ब्लौकचैन : नौकरियों की बहार

नया साल, नया ठौर, नया काम, नई नौकरी… तरक्की करती दुनिया और भारत में ब्लौकचैन तकनीक रोजगार का नया व अच्छा जरिया बन कर उभरी है. बिटक्‍वाइन टेक्नोलौजी द्वारा लांच की गई इस तकनीक को हैक करना बहुत ही मुश्किल है और यह कभी भी हुए सभी डिजिटल ट्रांजेक्शंस का ब्‍योरा रखती है. साइबर क्राइम और हैकिंग को रोकने के लिए ब्लौकचैन तकनीक को फूलप्रूफ सिस्‍टम के तौर पर भी जाना जाता है.

  • ब्लौकचैन सम्बन्धी नौकरियों में सामान्य आईटी क्षेत्र की नौकरियों से 61.8 प्रतिशत अधिक वेतन.
  • वर्ष 2018 की पहली तिमाही में ब्लौकचेन क्षेत्र की नौकरियों में 6,000 फीसदी इजाफा.
  • विश्व आर्थिक मंच का मानना है कि वर्ष 2027 तक वैश्विक जीडीपी का 10 प्रतिशत कारोबार ब्लौकचेन तकनीक पर विकसित होगा.
  • भारत में नीतिगत अनिश्चितता से प्रतिभा पलायन का अंदेशा.

पिछले साल के दौरान ब्लौकचैन तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी काफी चर्चा में रहीं. औनलाइन भरतियां और कंपनियों से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने वाली वेबसाइट ग्लासडोर के हालिया अध्ययन में पाया गया कि ब्लौकचैन और क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में अमेरिका समेत पूरी दुनिया में नौकरियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. साथ ही, ब्लौकचैन क्षेत्र के शैक्षणिक प्लेटफौर्म इनक्रिप्ट का अगस्त 2018 का सर्वेक्षण बताता है कि भारत में ब्लौकचैन और क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र में कानूनी और नीतिगत स्थिति साफ़ न होने के चलते देश को ब्लौकचैन क्षेत्र के होनहार लोगों के दूसरे देशों में चले जाने जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.

ब्लौकचैन क्षेत्र के शैक्षणिक प्लेटफौर्म इनक्रिप्ट ने अपने सर्वे में पाया है कि भारत में ब्लौकचैन क्षेत्र नौकरियों, फाइनेंस और ग्लोबल रिकग्नीशन यानी वैश्विक पहचान के क्षेत्र में अच्छी भूमिका निभा सकता है. इनक्रिप्ट की रियलाइजिंग इंडियाज ब्लौकचैन पोटेंशियल नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्लौकचैन की मदद से सूचना तकनीक (आईटी) क्षेत्र में नया बदलाव लाया जा सकता है. इस से देश में हाई सैलरी वाली नौकरियों की तादाद बढ़ सकती है. बहुत ही अहम बात यह है कि वर्ष 2018 की पहली तिमाही में ब्लौकचैन क्षेत्र की नौकरियों में 6,000 फीसदी की उछाल आई है.

औनलाइन भरतियां और कंपनियों से जुड़ी जानकारियां मुहैया कराने वाली वेबसाइट ग्लासडोर के अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में ब्लौकचैन क्षेत्र में औसत सालाना आय 84,884 डौलर (लगभग 62 लाख रुपए) है जो वहां की औसत सालाना आय 52,461 डौलर यानी लगभग 38.5 लाख रुपए से 61.8 फीसदी ज्यादा है. अध्ययन में बताया गया, ‘पिछले एक साल में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में उतारचढ़ाव के बाद भी ब्लौकचैन क्षेत्र में नौकरियों की तादाद लगातार बढ़ रही है. एक साल के दौरान अमेरिका में इस तरह की नौकरियों में 300 प्रतिशत की उछाल आई है.’ अध्ययन में पाया गया कि ब्लौकचैन क्षेत्र में नौकरियों के मामले में अमेरिका के बाद लंदन, सिंगापुर, टोरंटो, हांगकांग और बर्लिन शीर्ष वैश्विक शहरों में शामिल हैं.

इनक्रिप्ट के संस्थापक और वेंचर कैपिटल इन्वेस्टर नितिन शर्मा बताते हैं, ‘इनक्रिप्ट के इस सर्वे का में मकसद भारत में पब्लिक ब्लौकचैन की क्षमता की पहचान करना था. इस में ज्यादातर बातचीत कारोबारियों, एक्सचेंजों और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जोखिमों पर की गई. हम ने सर्वे में ब्लौकचैन तकनीक पर काम कर रहे डेवलपर्स और उद्यमियों पर भी ध्यान केंद्रित किया है.’

सर्वे में शामिल 84 लोग केवल विदेशी परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं और 86 प्रतिशत लोगों का मानना है कि अगर देश में क्रिप्टोकरेंसी के लिए माफिक माहौल नहीं होगा तो वे देश से बाहर चले जाएंगे. साथ ही, 82 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ब्लौकचेन स्टार्टअप्स द्वारा जमा की गई मौजूदा पूंजी देश से बाहर चली जाएगी. सो, देश इस क्षेत्र में चल रहे ग्लोबल कम्पटीशन में पिछड़ जाएगा.

सर्वे से पता चलता है कि ब्लौकचैन क्षेत्र के लिए नियमों पर स्थिति साफ़ करनी होगी वर्ना भारत कई क्षेत्रों में बड़े अवसर खो सकता है. हाल ही में भारत के एक बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज जेब पे ने भारत में अपना कारोबार बंद कर दिया है और अब कंपनी ने खुद को माल्टा देश में रजिस्टर्ड करा लिया है. भारत में कारोबार बंद करने वाली जेब पे दुनिया के 20 देशों में अपनी सेवाएं दे रही है.

फ्रीलांस प्लेटफौर्म अपवर्क के एक सर्वे के अनुसार, वर्ष 2018 की पहली तिमाही में सब से ज्यादा तेजी से बढने वाले कौशल में ब्लौकचैन पहले स्थान पर रहा. इस में गूगल क्लाउड प्लेटफौर्म दूसरे और वौल्यूजन सौफ्टवेयर तीसरे स्थान पर रहा.

क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स का कहना है कि सौफ्टवेयर क्षेत्र की नौकरियों के मामले में अगले 3 से 5 वर्षों में ब्लौकचैन सब से बड़े क्षेत्रों में से एक होगा और देश से इस क्षेत्र के होनहारों को नौकरी के सिलसिले में विदेश जाने से रोकने की जरुरत है. वजीरएक्स का कहना है कि वह कई इंजीनियरों, स्टार्टअप संस्थापकों, कारोबारियों और दूसरे लोगों को जानती है जो ब्लौकचैन क्षेत्र के सपनों को पूरा करने के लिए भारत से बाहर जाने वाले हैं. देश में सॉफ्टवेयर क्षेत्र में ब्लौकचैन तकनीक की उपयोग संबंधी अनिश्चितता और नेगेटिव माहौल खतरनाक हो सकता है. सो, भारत सरकार को अपने तरीकों में बदलाव लाने होंगे.

आईटी क्षेत्र की कई बड़ी कम्पनियाँ ब्लौकचैन तकनीक आधारित तरीकों पर काम कर रही हैं. आईबीएम और माइक्रोसौफ्ट एजर पहले ही बीएएएस प्लेटफार्म तैयार कर चुके हैं. इस के आलावा, 2 वर्षों की प्रैक्टिकल टेस्टिंग के बाद वालमार्ट ने किसी भी प्रोडक्ट के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पहचान सम्बन्धी ब्लौकचैन लांच कर दिया है.

ग्लासडोर की रिपोर्ट बताती है कि आईबीएम, ओरेकल, क्रेकन, एक्सेंचर, जेपी मौर्गन और केपीएमजी कंपनियां ब्लौकचैन क्षेत्र में नई नौकरियों के मामले में शीर्ष पर हैं. कई दूसरे ब्लौकचैन स्टार्टअप भी अपने विस्तार पर काम कर रहे हैं.

उधर, गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनी फिनवे के एक उच्च अधिकारी का मानना है कि मौजूदा माहौल में ब्लौकचैन के साथ ही किसी दूसरे क्षेत्र में भी क्षमता विकसित करना बेहतर रहेगा. वे कहते हैं, ‘ब्लौकचेन तकनीक देश के रोजगार क्षेत्र के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है लेकिन किसी भी व्यक्ति को इस के साथ किसी एक पारंपरिक तकनीक का भी प्रशिक्षण लेना चाहिए. कुछ मामलों में ब्लौकचैन क्षेत्र में देश से प्रतिभा पलायन हो रहा है लेकिन तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जीवनयापन के मूल्यों में इजाफे से अगले 5 सालों में हम देखेंगे कि प्रतिभा पलायन के स्थान पर बहुत से लोग भारत का रुख करेंगे.’

ब्लौकचैन डिस्ट्रिब्यूटेड डाटा बेस होती है. इस में लगातार कई रिकार्ड्स को रखा जाता है जिन्हें ब्लौक कहते हैं, जिस में हर ब्लौक अपने पूर्व के ब्लौक से लिंक रहता है. इस तकनीकी में हजारों कंप्यूटर पर इन्क्रिप्टेड यानी गुप्तरूप से डाटा सुरक्षित रहता है. इसे पब्लिक लेजर भी कहते हैं. इसे हैक करने के लिए सभी हजारों कंप्यूटर में एकसाथ साइबर अटैक करना होगा जो कि नामुमकिन है.

भारत मैं हैकिंग रोकने और साइबर सिक्‍योरिटी को बढ़ावा देने के लिए ब्लौकचैन तकनीक लागू करने वाला आंध्र प्रदेश पहला राज्‍य है. कोई भी अपना ब्लौकचैन अकाउंट https://blockchain.info/ वेबसाइट पर बना सकता है.

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