Social Media : सोशल मीडिया पर क्या देखें क्या सुनें, कौन तय करेगा ?

Social Media : सोशल मीडिया पर इन दिनों यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया को ले कर जबरदस्त बहस चल रही है. लोगों में उन के बयान को ले कर काफी आक्रोश है. उन्हें ले कर ट्रोलिंग रुकने का नाम नहीं ले रही है. रणवीर ने इस शो में एक प्रतिभागी से मातापिता के निजी संबंधों को ले कर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिस में समय रैना और अपूर्वा माखीजा ने भी उन का साथ दिया.

लोगों के आक्रोश को देखते हुए रणवीर ने इस बात के लिए माफी मांग ली और कहा कि मेरा कमैंट सही नहीं था और फनी भी नहीं था. कौमेडी मेरी विशेषज्ञता नहीं है. मैं इस का कोई स्पष्टीकरण नहीं दूंगा. मैं बस माफी मांगना चाहता हूं.

रणवीर के इस बयान पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि फ्रीडम औफ स्पीच सभी को है लेकिन हमारी आजादी वहां समाप्त हो जाती है जहां हम किसी और की आजादी का अतिक्रमण करते हैं. सब से बड़ी बात यह कि इस कंटैंट को एडल्ट भी नहीं बताया गया है, इसे बच्चे भी आसानी से देख सकते हैं जो सही नहीं है.

वहीं शिवसेना की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने चेतावनी देते हुए कहा कि वे ‘इंडियाज गाट लेटैंट’ शो को आईटी और कम्युनिकेशन से जुड़ी संसद की स्थाई समिति के सामने ले जाएंगी. उन्होंने लिखा कि कौमेडी के नाम पर जिस तरह के अपशब्द और अश्लील बातें की जाती हैं, इस के लिए हमें एक हद तय करनी होगी क्योंकि ऐसे शो युवाओं के दिमाग को प्रभावित करते हैं और ऐसे शो पूरी तरह से बकवास कंटैंट मुहैया कराते हैं.

कम उम्र में कामयाबी

बता दें कि रणवीर इलाहाबादिया एक यूट्यूबर हैं और वे ‘बीयरबाइसैप्स’ के नाम से यह शो करते हैं. इस शो में वे देश की कई नामचीन हस्तियों का इंटरव्यू कर चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें 2024 में नैशनल अवार्ड से सम्मानित किया था. 2022 में उन्हें फोबर्स अंडर 30 एशिया सूची में शामिल किया था. रणवीर ने 22 साल की उम्र में अपना पहला यूट्यूब चैनल खोला था और आज वे 7 चैनलों का संचालन कर रहे हैं. इन के 1 करोड़ से अधिक सब्सक्राइबर हैं.

कौमेडियन कपिल शर्मा का भी एक पुराना वीडियो 2023 का वायरल हो रहा है, जिस में सैलिब्रिटी और क्रिकेट के कई सितारे गैस्ट के रूप में पहुंचे थे. ऐपिसोड की शुरुआत में कपिल शर्मा ने मजाकिया अंदाज में कहा था कि हमारे देश में 2 चीजों का बड़ा क्रेज है- एक फिल्में और दूसरा क्रिकेट. कई बच्चे सुबह 4 बजे पढ़ाई के लिए भले न उठ पाएं लेकिन क्रिकेट मैच देखने के लिए 2 बजे रात को उठ जाते हैं और फिर मांबाप की कबड्डी देख कर सो जाते हैं.

यह कौन तय करता है

हम जब किसी रैस्टोरैंट या होटल में खाना खाने जाते हैं तब हमें एक मेन्यू दिया जाता है और उसे देख कर हम तय करते हैं कि हमें अपने खाने में क्या और्डर करना है. किसी की कोई जबरदस्ती नहीं होती कि हमें यही खाना है. वैसे ही टैलीविजन का रिमोट कंट्रोल और स्मार्टफोन हमारे हाथ में होता है. हमें क्या देखना है, क्या नहीं देखना है, यह तय करने का अधिकार केवल हमारे पास होना चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी पसंद, रुचि और सोचनेसम?ाने की क्षमता अलग होती है. एक स्वतंत्र समाज में लोगों को यह तय करने की पूरी आजादी है कि वे क्या देखे और क्या सुनें.

