फेसपैक लगाते समय ध्यान रखें ये 5 बातें

चेहरे को साफ और चमकदार बनाएं रखने के लिए हम अक्‍सर ही फेसपैक लगाते हैं. फेसपैक चेहरे की त्‍वचा को स्‍वस्‍थ बनाएं रखने में मदद करता है. लेकिन फेसपैक लगाते समय कई बातों को ध्‍यान में रखना बेहद आवश्‍यक होता है ताकि त्‍वचा को इससे कोई नुकसान न हो.

फेसपैक लगाते समय हम बहुत छोटी-छोटी ग‍लतियां कर देते हैं. ब्‍यूटी एक्‍सपर्ट रंजना निगम बता रही हैं फेसपैक लगाने के कुछ आसान टिप्स ताकि फेसपैक चेहरे की रौनक बढ़ाए न कि त्‍वचा संबंधी समस्‍याओं का कारण बन जाए.

जानें फेसपैक लगाते समय किन बातों का रखना चाहिए:

1. फेसपैक को बिल्कुल सूख जाने के बाद हटाना, ऐसा करने से बचें. इससे त्‍वचा रूखी हो जाती है और उसमें झुर्रियां जल्‍दी आती हैं. फेसपैक जैसे ही हल्‍का सूखने लगे, उसी वक्त चेहरे को गुनगुने पानी या फिर ताजे पानी से धो लें.

2. फेसपैक हमेशा नहाने के बाद लगाएं. अधिकतर लोग नहाने से पहले ही फेसपैक लगाते हैं लेकिन ऐसा करने से बचें. नहाने से पहले फेसपैक लगाने से चेहरे की नमी कम होने लगती है. जबकि नहाने के बाद त्‍वचा के पोर्स खुल जाते हैं और फेसपैक चेहरे के अंदर तक पहुंचकर इसकी रौनक बढ़ाने का काम करता है.

3. फेसपैक को सीधे ब्रश से लगाने की बजाय इसे मसाज करते हुए लगाएं. ऐसा करने से फेसपैक चेहरे की अंदरूनी सतह तक पहुंचकर काम करता है. 10 मिनट की मसाज देते हुए पैक को 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगा छोड़ दें. इसके बाद पानी से चेहरा साफ कर लें.

4. फेसपैक लगाने के बाद साफ चेहरे पर टोनर या गुलाबजल कॉटन से अच्‍छी तरह लगाएं. इससे त्‍वचा में ग्‍लो आएगा.

5. फेसपैक लगाने के बाद आंखें बंद करके थोड़ी देर रिलैक्‍स होकर बैठें. ऐसा करने से चेहरे की त्‍वचा को आराम पहुंचता है. फेसपैक लगाने के बाद बातचीत करने से बचें क्‍योंकि इस तरह चेहरा सिकुड़ता है. यह सिकुड़न आपके चेहरे की त्‍वचा को ढीला कर देती है.

नाखूनों से जानें सेहत का राज, पढ़ें खबर

हमारे शरीर में किस चीज की कमी है या कौन सी बीमारी दस्तक दे रही है, उस की कंडीशन क्या है आदि हमारे नाखून आसानी से बता देते हैं.

इस बारे में मुंबई की ‘द स्किन इन’ की डर्मेटोलौजिस्ट डा. सोमा सरकार बताती हैं कि नाखूनों की सहायता से मिनरल्स, विटामिंस की कमी के अलावा थायराइड, ऐनीमिया, कार्डियक डिजीज, लंग्स डिसऔर्डर आदि बीमारियों का पता आसानी से लगाया जा सकता है. हैल्दी नाखूनों का रंग हमेशा हलका गुलाबी होता है. हर दिन हैल्दी नाखून 0.003 मिलीमीटर से 0.01 मिलीमीटर तक बढ़ते हैं, लेकिन यह व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है. कम उम्र में नाखून जल्दी बढ़ते हैं, जबकि अधिक उम्र होने पर इन के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो जाती है. ठंड के मौसम में नाखून जल्दी नहीं बढ़ते, जबकि गरमी के मौसम में जल्दी बढ़ते हैं.

क्या कहते हैं नाखून

– अगर नाखूनों का आकार तोते की चोंच की तरह हो रहा है, तो उस व्यक्ति को कार्डियक की बीमारी या लंग्स डिसऔर्डर होने की संभावना होती है.

– नाखून की सतह पर सफेद लकीरें बायोटिन की कमी का संकेत देती हैं. बायोटिन शरीर में उपस्थित बैड कोलैस्ट्रौल को घटा कर शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है. इस के अलावा ऐसे नाखून लिवर संबंधी बीमारी की ओर भी इशारा करते हैं. इस के लिए फ्रैश वैजिटेबल्स और सलाद खाना लाभदायक रहता है.

– कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिंस की कमी से नाखून ब्रिटल हो जाते हैं. इस में नाखूनों के ऊपर से पपड़ी निकलने लगती है. असल में ऐसे नाखूनों में ब्लड सर्कुलेशन कम होता है. ऐसे नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर थायराइड या आयरन की कमी के शिकार होते हैं. अत: समय रहते इलाज कराना जरूरी है. एग, फिश, बादाम आदि का सेवन इस में लाभदायक होता है.

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– जिन के नाखूनों का रंग नीला होता है उन की श्वास की बीमारी, निमोनिया या दिल से संबंधित बीमारियों से पीडि़त होने की संभावना होती है.

– पीले नाखून वाले व्यक्ति अधिकतर पीलिया के शिकार होते हैं. इस के अलावा सिरोसिस और फंगल इन्फैक्शन जैसी बीमारियां भी उन्हें हो सकती हैं. धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के नाखून भी पीले या बदरंग हो जाते हैं.

– आधे सफेद और आधे गुलाबी रंग के नाखून वाले व्यक्ति को किडनी से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे नाखून खून की कमी का भी संकेत देते हैं.

– सफेद रंग के नाखून लिवर से संबंधित बीमारियों जैसे हैपेटाइटिस का संकेत देते हैं.

– कई बार नाखूनों के आसपास की त्वचा सूखने लगती है. इस की अनदेखी न करें. ऐसा विटामिन सी, फौलिक ऐसिड या प्रोटीन की कमी से होता है, इसलिए अपने आहार में प्रोटीनयुक्त पदार्थ, पत्तेदार सब्जियां आदि जरूर शामिल करें.

डा. सोमा कहती हैं कि महिलाएं पानी में अधिक काम करती हैं. इसलिए उन में नाखूनों की बीमारी अधिक देखी जाती है. उन्हें अपने नाखूनों की देखभाल ऐसे करनी चाहिए:

– काम करने के बाद हलके गरम पानी से नाखूनों को साफ करने के बाद नेल क्रीम या किसी भी कोल्ड क्रीम से नाखूनों को मौइश्चराइज करें.

– ऐसीटोन युक्त नेल रिमूवर से नेल पौलिश कभी साफ न करें.

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– नाखूनों को समयसमय पर काट कर नेल फौइलर द्वारा साफ करें.

– नेल पौलिश लगाने से पहले नेल हार्डर लगाएं ताकि नाखून कैमिकल से सुरक्षित रहें.

– नाखूनों की बाहरी त्वचा का खास ध्यान रखें. नेल क्यूटिकल्स ही नाखूनों को फंगल और बैक्टीरिया के इन्फैक्शन से बचाते हैं.

– खाने में प्रोटीन, विटामिन, मिनरल्स वाले पदार्थ अधिक लें.

REVIEW: गुदगुदाती है वेब सीरीज मेट्रो पार्क 2

रेटिंगः ढाई स्टार

 निर्देशकः अबी वर्गीज और अजयन वेणुगोपालन

लेखनः अजय वेणुगोपालन

कलाकारः रणवीर शोरी, पूर्बी जोशी, पितोबाश, ओमी वैद्य, वेगा तमोटिया,  सरिता जोशी, मिलिंद सोमन और गोपाल दत्त

अवधिः 12 एपीसोड, हर एपसोड बीस से बाइस मिनट की अवधि का, कुल समय लगभग चार घंटे

ओटीटी प्लेटफार्मः ईरोज नाउ पर 29 जनवरी से

अमरीका के न्यू जर्सी में बसे एक गुजराती भारतीय परिवार से जुड़े हास्यप्रद घटनाक्रमों और हास्यमय परिस्थितियों से लोगों को हॅंसा चुकी वेब सीरीज‘‘मेट्रो पार्क’’का दूसरा सीजन ‘‘मेट्रो पार्क 2 ’’लेकर आ रहे हैं अबी वर्गीज और अजयन वेणुगोपालन.

कहानीः

यह कहानी अमेरिका के न्यू जर्सी में बसे एक देसी भारतीय गुजराती परिवार की विलक्षणताओं और विचित्रताओं के इर्द गिर्द घूमती है. जो अमरीका जैसे देश में आधुनिक परिवेश में रहते हुए भारतीयता से जुडे हुए हैं. इस परिवार के मुखिया कल्पेश(रणवीर शोरी) हैं, उनके परिवार में उनकी पत्नी पायल(पूर्वी जोशी ), बेटा पंकज(आरव जोशी) व बेटी मुन्नी है. कल्पेश की स्थानीय नगर पालिका व पुलिस विभाग में अच्छी पहचान है. पायल की बहन किंजल(वेगा तमोटिया)भी न्यू जर्सी में ही रहती है. किंजल के दक्षिण भारतीय पति कानन(ओमी वैद्य) हैं, जो एक कारपोरेट कंपनी में कार्यरत हैं. कल्पेश का एक ‘पे एंड रन’नामक रिटेल दुकान है,  जिसमें बिट्टू (पितोबाश)काम करता है. पायल का अपना ब्यूटी पार्लर है, जहां पर शीला(माया जोशी) भी काम करती हैं. पहले एपीसोड की शुरूआत होती है किंजल की नवजात बेटी के नामकरण समारोह से. पायल व किंजल को तकलीफ है कि ऐसे मौके पर उनकी मॉं (सरिता जोशी) वहां मौजूद नहीं है, वैसे कल्पेश ने पायल की मां को भारत से अमरीका बुलाने के लिए वीजा के लिए आवेदन दिया है. मगर रात में जब कल्पेश और पायल अपने घर पहुंचते हैं, तो पता चलता है कि वीजा का आवेदन खारिज हो गया है. पता चलता है कि फार्म भरने में कल्पेश ने कुछ गलती कर दी थी. इसके चलते कल्पेश व पायल में मीठी नोंकझोक होती है.

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तीसरे एपीसोड में रिटेल शॉप में बढ़ती चोरी के चलते कल्पेश, लाल भाई(गोपाल दत्त) को सिक्यूरिटी के रूप में दरवाजे पर तैनात कर देते हैं. पायल व किंजल की मां (सरिता जोशी)अमरीका नही आ पाती,  मगर किंजल के पति घर में रोबोट लेकर आ जाते हैं. परिणामतः पायल और किंजल की माँ (सरिता जोशी) हर जगह एक रोबोट के रूप में मौजूद हैं, जहाँ कोई भी स्क्रीन पर या उसके माध्यम से उसे देख और सुन सकता है. फिर पायल का खुद को यूट्यूब सनसनी दिखाने का जुनून सवार होता है, जिसके चलते कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इसी तरह हर एपीसोड में कुछ परिस्थिति जन्य घटनाक्रम के साथ पारिवारिक नोकझोक भी चलती रहती है. दो एपीसोड में पायल के पूर्व सहपाठी और दॉतों के डाक्टर अर्पित(मिलिंद सोमण) की वजह से कुछ नए घटनाक्रम समने आते हैं. और कल्पेश के अंदर एक भारतीय पुरूष जागृत होता है.

लेखन व निर्देशनः

‘मेट्रो पार्क’सीजन वन की आपेक्षा सीजन दो ज्यादा बेहतर बना है. यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बसे भारतीय समाजों का प्रतिबिंब है. पारिवारिक ड्रामा के साथ हास्य के ऐसे क्षण पिरोए गए हैं, जो कि दर्शकों का मनोरंजन करते हैं. सीजन एक के मुकाबले सीजन दो में निर्देशन बेहतर है. फिर भी ‘मेट्रो पार्क सीजन 2’एक साधारण वेब सीरीज ही है. भारतीय राजनीति व बौलीवुड को लेकर गढ़े गए जोक्स बहुत ही सतही हैं. शुरूआत में रोबोट(सरिता जोशी) के चलते पैदा हुए हास्य क्षण गुदगुदाते हैं, मगर फिर वह दोहराव नजर आने लगते हैं. यह लेखक व निदेशक दोनों की कमजोरी है.

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अभिनयः

पटेल परिवार के रूप में रणवीर शोरी और पूर्वी जोशी के बीच की केमिस्ट्री कमाल की है. तो वहीं रणवीर शोरी और पितोबाश के बीच की ट्यूनिंग भी इस वेब सीरीज को दर्शनीय बनाती है. ‘थ्री इडिएट्स’के बाद इसमें ओमी वैद्य ने कमाल का अभिनय किया है. उनकी कॉमिक टाइमिंग कमाल की है. वेगा तमोटिया ने ठीक ठाक अभिनय किया है. मगर ओमी वैद्य के साथ वेगा तमोटिया की जोड़ी जमती नही है. वेगा तमोटिया इस वेब सीरीज की कमजोर कड़ी हैं. पितोबाश का अभिनय फनी है और वह लोगों को हंसाते हैं. सरिता जोशी व मिलिंद सोमण की छोटी मौजूदगी हास्य के क्षण पैदा करने में कामयाब रही है.

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