वैब सीरीज रिव्यू- पढ़ें यहां

सैक्स एजुकेशन

रिलीज ईयर – 2019

क्रिएटर – लौरी नन

कास्ट – एसा बटरफील्ड, गिलिअन एंडरसन, एमा मैके, कोनर स्वींडल्स

जौनर – कौमेडी ड्रामा, सैक्स कौमेडी, टीन ड्रामा

सैक्स एजुकेशन ब्रिटिश टीन कौमेडी ड्रामा वैब टैलीविजन सीरीज है जिस का इसी साल जनवरी में नैटफ्लिक्स पर प्रीमियर हुआ था. जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि इस में टीनएजर सैक्स पर बात की गई है. लेकिन, यह अपेक्षाओं से बिलकुल हट कर है. असल में यह शो सिर्फ सैक्स पर बात ही नहीं करता बल्कि टीनएजर्स की उस मानसिक स्थिति को भी उजागर करता है जिस से वे गुजर रहे हैं, हालांकि शो को खास इस पूरे मैटर को दिखाने का तरीका बनाता है.

ओटिस 16 साल का लड़का है और बाकी सभी लड़कों की ही तरह उस में भी कई शारीरिक और मानसिक बदलाव हो रहे हैं. उस की खुद की मां सैक्स काउंसलर हैं जिस कारण उसे सैक्स को ले कर अपनी उम्र से ज्यादा जानकारी है. यही वजह है कि वह सैक्स को ले कर इतना सहज नहीं है. सीरीज का इंट्रैस्ंिटग पार्ट तब शुरू होता है जब ओटिस स्कूल के बुली को उस की सैक्सुअल एंग्जाइटी पर एडवाइस देता है और जो उस के काम भी आती है. इस का फायदा मैव उठाती है जो ओटिस का कृश है. मैव ओटिस के पास स्कूल के बच्चों से पैसे ले कर उन्हें सैक्स एडवाइस लेने भेजती है.

सीरीज कहींकहीं बहुत हंसाती है तो कहीं रुलाती भी है. इसे देख बहुत कुछ जानने और सीखने को तो मिलता ही है, साथ ही एंटरटेनमैंट भरपूर होता है.

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अलियास ग्रेस

रिलीज ईयर – 2017

क्रिएटर – साराह पौली

कास्ट – सैरा गडेन, एडवर्ड होलक्रोफ्ट, रेबेक्का लीडियार्ड, जेकरी लेवी, पौल ग्रोस

जौनर – ड्रामा, मिस्ट्री

कनैडियन टैलीविजन मिनी सीरीज अलियास ग्रेस मारग्रेट औटवुड के इसी नाम के उपन्यास पर बेस्ड है. असल में मारग्रेट औटवुड ने यह उपन्यास आयरिश-कनैडियन 17 वर्षीया ग्रेस मार्क्स के जीवन पर लिखा था जिसे 1843 में अपने मालिक और उस की मिस्ट्रैस के खून के इलजाम में दोषी साबित किया गया था. ग्रेस मार्क्स के इस खून में भागीदारी के इलजाम को सालों तक सिर्फ इसलिए साबित नहीं किया जा सका था क्योंकि उस ने इसे कुबूलने से इनकार कर दिया और यह कहा कि उसे कुछ याद नहीं.

6 घंटे की इस मिनी सीरीज में यह प्रश्न बना रहता है कि क्या ग्रेस एम्नीशिया से पीडि़त थी, क्या उस में मल्टीपल पर्सनैलिटीज थीं, क्या सचमुच उस की दोस्त मेरी व्हीटली की रूह थी उस में, क्या वह निर्दोष थी या फिर सबकुछ ही ?ाठ था या दिखावा? किसी को असल में कभी पता ही नहीं चला कि ग्रेस मार्क्स ने असल में इस खून के पीछे क्या भूमिका निभाई थी. सीरीज थ्रिलिंग है, रहस्य से भरी हुई है, कहींकहीं लगता है जैसे ग्रेस कहानी को इस तरह बता रही हो जैसे वह अतीत में हो या किसी और ही दुनिया में.

सीरीज देखने पर 80 के दशक की लड़कियों का शोषण के खिलाफ न बोल पाना और अपनी आवाज उठाने में ?ि?ाकना साफ देखा जा सकता है, खासकर, जब ग्रेस की दोस्त मेरी अपने अमीर मालिक के बच्चे की मां बनने वाली होती है और उसे छिप कर अपना अबौर्शन कराना पड़ता है. उस जमाने में अबौर्शन की न कोई तकनीक मौजूद थी न सुविधा. इसी कारण जो कुछ मेरी के साथ हुआ वह ग्रेस के दिलोदिमाग में हमेशा के लिए घर कर जाता है. मेरी की चींखें सचमुच कानों में कई दिनों तक गूंजती हैं. यकीनन यह एक मस्ट वाच सीरीज है और इस से बेहतर तरीके से शायद ही इसे दिखाया जा सकता था.

फ्लीबैग

रिलीज ईयर – 2016

क्रिएटर -फीबी वालर-ब्रिज

कास्ट – फीबी वालर-ब्रिज, सिआन क्लिफोर्ड, ओलिविया कोलमैन, बिल पीटरसन, एंडरू स्कौट

जौनर – कौमेडी ड्रामा, ट्रैजिक कौमेडी

फ्लीबैग बाकी सभी वैब सीरीज से काफी अलग है क्योंकि यह न केवल एक मिनी ट्रैजिक कौमेडी सिटकौम है बल्कि यह ‘फोर्थ वाल’ पर बेस्ड है. फोर्थ वाल असल में सिनेमा का वह रूप है जिस में ऐक्टर अपने किरदार को निभाते हुए औडियंस से या कहें खुद से बात करता है, जिसे दर्शक देख सकते हैं लेकिन फिल्म या कहानी के अंदर किरदार के आसपास के लोग नहीं. फीबी वौलर-ब्रिज द्वारा क्रिएट की गई इस सीरीज में खुद फीबी ने ही मुख्य किरदार निभाया है. किरदार का असली नाम क्या है, यह उजागर नहीं होता, इसीलिए उसे फ्लीबैग कहा जा सकता है.

फ्लीबैग असल में एक स्ट्रौंग ब्रिटिश वुमन है जो बिलकुल अकेली है. उसे सैक्स करना पसंद है, उस के पास पैसा नहीं है, उस का खुद का कैफे है जो उस ने अपनी बैस्ट फ्रैंड बू के साथ शुरू किया था जो मर चुकी है. फ्लीबैग की एक सक्सैसफुल बहन है जो अपनी जिंदगी में उल?ा हुई है, पिता बात कर नहीं पाते और सौतेली मां उसे कुछ समझती नहीं. ओवरऔल उस की जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं है. इन सभी के बीच फ्लीबैग फोर्थ वाल के जरिए कभी अपना गिल्ट बताती है, कभी किसी से बात करते हुए उस का मजाक उड़ाती है, दर्शकों को अपनेआप को जज करने का मौका देती है तो कभी बहानों की तरह इस फोर्थ वाल को यूज करती है.

क्रिटिकली एक्लैमड सीरीज फ्लीबैग फन्नी, इमोशनल, थ्रिलिंग और अमेजिंग है. बहुत ज्यादा गहराई में न उतर कर भी यह सीरीज गहराई का एहसास देती है. सीरीज के सब से दिलचस्प मोमैंट्स में से एक मोमैंट वह है जब फलीबैग बारबार अपनी सौतेली मां का सब से कीमती मेमैंटो चुरा लाती है और उसे जहां कहीं मौका मिलता है वहां यूज करती है. सीरीज के 2 सीजन हैं जिस में दूसरा सीजन माइंडब्लोइंग है.

टीवीएफ ट्रिपलिंग

रिलीज ईयर – 2016

क्रिएटर्स – द वाइरल फीवर

कास्ट – सुमित व्यास, अमोल पराशर, मानवी गगरु, कुणाल राय कपूर

जौनर – ड्रामा, कौमेडी

टीवीएफ ट्रिपलिंग इंडियन वैब सीरीज है जिस का कौंसैप्ट फ्रैश है और इंडियन सीरीज के लैवल को बढ़ाता है. चंदन, चितवन और चंचल 2 भाई एक बहन हैं जिन के नाम असल में सरस्वती चंद्र के गाने में से लिए गए हैं. तीनों अपनीअपनी जिंदगियों में परेशान होते हैं जब एक अनप्लैंड ट्रिप उन्हें एकदूसरे से एक बार फिर जोड़ देती है. सीरीज के डायलौग्स बहुत बढि़या हैं और उस से भी ज्यादा बढि़या है ऐक्टर्स की ऐक्ंिटग. सुमित व्यास चंदन के रोल में इतना फिट बैठता है कि यकीन नहीं होता कि वह केवल एक किरदार निभा रहा है. ऐसी ही अमोल पराशर की परफौर्मेंस भी है जो परफैक्ट है.

एक एपिसोड है जिस में चितवन चंदन को फट्टू कहता है और चंदन सचमुच गुंडों से लड़ने पहुंच जाता है. इस सीन में ठहाके मारमार कर हंसने से शायद ही कोई खुद को रोक पाएगा. हालांकि, आज की सभी इंडियन सीरीज की तरह इस में भी गालीगलौज है लेकिन ‘सैक्रेड गेम्स’ या ‘मिर्जापुर’ जैसी नहीं. सीरीज का म्यूजिक भी अच्छा है जिस से सीरीज में कनैक्टिविटी बढ़ती है. इस के 2 सीजंस हैं और दोनों ही देखने लायक हैं. पहले सीजन में जहां ये तीनों खुद की तलाश में निकलते हैं वहीं दूसरे में चंचल के पति की तलाश में जो असल में थोड़ा ट्रैजिक है, लेकिन मजा इस में भी बराबर बना रहता है. सीरीज में ‘क्राइसिस के टाइम पर फैमिली ही काम आती है’ जैसे वन लाइनर्स तो हैं ही.

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गर्ल्स होस्टल

रिलीज ईयर – 2018

क्रिएटर्स – गर्लीयापा 

कास्ट -सृष्टि श्रीवास्तव, पारुल गुलाटी, एहसास चन्ना, सिमरन नाटेकर, गगन अरोड़ा

जौनर – कौमेडी, ड्रामा

19 साल की रिचा डैंटल कालेज की फर्स्ट ईयर की स्टूडैंट है जहां उस के होस्टल के पहले दिन से ही रोमांच शुरू हो जाता है. गर्ल्स होस्टल में चारों तरफ से घिरी रिचा को मजा खूब आता है जिस में उस का हर कदम पर साथ देती है ?दिल्ली सी लड़की मिली. सीरीज असल में

4 लड़कियों रिचा, मिली, जो और जाहिरा के इर्दगिर्द घूमती है. मिली और रिचा एकदूसरे की अच्छी दोस्त बन जाती हैं और कभी होस्टल की लड़कियों की जासूसी करती फिरती हैं तो कभी किसी के ?ागड़ों को सुल?ाती रहती हैं. सीरीज में मस्तीमजा, सीनियरजूनियर की खींचतान, डैंटल और मैडिकल के बीच की लड़ाइयां और कहींकहीं थोड़ा प्यारमोहब्बत भी है. आखिर सीरीज की टैगलाइन ही ‘औल गर्ल्स, वन कैंपस, नो मर्सी’ है.

ज ज्यादा लंबी नहीं है और इस के एपिसोड्स यूट्यूब पर भी अवेलेबल हैं. हर एपिसोड में कुछ न कुछ खास है जिस का अंदाजा एपिसोड्स के नाम से भी कलकता है जिस में एक एपिसोड का नाम ‘द ब्रा चोर’ है. इसी तरह होस्टल का एक कोना है जहां कुछ भी छोड़ो, गायब हो जाता है, इसलिए उस कोने का नाम बरमूडा ट्रायंगल रखा गया है. इसी तरह कई चीजें हैं जिन्हें देख और सुन कर हंसी आती है. सीरीज के एक एपिसोड में सृष्टि यानी जो का एक मोनोलौग भी है जिसे बारबार सुनने का मन करता है. वैसे, यह सृष्टि श्रीवास्तव का पहला मोनोलौग नहीं है जो इतना फेमस हुआ है, इस से पहले भी उस के कई मोनोलौग्स हैं जिन्हें यूथ ने काफी पसंद किया है जिन में एक सैक्स पर तो एक मलिका दुआ के साथ मोटी लड़कियों पर बेस्ड है. कुल मिला कर यह सीरीज बढि़या है जो आजकल के यूथ की पहली पसंद भी है.

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