Winter Special : सर्दियों में रखें दिल को हैल्दी

सर्दियों का मौसम यानी अच्छा खाना और कई सारे त्योहार, इसीलिए भारत में लोग सालभर सर्दियों की राह देखते हैं. गरमगरम स्नैक्स और मिठाई का लुत्फ उठाने का यह मौसम सभी को प्यारा लगता है. सर्दियां अपने साथ ले कर आती हैं साल के बड़े त्योहार, मौजमस्ती, दोस्तों, परिवारजनों के साथ मनाए जाने वाले जश्न. यही मौसम होता है जब हमारे दिल की संवेदनशीलता बढ़ती है.

सर्दियों में तापमान में गिरावट का स्वास्थ्य पर काफी असर पड़ सकता है खासकर दिल पर. इस से हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर, फ्लू आदि का खतरा बढ़ता है. हृदय और सर्क्युलेटरी सिस्टम पर ठंडे मौसम का असर पड़ सकता है.

इस के अलावा सर्दियों में लोगों की सक्रियता कम हो जाती है. आराम करने और शरीर को गरम रखने के लिए लोग घरों के भीतर ही रहना पसंद करते हैं. इस का असर यह होता है कि शरीर को जितनी कसरत की जरूरत होती है उतनी इस मौसम में नहीं हो पाती है.

तापमान में बदलाव की वजह से शरीर में फिजियोलौजिकल बदलाव होते हैं. इसीलिए सर्दियों में स्वास्थ्य के लिए सब से बड़ा जोखिम बायोलौजिकल होता है. सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाती है जिस की वजह से रक्तवाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं. हृदय को खून की आपूर्ति कम हो जाती है, जिस से ब्लड प्रैशर बढ़ता है और हार्ट अटैक व स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ता है.

सर्दियों में कोरोनरी धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिस से कोरोनरी हृदय रोग के कारण सीने में होने वाला दर्द और ज्यादा बढ़ सकता है. एक तरफ शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए हृदय को अतिरिक्तमेहनत करनी पड़ती है तो दूसरी ओर सर्द हवाएं हृदय की इस मेहनत को और भी कठिन बना सकती हैं क्योंकि सर्द हवाओं की वजह से शरीर की गरमी तेजी से कम होती है. यदि आप के शरीर का तापमान 95 डिग्री से नीचे चला जाता है तो हाइपोथर्मिया हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है.

भारत में सर्दियां यानी कई सारे बड़े त्योहार, छुटियां, कई सारे जश्न मनाना, खूब सारा खाना और कम नींद लेना. इन सब का हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. छुट्टियां और त्योहार इमोशनल रिस्पौंसेज को बढ़ा सकते हैं. उन्हें अगर नियंत्रित नहीं किया जाए तो हृदय का तनाव बढ़ सकता है. सर्दियों के दौरान होने वाला भावनात्मक तनाव, जिसे सीजनल इफैक्टिव डिसऔर्डर भी कहते हैं स्ट्रैस हारमोंस के लैवल्स को बढ़ा सकता है. इस से हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है.

सर्दियों में लोग शरीर में गरमी बनाए रखने के लिए घरों के भीतर रहना पसंद करते हैं. अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो शरीर में सर्कुलेशन कम न हो इस के लिए घर के भीतर होते हुए भी पर्याप्त ऐक्टिविटी करते रहें. सर्दियों में जुकाम, गले में खराश और खांसी जैसी हलकी बीमारियां भी होती रहती हैं. वैसे तो ये काफी मामूली बीमारियां है, लेकिन अगर आप का हृदय पहले से दूसरी कुछ वजह से तनाव में है तो आप के लिए ये बीमारियां भी खतरनाक साबित हो सकती हैं.

