Suicide के लिए मजबूर करने वाला अपराधी होता है…

Suicide  : घरेलू विवादों में पत्नी के आत्महत्या कर लेने के बाद पतियों को जेलों में बंद कर देना एक रिवाज बन गया है. मृत पत्नी के मातापिता तरहतरह के आरोप लगाते हैं कि उन की बेटी को पति और उस के घर वालों ने इतना सताया है कि  उसे सुसाइड करने पर मजबूर होना पड़ा. पुराने इंडियन पीनल कोड की धारा 306 के अनुसार आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाला या उकसाने वाला अथवा उस की आत्महत्या करने में हैल्प करने वाला अपराधी होता है.

सैकड़ों पति आज देश की जेलों में बंद हैं और कुछ में उन के माता, पिता, भाई, बहन, भाभी, जीजा, दादी तक भी बंद हैं कि पत्नी ने तंग आ कर सुसाइड कर लिया. सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2024 को एक फैसले में धारा 306 का ऐक्सप्लेन करते हुए कहा कि सिर्फ सताने का सुबूत आत्महत्या के लिए फोर्स करने के लिए पूरा नहीं है. आरोपी ने कुछ ऐसा किया हो कि मरने वाले को सुसाइड करना ही पड़ा हो.

सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह ठीक है क्योंकि पतिपत्नी डिस्प्यूट में अकसर कमजोर औरतें सुसाइड कर के पति से बदला लेने की धमकी सदियों से देती रही हैं और अब इस कानून का इस्तेमाल ज्यादा उस के मातापिता करने लगे हैं. यह धमकी ही कि कुएं में कूद जाऊंगी किसी भी पति को अंदर तक डरा देने लायक है. अपने ऊपर तेल छिड़क कर हवा में माचिस की तीली जला कर आज कोई भी पत्नी किसी भी बात को मनवा सकती है.

दफ्तरों में, कालेजों में, महल्लों में किसी की डांट, छेड़छाड़ इस कानून को किसी पर थोपने के लिए काफी है.

सुसाइड कमजोर लोग करते हैं जो जिंदा रह कर आफत नहीं सहना चाहते. हिटलर जैसे क्रूर, कट्टर, बलशाली, तानाशाह ने अपने को गिरफ्तार होने से बचाने के लिए 1945 में सुसाइड कर लिया था. उस के लिए ब्रिटेन, रूस या अमेरिकी फोर्सेस को गुनहगार तो नहीं माना जा सकता. उस सुसाइड के लिए लाखों बेगुनाहों की जानें लेने वाला अचानक एक कदम से बेचारा नहीं बन जाता.

कानून का इस्तेमाल इस तरह किया जा रहा है कि सुसाइड करने वाला तो दूध का धुला है और गलती किसी और की है, पति की है या पति के रिश्तेदारों की है जबकि पत्नी के पास हमेशा ही घर छोड़ कर चले जाने का औप्शन था. सुप्रीम कोर्ट ने शर्तें लगा कर ठीक किया है पर एफआईआर लिखने वाला थानेदार और पहला मजिस्ट्रेट क्या इस फैसले की चिंता करेगा? अगर पिछले मामलों को देखें, जो हजारों में हैं, हरगिज नहीं. पुलिस वाला और पहला सरकारी वकील और पहला मजिस्ट्रेट मामला खारिज करना तो दूर जमानत तक पर आरोपी को नहीं छोड़ने देता.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने पर ही लागू होता है. तब तक सुसाइड की हुई पत्नी का पति कितने साल जेल में गुजार चुका होगा, पता नहीं.

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