#lockdown: …ताकि वर्क फ्रौम होम मजबूरी नहीं, बने आपकी मजबूती

जीवन जीने के तौर तरीकों में क्रांतियां कई तरीकों से होती हैं. कभी देखादेखी, कभी सुनियोजित अनुकरण से और कभी परिस्थितियों के कारण. 1987-88 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश में कंप्यूटर को कामकाज का हिस्सा बनाने के लिए बहुत लड़ाई लड़ी थी. ट्रेड यूनियनों से लेकर आम कामगारों द्वारा उन्हें और उनकी सरकार को उन दिनों दफ्तरों में कंप्यूटर की घुसपैठ कराने वाले खलनायक के रूप में चिन्हित किया जाता था. लेकिन 20 साल बाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उस कंप्यूटर क्रांति ने देश की अर्थव्यवस्था का नक्शा बदल दिया. भारतीय युवाओं की यह कंप्यूटरी क्षमता ही थी, जिसके कारण 21वीं सदी में भारत दुनिया की मानव संसाधन सम्पदा का हब बनकर उभरा. आज हर साल देश में 73 अरब डालर से भी ज्यादा जो विदेशी मुद्रा भारतीय कामगारों द्वारा लायी जा रही है, उसमें सबसे बड़ा योगदान कंप्यूटर में पारंगत भारतीयों का ही है.

करीब 30 साल बाद आज फिर भारत एक नयी तरह की कामकाजी क्रांति की दहलीज पर खड़ा है. कामकाज की यह नयी शैली है, ‘वर्क फ्राम होम’. भले अचानक बड़े पैमाने पर देश में इसका आगमन कोरोना त्रासदी के चलते हुआ हो, लेकिन अगर यह कोरोना संकट न भी आया होता तो भी अगले कुछ सालों में इसे अपनी जगह बनानी ही थी. यह अलग बात है कि तब यह धीरे-धीरे अपनी जगह बनाता, लेकिन आज एक झटके में हिंदुस्तान के करीब 10 से 12 करोड़ विभिन्न क्षेत्रों के कामगार इस समय वर्क फ्राम होम कर रहे हैं. इनमें चाहे वे बड़े प्रोफेशनल, सीईओ हों या फिर साधारण क्लर्क या सामान्य डाटा विजुलाइजर. कोरोना वायरस के विश्वव्यापी संक्रमण ने अचानक जिस शब्द को सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनाया है, वह यही शब्द है- वर्क फ्राम होम. भले अभी ज्यादातर भारतीय इसके आदी न हुए हो, लेकिन एक साधारण अनुमान है कि हर दिन करीब 2000 करोड़ रुपये का काम इन दिनों घर में बैठे लोगों द्वारा किया जा रहा है. लेकिन यह वास्तव में ई-कामर्स की बहुत बड़ी दुनिया एक बहुत मामूली सा हिस्सा है.

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आज हर साल दुनिया में 4.88 ट्रिलियन डालर का कारोबार ई-कामर्स के जरिये होता है. एक ट्रिलियन 1 लाख करोड़ का होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में ई-कामर्स की कितनी बड़ी भूमिका है. ई-कामर्स के लिए बड़े बड़े गगनचुंबी दफ्तरों की जरूरत नहीं पड़ती, इसे आप दुनिया के किसी कोने में बैठे हुए, चाहे तो वह आपका घर हो, चाहे समुद्र का किनारा, चाहे पार्क या हरे भरे खेतों के बीच मेड़. आप ई-कामर्स कहीं से भी कर सकते हैं. दूसरे शब्दों में ई-कामर्स में वर्क फ्राम होम की सबसे सहज स्थितियां पैदा की हैं. जहां तक भारत में सालाना ई-कामर्स के टर्नआउट की बात है तो साल 2015 में वह 24 बिलियन डालर था, जो अब करीब 54 बिलियन डालर के आसपास है.

कहने का मतलब यह कि दुनिया का बड़े पैमाने पर कारोबार ई-कामर्स में बदल गया है, इस स्थिति में वर्क फ्राम होम एक अनिवार्य कामकाजी शैली के रूप में उभरी है. भले इसने हमारे यहां अभी एक त्रासदी के चलते जगह बनायी हो, लेकिन अगर दुनिया में कोरोना जैसी त्रासदी न आती और भारत उससे इस तरह प्रभावित न होता तो भी कुछ सालों में यही स्थिति होनी थी. कहने का मतलब यह कि भले वर्क फ्राम होम इन दिनों कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते भारतीय कामकाजी जीवन का अभिन्न हिस्सा बना हो, लेकिन अब यह लौटकर वापस नहीं जाने वाला. हां, जब कोरोना का संकट पूरी तरह से खत्म होगा तो एक बार इसके मौजूदा दायरे में तात्कालिक रूप से तो थोड़ी कमी आयेगी, लेकिन जल्द ही यह कमी दुगने वेग से अपना आकार बढ़ा लेगी. वर्क फ्राम होम किसी भी वजह से हमारी कामकाजी जिंदगी का हिस्सा बना हो, लेकिन अब यह स्थायी हिस्सा बन चुका है.

