टीवी इंडस्ट्री में काम्या पंजाबी एक जानी मानी अभिनेत्री है. उन्होंने अपने उम्दा अभिनय से करोड़ों दर्शकों के दिलों को जीता है. धारावाहिक ‘बनू मैं तेरी दुल्हन’‘शक्ति-अस्तित्व के एहसास की’ जैसे कई हिंदी टीवी धारावाहिकों में नकारात्मक किरदार निभाकर अपनी एक अलग छवि बनाने में वह हमेशा सफल रही.
स्पष्टभाषी काम्या ने अभिनय की एक लम्बी और सफल जर्नी तय की है, लेकिन उनके निजी जीवन में कई समस्याएं आई, पर वे टूटी नहीं. उन्होंने अपने लॉन्गटर्म बॉयफ्रेंड शलभ डांग से दूसरी शादी की.पहली शादी से उनकी एक बेटी आरा है. काम्या बेबाक कहने से नहीं डरती और रुढ़िवादी समाज के खिलाफ कई बार आवाज उठाती है.एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि जब मैंने दूसरी शादी की, तो मुझे बहुत ट्रोल किया गया, लेकिन मैं उसके खिलाफ मजबूत तरीके से डटी रही, ये सभी जानते है. दुनिया में बहुत कम लोग है, जो खड़े रहकर अपनी आवाज उठा सकते है या बोल सकते है. जब मेरे साथ गलत हुआ तो मैं खुद अपनी लड़ाई लड़ी, क्योंकि मैं अकेले ही काफी हूं. मेरे लिए ये चीजे कोई माइने नहीं रखती, मैं डटकर मुकाबला करती हूं. मैं उन प्रताड़ित लड़कियों को कहना चाहती हूं कि पहले सोच बदले, तभी देश आगे बढ़ेगा, वरना हम जैसे थे,वैसे ही रहेंगे. काम्या अभी जी टीवी पर धारावाहिक ‘संजोग’ में एक स्पष्टभाषी माँ की भूमिका निभा रही है, जिन्हें पता नहीं कि उनकी बेटी उनके स्वभाव से अलग क्यों है. पेश है काम्या से हुई बातचीत के कुछ अंश.
सवाल –आप अपनी जर्नी से कितने खुश है? आप स्पष्टभाषी और निडर है, इसे कैसे लेती है?
जवाब – मैंने अपनी जर्नी से बहुत कुछ सीखा है. हर परिस्थिति में मैंने कुछ न कुछ सीखती आ रही हूं. उसी वजह से मैं इतनी मजबूत हूं, हालात व्यक्ति को कुछ न कुछ अवश्य सिखाती है. काम हो या परफोर्मेंस करते-करते सीखा है. आज मैं कैमरे के आगे बिना किसी डर के आकर खडी हो सकती हूं. ये सब मैंने अभिनय के दौरान ही सीखा है.मेरी जर्नी रोलर कोस्टर राइड की तरह थी, कभी ऊपर तो कभी नीचे, जिसमे बहुत सारी बाते सीखी है और पीछे मुड़कर देखने पर लगता है कि वाकई इंडस्ट्री ने बहुत कुछ सिखा दिया.
सवाल – क्या अभी भी कैमरे के सामने आने पर घबराहट होती है?
जवाब – पहली बार कैमरे पर आने या किसी शो में पहले दिन शूट करते हुए अगर घबराहट न आये, तो कैरियर उस दिन खत्म हो जायेगा. मैं चाहती हूं कि ऐसी घबराहट हमेशा मेरे अंदर रहे और मैं उसे पार करती जाऊं.
सवाल – इस शो में माँ और बेटी के रिश्तों को दिखाया गया है, आपका माँ के साथ कैसा सम्बन्ध रहा ?
जवाब – मेरी माँ ने कभी गिवअप करने नहीं दिया. उन्होंने कभी खुद भी हार नहीं मानी. वह कितनी भी बीमार रहे, लेकिन हमेशा कहती थी कि मैं ठीक हूं. ये सब मेरे अंदर बचपन से आ गया है. माँ को भी पता नहीं होगा कि उन्होंने हिम्मत न हारने की बात सिखाई है. वह मुझे हमेशा स्ट्रोंग कहती थी, क्योंकि एक बार मेरी उल्टी हुई और मैं थककर सो गयी. ये सब तनाव तब तक चलता रहा, जब तक मैं खुद पहली शादी से बाहर नहीं निकली और बहनों की शादियाँ नहीं करवाई. जो भी जिम्मेदारी मुझे मिली मैं हमेशा करती गयी, ये बातें मैंने अपनी बेटी को भी सिखाई है. मैं बहुत इमोशनल हूं, लेकिन मेरी बेटी इतनी नहीं है. जो सही काम मैंने की है, उसे सिखाती हूं और जो गलतियाँ मैंने की है, वह कभी न करें.
सवाल –आपने हमेशा चुनौतीपूर्ण काम किया है, क्या नई भूमिका आपको आकर्षित करती है या कुछ और बात होती है?
जवाब – चुनौतीपूर्ण अभिनय करने से दर्शक बहुत चकित होते है और मुझे ये बहुत अच्छा लगता है. इसके अलावा मुझे प्रोफेशनल एक्टर का ख़िताब बहुत पसंद है. निर्माता निर्देशक का मुझपर विश्वास होता है कि 10 साल भी शो चलने पर मैं इसे करुँगी, छोड़कर नहीं जाउंगी. मेरी मेहनत और लगन को वे सराहते है, जो मुझे आगे अधिक अच्छा करने के लिए प्रेरित करती है. यही मैंने कमाया है, मुझे लीड का टैग नहीं चाहिए. मुझे एक अच्छा रोल और एक अच्छा माहौल होना चाहिए, क्योंकि थोड़े दिनों बाद शो के सारे लोग मेरा परिवार बन जाते है. मैंने देखा है कि लीड करने के कुछ दिनों बाद अधिकतर कलाकार उस शो को छोड़ देती है. मुझे इसका लोजिक समझ नहीं आता, क्योंकि इसे छोड़कर वे किसी दूसरी धारावाहिक में ही जाती है. फिर इसे छोड़ना क्यों? मुझे ऐसा करना पसंद नहीं होता, अधिक दिनों तक काम करने से अभिनय की बारीकियां ठीक हो जाती है. मेरे लिए ये एक अवार्ड है, क्योंकि दर्शकों की पसंद के आधार पर ही शो को आगे बढ़ाया जाता है. इसलिए निर्माता, निर्देशक को भी कोई समस्या मुझे कास्ट करने पर नहीं होती.
सवाल –आप काम के साथ परिवार की देखभाल कैसे कर पाती है?
जवाब – मेरे पति शलभ ने मेरी लाइफस्टाइल देख लिया था. उन्हें पता था कि मैं दिमाग से बहुत मजबूत हूं. कही भी लड़ने के लिए खड़ी हो जाती हूं. ये सब उन्हें पता था और जिसे लोग नकारात्मक रूप में लेते है, उसे उन्होंने सकारात्मक रूप में लिया. उन्हें मेरे अंदर की सारी बातें पसंद आई, इसलिए काम करना आसान हुआ. ये सहयोग होना आवश्यक है. अभी मेरी जिंदगी में एक ठहराव आ गया है. अभी इमोशनल सहयोग बहुत मिल रहा है, जिसका असर मेरे चेहरे पर है, मुझे इसी की जरुरत भी है.
सवाल – बच्चे की गलती को माँ की परवरिश से जोड़ी जाती है, माँ की भूमिका बच्चे की परवरिश में कितनी होती है? आप भी माँ है, इसे कैसे लेती है?
जवाब –बच्चे की परवरिश में माँ का बहुत बड़ा योगदान होता है, लेकिन बड़ा होकर बच्चा नालायक बन जाय तो उसमे माँ को दोष देना ठीक नहीं, क्योंकि बड़े होने पर बच्चे की संगत, शिक्षा आदि का प्रभाव भी उनपर रहता है. अधिक बड़े होने पर बच्चे बहुत कुछ दुसरे को देखकर करते है, जो कई बार घातक होती है. बचपन में बच्चे का जुड़ाव माँ से ही अधिक होता है. बड़े होकर अगर वे कुछ गलत काम करें और उसके लिए माँ को दोषी ठहराया जाना ठीक नहीं. मैं बेटी को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव और स्ट्रिक्ट माँ हूं, लेकिन मैंने उसकी गलत हरकतों पर डांट लगाना कभी नहीं छोड़ा. मैं अकेली होकर भी उसे सही तरह से परवरिश की है अभी वह 12 साल की है. मैं सिंगल मदर होकर बहुत चिंता बेटी के लिए करती थी और वह डर हमेशा बना रहा. कहीं अकेले जाने नहीं देती थी. मेरी सहेलियां मुझे साईको मदर कहती थी. जरुरत पड़े तो बेटी को एक चांटा मारने से भी परहेज नहीं करती.
सवाल – क्या कोई ड्रीम ऐसी है, जिसे पूरा करने की इच्छा रखती है?
जवाब – ड्रीम बहुत है और उसे पूरा कर रही हूं, एक जाती है तो दूसरी ड्रीम आ जाती है, जब तक ड्रीम है, काम करती जाउंगी.
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