हालांकि कुछ सीमाएं भी होती हैं जैसेकि अगर कोई चीज हिंसा भड़काने वाली हो, नफरत फैलाने वाली हो या समाज में अराजकता उत्पन्न करने वाला हो तो वहां सरकार या समाज की जिम्मेदारी बनती है इसे रोकने की. लेकिन इस का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि सरकार या समाज व्यक्ति की पसंद पर पूरी तरह से नियंत्रण कर ले. सरकार का काम केवल यह सुनिश्चित करना है कि कोई सामग्री कानून और नैतिकता की सीमाओं को न लांघे न कि यह तय करना है कि लोग क्या देखें और क्या सुनें.

नया नहीं है कौमेडी में अश्लीलता का तरीका

यह बात सही है कि रणवीर इलाहाबादिया ने अश्लीलता की सारी हदें पार कर दीं लेकिन कौमेडी शो में अश्लीलता का तरीका कोई नई बात नहीं है. यहां तक कि लोगों को यह मनोरंजक ही लगता है, साइकोलौजी में इसे खास जगह मिली हुई है. मनोविज्ञान की एक टर्म है, रिलीज या रिलीफ थ्योरी. इस में लोग वे बातें करते हैं, जिन्हें करना या सुनना आमतौर पर वर्जित है. जाहिर है टैबू सब्जैक्ट पर बात यों ही तो नहीं होगी. लिहाजा, इसे कौमेडी की परत में लपेट कर परोसा और सुना जाता है खासकर स्टैंडअप या मौडर्न कौमेडी में.

कौमेडी में अश्लील कंटैंट का घालमेल मनोविज्ञान में भी स्वीकार्य है. इस के लिए कई सारी टर्म्स हैं जो मानती हैं कि रिस्ट्रिक्टेड बातों पर मजाक के बहाने चर्चा होनी चाहिए. इसे टैबू ह्यूमर भी कहते हैं.

जरूरी है हंसना और हंसाना

रिलीज थ्योरी की बात सब से पहले मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रायड ने 1905 में की थी. अपनी किताब ‘जोक्स ऐंड देयर रिलेशन टू द अनकौंशस’ में फ्रायड ने लिखा है कि हंसने से ब्रेन में जमती साइकिक ऐनर्जी बाहर निकलती है. अकसर हमारे दिमाग में कई ऐसी चीजें जमा रहती हैं, जिन पर चर्चा को सामाजिक तौर पर गलत माना जाता है. लेकिन कौमेडी के बहाने हम उस पर मजाक करते और सुनते हैं, जिस से दोनों ही पक्षों का तनाव कम हो जाता है और दिमाग काफी हलकाफुलका महसूस करता है.

यह वर्जित विषय यौन संबंध या भावनाओं से ले कर समाज की गैरबराबरी तक कुछ भी हो सकता है. लेकिन नैतिक पाबंदियों के चलते हम इन पर बात नहीं कर पाते बल्कि सोच का ढक्कन लगा कर रखते हैं. वहीं कौमेडी में यह कैप हटा दिया जाता है. चूंकि यह सीधे अचेतन मन को आराम देता है, यही वजह है कि सैक्सुअल या डार्क ह्यूमर को बेहद असरदार पाया जाता रहा है.

