लिवइन रिलेशनशिप में कितना प्यार कितना धोखा

हाल ही में हमने सुशांत और रिया की लिवइन रिलेशनशिप का अंत देखा जो बहुत ही दुखद और गंदा रहा. रिया पर न सिर्फ अपने पार्टनर सुशांत के साथ धोखा करने पैसों का हेरफेर करने और ड्रग्स दे कर उसे मानसिक रूप से बीमार करने के आरोप लग रहे हैं बल्कि उसे सुशांत को अपने परिवार वालों से दूर करने का दोषी भी माना जा रहा है. हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं और कहीं न कहीं रिया दोषी भी साबित होती जा रही है. सवाल उठता है कि यह कैसा प्यार था जहां अपने ही साथी को आप गलत तरीके आजमा कर बरबाद कर डालते हो, मरवा देते हो या आत्महया के लिए मजबूर कर देते हो.

हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही एक केस आया. लिवइन में रह रही एक शादीशुदा महिला का बेरहमी से कत्ल कर दिया गया. महिला का पति से विवाद चल रहा था. वह फिलहाल वेस्ट विनोद नगर में एक शख्स के साथ लिवइन में रह रही थी. मृतका की पहचान ममता के तौर पर हुई है. वह एक सरकारी अस्पताल में प्राइवेट गार्ड की नौकरी करती थी. परिजनों ने लिवइन पार्टनर ब्रह्म सिंह उर्फ कल्लू पर हत्या का आरोप लगाया है. पुलिस ने हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है. आरोपी ब्रह्म सिंह फरार है जिस की तलाश में पुलिस जुटी है.

प्यार तो एक खूबसूरत एहसास है. प्यार सच्चा हो तो इंसान की जिंदगी बदल जाती है. उसे दुनिया की हर ख़ुशी मिल जाती है. मगर प्यार में बेईमानी की मिलावट जीवन तबाह भी कर सकती है. इस प्यार के रंग भी अजीब है. कभी दो अजनबी शादी के बाद प्यार के बंधन में जुड़ते हैं तो कभी दो प्यार करने वाले किसी एक छत के नीचे रह कर बिना शादी के भी इस बंधन में बंध जाते हैं.

प्यार में कभी इंसान किसी पर मरता है तो कभी किसी को मार भी जाता है. कभी प्यार इतना गहरा होता है कि एकदुसरे को देख लेना ही काफी होता है तो कभी रिश्ते इतने जटिल हो जाते हैं कि कानूनी लड़ाइयां लड़नी पड़ती हैं.

प्यार की कितनी ही खूबसूरत कहानियां हैं और इसी प्यार में डूबे लिवइन पार्टनर के अनुभव भी कम रोचक नहीं. वैसे भी लिव-इन का चलन समाज में काफी समय से रहा है. अंतर सिर्फ इतना है कि पहले यह रिश्ता छिपछिप कर बनाया जाता था अब खुलेआम बनाए जाते हैं. पर इस रिश्ते की खूबसूरती तभी है जब इसे ईमानदारी और प्यार से निभाया जाए.

अमृता और इमरोज का रूहानी लिवइन रिलेशनशिप

एक चित्रकार और एक कवयित्री का खूबसूरत मिलन जिस में उन्होंने प्रेम का एक अनोखा संसार रचा था. इमरोज एक चित्रकार थे और अमृता प्रीतम एक कवयित्री.

अमृता ने स्त्री आज़ादी को जिया और वह भी एक ऐसे दौर में जब वह सब करना आसान नहीं था. अमृता के लिए आज़ादी का मतलब था भावनात्मक आज़ादी और फिर सामाजिक आज़ादी. अपने जीवन में उन्होंने ये दोनों आज़ादी हासिल की.

31 अगस्त, 1919 को जन्मी अमृता के लिए लिखना एक करियर नहीं बल्कि जुनून था. उसी जूनून के साथ उन्होंने अपने रिश्तों को भी जीया.