चूंकि फिलहाल एक त्रासदी के चलते वर्क फ्राम होम हम सब भारतीयों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है, लेकिन जैसे ही यह त्रासदी कम होगी, तो आज के तौरतरीकों वाला वर्क फ्राम होम नहीं रहेगा बल्कि जल्द ही वह अपने बेहतर नतीजे और परफोर्मेंस की तरफ बढ़ेगा. क्योंकि कोरोना त्रासदी के बाद लोग मजबूरी में वर्क फ्राम होम नहीं करेंगे बल्कि अपने कामकाजी क्षमताओं को मजबूती देने के लिए लोग वर्क फ्राम होम का चुनाव करेंगे. यकीन मानिये कोरोना संकट खत्म होने के बाद भी वर्क फ्राम होम की कल्चर नहीं जाने वाली. अब यह हिंदुस्तान में एक स्थायी वर्किंग कल्चर के रूप में रहने वाली है. सवाल है आने वाले दिनों में जब वर्क फ्राम होम की यह संस्कृति स्थायी कामकाजी संस्कृति बनने जा रही है तो क्यों न हम इस संकट के समय जबकि वर्क फ्राम होम हमारी मजबूरी है, इसे इस तरह से जाने और सीखें कि भविष्य में वर्क फ्राम होम हमारी मजबूरी नहीं मजबूती बन जाए.

वैसे तो जब तक हमारे यहां वर्क फ्राम होम की सुविधा नहीं थी, तब तक यह सुविधा बहुत रोमांचक लगती थी. हम सब जो इसकी जटिलता से परिचित नहीं थे, यही लगता था कि अगर हमें रोज रोज दफ्तर जाने की बाध्यता न हो तो हमारे पास न सिर्फ अपने काम के लिए समय ज्यादा होगा बल्कि कई और औपचारिकताओं से मुक्त होने के चलते हमारे पास कहीं ज्यादा क्वालिटी परफोर्मेंस का अवसर होगा. लेकिन अब चूंकि बड़े पैमाने पर अचानक वर्क फ्राम होम की सुविधा हमें मिल गई है तो हम यह महसूस करने लगे है कि अब तक हम वर्क फ्राम होम की जिन बातों को लेकर खुश होते थे, वे उतनी ही खुशदायक बातें नहीं हैं.

बहरहाल कहने का मतलब यह है कि घर से कामकाज करने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप पर परफोर्मेंस का कोई तनाव व दबाव नहीं होगा और न यह कि आप किसी भी तरह से काम कर सकते हैं (मसलन वर्क फ्राम होम का कई लोग मतलब यह निकालते हैं कि चाहे तो हम कच्छा बनियान में और अपने बेडरूम में लेटे हुए काम कर सकते हैं, जो कि सही नहीं है). इस सबके बावजूद अगर हम कुछ सजगताओं को बरतें तो वर्क फ्राम होम सचमुच हमारे लिए आनंदायक भी हो सकता है, ज्यादा संतुष्टदायक भी हो सकता है और सामान्य परर्फोर्मेंस से ज्यादा हम परफोर्मेंस भी दे सकते हैं. बशर्ते इसके लिए हम

कुछ ये तरीके अपनाएं-

– हम नियमित और अनुशासित ढंग से अपने कामकाज की वैसे ही शुरुआत करें जैसे पारंपरिक दफ्तर में करते हैं.

– इसके लिए हमें सामान्य रूप से दफ्तर जाने के अनुसार ही सुबह जल्दी उठना चाहिए, उसी तरह तैयार होना चाहिए जिस तरह हम दफ्तर के लिए तैयार होते हैं और हमने घर में जिस जगह अपने काम के लिए टेबल चेयर लगायी है, वहां उसी तरीके से बैठकर काम करना चाहिए.

– वर्क फ्राम होम का मतलब यह नहीं है कि सुबह देर तक सोएं फिर घंटों तक चाय पीते हुए अखबार पढ़ें और बाद में देर हो जाने के नाम पर बिना नहाये धोये, बिना नियमित दफ्तरी कपड़े पहने, अपने कुर्सी में आ धंसे और काम शुरु कर दें.

– न सिर्फ हमें अपनी नियमित दिनचर्या की शुरुआत दफ्तर में करने वाले काम की तरह से करनी चाहिए बल्कि हमें दफ्तर की ही तरह हर दिन एक तय जगह में जो कि साफ सुथरी हो, भरपूर प्रकाश वहां आता हो और शोर शराबा या दूसरों द्वारा डिस्टर्ब न किया जा सकता हो. ऐसी जगह से काम करना चाहिए.

– हमें हर दिन सुबह अपने आपको बास की तरह टारगेट देना चाहिए और कर्मचारी की तरह उस टारगेट को पूरा करने के लिए जी जान लगा देना चाहिए.

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– हर दिन उतनी ही देर तक काम करना चाहिए,जितनी देर तक दफ्तर में काम करते हैं, न उससे बहुत कम और न उससे बहुत ज्यादा.

– इसके साथ ही अगर हम अपने वर्क फ्राम होम के परफोर्मेंस को बढ़ाना चाहते हैं तो हमें उन तमाम जरूरी उपकरणों की भी व्यवस्था करनी चाहिए, जिन्हें वर्क फ्राम होम का इंफ्रास्ट्रक्चर कहते हैं. मसलन तेज रफ्तार वाईफाई, उच्च क्षमता का वेब कैम, हाटस्पोट, एक्सर्टनल की-बोर्ड, सेंसर वाला माउस तथा हैड फोन ताकि हम अपने लैपटाप या डेस्कटाप में बिना बाधित हुए काम कर सकें.

अगर इन तमाम जरूरतों को हम पूरा करते हैं तो कोई शक नहीं है कि हम वर्क फ्राम होम में दफ्तर जाने से ज्यादा और क्वालिटी का काम कर पाएंगे.

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