क्या कहती है साइंस

साइंस कहती है कि जब हम किसी सैक्सुअल जोक पर हंसते हैं तो ब्रेन में डोपामिन, ऐंडोर्फिंस और औक्सिटोसिन जैसे हारमोन निकलते हैं. ये फील गुड हारमोंस हैं जो स्ट्रैस कम करते हैं. इन के अलावा इन से मस्तिष्क के फ्रीफ्रंटल कौंटैक्स में हलचल होती है जो सीधे रिवोर्ड सिस्टम से जुड़ा है. 2017 में मनोवैज्ञानिक ‘जर्नल इवौल्युशनरी साइकोलौजी’ में एक रिसर्च छपी थी, जिस के मुताबिक डार्क ह्यूमर लोगों को एकदूसरे के करीब भी लाता है.

कुल मिला कर इस तरह की कौमेडी एक तरह की सेफ बगावत है जिस में प्रतिबंधित चीजों पर बात भी हो जाए और हमारी छवि पर भी कोई असर न पड़े.

यही वजह है कि दशकों से इस तरह की कौमेडी होती रही है. देश के कई हिस्सों में आज भी महिलाएं शादीब्याह में ऐसे गीत गाती हैं जो आमतौर पर काफी अश्लील माने जाते हैं. लेकिन उस माहौल में और गीतसंगीत की शक्ल में बेहद मजेदार लगते हैं. इस में शौक वैल्यू भी होती है जो एकदम से सामने आ कर चौंकाती और हंसाती है.

कब मिलने लगी ऐसे कंटैंट को मान्यता

70 के दशक में कौमेडी की शुरुआत अमेरिका में हुई लेकिन तब मजाक इतने बोल्ड नहीं हुआ करते थे बल्कि पारिवारिक ह्यूमर के बीच कहींकहीं थोड़ीबहुत अश्लीलता का तरीका होता था. 90 के दशक में ऐसा ह्यूमर पूरी तरह से मेन स्ट्रीम हो गया. ओटीटी के दौर में नो फिल्टर कौमेडी आने लगी जो काफी बोल्ड होती थी और लोगों को पचा पाना मुश्किल था. यही समय था जब हमारे यहां भी स्टैंडअप कौमेडी के चलन के साथ मजाकमस्ती होने लगी. लेकिन आज पेटी के नीचे और मांबाप के संबंधों पर मजाक होने लगा है.

रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणी पर जहां कई लोगों ने इसे काफी शर्मनाक बताया, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इस से ज्यादा आपत्तिजनक चीजें तो ओटीटी पर दिखाई जाती हैं.

पहले भी विवादों में रहा यह शो

‘इंडियाज गौट लेटैंट’ शो पहली बार विवादों में नहीं आया है. इस से पहले भी कई आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए यह विवादों में रह चुका है. इसी शो में अरुणाचल प्रदेश के लोगों के कुत्ते का मांस खाने के बारे में टिप्पणी की गई थी. इस के अलावा दीपिका पादुकोण की प्रैगनैंसी और डिप्रैशन का मजाक बनाया गया था.

2021 में रणवीर महिलाओं के कपड़ों पर सैक्सीएस्ट कमैंट करने की वजह से सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल हुए थे. हम क्या देखें और क्या सुनें यह केवल हम तय कर सकते हैं और कोई नहीं.

Social Media पर रहें सावधान, हो सकते हैं फ्रौड के शिकार

Social Media : 25 साल की भोपाल की शीतल की पलवल हरियाणा के 23 साल के विनोद से फ्रैंडशिप फेसबुक पर 3 साल पहले हुई थी. विनोद शादीशुदा था, मगर उस ने यह बात शीतल से छिपा कर उस से दोस्ती कर रिलेशनशिप भी बनाई. विनोद को अपना सबकुछ सौंप चुकी शीतल को यह रिलेशनशिप भारी पड़ी. विनोद उसे मनाली घुमाने के बहाने ले गया और 15 मई, 2024 को एक होटल में उस की हत्या कर एक ट्रौली बैग में उस की डैड बौडी छोड़ कर भाग निकला.

