एक्सपर्ट से जाने स्किन एलर्जी से बचने के उपाय

मानसून की बारिश सभी को पसंद होता है, लेकिन लगातार बारिश के चलते हवा में ह्यूमिडिटी की मात्रा बढ़ने से कपडे, घरों और आसपास में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. इससे कई प्रकार की त्वचा सम्बन्धी एलर्जी होने का खतरा रहता हैं. इस मौसम में स्किन का अधिक ख्याल रखना काफी जरूरी हैं.

इस बारें में मुंबई की द एस्थेटिक क्लीनिक की कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट, कॉस्मेटिक डर्मेटोलॉजिस्ट और डर्मेटो सर्जन, डॉ. रिंकी कपूर कहती है कि हवा में ह्यूमिडिटी होने की वजह से स्किन इन्फेक्शन्स और कई अन्य तरह की प्रॉब्लम्स हो सकती हैं. स्किन पर होने वाली इन  समस्याओं को समय रहते ठीक करना जरुरी है, नहीं तो ये बड़ी बीमारी का रूप ले सकती  हैं.

क्या होती है वजह

बारिश का पानी हवा में प्रदूषकों जैसे धूल के कण, रासायनिक धुएं आदि के साथ मिल जाता है, जिससे त्वचा की समस्याएं और खुजली होती है.

बारिश से फफूँदी भी बढ़ती है, और उस समय कीड़ों का प्रजनन होता है, जिससे त्वचा की समस्याएँ बढ़ जाती हैं. हवा में पराग और पालतू जानवरों की रोयें भी त्वचा की समस्याओं को बढ़ाती है.

मानसून में अधिक आर्द्रता की वजह से त्वचा चिपचिपी होती है, जिसके कारण त्वचा में खुजली होती हैं.

नमी युक्त मौसम में त्वचा की एलर्जी का समय रहते इलाज नही किया जाए तो समस्या बढ सकती हैं. वैसे तो एलर्जी कई प्रकार के होते है, लेकिन बारिश के कुछ ख़ास एलर्जी निम्न है,

1.फंगल इन्फेक्शन

मानसून में फंगल संक्रमण का खतरा अधिक रहता हैं, जिसमें त्वचा पर क्रेक्स, खुजली, त्वचा का लाल होना आदि होता हैं, क्योंकि इस मौसम में अधिक पसीना आता है.

2. गीले कपडे और जूतों से एलर्जी

गीले कपड़े, जूते और मोज़े शरीर पर घिसते हैं और विशेष रूप से त्वचा की परतों और कमर के क्षेत्रों में खुजली का कारण बनते हैं. जूतों में बॉन्डिंग एजेंट, ग्लू, चिपकने वाले, उपचार एजेंट आदि जैसे रसायन मौजूद होते हैं. इस वजह से पैरों को एलर्जी होने का खतरा रहता हैं. यहां तक कि सिंथेटिक कपड़ों में भी केमिकल होते हैं, जो गीले होने पर त्वचा की एलर्जी का कारण बनते हैं.

3. फफूंदों से एलर्जी

फफूंदी का त्वचा के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने पर एलर्जिक राइनाइटिस और एलर्जिक अस्थमा का कारण बनती है.

4. स्किन एलर्जी का इलाज

फंगल इन्फेक्शन जब अनट्रीटेड होती है, तो दाद में प्रकट हो सकती है. दाद पसीने से हुई नमी में पनपते हैं और अक्सर संक्रामक होते हैं. वे तौलिये, मेकअप, बर्तनों, सार्वजनिक शौचालयों अदि के प्रयोग या कांटेक्ट से बढ़ते है.   इतना ही नहीं नाखूनों के माध्यम से भी फैल सकते हैं. इसलिए इस मौसम में गीले न रहे, बारिश में भीगने के बाद तुरंत साफ़ पानी से नहा लें, अपने तोलिये, कंघी और साबुन पर्सनल रखें,

नहाने के पानी में एंटीसेप्टिक सोल्यूशन या एंटीसेप्टिक साबुन का प्रयोग करें, एंटीसेप्टिक साबुन या सोल्यूशन न होने पर नीम की पत्तियों को उबालकर उसके पानी में नहायें,

अधिक तंग, गीले कपडे और गीले जूते न पहनें, कपड़ों को एक बार पहनने के बाद ही धो लें, नहाने के बाद एंटीफंगल पाउडर का प्रयोग करना अच्छा रहता है,

अधिक देर तक पानी में रहने पर पैरों पर खुजली और पपड़ीदार धब्बे बन सकते है. कई बार इसमें फफोले भी बन सकते है, इसलिए बारिश में कही बाहर से आकर पैरों को हलके गरम पानी और एंटीसेप्टिक साबुन से धोकर अच्छी तरह तौलिये से सुखा लें, इससे काफी आराम मिलता है,

एक्जिमा के कारण त्वचा पर चकत्ते और एलर्जी हो सकते है, ये डर्मेटाइटिस की सूजन के कारण भी होते हैं जो नमी, तापमान में उतार-चढ़ाव और मानसून और गर्मी के कारण पसीने से हो सकते है, इसके लिए खुद की हायजिन का ख्याल रखना जरुरी है,

त्वचा पर खुजली होना, त्वचा की एलर्जी हैं, जो पानी के माध्यम से फैलती हैं. यह त्वचा पर छोटे थक्कों के रूप में दिखती है. समय रहते इसका इलाज न करने पर इसकी समस्या बढ सकती हैं.

बचना है जरुरी

इसके आगे डॉ. रिंकी कहती है कि त्वचा की एलर्जी से कैंसे बचना जरुरी है. अधिक समय तक किसी भी एलर्जी को इग्नोर न करें, और जरुरत के अनुसार डॉक्टर की सलाह लें. कुछ सुझाव निम्न है,

  • त्वचा को नियमित साफ़ और सूखा रखना,
  • तंग कपड़े और रबड़ की वस्तुएँ पहनने से परहेज करना,
  • ज्यादा देर तक बारिश में नहीं भीगना,
  • बरसात के मौसम में अपने साथ रेनकोट और छाता रखना,
  • गंदे पानी या एलर्जी पैदा करने वाले एजेंटों जैसे जानवरों के फर, धूल, गंदगी और पराग से दूर रहना,
  • त्वचा की अच्छी देखभाल करना, जैसे त्वचा को खरोंचना नहीं. इससे एलर्जी हो सकती हैं,
  • त्वचा की परतों को सूखा और संक्रमण मुक्त रखने के लिए मेडिकेटेड साबुन, एंटीफंगल और जीवाणुरोधी पाउडर का प्रयोग करना,
  • बाहर निकलने से पहले रोजाना सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना,
  • घर में चादरें, तौलिये, कुशन आदि को साफ और सूखा रखना आदि है.
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