YRKKH: बड़े पापा ने किया अक्षरा को कॉल, अभिरा रोई फूटकर-फूटकर

टीवी का मोस्ट पॉपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ दर्शकों को बहुत पसंद आ रहा है. शो में आए दिन कई सारे ट्विस्ट देखने को मिल रहे है. सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में कृष, दादी-सा के कमरे से चुराई हुईं टॉफिया खाते-खाते उन सारे पलों को याद करेगा जब दादी सा ने घर के सदस्यों की तारीफ की थी. वह फिर काफी इमोशनल हो जाएगा और सोचेगा कि उसके अंदर कोई ऐसी क्वालिटी नहीं है जिससे इम्प्रेस होकर दादी-सा ने उसकी तारीफ करें. इसके बाद कृष अपने आपको लूजर समझने लगेगा. आगे सीरियल में अभिरा इंटर्नशिप के लिए लेट हो जाएगी. वह दौडकर आती है नीचे आएगी और टेबल पर नाश्ता न देखकर हैरान रह जाएगी. वह खुद से ही बड़बड़ाने लगेगी

अभिरा को दादी-सा करेंगी परेशान

टीवी सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में देखने को मिलेगा कि दादी-सा, अभिरा की बातें सुन लेगी. वह अभिरा पर नाश्ता बनाने का दबाव डालेंगी. अभिरा कहेगी मैं सब कुछ कर लूंगी दादी-सा, वह कहेगी कल से शुरू करते हैं न प्लीज. दादी-सा कहेंगी ठीक है. कल तक व्रत रखते हैं. अभिरा कहेगी व्रत क्यों? दादी-सा बोलेंगी- क्योंकि तुम नाश्ता कल बनाओगी. दादी-सा और अभिरा की आवाज सुनकर सब बाहर आ जाएंगे. इसके बाद मनीषा दादी से पूछेंगी, ये क्या हो रहा है मम्मी-सा? दादी-सा कहेंगी, आज हमारी बहुरानी की इंटर्नशिप का पहला दिन है इसलिए सब व्रत रखेंगे. अभिरा भावुक हो जाती है. वह कहेगी आज कोई भुखे पेट नहीं जाएगा.

बड़े पापा का आएगा कॉल

सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में आगे देखने को मिलेगा कि अभिरा के जाते ही रूही अरमान के लिए नाश्ता बनाएगी. वहीं दूसरी ओर बड़े पापा अभिर के तलाश में जुट जाएंगे. वह अक्षरा का नंबर ढूंढकर उसे कॉल करेंगे. रूही अरमान का नाश्ता बनाने के बाद अपने कमरे की तरफ जाती है तब उसे अभिरा के कमरे में जाने की आवाज आती है. वह अभिरा के कमरे में जाएगी. जब तक रूही फोन के पास जाएगी तब तक कॉल कट जाएगा. इसके बाद आगे बड़े पापा अभिर का नंबर रेस्टोरेंट मैनेजर से लेते है इसके बाद बड़े पापा खुश नजर आते है. वहीं अभिरा रोती हुई नजर आती है. दरअसल, अभिरा लेट ऑफिस जाती है जिस वजह से उसका मैनेजर उस पर चिल्ला देता है.

‘शोले’ फेम सतिंदर कुमार खोसला का दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

बीरबल के नाम से मशहूर दिग्गज अभिनेता सतिंदर कुमार खोसला का मंगलवार शाम को निधन हो गया. मीडिया के मुताबिक, उनका निधन मुंबई के एक अस्पताल में हुआ. वह 80 वर्ष के थे. उनका अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा.

सतिंदर के दोस्त ने उनके निधन की पुष्टि की

सतिंदर के दोस्त जुगनू ने मीडिया से उनकी मौत की खबर की पुष्टि की. अभिनेता का कोकिलाबेन अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार आज किया जाएगा.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bollywoodirect (@bollywoodirect)

 

संतिदर का फिल्मी करियर

सतिंदर को उनके कॉमिक किरदारों के लिए जाना जाता है. गंजे बालों और घनी मूंछों वाले उनके विशिष्ट लुक ने उन्हें आसानी से पहचानने योग्य बना दिया. उन्होंने उपकार, रोटी कपड़ा और मकान और क्रांति समेत मनोज कुमार की कई फिल्मों में काम किया.

‘शोले’ फिल्म से संतिदर को पहचान मिली

हालांकि, शोले में एक कैदी के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें बहुत अधिक ध्यान आकर्षित कराया. उन्हें ‘नसीब’, ‘याराना’, ‘हम हैं राही प्यार के’ और ‘अंजाम’ जैसी फिल्मों में भी देखा गया.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bollywoodirect (@bollywoodirect)

 

क्षेत्रीय सिनेमा में भी किया काम

सतिंदर कुमार खोसला ने हिंदी सिनेमा के अलावा पंजाबी, भोजपुरी और मराठी सिनेमा सहित विभिन्न भाषाओं में 500 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया. अभिनेता को उनकी हास्य भूमिकाओं के लिए जाना जाता था. वी शांताराम की फिल्म बूंद जो बन गई मोती में बंचराम की उनकी प्रारंभिक भूमिका ने उनके करियर की शुरुआत की. बाद में उन्होंने रमेश सिप्पी की 1975 की ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले में एक कैदी की संक्षिप्त भूमिका निभाई जिसने उन्हें एक जाना-पहचाना चेहरा बना दिया. बाद में उन्होंने ‘अनुरोध’ और ‘अमीर गरीब’ जैसी फिल्मों में संक्षिप्त भूमिकाएं निभाईं.

Sangeeta Bijlani bday: 63 साल की हुई Salman Khan की एक्स गर्लफ्रेंड

बॉलीवुड की मशहूर अदाकरा संगीता बिजलानी ने 9 जुलाई को अपना बर्थडे सेलिब्रट किया. संगीता बिजलानी 63 साल की हो गई है. अपना बर्थडे खास बनाने के लिए संगीता ने मीडिया पैपराजी और सैलून के स्टाफ के साथ मिलकर अपना बर्थडे मनाया. एक्ट्रेस ने पैपराजी और क्रोमा सैलून के स्टाफ के साथ केक कट किया.

बर्थडे पर बेहद खूबसूरत लग रही संगीता

बर्थडे के मौके पर बॉलीवुड अभिनेत्री संगीता बिजलानी काफी खूबसूरत लग रही है. संगीता बिजलानी ने अपने बर्थडे पर नेवी ब्लू कलर की वन पीस पहन रखा है. वन पीस में बहुत खूबसूरत लग रही है. इसके साथ ही संगीता ने वाइट कलर के स्नीकर्स पेयर कर रखें है साथ ही साइड लाइट ग्रीन बैग कैरी किया हुआ है. वकाई संगीता बिजलानी काफी यंग लग रही है. खुले बालो में कहर ढा रही है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Bollywood Bubble (@bollywoodbubble)

सलमान खान के साथ रहा रिश्ता

लोकप्रिय अभिनेत्री संगीता बिजलानी ने ‘त्रिदेव’, ‘योद्धा’ और कई अन्य फिल्मों में दिखाई दीं, बॉलीवुड दिवा ने जुहू में केक काटकर पपराजी के साथ अपना खास दिन मनाया. दरअसल, संगीता कथित तौर पर सलमान खान एक समय के साथ रिश्ते में थी. अक्सर खबरे आती थी दोनों ही जल्द शादी करने वाले है. लेकिन सलमान ने तय तारीख से कुछ दिन पहले ही शादी से इनकार कर दिया था. मीडिया खबरो के मुताबिक संगीता ने सलमान को किसी और के साथ देख लिया था, जिसके बाद संगीता ने सलमान से रिश्ता तोड़ दिया था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Anarul-Creationz (@anarul_creationz)


पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अज़हरुद्दीन से शादी की

सलमान से रिश्ता टूटने के बाद संगीता बिजलानी ने भारत के  तत्कालीन कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन के साथ रिलेशन मे आ गई थी.लेकिन अजहरुद्दीन पहले से शादीशुदा थे और संगीता से शादी करने के लिए उन्होंने पत्नी नौरीन से तलाक ले लिया. इसके बाद 1996 में दोनों ने शादी कर ली. शादी के 14 साल बाद दोनों आपसी सहमति से तलाक ले लिया था.

