औनलाइन स्टडी के दौरान बच्चों की आंखों का रखें ख्याल

इन दिनों पॉवर वाले चश्मे पहने बच्चों की बढ़ती संख्या को  देखकर बहुत चिंता होती है. टेक्नोलॉजी हमारी मदद करने और हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए होती है, लेकिन बहुत से आविष्कारों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है और उन्हें आलसी बना दिया है. कोविड-19 महामारी के दौरान ऑनलाइन क्लास के लिए गैजेट्स के सामने ज्यादातर बच्चे अपना समय बिता रहे हैं. इसकी वजह से बच्चे बाहर खेलने बहुत कम जा पा रहे हैं. लेकिन यह चीज उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक है खासकरके उनकी आंख के लिए यह बहुत खतरनाक है. इसलिए यह जरूरी है कि हम उनके स्क्रीन के सामने बैठने के समय को कम करें और उन्हें ऐसी डाइट दें, जो स्वाभाविक रूप से उनकी आंखों की रोशनी में सुधार करें. उन्हें बैलेंस्ड डाइट देने के अलावा मीडियम एक्सरसाइज और नियमित आंखों की जाँच खराब दृष्टि से निपटने के लिए सरल उपाय होती हैं.

अगर आपका बच्चा खाने के लिए बहुत उधम मचाता है और उसे भोजन के माध्यम से उचित पोषण नहीं मिल रहा हो, तो आपको विटामिन सप्लीमेंट वाली डाइट देनी चाहिए. मल्टी-विटामिन सिरप और अन्य खाद्य सप्लीमेंट जैसे रस और शेक बच्चों के शरीर की पोषण संबंधी जरूरतें और दृष्टि संबंधी समस्यायों को कम करेंगे.

यहां उन चीजों को बताया गया है, जिन्हें आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए:

हरे पत्ते वाली सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियों में कैरोटिनॉयड प्रचुर मात्रा में होती हैए जो विटामिन ए से भरपूर होते हैं अन्य विटामिन और मिनिरल जैसे कैल्शियम, विटामिन सी और विटामिन बी 12 भी इसमें पाए जाते हैं. इसलिए ब्रोकोली, केल, और कोलार्ड ग्रीन्स अपने बच्चे को खाने के लिए दें. पालक आंख की रोशनी के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें  एंटीऑक्सिडेंट जैसे ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन ज्यादा मात्रा में पाए जाते हैं. हालांकि इन पत्तेदार सब्जियों को ज्यादा नहीं पकाया जाना चाहिए. इसे कच्चा खाने पर यह ज्यादा फायदा करती है.

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नट्स और सीड्स

पिस्ता काजू बादाम अखरोट और मूंगफली विटामिन ई से भरपूर होते हैं और प्राकृतिक रूप से  बच्चों में मायोपिया की संभावना को कम कर सकते हैं. इन नट्स में कुछ मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होते हैं. साथ में, ये फैटी एसिड और विटामिन ई इन दिनों ड्राई आईज को रोकते हैं, जो इन दिनों बच्चों में होने वाली आम समस्या है. फ्लैक्स सीड और चिया के बीज भी आंखों से जुड़ी समस्याओं को खत्म कर सकते हैं.

मछली का तेल

मछली का तेल सामन, मैकेरल, और टूना जैसी मछली की किस्मों से प्राप्त किया जा सकता है. हमारे रेटिना में डीएचए होता है जो एक फैटी एसिड होता है यह मछली के तेल में पाया जाता है. रेटिना में डीएचए की कमी से सूखापन हो सकता है और इससे आंखों में समस्या हो सकती है. अपने बच्चे को मछली का तेल देने से आंखों में सूखेपन को रोका जा सकता है और आंखों की समस्याओं की संभावनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है.

फलियां

ज़िंक (जस्ता) फलियों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है इससे रेटिना को नुकसान होने से बचाया जा सकता है. बच्चों को स्वस्थ आंखों की दृष्टि के लिए काली आंखों वाले मटर, दाल और किडनी बीन्स जैसे फलियां जरूर खाना चाहिए. हम जानते हैं कि बच्चे फलियां खाना पसंद नहीं करते हैं, लेकिन अपने बच्चे की शिकायतें न सुनें. फलियां आंखों की सेहत के लिए अच्छी होती हैं और आपको जरूर सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका बच्चा उन्हें खाएं.

अंडे

अंडे विटामिन ए और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. अंडे में ल्यूटिन और एंटीऑक्सिडेंट भी भरपूर मात्रा में होता है. जो अंधापन को रोकता है और मैकुलर डीजेनेरेशन (धब्बेदार अध: पतन) से लड़ता है. अंडे भी नेत्र संरचनात्मक संरचना (ऑक्युलर स्ट्रकचरल इंटीग्रिटी) को बनाए रखते हैं और सुनिश्चित करते हैं आँखें अपना काम उचित रूप से करें. इसलिए, अपने बच्चे को अंडे खाने दें और उनमे आंखों की समस्या दूर रखें.

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फल

आंखों के स्वास्थ्य लिए विटामिन सी बहुत जरूरी होता है. विटामिन सी को संतरे, अमरूद, नींबू, टमाटर आदि जैसे खट्टे फलों से प्राप्त किया जा सकता है. अपने बच्चे को स्ट्रॉबेरी देकर आंखों के संक्रमण और बीमारियों से बचा सकते हैं. नारंगी या आम, पपीता और खुबानी जैसे पीले फल विटामिन ए से भरपूर होते हैं, जो रतौंधी रोकने के लिए महत्वपूर्ण होते है. खुबानी एक सुपर-फल है जो कैरोटिनॉइड, बीटा-कैरोटीन और लाइकोपीन से भरपूर होता है इसे बच्चो को नियमित रूप से देना  चाहिए. ब्लूबेरी और अंगूर एंथोसायनिन से भरे होते हैं जो रात में देखने की क्षमता में सुधार करते हैंए और इस तरह, आंखों को आसानी से अंधेरे में देखने के अनुकूल बनाते है. ब्लूबेरी में रोशनी बढ़ाने वाले फ्लेवोनोइड्स भी होते हैं जैसे रेस्वेराट्रोल, क्वेरसेटिन और रुटिन आदि. इसलिए, अपने बच्चे को रोजाना फल खाने के लिए दें.

मदरहुड हॉस्पिटल, नोएडा, बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ रमानी रंजन से बातचीत पर आधारित

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