जोखिम

पहले से मौजूद हृदय रोग सब से स्पष्ट जोखिम कारक है. यह दर्शाता है कि व्यक्ति एक चुनौती के साथ शुरुआत कर रहा है. इसलिए सवाल यह नहीं है कि क्या हो सकता है, लेकिन क्या होने की संभावना है. किसी भी वृद्ध व्यक्ति के लिए ठंड के मौसम में गरम रहना काफी ज्यादा कठिन होता है क्योंकि डिलेड मैटाबोलिक रिएक्शन से शरीर में गरमी का चलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में हृदय पर रक्त पंप करने के लिए अतिरिक्त दबाव पैदा होता है. साथ ही हाई ब्लड प्रैशर, धूम्रपान, बीमारियों का पारिवारिक इतिहास, हाई कोलैस्ट्रौल, मोटापा, शराब का ज्यादा सेवन जैसे कारक सर्दियों के दौरान हार्ट अटैक की संभावना को बढ़ा सकते हैं. ठंड के मौसम का हृदय की स्थिति पर प्रभाव कुछ कारकों की वजह से कम या ज्यादा हो सकता है. उदाहरण के तौर पर धूम्रपान और शराब जैसे जोखिम कारकों के चलते सर्दियों में हार्ट अटैक का कारण बनने की संभावना अधिक होती है क्योंकि वासोकंस्ट्रिक्शन पर उन का सीधा असर पड़ता है और उस की वजह से ब्लड प्रैशर बढ़ता है. पहले से किसी बीमारी का होना या शरीर का रिकवरी स्टेज में होना यह दर्शाता है कि शरीर जितना मजबूत और शक्तिशाली होना चाहिए उतना नहीं होता है. नतीजतन उस व्यक्ति को इन्फैक्शन होने का खतरा सब से अधिक होता है. कुछ बीमारियां हृदय पर और अधिक दबाव डाल सकती हैं.

सर्दियों में अपने हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इन उपायों को अपनाएं शरीर को गरम रखना सब से जरूरी है. गरम या एक के ऊपर एक ज्यादा कपड़े पहनें ताकि शरीर गरम रहें और शरीर से गरमी निकल जाने को रोका जा सके. इस तरह आप अपने हृदय को अतिरिक्त काम करने से बचा सकते हैं. अगर आप को बाहर जाना है तो बाहर की ठंड और गतिविधियों के हिसाब से सही कपड़े पहनें. जब आप एक के ऊपर एक कपड़े पहनते हैं तब अगर आप का ऐक्टिविटी लैवल बढ़ जाता है तो आप ऊपर के कुछ कपड़े निकाल सकते हैं. आप को अपने शरीर को गरम रखना है, ओवरहीट नहीं करना है. अगर पसीना आ रहा है तो ऊपर के 1-2 कपड़े निकाल कर आप शरीर को थोड़ा ठंडा भी कर सकते हैं.

अपनेआप को शारीरिक रूप से सक्रिय बनाए रखें. हर समय घर के बाहर जा कर ही कसरत करना जरूरी नहीं है. तापमान अगर ठंडा है तो सुबह जल्दी घर से बाहर निकल कर ऐक्सरसाइज न करें. अगर बाहर निकल सकते हैं तो स्ट्रैचेस या दौड़ने जैसी हलकी ऐक्सरसाइज की जा सकती है. लाइट ऐरोबिक्स, योगा, होम वर्कआउट्स, नाचना या मैडिटेशन जैसी गतिविधियां आप घर पर भी कर सकते हैं.

नियमित व्यायाम करें

नियमित कसरत से आप का शरीर गरम रहता है तो आप को फिट रहने में मदद मिलती है. कसरत करते समय अपने टारगेट हार्ट रेट तक पहुंचने का प्रयास करें. हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हर दिन कम से कम 30 मिनट, हफ्ते में 5 दिन ऐरोबिक ऐक्सरसाइज करना जरूरी है.

सर्दियों में कंफर्ट फूड खाने के लिए जी ललचाना स्वाभाविक बात है, लेकिन खाने के मामले में संतुलन रखना सब से जरूरी होता है. सर्दियों में बनने वाले तरहतरह के व्यंजनों का स्वाद चखना चाहिए, लेकिन शरीर को स्वस्थ रखना है तो न्यूट्रिएंट्स आवश्यक होते हैं.

फलों और सब्जियों में पाए जाने वाले विटामिन और मिनरल शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखते हैं. तला हुआ, फैटी, मीठा और हाई कोलैस्ट्रौल वाला खाना खाने से बचें क्योंकि इस से हृदय की बीमारी का खतरा बढ़ सकता है. सर्दियों में अकसर हाई कोलैस्ट्रौल वाला खाना खाया जाता है, जिस से हृदय के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है, इसलिए संतुलित आहार लेना आवश्यक है.

कड़ी निगरानी रखें

छोटे दिन और लंबी रातें, घर के भीतर ज्यादा समय बिताना इन की वजह से आप उदास या अशांत महसूस कर सकते हैं. सूरज की रोशनी न होने से कई लोगों को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिल पाता है. इस से डिप्रैशन बढ़ सकता है. योगा और मैडिटेशन के साथसाथ सक्रिय रहना, दोस्तों और परिवार के संपर्क में रहना जरूरी है जिस से आप बेहतर महसूस कर सकते हैं.

तनाव बहुत ज्यादा बढ़ने से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के कार्य में बाधा आ सकती है खासकर सर्दियों में तनाव प्रबंधन जरूरी होता है. स्ट्रैस हारमोंस ब्लड प्रैशर को बढ़ा कर प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकते हैं. ब्लड शुगर, ब्लड प्रैशर, किडनी और स्वास्थ्य की दूसरी समस्याओं पर कड़ी निगरानी रखें.

इन स्थितियों पर ध्यान नहीं रखा गया तो हृदय के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. बहुत ज्यादा थका देने वाले काम न करें और अगर आप पहले से हार्ट के मरीज हैं तो कोई भी वजनदार और कठोर काम न करें. काम करते हुए बीच में छोटे ब्रेक लें. अचानक कोल्ड स्ट्रोक्स को टालने के लिए हार्ट के मरीजों को सर्दियों में घर के भीतर ही रहना चाहिए. बहुत ज्यादा शराब पीना, स्मोकिंग और किसी भी तरीके से तंबाकू के सेवन से बचें क्योंकि इस से हृदय की स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है.

पर्याप्त आराम जरूरी

अच्छे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त आराम करना जरूरी होता है. हृदय की बीमारियां, हाई ब्लड प्रैशर, डायबिटीज और स्ट्रोक जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं नींद पूरी न होने के कारण पैदा होती हैं. किसी भी वयस्क व्यक्ति के लिए हर रात को 7 से 9 घंटे सोना आवश्यक होता है.

अगर आप का नाइट रूटीन नियमित है तो आप को बेहतर नींद आ सकती है. नाइट रूटीन बैठाने के लिए आप को कुछ छोटी एड्जस्टमैंट्स करनी पड़ सकती हैं, जिस से आप शांत नींद की आदत डाल सकते हैं.

सेहत का खास खयाल

कार्डिएक समस्याओं के लक्षणों को सम?ाना सर्दियों में और भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है. कई बार हार्ट अटैक वार्निंग इंडिकेटर अचानक पैदा होते हैं, सीने में बहुत ज्यादा जलन, परेशानी, बहुत ज्यादा पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ, जबड़े, बांहों या कंधों में लंबे समय तक दर्द आदि हार्ट अटैक के वार्निंग इंडिकेटर हैं.

हालांकि पुरुषों और महिलाओं में ये लक्षण अलगअलग हो सकते हैं. पुरुषों को कभीकभी बेचैनी या चक्कर आने की शिकायत हो सकती है, लेकिन महिलाओं में असामान्य लक्षण पैदा होने की संभावना काफी अधिक होती है, जिस के कारण वे कभीकभी चेतावनियों को अनदेखा कर सकती हैं.

ठंड का मौसम शरीर और मन दोनों के लिए काफी मुसीबत भरा हो सकता है. अगले कुछ महीनों में अपनी सेहत का खास ध्यान रखें. ठंडा तापमान हृदय के लिए कठिन हो सकता है, लेकिन स्वस्थ जीवनशैली अपना कर आप इस मौसम का लुत्फ उठा सकते हैं.

किसी भी लक्षण को अनदेखा न करें बल्कि तुरंत डाक्टर से संपर्क करें. कार्डियक लक्षणों को सम?ाने और उन के इलाज में थोड़ी सी भी देरी न केवल समस्या की जटिलता को बढ़ा सकती है वरन जानलेवा भी हो सकती है.

-डा. नीलेश गौतम

कंसल्टैंट, इंटरवैंशनल कार्डियोलौजी, पीडी हिंदुजा हौस्पिटल ऐंड रिसर्च सैंटर, खार.

बीमारियों से बचने के लिए दिल का ख्याल रखना है जरूरी

हम सभी लगातार भाग रहे हैं, सफर कर रहे हैं, अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत व्यस्त हैं और बमुश्किल हमें खाली समय मिल पाता है. इस भागदौड़ भरी जिंदगी में, हम अपने रोज के कामों को निबटाने के दौरान अपने भोजन, 8 घंटे की पर्याप्त नींद और नियमित फिटनेस रिजीम को पीछे छोड़ देते हैं. इन सब को सब से कम प्राथमिकता देते हैं और आखिरकार अपने स्वास्थ्य से समझौता कर बैठते हैं. हमारे शरीर का सब से महत्त्वपूर्ण अंग हमारा हृदय है जोकि चौबीसों घंटे काम करता है ताकि हम जिंदगी को भरपूर जी सकें. तनाव में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और स्वास्थ्य दूसरी प्राथमिकता बन रहा है. ऐसे में अपने हृदय की सेहत पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है. वर्ष 2015 के लैंसेट अध्ययन के अनुसार, हृदय से संबंधित बीमारियों के कारण भारत में 2.1 मिलियन से अधिक मौतें हुईं. इस से साफ तौर पर कार्डियोवैस्क्युलर रोग (सीवीडी) में देश में वृद्धि हो रही है और वह भी खतरनाक दर से.

इंडियन काउंसिल औफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किए गए एक अध्ययन में कार्डियोवैस्क्युलर रोगों में इस बढ़ोतरी का कारण बढ़ती आबादी, लोगों की बढ़ती उम्र और सब से महत्त्वपूर्ण जीवनशैली में हो रहे बदलावों के कारण बढ़ती संवेदनशीलता है. यह इस बात का प्रमाण है कि उम्र के साथ, हमारी जीवनशैली भी हमारे हृदय का स्वास्थ्य निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती है. हमारी जीवनशैली सिर्फ हमारे द्वारा किए जाने वाले रोजमर्रा के कामों और तनाव को प्रबंधित करने से ही प्रभावित नहीं होती है, बल्कि हम जो खाते हैं या रात में जितनी नींद लेते हैं, उस से भी असर पड़ता है. हमारी इन सब चीजों से सुनिश्चित होता है कि हमारा शरीर पूरा दिन सब से अच्छे ढंग से काम कर रहा है.

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दरअसल, मौजूदा परिदृश्य में जिस आयु समूह को हृदय संबंधी बीमारियां होने का खतरा सब से अधिक है- वह है 30 साल. आंकड़े काफी खतरनाक हैं. अब हृदय रोगों के लिए उम्र स्पष्ट रूप से कोई मानदंड नहीं रह गई है. हृदय के रोग सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित नहीं. थकान एवं तनावपूर्ण अनुसूची के बढ़ने से आज की नई युवा पीढ़ी के लिए भी यह गंभीर चिंता बन गई है. इस से बचने का कोई समय नहीं- अब समय आ गया है कि हम अभी से एक स्वास्थ्यवर्धक जिंदगी जीने के लिए सक्रियता से प्रयास करें.

इस से एक बात तो साफ है कि हमें अपने हृदय एवं स्वास्थ्य की देखभाल कम उम्र से शुरू करनी होगी. हम सभी को एक स्वस्थ दिनचर्या एवं आदतों को अपनाना चाहिए जिस से हमें सेहतमंद बने रहने और एक स्वास्थ्यवर्धक जीवन जीने में मदद मिलती है. ये चरण आप की जिंदगी में काफी बड़ा अंतर ला सकते हैं:

शारीरिक गतिविधि

अपनी दिनचर्या में कम से कम 30 मिनट के लिए शारीरिक गतिविधि को शामिल करना जरूरी है. आप ब्रिस्क वौक, जिम, योग, डांस या फिर कुछ और कर सकते हैं जिस से हार्ट पंपिंग में मदद मिलती है. इस से आप के दिमाग को भी सुकून मिलेगा और आप का दिल अधिक सक्रिय होगा, साथ ही हर दिन आप का स्टैमिना भी बनेगा.

सही खानपान

बाहर से आसानी से और्डर किए जा सकने वाले विकल्पों की बजाय घर का बना खाना खाएं. स्वस्थ खाना पकाने की शुरुआत होती है एक ऐसे खाद्य तेल के साथ जिस में आप के हृदय के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिए सही अनुपात में सही सामग्री मौजूद हो. तेल में उच्च एमयूएफए होना चाहिए जोकि खाने में तेल के अवशोषण को कम करता है यह ओमेगा 3 का अच्छा स्रोत हो जोकि जलन से लड़ता है. आदर्श ओमेगा 6 : ओमेगा 3 अनुपात (इंडियन काउंसिल औफ मेडिकल रिसर्च द्वारा उल्लिखित 5 से 10 के बीच)हो जोकि हृदय की संपूर्ण सेहत बरकरार रखने में मदद करता है. समग्र पोषण के लिए तेल ओराइजनौल जोकि बैड कोलैस्ट्रौल को कम करता है और विटामिन ए, डी एवं ई से युक्त हो.

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धूम्रपान एवं शराब पीने से बचें

धूम्रपान और नियमित रूप से शराब पीने से आप के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पड़ता है. तंबाकू का सेवन आप के फेफड़ों में औक्सीजन की मात्रा घटाता है और यह कई बीमारियों का कारण बनता है. वहीं जरूरत से ज्यादा शराब पीने से आप की धमनियां और गुदे खराब हो जाते हैं. इसलिए, धूम्रपान से बचें और शराब के सेवन को सीमित करें. इस से आप का दिमाग एवं शरीर को सक्रिय एवं तंदुरुस्त रखने में मदद मिलेगी.

अच्छी नींद लें

कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इस से आप के दिमाग को आराम मिलता है. साथ ही हृदय एवं दूसरे अंगों को ज्यादा प्रभावी ढंग से काम करने में मदद मिले क्योंकि जब हम सो रहे होते हैं, तब हमारे अंग ज्यादा सक्रियता से काम करते हैं. जीवनशैली में बदलाव करने के लिए धैर्य एवं पूर्ण प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. हालांकि, मौजूद परिदृश्य में हमारे पास वाकई में विकल्प नहीं हैं. हमें अब कम उम्र में ही बदलाव करने होंगे ताकि एक सेहतमंद, स्वस्थ एवं लंबी जिंदगी व्यतीत करना सुनिश्चित हो. आइए हम सब खुद से वादा करते हैं कि हम एक सक्रिय एवं स्वस्थ जिंदगी जिएंगे.

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