कोरोना संक्रमण ने हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों में एक बड़े बदलाव की शुरुआत की है. मसलन शिक्षा, बिजनेस, यात्रा, फाइनेंस, खेल आदि. इन सभी क्षेत्र को अपना ट्रैक बदलने के लिए मजबूर किया गया है, जिसका प्रभाव हर उम्र के व्यक्ति के ऊपर पड़ा है. इसमें शारीरिक के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव अधिक देखा गया है. इस बारें में ‘द लिव लव लाफ फाउंडेशन’ की चेयरपर्सन मिस ऐना चैंडी कहती है कि इस महामारी में कई लोगों ने अपना रोज़गार खो दिया है और बड़ी संख्या में परिवारों को भविष्य से संबंधित असुरक्षा के अलावा दुख का सामना करना पड़ा रहा है. पूरे भारत में लाखों छात्र, नौकरीपेशा और बिज़नेसमैन प्रभावित है. इन परिस्थितियों में तनाव, चिंता, डिप्रेशन और दूसरी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गई है, जिससे निपटना जरुरी है.
क्या है मानसिक समस्या की वजह
साल 2017 में, लांसेट ने अनुमान लगाया था कि लगभग 200 मिलियन भारतीय मानसिक डिसऑर्डर से प्रभावित थे. कोविड -19 की वजह से इसमें कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है. डिप्रेशन की वजह से गरीब से लेकर अमीर कितनों ने तो आत्महत्या तक कर डाली है. इस समय एक महामारी नहीं, बल्कि दो महामारी का देश सामना कर रहा है. समय रहते इलाज करवाने पर व्यक्ति स्वस्थ हो सकता है. कुछ कारण निम्न है,
- डर और अस्थिरता आज हर एक व्यक्ति अनुभव कर रहा है. वायरस को रोकने में सभी देश असमर्थ है. जिसकी वजह से जीवन हानि, वित्तीय हानि, गरीबी, अस्थिरता का अनुभव सभी कर रहे है. कोविड –19 ने हमारी सामूहिक भावना की चिंता को बढ़ाया है. जहां एक ओर इसे स्वंय के स्तर पर रोकने का डर है, वहीं दूसरी तरफ परिवार या प्रियजनों को बीमारी न हो जाए, इसकी चिन्ता भी सबको है.
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- कोरोना संक्रमण की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन किसी न किसी रूप में जारी है. खुद को जीवित और खुश रखने के लिए कुछ चीजों का होना अनिवार्य है, जैसे- ह्यूमन कनेक्शन, भोजन, पानी और छत. पब्लिक कनेक्शन की कमी, मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा असर करती है. समाज में रहने वाले लोग एक प्राणी के रूप में है और एक दूसरों से बातचीत करना, मिलना स्वभाविक है. ये सब हमारे अस्तित्व के लिए भी महत्वपूर्ण है. लॉकडाउन की वजह से कुछ अच्छा अवश्य हुआ है, जैसे गलत खानपान, अस्वस्थ जीवनशैली, गलत आदतें आदि कई चीजों पर अंकुश लगा है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से घरेलू हिंसा को लेकर बड़े पैमाने पर केस दर्ज किए जा रहे है. सीएसए (चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज) की दुनिया भर में बढ़ोतरी हुई है.
- महामारी का तीसरा असर इकनॉमिक इम्प्लीकेशन रहा है. सीएमआईई (भारतीय अर्थव्यवस्था की निगरानी के लिए केंद्र) के अनुसार, शहरी और ग्रामीण भारत में बेरोजगारी 25% है. यह महीनों पहले था और अब स्थिति बहुत अधिक खराब हो चुकी है. लोग नौकरी के लिए तरस रहे है.
इसके आगे ऐना बताती है कि अब मज़बूती से वर्तमान में चल रही स्थिति का सामना करना जरुरी है. कोई भी संकट या घटना मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ने और उसे बढ़ाने के लिए माना जाता है. वर्तमान स्थिति में संकट से निपटने के लिए बची हुई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है.
साथ ही सामान्य जीवन को फिर से शुरू करना और फिर से जोड़ना एक परीक्षा के जैसे है. कुछ लोग पीटीएसडी या पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षणों का अनुभव करेंगे. इसका सामना करने के लिए कुछ बदलाव जीवनशैली में करना और मानसिक स्वास्थ्य को प्रमुखता देना ज़रुरी है.
मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना कितना जरुरी
मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य. अच्छे मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. तनाव या डिप्रेशन इम्यूनिटी को कमजोर कर सकता है, जिससे शरीर संक्रमण की चपेट में आ सकता है. जब समस्याएँ होती हैं, तो मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स से वैसे ही मदद के लिए संपर्क करना ज़रूरी है, जैसा कि आप किसी बीमारी या चोट के इलाज के लिए डॉक्टर के पास जाते है. इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, कुछ सुझाव निम्नलिखित है,
रहें शारीरिक रूप से फिट
सोशल डिस्टेंसिंग ज़रुरी है, लेकिन फिर भी जब भी मौका मिले ताजी हवा और सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आना बहुत ज़रुरी है. नियमित शारीरिक व्यायाम जैसे एरोबिक्स या योगा घर के अंदर किया जा सकता है. तनाव को रोकने और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए व्यायाम महत्वपूर्ण है. इस समय सबसे बड़ा तनाव का कारण कोरोना संक्रमण का डर है. इसलिए लोगों को सोशल डिस्टेंसगि, स्वच्छता, हाथों की स्वच्छता और मास्क पहनना आदि को नियमित पालन करना चाहिए ।
खुद की देखभाल
लोग अक्सर खुद की देखभाल के महत्व को अनदेखा करते है, जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. जब महिलाए किसी प्रकार से खुद की देखभाल करने लगती हैं, तो यह माना जाता है कि वे खुद स्वार्थी हो रही है. हर इंसान जब तक पूरी तरह खुद की देखभाल पर ध्यान नहीं देगा, तब तक वह स्वस्थ नहीं रहेगा.
लें सही पोषण
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास कर सकता है. पौष्टिक भोजन का सेवन करने से, इम्यूनिटी को बढ़ावा देने, शरीर को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखना संभव होता है.
करें नींद पूरा
नींद की कमी या नींद का पूरा न होना तनाव और थकान का एक प्रमुख कारण होता है. व्यक्ति को हमेशा यह देखना चाहिए कि उसे पूरी और गुणवत्ता वाली नींद मिलें. यह भी इम्यूनिटी को बढ़ाने का एक बड़ा कारण है. यह शरीर को फिर से जीवंत और सक्रिय करने में मदद करता है.
मैडिटेशन पर दें ध्यान
वर्तमान महामारी जैसी तनावपूर्ण समय में, कोई भी डिस्टर्ब हो सकता है. इसलिए, मन को शांत करने के लिए योग और मैडिटेशन जैसी गतिविधियों का अभ्यास नियमित रूप से फायदेमंद हो सकता है. शांत समय में एक “विराम” लेने और मनोवैज्ञानिक ऊर्जा को फिर से एक्टिव करने की जरुरत होती है.
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बचें नशे से
धूम्रपान, ड्रग्स और शराब के सेवन से बचना चाहिए. इनका ज्यादा सेवन लंबे समय तक आपकी मानसिक और शारीरिक क्षमता को कमजोर कर सकता है. इसके अलावा इस समय लोग अधिकतर सोशल मीडिया पर एक्टिव है, क्योंकि सोशल मीडिया हमारे जीवन का अब एक हिस्सा बन चुका है. सोशल मीडिया या किसी भी तकनीक का अत्यधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. किसी भी उपकरण को, जिसे हम मनोरंजन के लिए प्रयोग करते है, उसे सीमित समय में बांधने की आवश्यकता होती है,ताकि गैर-जिम्मेदार व्यवहारों को अपनाने से बचें. सोशल मीडिया से जिम्मेदारी से जुड़ने की जरूरत है.
प्रोफेशनल की लें मदद
अगर किसी व्यक्ति की मनोदशा में अचानक परिवर्तन, उदासी, चिड़चिड़ापन, दूसरे किसी मानसिक विकार आदि के लक्षण दिखते है, तो मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से परामर्श करने में संकोच न करें.
मानसिक स्वास्थ्य की समस्या अब कोई स्टिग्मा या कलंक नहीं. इसका खुलकर सामना करें और इससे मुक्त होकर अच्छी जीवन यापन करें. मानसिक स्वास्थ्य को भी शारीरिक स्वास्थ्य के बराबर ही प्राथमिकता दें. इससे केवल परिवार ही नहीं, बल्कि एक स्वस्थ समाज की स्थापना हो सकेगी.