तो बच्चे मोबाइल नहीं किताबों से रखेंगे दोस्ती

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है. अब तक हम सोचते थे कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से बच्चों की आंखें खराब होती हैं. लेकिन डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक इस के परिणाम और भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं.

5 साल से कम उम्र के बच्चों का निर्धारित समय से ज्यादा स्क्रीन टाइम उन के शारीरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है. इस रिपोर्ट के जरीए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हिदायत दी है कि पेरैंट्स अपने छोटे बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटौप और अन्य इलैक्ट्रौनिक उपकरणों से जितना हो सके दूर रखें.

  1. विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन
  • 1  साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है यानी उन्हें बिलकुल स्क्रीन के सामने नहीं रखना है.
  • 1 से 2 साल के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घंटे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इस के साथ ही 3 घंटे फिजिकल ऐक्टिविटीज करने की सलाह दी गई है. इस उम्र में बच्चों को कहानी सुनाना उन के मानसिक विकास के लिए फायदेमंद साबित होगा. 3 से 4 साल तक के बच्चों के लिए भी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा समय 1 घंटा निर्धारित किया गया है.
  • यह दायित्व पेरैंट्स का है कि वे बेबीज को मोबाइल और टीवी से दूर रखें, जबकि सभी पेरैंट्स इस बात की गंभीरता नहीं सम?ाते. पीयू रिसर्च सैंटर की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार 45त्न पेरैंट्स सोचते हैं कि 12 साल की उम्र से पहले बच्चों को फोन नहीं देना चाहिए जबकि 28त्न मातापिता का मानना है कि 15 साल के होने के बाद ही बच्चों को फोन मिलना चाहिए. वहीं 22त्न पेरैंट्स 11 साल से भी छोटे बच्चों को फोन देने के लिए तैयार हैं.
  • छोटे बच्चे को फोन देने के बाद आप को उस पर नजर रखनी चाहिए. उस के फोन की ऐप्स को मौनिटर करें और इस्तेमाल के समय को सीमित करें. उस के फोन में गलत वैबसाइट या सर्च को हटा दें. उसे इंटरनैट और सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान और खतरों के बारे में बताएं.
  • जिंदगी में मोबाइल और टीवी की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता. मगर इन के प्रयोग को सीमित जरूर किया जा सकता है. इन का प्रयोग सीमित तब होगा जब हम उन्हें किताबों से जोड़ेंगे. किताबें न सिर्फ हमारा मनोरंजन करती हैं बल्कि हमें वास्तविक और गहन ज्ञान भी देती हैं. किताबों की दुनिया बहुत खूबसूरत होती है. एक बार इन का नशा चढ़ जाए फिर इंसान बहुत ऊंचा उठ सकता है. किताबें बच्चों को काबिल बनाती हैं और उन का ज्ञान बढ़ाती हैं.

2. स्टडी से साबित हुआ किताबों का असर

वैस्ट वर्जीनिया की मार्शल यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि बच्चों के दिमाग पर किताबों का बचपन से ही सकारात्मक असर पड़ता है. स्टडी के अनुसार डेली बुक के कुछ पेज पढ़ कर सुनाने से 12 माह और उस से कम उम्र के बच्चों में बोलने की समझ विकसित होने लगती है. ‘अमेरिकन बोर्ड औफ फैमिली मैडिसिन’ के जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में शामिल कुछ पेरैंट्स को 20 बुक्स का सैट दिया गया.

इन में विशेषरूप से भाषा के विकास और पिक्चर वाली बुक्स शामिल थीं. सभी पेरैंट्स ने हर 3 वीक में वैलनैस चैकअप के दौरान बच्चों की सीखने की क्षमता का टैस्ट करने की भी सहमति दी.

पेरैंट्स ने रोज अपने बच्चे को बुक के 2 पेज पढ़ कर सुनाए. इस के 1 साल बाद चौंकाने वाले परिणाम आए. ऐसे बच्चों की सीखने की क्षमता उन बच्चों के मुकाबले ज्यादा थी जिन्हें कोई भी बुक पढ़ कर नहीं सुनाई जाती थी.

स्टडी में यह भी पता चला कि रोज एक ही बुक पढ़ कर सुनाने का उतना फायदा नहीं होता जितना बारबार किताबें बदल कर सुनने से होता है. इस से बच्चे ज्यादा शब्द सीखते हैं. उन की ब्रेन पावर बढ़ने के साथ ही लैंग्वेज स्किल भी अच्छी होती है. इतना ही नहीं यह स्पैशल टाइम बच्चे और पेरैंट्स के बीच के रिश्ते को भी और मजबूत बनाता है.

अगर आप चाहती हैं कि आप का बेबी जल्दी और साफ बोले तो उस के बड़े होने का इंतजार न करें. जन्म के 2 सप्ताह बाद से ही उस की ट्रेनिंग शुरू कर दें. 2 सप्ताह के बाद से 9 माह का होने तक उसे डेली बुक्स के कुछ पन्ने पढ़ कर सुनाएं. आप को यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन इस से आप के बच्चे का भाषाई विकास जल्दी और मजबूत होगा. वह शब्द सम?ाने भी जल्दी लगेगा और बोलने भी.

3. समय की बरबादी

स्मार्टफोन के आने के बाद नएनए फीचर्स के साथ नए ऐप्स की भी बहार आ गई है. इन ऐप्स के माध्यम से बच्चों का पूरा दिन कब गुजर जाता है उन्हें पता ही नहीं चलता. व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, गेम्स जैसे बहुत सारे ऐप्प्स हैं जिन्हें बच्चे पसंद करते हैं. इन से बढ़ती नजदीकियां बच्चों को किताबों से दूर कर रही हैं. उन्हें किताबों में सिर गड़ा कर पढ़ने के बजाय रील्स देखना ज्यादा अच्छा लगता है.

दिनभर व्हाट्सऐप पर दोस्तों से गपशप चलती रहती है. बच्चे और युवा खुद भी रील्स बना कर फेमस होने की कोशिश में अपना समय बरबाद करते रहते हैं.

यहां तक कि अब वे व्हाट्सऐप पर नोट्स भी शेयर कर के पढ़ाई करने लगे हैं. एक दोस्त के नोट्स व्हाट्सऐप के माध्यम से पूरे ग्रुप में शेयर कर दिए जाते हैं, जिस से उन के लिए अब चलतेचलते भी पढ़ाई करने की सुविधा हो गई है. यही नहीं गूगल की मदद से कहीं भी कोई भी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है.

इस से उन्हें किताबों को खोलने व उन्हें लाने ले जाने के झंझट से भी छुटकारा लगता है. पर याद रखें कि ये नोट्स टाइप किए जाते हैं जबकि परीक्षा में लिखना होता है. लिखने की यह गति धीरेधीरे कम हो रही है.

आज के युवाओं को भी यह लगता है कि मोबाइल से जुड़े रहने के कारण एकसाथ कई काम होते रहते हैं या वे अधिक स्मार्टली काम कर पाते हैं. साथ ही मोबाइल उन के स्टेटस सिंबल को बनाए रखता है. यही सोच उन्हें अब किताबें नहीं बल्कि मोबाइल फोन खरीदने को मजबूर करती है. वे भूल जाते हैं कि गूगल ज्ञान एकत्र करता नहीं बल्कि एकत्रित ज्ञान को केवल पुस्तकालय के रूप में रखता है. गूगल का ज्ञान अधूरा या भ्रामक हो सकता है.

4. शान की बात क्यों

मोबाइल फोन में आज ढेरों गेम्स डाउनलोड करने की सुविधा है. अब बच्चों को परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने से ज्यादा अपने पसंदीदा गेम में विजय हासिल करने की उत्सुकता रहती है. यही वजह है कि अब ट्रेन, बस या मैट्रो में सफर के दौरान भी उन के हाथों में किताबें नहीं बल्कि मोबाइल होते हैं.

उन की आंखें मोबाइल की स्क्रीन पर और हाथ टाइप या स्क्राल करने में व्यस्त होते हैं जबकि कानों में लेटैस्ट स्टाइल के इयरफोन लगे होते हैं. वे साथ में गाने भी सुनते हैं.

आज के युवाओं में लेटेस्ट मोबाइल खरीदने की होड़ मची हुई है. युवाओं की यह सोच बन गई है कि जितना ज्यादा महंगा व लेटैस्ट फोन होगा उस में उतने ज्यादा फीचर्स होंगे. इस से उन का अपने गु्रप में नाम भी होगा. अपने गु्रप में छाने के लिए युवा जो भी नया फोन मार्केट में आता है उसे खरीदने की कोशिश करते हैं.

लेटैस्ट फोन खरीदने के चक्कर में वे अपनी किताबों तक से समझता कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि किताबें तो किसी दोस्त से शेयर कर के काम चला लेंगे लेकिन मोबाइल नए ब्रैंड का होना चाहिए ताकि शान में कमी न आए. यही सोच उन्हें किताबों से दूर कर रही है.

ऐसे जोड़ें अपने बेबीज को किताबों से पेरैंट्स के लिए अपने छोटे बच्चों को किताबों से जोड़ना आज बहुत बड़ी चुनौती बन गई है. लेकिन अगर थोड़ी समझदारी से काम लिया जाए तो ऐसा करना कठिन नहीं है.

5. घर में पढ़ाई का माहौल बनाएं

आप अपने बच्चे को कितने ही अच्छे स्कूल में क्यों न पढ़ा रहे हों या फिर हर विषय की महंगी ट्यूशन क्यों न लगवाई हो आप घर में उसे किताबें पढ़ने के लिए पूरा समय दें. अगर आप टीवी खोल कर बैठे रहेंगे तो बच्चा पढ़ने में मन कैसे लगा पाएगा? आप उस की पढ़ाई के लिए अलग टाइम टेबल बनाएं. उसे कुछ अच्छी किताबें पढ़ कर सुनाएं.

छोटे बेबीज को खासकर कहानियां सुनने में बहुत मजा आता है. आप उन्हें कहानियों की और तसवीर वाली पत्रिकाएं ला कर दे सकते हैं.

6. किताबों का महत्त्व समझाएं

छोटे बच्चों को इस बात को समझने की कोशिश करें कि पुस्तकों के बिना सफलता प्राप्त करना मुश्किल है. पुस्तकें हमारी रचनात्मक शक्ति का विकास करने में मददगार होती हैं. हम जितना ज्यादा पुस्तकों से प्यार करेंगे हमें उन से उतनी ही ज्यादा जानकारी प्राप्त होगी.

किताबों के माध्यम से चीजें हमारे सामने बहुत स्पष्ट होती हैं. जब हम कुछ पढ़ते हैं तो फिर खुद चीजों की कल्पना कर पाते हैं. हमारी शब्दावली भी मजबूत बनती है और हमें चीजों को बेहतर ढंग से लिखने की सम?ा आती है.

किताबों में हर विषय को 1-1 कर के उदाहरणों की मदद से सम?ाया जाता है, जिस से वह बात मन में बैठ जाती है. अगर एक बार कौंसैप्ट क्लीयर हो जाए तो फिर वह बात हम कभी नहीं भूलते. इंटरनैट की मदद से आप को जानकारी तो मिल जाएगी लेकिन उस में इतना बिखराव होता है कि आप खुद उस में उल?ा कर रह जाएंगे जिस से बेहतर परिणाम नहीं मिल पाएंगे.

एक बार किताब खरीदने के बाद वह जिंदगीभर के लिए आप के पास रहती है, जिस कारण आप उसे कहीं भी ले जा सकते हैं.

7. बच्चों को गिफ्ट करें किताबें

हम घर में छोटे बच्चों के बर्थडे वगैरह पर महंगे गिफ्ट्स ही देते आए हैं. इन गिफ्ट्स में अकसर महंगे कपड़े, वीडियो गेम्स आदि शामिल होते हैं. लेकिन अगर हम उन्हें उन की पसंद की किताबें गिफ्ट करें तो इस से उन्हें जानकारी भी मिल पाएगी और वे इसे बड़े चाव से पढ़ेंगे भी.

Summer Special : बच्चों को खिलाएं टेस्टी पास्ता

बच्चे खाने में बहुत नखरे करते हैं जबकि मां चाहती है कि उसका बच्चा पौष्टिक खाना खाए और तेजी से बढ़े. ऐसे में पास्ता आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन बन सकता है. पास्ता बनाने में जितना आसान होता है उतना ही ज्यादा बच्चे इसे खाना पसंद भी करते हैं क्योंकि यह बहुत स्वादिष्ठ बनता है. आप सब्जी वगैरह डाल कर इसे पौष्टिक भी बना सकते हैं. इसमें अगर आप सनराइज़ का पास्ता मसाला डाल दें तो इसका स्वाद काफी बढ़ जाएगा और बच्चे उंगलियां चाटते रह जाएंगे. फिर छोटे बच्चों से लेकर घर के बड़े सदस्य भी इसे बहुत शौक से खाएंगे और बनाने वाली की तारीफ जरूर करेंगे.

आप जब भी पास्ता बनाएं तो इसमें थोड़ी सब्जियां जरूर डालें ताकि यह पौष्टिक बन सके. पास्ता नरम और अच्छा बने इसके लिए डबल बॉयलर विधि का प्रयोग करें. एक बड़े बरतन या बरतन को पानी से आधा भरें और उबाल आने दें. दूसरा बरतन या पैन पहले के ऊपर रखें और पास्ता डालें. ऊपर के बरतन या पैन को ढक दें ताकि पास्ता नरम बना रहे.

वैज पास्ता

सामग्री

  • 1 पैकेट पास्ता
  • 1 बड़ा चम्मच बटर
  • 1 बाउल सीजनल सब्जियां
  • सनराइज़ पास्ता मसाला.

विधि

पास्ता पैक पर निर्देशित विधि अनुसार पानी उबालें. अब इसमें पास्ता डालकर अच्छी तरह उबालें और अलग निकाल कर रख लें. एक पैन में बटर गरम करें. कटी हुई सब्जियां बटर में मुलायम होने तक सौते करें. पास्ता व सनराइज़ पास्ता मसाला मिला कर अच्छी तरह मिक्स करें और गरमगरम परोसें.

खत्म हुआ इंतज़ार ,अनुज ने अनुपमा को बताया माया का सच

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ शुरुआत से ही टीआरपी की लिस्ट में नंबर वन रहा है. शो में आए दिन नए-नए ट्विस्ट  देखने को मिलते है. आने वाले नए एपिसोड़ में खुलासे होने जा रहे है. इस शनिवार को ‘अनुपामा’ में अनुज कपाड़िया उस सच का खुलासा करेगा, जिसे दर्शक काफी समय से इंतज़ार कर रहे थे.

दरअसल, अनुज कपाड़िया गुरूकुल में अनुपमा से मिलेगा और वहां पर उसे बताएगा कि उस दिन क्या हुआ था जब वह उसके पास आने वाला था. अनुज कपाड़िया उस सच से पर्दाफाश करेगा. इसके साथ ही अनुपमा अनुज का सच सुनकर क्या फैसला लेगी. यह तो पता चल जाएगा.

क्या हुआ था उस दिन अनुज ने बताया सच

अनुज कहेगा कि वह कान्हा जी और अपनी अनु के सामने कभी झूठ नहीं बोल सकता. वह अनूपमा को बताएगा कि- उस दिन जब वह उससे मिलने के लिए आ रहा था, तब वह बहुत खुश था. मैं घर से निकलने ही वाला था कि माया अजीब सी हरकतें करने लगी और उसे रोकने लगी. तब उसने माया को धक्का दिया और दरवाजा तोड़कर वहां से निकल गया, लेकिन फिर रास्ते में उसे एक फोन आया और सब कुछ बदल गया.

इतनी ही नहीं, अनुज आगे बताएगा कि वह फोन छोटी अनु का था. वह जोर-जोर से रो रही थी. यह सुनकर उसने गाड़ी वापस घुमाई और माया के घर पहुंचा. उसने वहां पर देखा कि माया और छोटी खून में लथपथ है. वह उन्हें हॉस्पिटल लेकर गया, तो डॉक्टर ने बताया कि माया के सिर में चोट आई है और उसकी MRI रिपोर्ट भी ठीक नहीं आई. माया अपना मानसिक संतुलन खो रही है और ऐसे में उसके साथ रहना जरूरी है. एक मिनट के लिए उसे अकेला छोड़ना खतरे से खाली नहीं होगा. इस बीच माया को अस्पताल में होश आ गया और वह चीखना चिल्लाना और चीजें फेंकना शुरू कर देती है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by anupamaa💕 (@anu_pamaa2k23)

अब अनुपमा लेगी कौन-सा बड़ा फैसला

अनुज के सच खुलासे के बाद अनुपमा को पता चलेगा कि अनुज उसे सब कुछ बताना चाहता था, लेकिन माया की ऐसी हालत उसकी वजह से हुई है. ऐसे में वह उसे अकेला नहीं छोड़ सकता. अनुज का कहना है कि वह जैसी भी है लेकिन छोटी की बायोलॉजिकल मदर है. वह आगे कहता है कि अगर मैं उसे अस्पताल में छोड़ कर आता, तो छोटी को कहां छोड़ कर आता. यह चिंता उसे खाए जा रही थी. इसके बाद अनुज अपनी अनु के पैर पकड़कर उससे माफी भी मांगता है. अब शो में ये देखना होगा कि अनुज के सच खुलासे के बाद अनुपमा क्या फैसला लेगी.

12वीं के बाद एग्रीकल्चर में कैसे बनाएं करियर

करियर को लेकर लगभग हर युवा असमंजस में रहता है. 12वीं का रिजल्ट आते ही छात्रों को करियर चुनने में कन्फ्यूजन रहता है कि, क्या करना सही होगी क्या नहीं. पहले के समय में ज्यादातर छात्र डॉक्टरी, इंजीनियरिंग करने की सोचते थे. इसके अलावा एमबीए करने की सोच सकते थे, लेकिन बदलते समय के साथ-साथ करियर को लेकर भी हजारों मौके खुल चुके हैं. कमी है तो सिर्फ सही और सटीक जानकारी की. यहां हम आपको कृषि से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं. इस क्षेत्र में करियर को लेकर कई मौके हैं. अगर आप भी कृषि में भविष्य की संभावना तलाश रहे हैं तो 12वीं के बाद बीएससी एग्रीकल्चर या बीएससी एग्रीकल्चर औनर्स की डिग्री लेना सही फैसला होगा.
आप एग्रीकल्चर, वेटनेरी साइंस, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, फॉरेस्ट्री, हॉर्टिकल्चर, फूड साइंस और होम साइंस में से किसी भी एक विषय में डिग्री ले सकते हैं. साथ ही पढ़ाई पूरी करके करने के बाद आप चाहें तो खेती कर सकते हैं या जॉब कर सकते हैं. भारत कृषि प्रधान देश है इसलिए इस क्षेत्र में नौकरी के ढेरों मौके हैं.

कृषि क्षेत्र में नौकरी के ये हैं रास्ते

भारत में आज भी 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर हैं. इस क्षेत्र में पढ़ें-लिखे लोगों की जरूरत है. आज का युवा इस क्षेत्र में लाखों के पैकेज पर जॉब कर रहा है. इस फील्ड में आप मार्केटिंग, एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग, एग्रीकल्चर इकोनोमिक्स, एग्रो मेट्रोलॉजी, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एंड कम्यूनिकेशन रिसर्च या मैनेजमेंट के क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. इसके अलावा आप नेशनेलाइज्ड बैंकों में कृषि विस्तार अधिकारी, ग्रामीण विकास अधिकारी, फील्ड अफसर भी बन सकते हैं. साथ ही साथ राज्यों के विभिन्न कृषि विभागों में भी आप अपने करियर की संभावना देख सकते हैं.

ये भी पढ़ें- आरामदायक बेड पर सोने का अलग ही मजा है ! 

इन संस्थानों में ले सकते हैं एडमिशन

गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय (पंतनगर यूनिवर्सिटी) और जवाहरलाल नेहरू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में एडमिशन पीएटी (प्री एग्रीकल्चरल टेस्ट) की रैंक के आधार पर मिलेंगे.
वहीं कृषि क्षेत्र में प्रशिक्षण लेने के लिए आप हैदराबाद, पुणे, ग्वालियर, इंदौर और पालमपुर स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर जा सकते हैं. साथ ही कोलकाता और भुवनेश्वर के यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर से आप डिग्री लेकर अपने भविष्य को सुनहरा मौका दे सकते हैं. वहीं राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (उदयपुर) में इस क्षेत्र में ट्रेनिंग के साथ डिग्री भी हासिल कर सकते हैं. यूपी के इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट व अलीगढ़ विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ एग्रीकल्चर में एडमिशन लेकर कृषि क्षेत्र की बारिकियों को समझ सकते हैं.

एडमिशन लेने की ये है प्रक्रिया

ICAR (Indian Council of Agricultural Research) हर साल कृषि और इससे मिलते जुलते विषयों में एडमिशन की घोषणा करता है. जहां AIEEA (अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा) के द्वारा एडमिशन दिया जाता है. इन विषयों में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स ICAR की आधिकारिक वेबसाइट aieea.net पर जाकर पूरी जानकारी ले सकते हैं.

12वीं पास छात्र UG कोर्सेज में एडमिशन ले सकते हैं. जबकि PG कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट की डिग्री होनी चाहिए. वहीं जो छात्र PHD कोर्सेज में एडमिशन लेना चाहते हैं वो पोस्ट ग्रेजुएट होने चाहिए. एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए ICAR की वेबसाइट मॉक टेस्ट भी करवाया जाता है. ताकि स्टूडेंट पेपर पैटर्न से भी परिचित हो सकें.

उदाहरण- इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ गांव पहुंचा युवक, किसानी कर कमा रहा लाखों

विनोद कुमार ने अनोखा मिसाल पेश किया है. विनोद गुड़गांव के फरूखनगर तहसील के गांव जमालपुर के रहने वाले हैं. जिन्होंने इंजीनियर की नौकरी छोड़ मोती की खेती करनी शुरू कर दी. इसके लिए उन्होंने पहले इंटरनेट का सहारा लिया और खेती के तरीके और फायदे कमाने के तरीके सीखे. इसके बाद विनोद ने सीफा (सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर) में जाकर एक सप्ताह की ट्रेनिंग ली. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विनोद ने 2013 में मानेसर पॉलिटेक्निक से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था. जिनका मन जॉब में नहीं लगा और आज वे कषि से लाखों कमा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- कोरोना में पेरैंट्स का रोना

खेती करने के लिए इस इंजीनियर ने छोड़ दी लाखों की नौकरी, अब करोड़ों में कर रहा कमाई
कमल ने एमटेक किया है और नई तकनीकि के माध्यम से खेती कर रहा है. खेती करने के लिए कमल ने ढाई लाख रूपए पैकेज की नौकरी छोड़ दी. राजस्थान के झालावाड़ जिले के छोटे से गांव गुराड़ियाजोगा का रहने वाला यह शख्स दूसरों के लिए मिसाल बन गया. नौकरी छोड़कर कमल गांव आ गया और आधुनिक तरीके से खेती शुरू कर दी. कमल ने एक लाख कर्ज लेकर सात बीघा खेत पर नर्सरी शुरू की. साथ ही नई तकनीकि का प्रयोग करते हुए सीडलिंग ट्रे और कोकोपिट में 50 हजार पौधे मिर्च, टमाटर, गोभी, करेला, खीरा, बैंगन के तैयार किए. इस काम को शुरू करने के लिए कमल ने कर्ज लिया था और अब 20 लोगों को राजगार दे रहा है. इसके लिए उसने कृषि विज्ञान केंद्र से तकनीकी की ट्रेनिंग ली. सबसे पहले उसने पूर्व साइंटिस्ट मधुसूदन आचार्य और रामराज मीणा से तकनीकि जानकारी ली फिर काम शुरू किया और अब वह करोड़ों में कमा रहा है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें