द एक्स्ट्रा और्डिनरी जर्नी औफ फकीर फिल्म रिव्यू, पढ़े यहां…

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः लुक बुस्सी, अदिति आनंद, जैम मिटेस व अन्य.

निर्देशकः केन स्टौक

कलाकारः धनुष, अमृता संत, एरिन मोर्टियाटी, बेरेंसी बेंजो, एबल जाफरी व अन्य.

अवधिः एक घंटा 40 मिनट

स्पेन और हिंदुस्तान की सह प्रोडक्शन वाली फिल्म ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’अंग्रेजी भाषा में बनी हौलीवुड फिल्मकार केन स्टौकी की वह फिल्म है, जिसे नार्वे व स्पेन सहित कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कृत किया जा चुका है. फिल्म मुंबई के एक महाराष्ट्यिन गरीब बालक की जीवन यात्रा है जो कि गैर कानूनी तरीके से कई देशो की यात्रा कर वापस भारत लौटकर गरीब बच्चो को शिक्षा देने का काम कर रहा है.

इन दिनों जिस तरह से हौलीवुड फिल्मकार व कलाकारों के बीच अचानक भारत व बौलीवुड प्रेम जागा है, उसी का प्रतीक है फिल्म ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’’ निर्देशक ने इसमें दक्षिण भारत के मशहूर कलाकार धनुष को केंद्रीय भूमिका रखने के साथ ही स्पेन की मशहूर अदाकारा बेरेंसी बेंजो सहित कुछ हौलीवुड कलाकारों को भी जोड़ा है. तो वहीं उन्होने इसमें बौलीवुड का अहसास दिलाने के लिए जिस तरह से गाने पिरोए हैं, उससे वह फिल्म को बेहतर की बजाय बदतर बना देते है.

हौलीवुड निर्देशक केन स्टौक ने इस अंग्रेजी भाषा में बनी फिल्म का कुछ हिस्सा मंबुई व मंबुई के धोबीघाट पर फिल्माने के साथ ही कुछ जगहों पर हिंदी व मराठी भाषा में संवाद भी रखे हैं.

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कहानीः

फिल्म की कहानी शुरू होती है मंबुई से. जब अजातशत्रु लवांश पटेल उर्फ आजा (धनुष) अपराधी किस्म के अबोध बालकों को जेल जाने से बचने के लिए स्कूल आने के लिए बात करेन जाता है,तो वह खुद को गरीब बताते हुए अपनी कहानी सुनाता है.फिर कहानी आजा के बचपन से शुरू होती है. उसकी मां (अमृता संत) धोबीघाट पर कपडे़ धोने का काम करती है. उसकी मां ने उसे पट्टी पढ़ाई है कि उसके पिता नहीं है, वह तो जादू के बल पर धरती पर आया है. बचपन में उसे छह दिन जेल की हवा, खानी पड़ती है. लेकिन जब आजा स्कूल पढ़ने जाता है, तब उसे पता चलता है कि वह गरीब है और इस संसार में उसका कोई न कोई पिता जरुर है. उसकी मां अक्सर उससे पेरिस जाने की बात करती है. बड़ा होकर आजा सड़क पर जादू का खेल दिखाकर लोगों को ठगना शुरू करता है. अब उसका एकमात्र सपना है कि वह अमीर बने और मां को पेरिस ले जाए. मां की मौत के बाद मां के बक्से से मिली एक चिट्ठी व तस्वीर से आजा को पता चलता है कि उसके पिता स्पेनिस हैं और पेरिस में रहते हैं और उसी की तरह सड़क पर जादू का खेल दिखाया करते हैं. अब वह पेरिस जाने के लिए निकल पड़ता है. सबसे पहले वह नकली सौ यूरो की नोट के बल पर पेरिस पहुंचता है, जहां उसकी मुलाकात मरी (एरियन मोरियार्टी) से होती है और उससे वह प्यार कर बैठता है. दूसरे दिन मरी से आयफिल टावर पर मिलने का वादा करता है, पर वादे को पूरा करने से पहले ही हालात ऐसे बनते हैं कि वह एक अलमारी के अंदर बंद होकर अजीबोगरीब तरीके से इंग्लैंड, बर्सिलोना व लीबिया पहुंचता है. उसे पूरे विश्व की कुछ कड़वी सच्चाईयों का भी पता चलता है. इसी यात्रा में उसकी मुलाकात स्पेनिश अभिनेत्री नेली (बेरेंसी बेंजो) से होती है, जो उसकी अपने शर्ट पर लिखी गयी कहानी को हजार ऐरो में बिकवाकर उसे मालामाल कर देती है.पर अंत में वह सारा पैसा रिफ्यूजियों के बीच बांटकर,उनका तारनहार बन सही पासपोर्ट के साथ भारत लौटता है. उसकी यह यात्रा काफी एडचेंरस रहती है. कहानी खत्म होते ही बच्चे स्कूल जाने का ऐलान कर देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

रोमन पुर्तोलस के रोमांचक फैंतसी उपन्यास ‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’ पर आधारित यह फिल्म किताब को सिनेमाई परदे पर सही अंदाज में पेश करने में विफल रहती है. रिफ्यूजी यानी कि विस्थापितों के सवाल और उनकी यातना को बहुत सतही स्तर पर पेश किया गया है. फिल्म में मनोरंजन का घोर अभाव है.

‘‘द एक्स्ट्रा और्डीनरी जर्नी औफ फकीर’ कुछ हद तक फिल्म ‘‘स्लमडौग मिलेनियर’से प्रभावित है. पर सुखद बात यह है कि फिल्मकार ने इसमें भारत की गरीबी को भुनाने की बनिस्बत मानवीय पक्ष को उकेरने का ज्यादा प्रयास किया है. फिल्म में रिफ्यूजियों की समस्याओं के साथ ही प्यार व रिश्ते की भी बात की गयी है.फिल्म आशा,उम्मीद व सकारात्मकता की बात करती है.फिल्म कई देशो की यात्रा के साथ कई रंग लेकर आती है.

बौलीवुड से प्रभावित फिल्मकार ने फिल्म में बेवजह गाने ठूंसकर फिल्म को नुकसान पहुंचाया है. इंग्लैंड में पुलिस अफसर पुलिस स्टेशन में ही नाचने व गाने लगता है.जो कि अजीब सा लगता है. बेरेंसी बेंजो और धनुष के साथ वाले कुछ दृश्य काफी सुंदर बने हैं.

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अभिनयः

दक्षिण के चर्चित अभिनेता धनुष ‘रांझणा’जैसी हिंदी फिल्म में अपनी अभिनय प्रतिभा से हिंदी भाषी दर्शकों को मोहित कर चुके हैं.अब पहली बार वह विश्वस्तर पर दर्शकों का दिल जीतने निकले है. इस फिल्म में उन्होने दिल से इमानदार अभिनय किया है. महज किसी को खुश करने के लिए वह कुछ करते नजर नहीं आते.वह बड़ी सहजता से आजा के किरदार में खुद को समाहित कर ले जाते हैं. स्पैलिनश अभिनेत्री बेरेंस बेंजो भी प्रभावित करती है.

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