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उस दौर में जब कोई लिवइन रिलेशनशिप के बारे में सोच नहीं सकता था, अमृता ने ऐसा किया. दुनिया में हर आशिक़ की तमन्ना होती है कि वह अपने इश्क़ का इज़हार करे. लेकिन अमृता और इमरोज़ इस मामले में अनूठे थे. उन्होंने कभी भी एकदूसरे से नहीं कहा कि वे प्यार करते हैं.

अमृता इमरोज़ एक ही छत के नीचे अलगअलग कमरों में रहते रहे. अमृता को रात में लिखने की आदत थी ताकि कोई शोरगुल न हो. इमरोज़ तब सोते थे लेकिन अमृता को लिखते वक़्त चाय चाहिए होती थी. इसलिए इमरोज़ उन के लिए रात में एक बजे चाय बनाते थे. उन का प्रेम एक ऐसा प्रेम था जहां कोई दावेदार न था.

इमरोज़ ने अमृता की ख़ातिर अपने करियर के साथ भी समझौता किया. उन्हें कई ऑफर मिले लेकिन उन्होंने अमृता के साथ रहने के लिए उन्हें ठुकरा दिया.

जीवन की आख़िरी सांस तक इमरोज़ ने अमृता का साथ निभाया. कूल्हे की हड्डी टूटने से अमृता बिस्तर पर आ गईं. तब उन्हें नहलाना, धुलाना, खिलाना, पिलाना, सुलाना सब इमरोज़ करते रहे.

31 अक्तूबर 2005 को अमृता ने आखिरी सांस ली लेकिन इमरोज का कहना था कि अमृता उन्हें छोड़ कर नहीं जा सकतीं वह अब भी उन के साथ हैं. इमरोज ने लिखा था – उस ने जिस्म छोड़ा है, साथ नहीं.

तिवारी और उज्ज्वला का कनैक्शन

कभी देश के कद्दावर नेताओं में शुमार किए जाने वाले नारायण दत्त तिवारी की राजनीति से इतर निजी जिंदगी में काफी हलचल बनी रही. अपने जीवन के 80वें दशक के अंतिम दौर में उन्हें सब से मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा जब रोहित शेखर नाम के युवा ने तिवारी के खिलाफ पितृत्व का केस कर दिया और उन्हें अपना जैविक पिता माना.

कोर्ट ने इस के लिए तिवारी का डीएनए सैंपल टेस्ट लेने का आदेश दिया. 29 मई 2011 को उन्हें डीएनए जांच के लिए अपना खून देना पड़ा. इस डीएनए जांच की रिपोर्ट 27 जुलाई 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट में खोली गई. रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि तिवारी रोहित के जैविक पिता हैं और उज्जवला जैविक माता.

डीएनए रिपोर्ट आने के 2 साल के अंदर 14 मई, 2014 को एनडी तिवारी ने लखनऊ में रोहित की मां उज्ज्वला के साथ शादी कर ली. विवाह के समय उन की उम्र 88 साल थी.

रोहित शेखर की मां उज्ज्वला शर्मा की तिवारी से पहली मुलाकात 1968 में अपने पिता के घर हुई थी. तब वह उम्र के तीसरे दशक में थीं और तलाकशुदा थीं. उस वक्त तिवारी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. धीरेधीरे उन का परिचय बढ़ा और तिवारी के अप्रोच करने पर दोनों एकदूसरे के करीब आ गए. उन के बीच रिश्ता कायम हुआ.

पति, पत्नी और वो

पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस और जया जेटली का रिश्ता बेहद खास था. जॉर्ज ने 1971 में लैला कबीर से शादी की थी.

चार साल बाद ही देश में आपातकाल लागू हो गया. उस समय उन की पत्नी अमेरिका चली गईं और करीब दो वर्षों तक दोनों में कोई संवाद नहीं हो सका. आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार में जॉर्ज केंद्रीय मंत्री बने.

उसी दौर में जया के पति अशोक जेटली जॉर्ज के विशेष सहायक थे. यही वह समय था जब जया से उन की मुलाकात हुई. जल्द ही वह उन के साथ काम करने लगीं. दोनों एकदूसरे के करीब आए .

बात 2010 की है. जॉर्ज बीमार हो गए और पत्नी लैला उन के पास लौट आईं. जॉर्ज अल्जाइमर से पीड़ित थे. जया जॉर्ज से मिलना चाहती थीं लेकिन लैला ने उन्हें मिलने से रोक दिया. 2012 में जया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष कोर्ट ने उन्हें हर 14 दिनों पर 15 मिनट के लिए मुलाकात की अनुमति दे दी.

तेज़ाब का दर्द कम किया लिवइन पार्टनर ने

हाल ही में दीपिका पादुकोण ने एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की जिंदगी पर आधारित फिल्म छपाक में लक्ष्मी की भूमिका निभा कर उस की कहानी लोगों तक पहुंचाई. वर्ष 2005 में एक सिरफिरे आशिक द्वारा अपने ऊपर तेजाब फेंकने की घटना के बाद भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और एसिड अटैक की शिकार लड़कियों के लिए काम करना शुरू किया. देशभर में तेजाब हमले का शिकार हो चुकी युवतियों और महिलाओं को संबल प्रदान करना उन की जिंदगी का लक्ष्य हो गया. इसी दौरान लक्ष्मी की मुलाक़ात सामाजिक कार्यकर्ता आलोक से हुई.

वह आलोक से प्रभावित हुईं. निकटता बढ़ती गई और दोनों दो जिस्म एक जान हो गए. लक्ष्मी को अपना एक साथी मिल गया और जीवन थोड़ा सुगम हो गया. वे दोनों एक साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

मगर अब लक्ष्मी और आलोक साथ नहीं हैं. लक्ष्मी एक सिंगल मदर हैं. वह बताती हैं कि आलोक को जब लगा कि अलग होना है तो वह अलग हो गए. जिस तरह दोनों खुशी से साथ आए थे उसी तरह अलग भी हो गए.

इसी तरह जोन अब्राहम और बिपाशा बासु, रणवीर कपूर और कटरीना कैफ, देव पटेल और फ्रीडा पिंटो, आमिर खान और किरण राव, कुणाल खेमू और सोहा अली खान, सैफ अली खान और करीना कपूर जैसे कई स्टार भी लिवइन रिलेशन में रह चुके हैं.

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समाज का नजरिया

समाज में सदियों से कन्यादान और वर्जिनिटी की मान्यताएं चली आ रही हैं. ऐसे में लिवइन को समाज में अच्छी नजरों से नहीं देखा जाता. ज्यादातर लोगों का मानना यही होता है कि शादी जहां उम्र भर साथ निभाने और जिम्मेदारियां निभाने का बंधन है वही लिवइन जिम्मेदारियों से भागने का शिगूफा है.

खासकर लिवइन का चलन लड़कियों के भविष्य के लिए कई सारे सवाल खड़े करता है. ज्यादातर लोगों की सोच है कि पुरुष तो कुछ समय साथ रहने के मजे ले कर जब चाहे अलग हो सकते हैं मगर लड़कियों को फिर उम्र भर रोना पड़ता है. अपनी वर्जिनिटी खो कर उसे कुछ हासिल नहीं होता सिवा पछतावे के.

आज के बहुत से युवा ऐसी मान्यताओं और सोच को दरकिनार कर लिवइन रिलेशनशिप का स्वाद चखने को बेताब मिलते हैं. वे शादी जैसे मसले पर काफी कन्फ्यूज रहते हैं इस लिए कमिटमेंट से डरते हैं और पहले कम्पैटबिलिटी चेक करना चाहते हैं.

क़ानून की नजर में

आजकल लिवइन में रह रही लड़कियों को भी काफी अधिकार मिलने लगे है. महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कानून बनाए गए हैं ताकि कोई पुरुष केवल सेक्स संबंध के लिए किसी लड़की के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के बाद छोड़ न सके. अगर वह छोड़ता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है. लिवइन में रहने वाली महिलाओं के पास ऐसे कई कानूनी अधिकार हैं जो भारतीय पत्नी को संवैधानिक तौर पर दिए गए हैं.

1. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

2. संपत्ति में अधिकार

3. संबंध टूटने की स्थिति में मैंटेनैंस एलुमनी का हक़

4. बच्चे को संपत्ति में अधिकार- लिवइन में पैदा हुए बच्चों को भी अपने मांबाप की संपत्ति पर अधिकार मिलेगा. लेकिन पुस्तैनी जायदाद पर ऐसे बच्चों को हक़ नहीं दिया गया है.

लिवइन में रहने के बाद कोई लड़का किसी लड़की को छोड़ देता है तो कोर्ट उस के हक़ दिलाने का काम करेगा. इस हक़ के लिए पीड़िता लड़की को लिवइन में होने के सबूत खासकर आर्थिक लेनदेन के कागज कोर्ट के सामने पेश करने होंगे.

लिवइन रिलेशनशिप के फायदे

पहले से पार्टनर को समझने का मौका मिलता है. इंसान की कुछ ख़ूबियां और खामियां ऐसी होती हैं जिन का पता साथ रहने पर ही चलता है. ऐसे में साथ रह कर यदि आप को महसूस होता है कि आप पार्टनर के साथ एडजस्ट नहीं हो सकते तो आप के पास अलग होने का विकल्प खुला होता है.

लिवइन पार्टनर्स को ब्रेकअप के लिए फैमिली ड्रामे और लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ता. जब चाहें बहुत आसानी से अलग हो सकते हैं.

इस रिश्ते में रहतेरहते ज्यादा कानूनी अधिकारों के लिए विवाह के बंधन में भी बंध सकते हैं.

दोनों पार्टनर अपनी जिम्मेदारियां बिना किसी दबाव के निभाते हैं. रिश्ते में एक सहजता रहती है.

यह रिश्ता अधिक बोझिल नहीं होता. ऐसे में दोनों पार्टनर पूरी तरह से निजी रूप से आजाद होते हैं.

लिवइन रिलेशनशिप के नुकसान

लिवइन पार्टनर्स को अक्सर घर ढूंढने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे रिश्तों को सही नहीं मानते और ऐसे कपल्स को घर किराये पर देने से हिचकिचाते है.

जॉइंट अकाउंट्स, इंश्योरंस और वीजा आदि के ऑफिसियल डॉक्यूमेंटेशन में कठिनाई आ सकती है.

बंधन में न बंधने की आजादी तो होती है पर जिंदगी खुल कर एन्जॉय नहीं कर पाते क्योंकि अविश्वास की भावना पनपने का डर बना रहता है.

पार्टनर द्वारा कमिट्मेंट तोड़े जाने का डर रहता है. जिस से मन में तनाव रहता है.

कई बार पार्टनर आप को धोखा दे देता है और आप कुछ नहीं कर पाते हो.

लिवइन रिलेशनशिप में आप परिवार की खुशी का मजा नहीं ले सकते. कहीं न कहीं आप का अपना परिवार आप से दूर होता जाता है. क्योंकि लोग आसानी से इसे स्वीकृति नहीं देते.

रखें ध्यान

किसी के साथ लिवइन में रहना गलत नहीं मगर उस पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेना गलत है जैसा कि सुशांत ने किया था. हर रिश्ते में एक स्पेस जरूरी है. अपने लिवइन पार्टनर को अपने जीवन से जुड़े हर फैसले लेने की अनुमति न दें. अपने बैंक के डाक्यूमेंट्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने का हक़ उसे कतई न दें. कुछ चीज़ों में प्राइवेसी रखनी चाहिए क्यों कि वह कानूनी तौर पर आप का हमसफ़र नहीं है.

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अगर लिवइन में हैं आप

भारतीय समाज में विवाह के रिश्ते को जन्मजन्म का बंधन समझा जाता रहा  है. लेकिन, आज विवाह की जगह लिवइन रिलेशन दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं.  बड़े शहरों व  खुलीसोच वाले समाज में पश्चिमी सभ्यता अपना असर खूब दिखने लगा है.  युवा समाज इन रिश्तों को जहां ज्यादा सुविधाजनक समझ रहा है, वहीँ इन्हें अनैतिक समझने वाले लोग भी हैं. यह भी सच है कि अगर 2 इंसान एकदूसरे को प्यार करते हैं,  तो उन्हें सामाजिक, धार्मिक, कानूनी सैंक्शन की जरूरत क्यों हो,  लिवइन में रहने वालों की अलग सोच होती है.

लिवइन आज भले ही एक नया टर्म लगता हो, पर यह सदियों से होता रहा है. वेदों में 8 तरह के विवाह हैं. उन में से एक है गन्धर्व विवाह, जिस में पुरुष और स्त्री अपनी मरजी से विवाह कर लेते थे. ऐसे विवाह में न कोई फेमिली मेंबर शामिल होता था न कोई रस्मरिवाज.  यह सिर्फ मुंह से एक कमिटमेंट होता था और  उन्हें पति व पत्नी का दर्जा हासिल हो जाता था.

बौलीवुड का कौंसेप्ट समाज में बदलाव ले आता है. यह बदलाव चाहे अच्छा हो या बुरा, वास्तविक जीवन पर प्रभाव छोड़ता है.  इन में से ही एक बदलाव है,  लिवइन रिलेशन. बौलीवुड की एक नहीं , कई सेलिब्रिटीज हैं जो कभी न कभी अपनी लाइफ में खुल कर लिवइन में रही हैं, चाहे सुपरस्टार राजेश खन्ना हों या मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान हों , कइयों ने लिवइन रिलेशन को एंजौय किया.  इन में से कुछ रिश्ते टूट गए,  कुछ विवाह में भी बदले. जौन अब्राहम-बिपाशा बासु, रणबीर कपूर-कटरीना कैफ, अभय देओल-प्रीति देसाई, देव पटेल-फ्रीडा पिंटो, सुशांत सिंह-अंकिता लोखंडे, कुणाल खेमू-सोहा अली खान, राजेश खन्ना-अनीता आडवाणी आदि व अन्य की लिस्ट लंबी है जिन्होंने लिवइन में काफी समय बिताया. जौन अब्राहम और बिपाशा बासु  लगभग 10 दस साल एकदूसरे के साथ रहे.  पर अचानक सम्बंध खराब हो गए और दोनों अलग हो गए.

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बिपाशा ने बाद में करण सिंह ग्रोवर से शादी की और जौन ने मौडल प्रिय रुंचाल से. रणबीर कपूर और कटरीना कैफ सालों लिवइन रिलेशनशिप में रहे.  दोनों बांद्रा में एक पौश अपार्टमेंट में रहते थे. पर फिर दोनों अलग हो गए.  ब्रेकअप के बाद रणबीर नए फ्लैट में चले गए तो कटरीना अपने पहले के घर में. देव पटेल और फ्रीडा पिंटो ‘स्लमडॉग मिलियनेर’ के समय करीब आए.  तब से दोनों साथ रह रहे हैं. आमिर खान और किरण राव ‘लगान’ के सेट पर मिले और एकदूसरे के करीब आते चले गए.  विवाह से पहले दोनों कई साल लिवइन रिलेशनशिप में रहे. लारा दत्ता और भूटानी एक्टर केलि दोरजी 10 साल से ज्यादा लिवइन रिलेशनशिप में रहे पर फिर अलग हो गए. लारा दत्ता ने टेनिस प्लेयर महेश भूपति से विवाह किया.  केलि सोशल सीन से गायब हैं. राजेश खन्ना की डैथ के बाद उन की लिवइन पार्टनर अनीता आडवाणी ने अपने रिश्ते को खुल कर स्वीकारा.  उन्होंने कहा कि वे तब से राजेश खन्ना के साथ रह रही थीं जब से उन का डिंपल कपाड़िया से तलाक हुआ था.

टीवी पर्सनैलिटीज़ गुरमीत और देबिना एक टैलेंट हंट कौन्टेस्ट में मिले थे. औनस्क्रीन राम-सीता जोड़ी ने विवाह करने से पहले 5 साल एकदूसरे को डेट किया.  एकदूसरे  को अच्छी तरह जानने के लिए लिवइन में भी रहे. कमेडियन कृष्णा अभिषेक और कश्मीरा 2013 में परिवार और दोस्तों की उपस्थिति में शादी करने से पहले लगभग 9 साल लिवइन में रहे. अचिन्त्य कौर और मोहन कपूर लगभग 16 साल लिवइन में रहे. फिर अलग हो गए. पर वे अभी भी अच्छे दोस्त हैं, और एक ही बिल्डिंग में रहते हैं. ‘पवित्र रिश्ता’ एक्टर्स सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे 6 साल रिलेशनशिप में रहे, फिर अलग हो गए.

बौलीवुड और क्रिकेट कई प्लेटफौर्म्स पर एकसाथ नजर आते रहे हैं.  चाहे मूवी का प्रमोशन हो, आईपीएल हो या बौलीवुड एक्ट्रेसेस के साथ रिलेशनशिप की बात हो, क्रिकेट और बौलीवुड का  नाता हमेशा से रहा है और रहेगा. मोहम्मद अजहरुद्दीन और संगीता बिजलानी के रिश्ते ने समाचारपत्रों की खूब सुर्खियां बटोरी थीं. वे कई साल साथ रहे. 1996 में अजहरुद्दीन ने अपनी वाइफ नौरीन को तलाक दे कर  संगीता से विवाह किया पर दोनों 2010  में अलग हो गए. विवियन  रिचर्ड्स और नीना गुप्ता का लिवइन तो शायद सब से ज्यादा चर्चित लिवइन रिलेशनशिप रहा.  नीना गुप्ता के करीब आने के समय विव पहले से ही मैरिड थे.  दोनों काफी समय लिवइन में रहे. शादी नहीं की. विव और नीना गुप्ता की बेटी मसाबा एक फैशन डिजाइनर है.

जहीर खान और ईशा शेरवानी लगभग 10 साल तक लिवइन में रहे, फिर दोनों का ब्रेकअप हो गया. टीवी एक्ट्रेस नेहा फेंड्से ने हाल ही में पुणे के बिज़नेसमैन शार्दुल व्यास से विवाह किया है.  उन का कहना है कि लिवइन में रहने से वे एकदूसरे को अच्छी तरह से जान पाए.

नेताओं के लिवइन के किस्से भी खूब चर्चा में रहते हैं. राजनीति और विवाद साथसाथ चलते हैं. लव अफेयर्स हो या मनी स्कैम्स हों,  ये चर्चा में रहते ही हैं. कभी खुलेआम, कभी गुपचुप. कुछ किस्सों ने तो खूब सुर्खियां बटोरीं. चंद्र मोहन और अनुराधा बाली, एनटीआर और लक्ष्मी पार्वती.  1993 में एनटीआर ने 70 साल की उम्र में तेलुगू राइटर लक्ष्मी पार्वती से विवाह करने की बात कह कर सब को चौंका दिया था. एन डी तिवारी और उज्ज्ववला शर्मा, दिग्विजय सिंह-अमृता राय, यह लिस्ट भी बहुत लंबी है.

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जब लिवइन की बात आती है, कुछ लोग इस के बहुत खिलाफ होते हैं. वहीँ, आजकल कुछ लोग यह भी कहने लगे हैं कि इस में कोई बुराई नहीं. कुछ लोग अंदाजा नहीं लगा पाते कि जब आप किसी को प्यार करते हैं तो उस के साथ लिवइन में रहना कैसा लगता है. जब 2 लोग लिवइन में रहने का फैसला लेते हैं तो दोनों की लाइफ में बहुत सारे परिवर्तन और प्लानिंग से सामना होता है. पार्टनर के साथ लिवइन में रहने पर आप न सिर्फ भावनात्मक बल्कि शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी बहुतकुछ सीखते हैं. आप किसी के साथ एडजस्ट करना और एकदूसरे के पेरेंट्स के साथ निभाना भी सीखते हैं.

पर, सब से महत्त्वपूर्ण बात जो आप लिवइन में सीखते हैं, वह है एकदूसरे की कमियां और खूबियां. इस दौरान आप एकदूसरे को रेस्पेक्ट देना भी सीखते हैं, साथ ही, आप ये सब चीजें भी सीखते चले जाते हैं –
1. रूम शेयर करने के साथसाथ आप घर साफ़ करना, बरतन धोना, घर का सामान लाना और अपने कपड़े धोना आदि  सब काम सीखने के साथ बहुत सारी जिम्मेदारियों को निभाना और समझौते करना सीखते हैं. जो चीजें, जो काम आप ने अपने घर पर कभी नहीं किए थे, अब वे सब काम आप करते हैं और उन की चिंता भी करते हैं. अब ज्यादातर आप के वीकेंड्स घर के काम, और महत्त्वपूर्ण चीजों को करने में बीत जाते हैं.

2. कभीकभी किसी से सिर्फ मिल कर ही उस के  बारे में सबकुछ पता नहीं चल पाता. पर जब आप उन के साथ रहना शुरू करते हैं तो आप सब समझते हैं कि वह कैसा इंसान है, उस की क्या आदतें हैं, वह मुश्किल स्थिति से कैसे निबटता है, वह आर्थिक और सामान्य जीवन के फैसले कैसे लेता है, एक सब से जरूरी बात जो आप सीखते हैं ,वह है उस की ईगो और खराब मूड के साथ प्राइवेसी व पर्सनल स्पेस के कौंसेप्ट का ध्यान रखना.

3. साथ रहने से एकदूसरे की पर्सनल हाइजीन और आदतों को समझने का मौका मिलता है. एकदूसरे की हाइजीन सम्बंधी प्रौब्लम्स को आप समझ पाते है और आप अपनी किसी भी तरह की प्रौब्लम उस से शेयर कर पाते हैं.

4. जब आप अपने पार्टनर के साथ रहना शुरू करते हैं तो आप के जीवन में ही बदलाव नहीं आते, बल्कि उस की फेमिली और उस के फ्रेंड्स के विचार भी आप के लिए बदलते हैं. यही आप की फेमिली के साथ भी होता है. तो, जब भी आप दोनों में से किसी की फेमिली या फ्रेंड्स मिलने आते हैं, आप ज्यादा मिलनसार हो जाते हैं. आप कैसे एकदूसरे की फेमिली और फ्रेंड्स के साथ व्यवहार करते हैं, इस बात पर आप दोनों का आपसी रिश्ता बहुत माने रखता है.

5. किसी के साथ रहना कम्पेटिबिलिटी टेस्ट ही नहीं है, यह एकदूसरे के गुस्से से निबटने का सेशन भी है. कभीकभी आप को अपने पार्टनर की कोई बात पसंद नहीं आएगी, उस के काम करने का तरीका पसंद नहीं आएगा. तो, आप थोड़ा शांत रहने की, सब्र से समझने की कोशिश करेंगे और उस के साथ आराम से बैठ कर बात करना पसंद करेंगे, चिल्लाने पर कंट्रोल रखेंगे.

6. मैं की जगह आप ‘हम’ का महत्त्व समझेंगे, साथ रह कर आप को समझ आ जाएगा कि यह रिश्ता कैसा चलेगा, कुछ महीने साथ रह कर आप की अपने रिश्ते से उम्मीदें भी बदलती हैं.

7. आरती सिंह, जिन्होंने  हाल ही में अपने बौयफ्रेंड के साथ रहना शुरू किया है, कहती हैं, ”लिवइन में आप को वैसे कौंप्रोमाइज़ नहीं करने पड़ते जैसे शादी में करने पड़ते हैं. आप अपने खर्चे आराम से शेयर कर सकते हैं. रिश्तेदारों और फेमिलीज़ को खुश रखने का प्रेशर नहीं होता. आप अपना पर्सनल स्पेस एंजौय कर सकते हैं. आप तो पहले से ही समाज का नियम तोड़ रहे होते हैं, ऐसे में आप पर कोई सोशल प्रेशर होता ही नहीं.”

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8. आप लीगल कपल नहीं हैं तो आप काफी कानूनी चीजों से दूर हैं. तलाक किसी विवाह का दुखद अंत होता है, जो काफी कड़वे अनुभव दे जाता है. अंजू जैन, जो 3 साल से लिवइन में हैं, कहती हैं, ”लिवइन रिलेशनशिप से इमोशनल फ़ायदा होता है. मुझे लगता है कि ब्रेकअप से निबटना तलाक के ट्रॉमा को झेलने से ज्यादा आसान है.”

9. लिवइन रिलेशन में सब से अच्छा यह है कि दोनों अपनेअपने खर्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं. इस बाबत आलोक सिंह का कहना है, ”मुझे अपनी गर्लफ्रेंड पर खर्च करना पसंद है. पर वह मुझ से मेरे हर खर्च पर सवाल नहीं पूछती है. हम बिल्स शेयर करने में बहुत कम्फर्टेबल हैं. हम अपनी फिनांशियल फ्रीडम एंजौय करते हैं.

10. आजकल जिस तरह से तलाक के मामले बढ़ रहे हैं, उस में लिवइन में रह कर यह देखना कि यह रिश्ता चलेगा या नहीं, बुरा आइडिया नहीं है. चौबीसों घंटे साथ रह कर अपने पार्टनर की सही पर्सनैलिटी पता चल जाती है. नीता पांडेय, जिन्होंने 2 साल लिवइन में रहने के बाद अपने पार्टनर से शादी की, कहती हैं, “साथ रह कर आप एकदूसरे को ज्यादा अच्छी तरह जान जाते हैं, जिस से शादी के बाद काफी फ़ायदा होता है.”

11. नेहा वर्मा, जो लिवइन में हैं, कहती हैं, ”लिवइन रिलेशनशिप में दोनों पार्टनर्स समान होते हैं. दोनों जानते हैं कि रिश्ता न रहा तो दरवाजे खुले हैं. इसलिए वे हमेशा इस रिश्ते को प्यार से संभाल कर चलते हैं.” नेहा का कहना सही है, दोनों पार्टनर्स आर्थिक रूप से, सामजिक और कानूनी रूप से एकदूसरे पर निर्भर नहीं हैं तो वे समान स्पेस एंजौय करते हैं और इस रिश्ते की रेस्पेक्ट करते हैं.

12. यदि आप इस रिश्ते से खुश नहीं हैं, तो आप तलाक की मुहर लगवाए बिना इस रिश्ते से बाहर आ सकते हैं. हमारे देश में आज भी तलाक एक टैबू है और तलाकशुदा स्त्रियों को सम्मान से नहीं देखा जाता. लिवइन रिलेशनशिप से बाहर निकलना ज्यादा आसान है. अगर आप खुश नहीं हैं तो आप को इस रिश्ते को जीवनभर ढोने की जरूरत नहीं है.

13. जो लोग लिवइन में रह रहे हैं, उन का मानना है कि उन की बौन्डिंग मैरिड कपल से ज्यादा स्ट्रांग है क्योंकि उन पर कमिटमेंट्स और जिम्मेदारियों का बोझ नहीं है. शादी के बाद सारे एफर्ट्स  फौर ग्रांटेड मान लिए जाते हैं. लिवइन में ऐसा नहीं है. पार्टनर्स एकदूसरे की रेस्पेक्ट करते हैं और इस रिश्ते को बनाए रखने के एफर्ट्स  की तारीफ भी करते हैं.

14. लिवइन रिलेशन में आप को शारीरिक सुख की चिंता भी नहीं करनी पड़ती. आप अपने घर की चारदीवारी में ख़ुशी से अपने पार्टनर के साथ मनचाहा समय बिता सकती हैं.

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