फरवरी, 2023 में भी मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के साईंखेड़ा में 23 साल की लड़की शिखा अवस्थी का मर्डर अमेठी उत्तर प्रदेश के राहुल ने इसलिए कर दिया कि शिखा की बड़ी बहन खुशबू से राहुल की फ्रैंडशिप हुई थी और वे दोनों शादी करना चाहते थे. छोटी बहन शिखा खुशबू को नसीहत दे रही थी कि अनजान लोगों से दोस्ती और शादी के चक्कर में कहीं तू अपनी जिंदगी बरबाद न कर लेना. प्यार में अंधी खुशबू ने राहुल के साथ मिल कर उस का घर के बाथरूम में ही मर्डर कर दिया.

आए दिन इस तरह की खबरें सामने आती हैं, जिन में अनजाने लोगों से सोशल मीडिया (Social Media) के माध्यम से की गई फ्रैंडशिप युवकयुवतियों के गले की फांस बन जाती है और पेरैंट्स अपनेआप को ठगा सा महसूस करते हैं. सोशल मीडिया का हद से ज्यादा उपयोग साइबर क्राइम के साथ रिश्तों को भी बिगाड़ने में अहम रोल निभा रहा है, मगर इस के खतरों से अनजान युवाओं और किशोरों को  नशे की तरह इस की लत लग चुकी है.

मोबाइल का गलत इस्तेसाल

टीनऐजर बच्चों में मोबाइल का इस्तेमाल जिस तरह से बढ़ रहा है उस में पेरैंट्स की जिम्मेदारी काफी बढ़ गई है. अभिभावकों के लिए यह चैक करना जरूरी है कि उन के बच्चे सोशल मीडिया अकाउंट पर क्या ऐक्टिविटी कर रहे हैं. यदि कुछ गलत दिखे या किसी अनहोनी की आशंका हो तो समय पर साइबर सैल की मदद ली जा सकती है.

आजकल औनलाइन डेटिंग ऐप्लिकेशन, लोन उपलब्ध कराने वाले ब्लैकमेलिंग ऐंड्रौयड ऐप्लिकेशन और मोबाइल डिवाइस को हैक कर अश्लील फोटो बना कर शोषण की खबरें कुछ ज्यादा आ रही हैं. फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि एड टूल्स के पहले दोस्ती फिर सुसाइड के मामले आए हैं. इसलिए ऐसे मामलों में पुलिस की मदद ले कर बचा जा सकता है.

मोबाइल ने युवकयुवतियों को इंटरनैट ऐडिक्ट बना दिया है. कोई कामधंधा करने के बजाय युवा सोशल मीडिया पर घंटों वक्त बरबाद कर रहे हैं. समाचारपत्र और पत्रिकाएं पढ़ने के बजाय युवा व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी और यूट्यूब चैनलों के अधकचरा ज्ञान को ही सबकुछ समझ रहे हैं. एक रिसर्च सैंटर की रिपोर्ट के अनुसार 13 से 17 वर्ष के 97त्न बच्चे 7 प्रमुख औनलाइन प्लेटफौर्मों में से कम से कम 1 का उपयोग जरूर करते हैं. इन के द्वारा सोशल साइट्स पर बिताया गया समय भी चौंकाने वाला है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 13 से 18 साल की उम्र के औसत बच्चे हर दिन सोशल मीडिया पर लगभग 9 घंटे बिताते हैं.

बिगाड़ता है स्वास्थ्य

यही हाल युवाओं का है. सुबह से ले कर रात 12 बजे तक मोबाइल उन के हाथों से दूर नहीं होता. सोशल मीडिया पर बिताया गया अधिक समय साइबर बुलिंग, सामाजिक चिंता, अवसाद और उम्र के अनुरूप नहीं होने वाली सामग्री के संपर्क में आने का कारण बन जाता है.

जब आप कोई गेम खेल रहे होते हैं या कोई कार्य पूरा कर रहे होते हैं तो आप उसे पूरी  तन्मयता से करने की कोशिश करते हैं और जब  एक बार आप इस में सफल हो जाते हैं तो आप का मस्तिष्क आप को डोपामाइन और अन्य खुशी वाले हारमोन की खुराक देने लगता है, जिस से आप खुश हो जाते हैं.जब आप इंस्टाग्राम या फेसबुक पर कोई तसवीर पोस्ट करते हैं तो वही तंत्र काम करता है. एक बार जब आप अपनी स्क्रीन पर लाइक और कमैंट के लिए सभी सूचनाएं देखते हैं तो आप इसे पुरस्कार या प्रोत्साहन के रूप में स्वीकार कर लेंगे .

सोशल मीडिया (Social Media) बना ठगी का हथियार

14 मार्च, 2024 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र में रहने वाली 72 साल की आशा भटनागर रिटायर्ड प्रोफैसर हैं. उन की 2 विवाहित बेटियां पुणे में रहती हैं और 1 बेटा अमेरिका में जौब करता है. रिटायर्ड प्रोफेसर आशा के पति की 2017 में मौत हो चुकी है. वे अब घर में अकेली रहती हैं. इसलिए ज्यादातर समय सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं. एक दिन एक महिला पुलिसकर्मी बन कर ठग ने बुजुर्ग महिला को मुंबई पुलिस के अफसर के सामने वीडियो कौलिंग के जरीए बात करने को कहा.

उस अफसर ने आशा से कहा आप को मालूम नहीं कि आप का नाम चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में नामजद हैं, गंभीर मामला है. फिर उस ने अपने दूसरे साथी को अधिकारी बता कर बात कराई. इन लोगों ने घर के अंदर ही वीडियोकौल पर शिक्षिका को डिजिटली अरैस्ट कर लिया. अपने को किसी केस में फंसा हुआ जान आशा इतनी परेशान हो गईं कि दूसरे दिन उन्होंने बैंक जा कर अपनी 51 लाख रुपए की एफडी तुड़वा कर क्राइम ब्रांच के अफसरों के बताए श्रीनगर की पंजाब नैशनल बैंक व राजकोट के फैडरल बैंक के अकाउंट नंबरों पर रुपए जमा करवा दिए. अगले दिन आशा ने अपने परिवार वालों को पैसे डालने के बारे में बताया तब समझ आया कि उन के साथ फ्रौड हुआ है.

साइबर ठगी

आज के समय में मित्रों, परिवार और को वर्कर्स के साथ संपर्क में रहने का सब से लोकप्रिय और मनोरंजन वाला जरीया सोशल मीडिया प्लेटफौर्म ही है. मगर इन प्लेटफौर्म पर फ्रौड करने वालों की पैनी नजर रहती है. फ्रौड करने वाले यूजर्स को अपना निशाना पहले बनाते हैं. यहां पर यूजर्स पर सीधे अटैक करने के बजाय उन की निजी जानकारी चुराई जाती है और उस के बाद उन के बैंक अकाउंट पर हमला किया जाता है.

सोशल मीडिया प्लेटफौर्म पर यूजर्स को एक मैसेज मिलता है, जिस में उन्हें कुछ गिफ्ट या बैनिफिट्स का वादा करने वाले लिंक पर क्लिक करने के लिए इनवाइट किया करते हैं. जैसे ही यूजर्स इस प्रकार के लिंक पर क्लिक करते हैं तो उन के फोन या डिवाइस में कुछ ऐप डाउनलोड हो जाते हैं जो यूजर्स की जासूसी करने और साइबर क्रिमिनल्स को जानकारी भेजने के लिए तैयार किए गए होते हैं.

सोशल मीडिया पर जानकारी देने वाले सभी इन्फ्लुएंसर सही खबरे दें एैसा नहीं है. कुछ इन्फ्लुएंसर सोशल मीडिया पर झूठी जानकारी भी शेयर करते हैं, जिन को लोग सच मान लेते हैं.  कुछ कंपनियां भी अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए इस तरह के इन्फ्लुएंसर का सहारा  लेती हैं.

सोशल मीडिया का सब से बड़ा खतरा उस पर परोसा जाने वाला झूठ है. सभी राजनीतिक दलों ने अपनी आईटी सेल बना रखी है जो 24 घंटे ?ाठी खबरें फैलाने का काम कर रही हैं. कई दफा इन फेंक न्यूज को पढ़ कर लोग इन्हें सही मान लेते हैं जिस से समाज में भ्रम, वैमनस्य और हिंसा की घटनाएं देखने को मिलती हैं. युवा पीढ़ी के साथ कामकाजी वर्ग के लोग भी सोशल मीडिया के गुलाम बन चुके हैं. औफिस में काम के वक्त भी नौकरीपेशा लोग घंटों सोशल मीडिया साइट्स पर बिता रहे हैं.

सोशल मीडिया साइट्स पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है. फेसबुक, इंस्टाग्राम, ओटीटी पर पोर्न कंटैंट परोसा जा रहा है. सोशल मीडिया साइट्स पर लौग इन के लिए कोई ठोस प्रावधान और पहचान की जरूरत नहीं है. यही कारण है कि नाबालिग बच्चे भी अपनेआप को बालिग दिखा कर अपना प्रोफाइल बना लेते हैं और फिर इस नाजुक उम्र में ऐसे प्लेटफौर्म पर उपलब्ध कंटैंट को देखने के आदी हो जाते हैं और फिर साइबर ठगी या सैक्सुअल हैरसमैंट का शिकार बनते हैं.

पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

हाल ही में भोपाल पुलिस द्वारा जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया है कि सोशल मीडिया ब्लैकमेलिंग या साइबर क्राइम होने पर हैल्प लाइन 1930 पर संपर्क करें और भोपाल में मोबाइल नंबर 9479990636 पर भी अपनी शिकायत या समस्या बता सकते हैं. यदि आप का नाबालिग बच्चा  सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफौर्म पर वैब सीरीज आदि देख रहा है तो सतर्क रहें. कहीं आप का बच्चा ओटीपी कंटैंट के चक्कर में फंस चुका है तो उस की काउंसलिंग कराएं. परिवार के बीच बैठ कर उस से खुल कर चर्चा करें.

भोपाल शहर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा के अनुसार सोशल मीडिया पर कई तरह के गिरोह सक्रिय हैं जो मासूमों और युवाओं को अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को गलत ट्रैक पर जाने से पहले ही आगाह करें. यदि समस्या ज्यादा बढ़ चुकी है तो तत्काल साइबर सैल की सहायता ले कर मामले को सुल?ाने पर परेशान होने से बच सकते हैं. सोशल मीडिया फ्रैंडशिप के बढ़ते चलन को ले कर भोपाल पुलिस ने अभिभावकों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिस में आगाह किया है कि सोशल मीडिया फ्रैंडशिप में सर्तकता और सावधानी रखना बेहद जरूरी है.

सोशल मीडिया साइट्स के उपयोग में बरतें सावधानी

सोशल मीडिया पर बिना जांचपड़ताल के किसी अनजान से दोस्ती न करें.

सोशल मीडिया साइट्स पर पर्सनल वीडियो, फोटो या पर्सनल बातें बताने से बचें.

बगैर पुख्ता पहचान के किसी शख्स को पैसे न भेजें और न ही किसी तरह के लिंक पर क्लिक करें.

अपने साथ ठगी, ब्लैकमेलिंग होने पर तुरंत लोकल पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराएं.

अनजान नंबरों से आने वाली व्हाट्सऐप कौल को अटैंड न करें.

यदि फेसबुक मैसेंजर से कोई अपने परिचित की आईडी से पैसों की डिमांड करता है तो एक बार अपने परिचित को फोन कर के कन्फर्म जरूर कर लें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें