ईशा देओल-भरत तख्तानी हुए अलग, 12 साल बाद हुआ तलाक

ईशा देओल और भरत तख्तानी ने 7 फरवरी को आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वे शादी के 12 साल बाद अलग हो रहे हैं. पिछले कुछ हफ्तों से ऐसी अफवाहें चल रही थीं कि दोनों अलग हो गए हैं. हाल ही में ईशा और भरत के अलगाव को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. यह पोस्ट इस बात पर आधारित थी कि कैसे ईशा को पिछले कुछ हफ्तों से भरत के बिना सार्वजनिक रूप से देखा गया था.

ईशा देओल और भरत तख्तानी की शादी के 12 साल बाद हुए अलग

शादी के 12 साल बाद ईशा देओल की लाइफ एक नए मोड पर आ गई है. भरत तख्तानी और ईशा देओल की लव स्टोरी के बाद अब उनकी तलाक की खबरें भी काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. मीडिया के साथ बातचीत में, ईशा देओल ने कहा, “हम कैस्केड नामक इंटर-स्कूल प्रतियोगिता में मिले थे, जिसे मेरे स्कूल ने आयोजित किया था. मैंने टिशू के एक टुकड़े पर अपना फोन नंबर लिखा और उसे दे दिया. तब मेरे पास ब्रेसिज़ थे. इसलिए, मैं हमेशा कहता हूं कि वह ब्रेसिज़ के साथ मुझसे सच्चा प्यार करता था. उसे मैं बहुत प्यारी लगती थी.”

 

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उन्होंने आगे कहा, “मेरी मां के कमरे में हमारा एक फोन था और उसमें कोई एक्सटेंशन नहीं था. उस समय बात करना बहुत मुश्किल हुआ करता था. उस उम्र में, यह मोह और मासूमियत थी. वह खूबसूरत था. बेशक, हम संपर्क में थे.” कॉलेज में, और फिर 18 साल की उम्र में मेरा कामकाजी जीवन शुरू हुआ. यह ख़त्म हो गया, लेकिन मुझे ख़ुशी है कि हम वापस आ गए, और वह मेरा जीवन साथी है.

बागबान में ‘नालायक बेटे’ का किरदार निभाने वाले एक्टर्स ने कहा- ‘हमें पिछले 20 सालों से कोसा जा रहा है’

अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की फिल्म बागबान को इस सप्ताह 20 साल हो गए है. रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित यह फिल्म 3 अक्टूबर 2003 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. एक पारिवारिक ड्रामा, जो मेलोड्रामा के साथ बूढ़े माता-पिता की दुर्दशा पर ध्यान केंद्रित करती है,

इस फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया था और यह आज भी लोकप्रिय बनी हुई है. जहां हेमा और अमिताभ के बीच की केमिस्ट्री को सराहना मिली और सलमान खान ने अपने कैमियो से दर्शकों का दिल जीत लिया, वहीं इस फिल्म में चार युवा एक्टर्स – अमन वर्मा, समीर सोनी, साहिल चड्ढा और नासिर खान को “नालायक बेटे” बना दिया.

बागबान को हुए 20 साल

जैसा कि इस फिल्म के निर्देशक बागबान के 20 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं वहीं अमन, समीर, साहिल और नासिर ने खुलकर बताया कि अक्टूबर 2003 में फिल्म रिलीज होने के बाद उनका जीवन कैसे बदल गया और कैसे बुजुर्ग लोग अभी भी उन्हें अपने माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार करने और उन्हें पालने तक अलग करने के लिए डांटते हैं. इस फिल्म में सलमान द्वारा निभाया गया किरदार बेटा अमन उनके बचाव में आया था.

अमन वर्मा ने अजय नाम के बेटे का किरदार निभाया

अमन वर्मा को यकीन नहीं हो रहा कि बागबान को रिलीज हुए 20 साल हो गए हैं. वह कहते हैं, ”मैं 1996 में मुंबई आया और 4-5 साल में बागबान मूवी की. फिल्म से पहले मैंने ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ और ‘खुल जा सिम सिम’ जैसे तमाम टीवी सीरियल में काम किया था. जब तक मुझे बागबान नहीं मिला था, मैं कुछ हद तक संघर्ष कर रहा था. इस फिल्म ने सभी के करियर पर गहरा प्रभाव डाला. “मेरी मखना” और “होली खेले” गाने अभी भी शादियों और त्योहारों पर बजाए जाते हैं जब मैं आसपास होता हूं.

अमन ने आगे बताया कि उनसे अब भी पूछा जाता है कि वह फिल्म में इतने “नालायक औलाद” क्यों थे. वह कहते हैं, ”यह अवास्तविक लगता है कि फिल्म के बारे में अभी भी बात हो रही है. आज भी मीम्स बनते हैं और लोग आज भी इसके बारे में बात करते हैं. हर कोई मुझसे पूछता रहता है ‘अमन जी, आप इतने नालायक औलाद कैसे हो सकते हैं?”

समीर सोनी ने सुनाया किस्सा

समीर ने बताया कि फिल्म रिलीज़ होने के बाद, लोग अमिताभ के साथ दुर्व्यवहार के लिए उन्हें डांटने के लिए उनके पास आ रहे थे.

उन्होंने साझा किया, “जब फिल्म रिलीज हुई, तो मैं बहुत खुश था लेकिन हमें जो प्रतिक्रिया मिली वह अविश्वसनीय थी. मुझे याद है कि एक बार एक बूढ़ी औरत एक मॉल में मेरे पास आई थी, और मैंने सोचा था कि उसने फिल्म के बाद मुझे पहचान लिया है और कुछ अच्छा कहेगी, लेकिन उसने आकर मुझे डांटा कि ‘बहुत बुरा बेटा, तुमने बहुत बुरा व्यवहार किया है!’ हम अमित जी और हेमा जी से इतने जुड़े हुए थे कि हम रातों-रात बुरे आदमी बन गए, लेकिन यह फिल्म की सफलता को दर्शाता है, जिसका इतना बड़ा प्रभाव है.

 

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साहिल ने भी बागबान के बाद जो हुआ उसको लेकर बताया

साहिल भी बागबान में अपनी परफॉर्मेंस के बाद कहते हैं, ”आज भी गाली पड़ती है”. वह कहते हैं, ”मैं बहुत सारे कार्यक्रम करता हूं और कुछ मौकों पर मुझे अमिताभ बच्चन के ‘नालायक बेटा’ के रूप में पेश किया गया है, लेकिन मैं इसे एक तारीफ के रूप में लेता हूं. मुझे याद है कि जब फिल्म रिलीज हुई थी तो मेरी मां मेरी बहन के साथ कनाडा में थीं और जब लोग बेटों को कोसते थे तो उन्हें बहुत बुरा लगता था. उसने एक बार किसी को यह कहते हुए सुना था, ‘हाय है कितने बुरे बच्चे हैं!’ और वह उनसे कहती थी, ‘मेरा बेटा ऐसा नहीं है’. मेरी मां अचानक से मुझको लेकर बहुत ही प्रोटेक्टिव हो गई थी.”

71 की उम्र में ‘ड्रीम गर्ल’ संग इश्क लड़ाते दिखे Mithun

कलर्स का रियलिटी शो ‘हुनरबाज’ (Hunarbaaz) में जल्द ही ‘ड्रीम गर्ल’ (Dream Girl) हेमा मालिनी (Hema Malini) दिखाई देने वाली हैं, जिसके चलते शो के मेकर्स ने नया प्रोमो शेयर किया है. वहीं प्रोमो की बात करें तो मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) हेमा मालिनी संग इश्क लड़ाते नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं प्रोमो की झलक…

हेमा मालिनी संग किया डांस

 

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दरअसल, प्रोमो की बात करें तो इस बार एक्ट्रेस हेमा मालिनी मदर्स डे के मौके पर शो में मस्ती करती हुई नजर आने वाली हैं. वहीं वह 90 के दशक के सॉन्ग पर शो के जज मिथुन चक्रवर्ती संग इश्क लड़ाते दिखाई देंगी. हालांकि होस्ट भारती सिंह (Bharti Singh) और हर्ष लिम्बाचिया (Haarsh Limbachiyaa) इस मौके पर दोनों के साथ मजाक करते हुए नजर आएंगे.

 

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भारती खींचती हैं मिथुन दा की टांग

 

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शो के बात करें तो भारती सिंह प्रैग्नेंसी में भी शो को होस्ट करती हुई नजर आ रही हैं. हालांकि इस दौरान भी वह कौमेडी करती नजर आती हैं और दर्शकों को एंटरटेन करती हैं. इसी के साथ वह शो के जज मिथुन दा के साथ मस्ती करती हैं और उनकी टांग खींचती हुई नजर आथी हैं.

 

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बता दें, एक्टर मिथुन चक्रवर्ती और हेमा मालिनी की आइकॉनिक जोड़ी कई पुरानी फिल्मों में देखने को मिली हैं. ‘आंधी-तूफान’, ‘तकदीर’, ‘गलियों का बादशाह’, ‘हिरासत’, ‘साधु संत’ और ‘सहारा’ जैसी फिल्मों में दोनों स्क्रीन शेयर करते हुए नजर आ चुके हैं. वहीं फैंस को दोनों की कैमेस्ट्री भी काफी पसंद आती हैं. अब देखना होगा कि शो में दोनों के इस डांस पर फैंस कैसा रिएक्शन देते हैं.

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डेल्फिक काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र’ के आधिकारिक ‘लोगो’ का हुआ अनावरण, सेलेब्स हुए शामिल

2500 वर्ष पहले प्राचीन ग्रीस में ‘‘डेल्फिक गेम्स’’की शुरूआत हुई थी और इन्हें ओलंपिक के समान माना जाता है.  ओलंपिक शारीरिक खेलों के लिए जाने जाते हैं, जबकि ‘डेल्फिक गेम्स’कला और संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. डेल्फिक गेम्स – संगीत और ध्वनि,  परफॉर्मिंग आर्ट्स,  भाषा-आधारित कला,  व्हिज्युअल आर्ट्स,  सामाजिक कला,  पर्यावरण कला और वास्तुकला सहित छह प्रमुख कला श्रेणियों का प्रतिनिधित्व कर,  सैकड़ों उप- श्रेणियों और शैलियों को तथा कई नए प्रकार की कला,  कलाप्रेमी और विभिन्न कलाकारों के लिए एक सामान मंच प्रदान करने का एक अमूल्य काम करता है. आधुनिक डेल्फिक खेलों को 1994 में पुनर्जीवित किया गया था. कला और संस्कृति की उन्नति और उस संदर्भ में विचार- विमर्श करने के लिए डेफ्लिक गेम्स एकमात्र वैश्विक मंच है.  बर्लिन स्थित आंतरराष्ट्रीय डेल्फिक गेम्स का आयोजन दुनिया भर में हर चार वर्ष में एक बार किया जाता है. अब तक यह प्रतियोगिता आठ देशों की यात्रा कर चुकी है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत ने दक्षिण कोरिया और मलेशिया जैसे विभिन्न देशों में डेल्फिक गेम्स के कुल 3 सत्रों में भाग लेकर स्वर्ण और रजत पदक जीते हैं.

भारत में ‘डेल्फिक खेलों’’को बढ़ावा देन के मकसद से कुछ वर्ष पहले भारत में ‘‘इंडियन डेल्फिक काउंसिल’’का गठन किया गया था. धीरे धीरे इस तरह के खेलों को लेकर भारत के राज्यो में काम किया गया. अब तक महाराष्ट् राज्य सहित देश के 22 राज्यों मंे डेल्फिक खेलों को लेकर संगठन बने हुए हैं. महाराष्ट् राज्य में हाल ही में ‘‘डेल्फिक काउंसिल आफ महाराष्ट्’’का गठन किया गया, जिसके प्रतीक चिन्ह ‘लोगो’का अनावरण कई फिल्मी हस्तियो की मौजदूगी में महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय भगत सिंह कोश्यारी के हाथों किया गया. ‘‘डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र’’ का प्रतीक चिन्ह(लोगो) ‘पानी‘ है और प्राचीन काल से डेल्फिक गेम्स का यह एक अनूठा प्रतीक है. ‘कई कलाओं के माध्यम से शांति’ प्रस्थापित करने का रूपक ‘पानी‘ है. अंतर्राष्ट्रीय डेल्फिक काउंसिल एक गैर- सरकारी,  गैर-राजनीतिक,  गैर- सांप्रदायिक,  गैर-धार्मिक संगठन है.  यह दुनिया का एकमात्र मंच है, जो कला और संस्कृतियों का पोषण कर समाज में शांति का संदेश देता है.

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इस मौके पर शास्त्रीय नृत्यांगना,  अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी उद्घाटन समारोह में सम्मानित अतिथि, वरिष्ठ अभिनेता और राष्ट्ीय नाट्य विद्यालय के अध्यक्ष परेश रावल मुख्य अतिथि के अलावा प्रसिद्ध उद्योगपति यश बिरला, अभिनेत्री भाग्यश्री,  हफीज कॉन्ट्रॅक्टर,  देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर,  सलीम-सुलेमान,  श्रेयस तलपड़े, गणेश आचार्य,  बॉस्को-सीजर,  तेजस्विनी कोल्हापुरे व इंडियन डेल्फिक काउंसिल के प्रतिनिधि रमेश प्रसन्ना और डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र के अन्य अधिकारी भी इस समारोह में मौजूद थे.

‘‘डेल्फिक काउंसिल अॉफ महाराष्ट्र’’के अध्यक्ष साहिल सेठ, उपाध्यक्ष सुरेश थॉमस, महासचिव अपराजित अवि मित्तल व संयुक्त महासचिव श्रीमती.  प्रणिता पंडित, अली अकबर रिजवी को कोषाध्यक्ष के तौर पर चुना गया. जबकि डेल्फिक काउंसिल ने कुछ श्रेणियों को विभाजित कर उनके कई संचालक भी घोषित किए. संगीत कला एवं ध्वनि के विभाग पर सुलेमान मर्चेंट, सामाजिक कला विभाग पर राजवीर कौशिक,  व्हिजुअल आर्ट्स विभाग पर श्रीमती बीना तलत,  पर्यावरणीय कला और वास्तुकला (आर्किटेक्चर) इस विभाग पर विनय अग्रवाल, तो परफॉर्मिंग आर्टस् एवं इरोबटिक्स विभाग पर अमित कपूर को नियुक्त किया गया. जबकि श्रीमती अमिता भट और श्रीमती रचना पुरी को क्रमशः भाषा कला और वक्तृत्व व डेल्फिक क्लब और सदस्यता विभाग के संचालक पद की जिम्मेदारी सौंपी गई है. तो वहीं सलाहकार के तौर पर यश बिरला (बिरला ग्रुप), देवेंद्र सिंह तोमर (केंद्रीय कृषी मंत्री), डॉ.  अली इराणी (नानावटी हॉस्पिटल), क्वेझर खालिद (पोलीस कमिशनर रेल्वे मुंबई),  सलीम मर्चंट (संगीत निर्देशक),  साक्षी तंवर (अभिनेत्री) हैं. डेल्फिक कौंसिल की अलग अलग समितियांे के साथ नृत्य निर्देशक बॉस्को, फैशन डिजायनर एमी बिलामोरिया, अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ती , नृत्य निर्देशक गणेश आचार्य, अभिनेत्री तेजस्वनी कोल्हापुरी, फिल्ू निर्देशक निवेदिता बसु, जरीन खान, तेज सप्रू, राघव सच्चर,  टिस्का चोपड़ा व पवन नागपाल का समावेश है.

इस अवसर पर हेमा मालिनी ने कहा-“महामारी के कारण पिछले वर्ष से दुनिया में निराशा की भावना है, लेकिन इस कठिन अवसर ने हमारे जीवन में कला और संस्कृति के महत्व को मजबूत किया है. हमें कुछ ऐसा चाहिए, जो हमारे दिल और आत्मा को छू जाए और हमारे मन को शांत करे और हमारे भीतर प्रेरणा निर्माण करे ऐसे कुछ शब्दों की हमें जरुरत है. भारत में अपार प्रतिभा है. योग को दुनिया के सामने लाने में आपने जो मेहनत की है,  मुझे उम्मीद है कि ठीक उसी तरह डेल्फिक आंदोलन के नेतृत्व में आप नई प्रतिभाओं को दुनिया के सामने लाने में सफल होंगे. ‘‘

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‘डेल्फिक काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र’ के अध्यक्ष व भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी साहिल सेठ ने कहा- “भारत में डेल्फिक काउंसिल से जुड़ना और कला और संस्कृति के विकास को बढ़ावा देना मेरे लिए गर्व की बात है. यह न केवल लोगों को एक साथ लाने का बल्कि राज्य और उसके लोगों के लिए वैश्विक मौका प्रदान करने का एक साधन है. महाराष्ट्र में कला और संस्कृति की समृद्ध विरासत और डेल्फिक काउंसिल के कारण, हम इस विरासत के माध्यम से समाज प्रबोधन का कार्य करने की कोशिश करेंगे.  हम जल्द ही अपनी पहली पहल की घोषणा करेंगे,  जिसमें बच्चों के लिए कला,  एक लघु फिल्म समारोह और बहुत कुछ शामिल होगा. ‘‘

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