड बॉडी के लिए यूथ सप्लीमेंट का सहारा भी लेते है, जो कई बार उनके लिए समस्या बन जाती है. डॉक्टर नारायण आगे कहते है कि कुछ सप्लीमेंट्स हाई ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के अलावा कुछ हार्ट रिलेटेड लक्षण मसलन अचानक घबराहट का होना और लीवर की समस्या होना आदि है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना किसी प्रकार की सप्लीमेंट्स न लें.

• हार्ट एटैक की समस्या को पता लगाना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि फिट इंसान डॉक्टर के चक्कर लगाना नहीं चाहते और सीने की दर्द को एसिडिटी समझ कर उसकी दवाई लेते है, जिससे उन्हें बचाना मुश्किल होता है. इस बारें में डॉ. नारायण का कहना है कि चेस्ट में हेवीनेस का होना,चेस्ट पेन, सांस लेने में तकलीफ, अचानक बहुत अधिक पसीना आना,हल्का सिरदर्द, चक्कर आना आदि है, ऐसा महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएँ, ताकि इलाज में देर न हो.

ये सही है कि हार्ट एटैक की समस्या यूथ में आजकल अधिक है, डॉक्टर्स मानते है कि अधिकतर पेशेंट तब उनके पास आते है, जब बहुत देर हो जाती है और वे उन्हें बचाने के लिए कुछ कर नहीं पाते. डॉ. गडकर कहते है कि आज के हालात को देखते हुए धूम्रपान और शराब सबसे पहले छोड़ने की जरुरत है.अगर आपको इन सब चीजों की लत है तो उसे छुड़ाने वाली संस्थाओं से संपर्क करें और उनकी सेशन को ज्वाइन करें. संतुलित भोजन जिसमें कई प्रकार के नट्स, बैरिज, सीड्स, फ्रेश फ्रूट्स, सब्जियां, दालें आदि होना आवश्यक है. कम तेल, नमक और शुगर का प्रयोग अपने भोजन में करें. जंक, ऑयली, स्पाइसी और डिब्बे बंद फ़ूड को हमेशा अवॉयड करें. अधिक मात्र में पानी पियें, कार्बोनेटेड ड्रिंक को एक बड़ा NO कहना सीखें,व्यायाम नियमित करें, पर सघन एक्सरसाइज करने से बचें. अपना वजन उम्र और सेहत के हिसाब से संतुलित रखे. समय-समय पर कोलेस्ट्रोल और ब्लड शुगर को चेक करवाएं, तनाव से बचने की कोशिश करें, क्योंकि इससे भी हार्ट एटैक की संभावना बढती है. खुद को हमेशा शांत रखें या मैडिटेशन करें.

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प्रगतिशील दिल की विफलता- भारतीय युवाओं में साइलेंट किलर

दिल की बिमारियों को सबसे घातक बीमारियों में गिना जाता है और भारत में मृत्युदर का एक प्रमुख कारण माना जाता है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, 5 में से एक पुरुष और 8 में से एक महिला दिल की बीमारियों के चलते अपनी जान गंवा बैठते हैं. प्रगतिशील दिल की विफलता, रक्त वाहिकाओं की धमनी में वसा की परत जमने के कारण होता है. इसके लिए जीवनशैली की आदतें, धूम्रपान, मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, उच्च-रक्तचाप और डायबिटीज़ को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है.

एक समय में हार्ट अटैक केवल बुढ़ापे से संबंधित हुआ करता था. लेकिन हालिया हालात ऐसे हैं कि 20, 30 और 40 की उम्र वाले लोग भी दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. आमतौर पर आनुवंशिकता और पारिवारिक इतिहास को सबसे आम और नियंत्रित न हो पाने वाले कारक माने जाते हैं. लेकिन आज, इनके अलावा कई कारणों से भारतीय युवा हृदय रोगों की चपेट में आ रहे हैं. इन कारणों में खराब जीवनशैली, तनाव, सही समय और सही मात्रा में न सोना आदि शामिल हैं. परिणास्वरूप, सूजन की समस्या होती है जो हृदय रोगों के जोखिम को बढ़ाती है. गतिहीन जीवनशैली के साथ धूम्रपान से युवा पीढ़ी में हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है.

हर दिन लगभग 9000 लोग दिल की बीमारियों से मरते हैं, जिसका मतलब है हर 10 सेकेंड में एक मौत. उनमें से 900 लोग 40 साल से कम उम्र के युवा होते हैं. भारत में हृदय रोगों की महामरी को रोकने का एकमात्र तरीका जनता को शिक्षित करना है अन्यथा 2020 तक हालात बद से बद्तर हो जाएंगे.

दरअसल, भारत के अस्पतालों में हर साल लगभग 2 लाख मरीजों की ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, जिसकी संख्या प्रति वर्ष 25% की दर से बढ़ रही है. लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद हार्ट अटैक के मामलों में कमी नहीं आई है. ये सभी सर्जरी समस्या के मूल कारण पर केंद्रित होने के बजाए केवल दर्द से राहत देती हैं. समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए दिल की बीमारी और इसके जोखिम कारकों के बारे में शिक्षत करना आवश्यक है.

क्या हैं लक्षण?

कोरोनरी हार्ट डिजीज़ (सीएचडी) के सभी मरीजों में लक्षण और सीने का दर्द एक समान हो, ऐसा जरूरी नहीं है. लक्षण शून्य से गंभीर तक भिन्न हो सकते हैं. कई मरीजों को अपच की समस्या हो सकती है तो कइयों को गंभीर दर्द, भारीपन या कसाव महसूस हो सकता है. यह दर्द आमतौर पर सीने के बीचों-बीच होता है, जो हाथों, गर्दन, जबड़ा और पेट तक फैल सकता है. इसके साथ ही घबराहट और सांस लेने में मुश्किल हो सकती है.

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धमनियों के पूरी तरह ब्लॉक होने पर हार्ट अटैक हो सकता है, जिसके कारण दिल की मांसपेशियों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है. हार्ट अटैक के कारण होने वाला दर्द और असुविधा एंजाइना के समान होता है लेकिन अक्सर अधिक गंभीर होता है. इसमें पसीना आना, उलझन, जी मिचलाना, सांस लेने में मुश्किल आदि समस्याएं होती हैं. यह डायबिटीज़ के मरीजों में आम है. हार्ट अटैक का सही समय पर इलाज न करने पर यह घातक साबित हो सकता है.

पहले से निदान कैसे करें?

एक संदिग्ध सीएचडी के मरीज में बीमारी की पहचान के लिए चिकित्सा और पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली का आंकलन और रक्त परीक्षण शामिल हैं. इसके अलावा सीएचडी की पहचान में प्रत्येक हार्ट वॉल्व की संरचना, मोटाई और हलचल की पहचान के लिए इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी), दिल, फेफड़ों और सीने में दिखाई देने वाले लक्षणों को देखने के लिए एक्स-रे, एक्सरसाइज़ के दौरान दिल पर पड़ने वाले असर की पहचान के लिए ट्रेडमिल टेस्ट, कार्डियोवस्कुलर कार्टोग्राफी हार्ट फ्लो मैपिंग, सीटी एंजियोग्राफी और ब्लॉकेज की गंभीरता की पहचान के लिए इनवेसिव कोरोनरी एंजियोग्राफी आदि जैसे नॉन इनवेसिव टेस्ट शामिल हैं.

हृदय रोगों की रोकथाम

हालांकि, कोरोनरी आर्टरी डिजीज़ को पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है लेकिन इसका इलाज लक्षणों के नियंत्रण, दिल की कार्यप्रणाली में सुधार और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं के खतरे को कम करने आदि में सहायक होता है. इसमें जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और नॉन-इनवेसिव इलाज शामिल हैं. इनवेसिव और सर्जरी की जरूरत केवल गंभीर मामलों में पड़ सकती है. अधिकतर मामलों में इलाज के परिणाम बेहतर होते हैं, जहां मरीज अपने जीवन को पुन: सामान्य रूप से शुरू कर पाता है.

जीवनशैली में कुछ आसान बदलावों की आवश्यकता पड़ती हैं जैसे कि पौष्टिक व संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता, नियमित व्यायाम, धूम्रपान बंद करना और कोलेस्ट्रॉल और शुगर के स्तर को नियंत्रित करना आदि. ये बदलाव सीएचडी, स्ट्रोक और कमज़ोर याददाश्त के खतरे को कम करते हैं.

सीएचडी के इलाज के लिए कई दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है. कोलेस्ट्रॉल, उच्च-रक्तचाप और डायबिटीज़ को भी दवाइयों की मदद से नियंत्रित किया जा सकता है. अन्य दवाइयां दिल की धड़कन को धीमा करने, रक्त को पतला करके खून के थक्कों की रोकथाम करने में काम आती हैं. इनमें से कुछ दवाइयों से सिरदर्द, सिर चकराना, कमज़ोरी, बदन दर्द, त्वचा पर रैशेज़ होने के साथ याददाश्त और सेक्स की इच्छा प्रभावित हो सकती है. यदि किसी दवाई को लंबे समय से लिया जा रहा है तो ऐसे में समय-समय पर ब्लड टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है. यह टेस्ट विशेषकर किडनी और लिवर के कार्यों पर केंद्रित होता है.

हालांकि, दिल की विफलता खतरनाक मालूम होती है लेकिन उचित निदान और देखभाल के साथ इसका इलाज संभव है. मोटापा, डायबिटीज़ और उच्च-रक्तचाप को बढ़ावा देने वाले आहार और जीवनशैली में बदलाव ही दिल की विफलता की रोकथाम का सबसे आसान तरीका है.

दिल की विफलता या कार्डियो वस्कुलर डिजीज़ यह दर्शाता है कि आपका हृदय सामान्य रूप से काम नहीं कर पा रहा है. स्वस्थ हृदय के लिए इसकी देखभाल करना आवश्यक है. सबसे अच्छी बात यह है कि आप इस बीमारी को स्वस्थ जीवनशैली के साथ रोक सकते हैं.

डॉक्टर बलबीर सिंह, चेयरमैन, कार्डियक साइंसेस, मैक्स हॉस्पिटल, साकेत, दिल्ली से बातचीत पर आधारित.

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