पीठ दर्द और जकड़न से परेशान हो गई हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी उम्र 25 साल है. लौकडाउन और उसके बाद से मैं अपना सारा काम घर से ही कर रहा था. मेरा काम लैपटौप पर होता है. मेरी पीठ में दर्द होने लगता है. जकड़न भी महसूस होती है. ऐसे में काम करने में मुश्किल होती है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

गतिहीन जीवनशैली, गलत मुद्रा में बैठना, लेट कर लैपटौप पर काम करना, लगातार एक ही मुद्रा में काम करना और उठनेबैठने के गलत तरीकों के कारण घर से काम कर रहे लोगों में रीढ़ की समस्याएं विकसित हो रही हैं. ये सभी फैक्टर रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों पर तेज दबाव बनाते हैं. सभी काम झुक कर करने से रीढ़ के लिगामैंट्स में ज्यादा खिंचाव आ जाता है, जिस से पीठ में तेज दर्द के साथ अन्य गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं. सर्वाइकल पेन भी इसी से संबंधित एक समस्या है, जो गरदन से शुरू होता है. यह दर्द व्यक्ति को परेशान कर देता है. हालांकि एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली के साथ इस समस्या से बचा जा सकता है. रोज ऐक्सरसाइज करना, बौडी स्ट्रैच, सही तरीके से उठनाबैठना, सही तरीके से झुकना और शरीर को सीधा रखने से आराम मिलता है.

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पीठ, हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा.  मगर परेशानी तब शुरू होती है जब इसी हिस्से के दर्द को शुरुवात में हल्के में लिया जाता है. रही सही कसर टीवी पर आने वाले  तरह-तरह के मरहम के विज्ञापन पूरी कर देते हैं.  कमर दर्द या पीठ का दर्द कई वजहों से हो सकता है जैसे रीढ़ की हड्डियों की कमजोरी या वहां पनप रही कोई समस्या, मांसपेशियों का मजबूत ना होना, किसी प्रकार की कोई नई अथवा पुरानी चोट आदि.

वजह छोटी हो या बड़ी जरूरी यह है कि बिना देर किए समय पर चिकित्सा सलाह लें.

कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखेंगे तो कमर या पीठ की तकलीफ से बचा जा सकता है.

 पोश्चर – 

पोश्चर यानी आपके उठने, बैठने, सोने का सही तरीका.

अक्सर देखने में आता है जब भी हम किसी को सीधे बैठने के लिए कहते हैं  तो वो तन के बैठ जाते हैं और 5 से 10 मिनट बाद ही थक कर झुक जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां तनी हुई होने के कारण ज्यादा काम कर रही होती हैं और जल्दी ही थक जाती हैं.  सीधे बैठने का अर्थ है सीधी पर आरामदायक अवस्था में पीठ का होना.

पिछले 1 साल में कमर दर्द के मरीजों में इजाफा हुआ है. कई लोग वर्क फ्रम होम होने के बाद से कमर दर्द से परेशान थे .

इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पोश्चर का सही ना होना है. आप जब भी लंबे समय के लिए बैठे ध्यान  रखें कि आपकी कुर्सी आरामदायक हो. एर्गोनॉमिकली डिजाइन की गई कुर्सी आसानी से बाजार में उपलब्ध है, और अगर वह नहीं है तो बैठते वक्त एक तकिया आपकी कमर के पीछे लगाएं, ध्यान रखें कि तकिया ना तो बहुत कठोर हो ना ही मुलायम.  इसके अलावा एक टॉवल को रोल कर के अपनी गर्दन के पीछे रखें .

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

लॉकडाउन में अगर आपकी भी नौकरी चली गई है…तो फिर से पाने की ऐसे करें कोशिश

यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि कोरोना वायरस के चलते दो महीने से ज्यादा समय तक रहे लॉकडाउन में हिंदुस्तान के करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं. लेकिन यह अकेले हिंदुस्तान में ही नहीं हुआ. पूरी दुनिया बेरोजगारी के इस महासंकट से गुजर रही है. इसलिए आखिर कब तक हम इस बात का रोना रोते रहेंगे कि काश! कोरोना न आया होता (..और याद रखिए अभी ये गया नहीं,उल्टे बढ़ रहा है) तो ये होता, तो वो होता.

अब हमें इन रोनों गानों को पीछे छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए. क्योंकि कोरोना अभी तक किस्सा नहीं हुआ और कब होगा ये बात कोई भी दावे से नहीं कह सकता. अतः अब जरूरी है कि हम अपने उन तमाम कौशलों को इकट्ठा करें कि ऐसे संकटकाल में नौकरी कैसे और कहां पायी जा सकती है.

इसमें कोई दो राय नहीं है कि जहां कोरोना की विभीषिका ने बहुत सारे क्षेत्रों में रोजगार के लिहाज से भयानक कहर ढाया है. मसलन- टूरिज्म, हाॅस्पिटैलिटी, फैशन, इंटरटेनमेंट आदि. वहीं कोरोना संकट के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार की बढ़ोत्तरी भी हुई है. मसलन- हेल्थ केयर, हेल्थ टेक्नोलाॅजी, नियो बैंकिंग, फार्मा सेक्टर तथा पैक्ड ग्रोसरी इंडस्ट्रीज. करीब 70 दिन हिंदुस्तान पूरी तरह से लॉकडाउन में रहा है और अभी भी सीमित अर्थों में देश के दो तिहाई हिस्सों में लॉकडाउन लागू है. जाहिर है इन दिनों ज्यादातर काम लोगों ने अपने घरों से किया है. इसलिए अगर कहा जाए कि हिंदुस्तान में कोरोना के चलते एक झटके में वर्क फ्राम होम की कल्चर आ गई है तो इसमें कतई अतिश्योक्ति नहीं होगी.

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एक अनुमान के मुताबिक पिछले ढाई महीनों में अगर बड़े पैमाने पर वर्क फ्राम होम नहीं हुआ होता तो करीब 80,000 करोड़ रुपये का अर्थव्यवस्था को और नुकसान हुआ होता. अगर यही कोरोना संकट आज के 30 साल पहले आया होता, जब देश में वर्क फ्राम होम का चलन नहीं था, तो आर्थिक हालात आज से कहीं ज्यादा बिगड़े होते.

कहने की बात यह है कि अब वर्क फ्राम होम हमारी वर्किंग कल्चर से नहीं जाने वाला. इसलिए अगर अब तक आपको वर्क फ्राम होम करने में रूचि नहीं रही या आप इसमें दक्ष नहीं रहे तो अब अपनी ऐसी मर्जी या कमी को आगे मत बढ़ने दीजिए. तुरंत घर से काम करने की कुशलता हासिल करिये और उससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि अगर घर से काम करने के लिए जरूरी सुविधा आपके पास नहीं है यानी घर में डेस्कटौप या लैपटौप नहीं है, 4जी का मोबाइल नहीं है और ब्राड बैंड कनेक्शन नहीं है तो मान लीजिए आप बहुत पिछड़े हुए हैं, जितना जल्दी हो सके इन सुविधाओं को हासिल करिये, जिससे घर में काम करने की स्थितियां बन सकें. चूंकि इस समय देश ही नहीं पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर लोग बेरोजगार हैं, इसलिए लॉकडाउन के बाद अनलौक हुए टाइम में अगर नौकरी चाहिए तो कई तरह की कोशिशें एक साथ करनी होगीं. मसलन-

– सबसे पहले तो अपने तमाम संपर्कों में यह जानने की कोशिश करिये कि क्या कहीं कोई ऐसी नौकरी है, जिसे आप कर सकते हैं? जान पहचान की जगहों में इस समय नौकरी ढूंढ़ने को इसलिए प्राथमिकता देनी चाहिए; क्योंकि नौकरियां कम है और चाहने वाले बहुत बहुत ज्यादा हैं. ऐसे में अजनबी लोगों से ज्यादा जान पहचान वालों को नौकरी मिलने की उम्मीद रहेगी.

– जहां पहले काम कर चुके हैं और वहां कोई जगह खाली है, यदि यह बात आपको पता है तो बिना देर किये इसके लिए आवेदन कर दीजिए और व्यक्तिगत रूप से जाकर मिल भी लीजिए. क्योंकि उन्हें भी आपको नौकरी देने में सहूलियत रहेगी.

– भले दिन रात अखबारों और दूसरी मीडिया में आपको यह पढ़ने, सुनने और देखने में मिल रहा हो कि नौकरियों का बहुत अभाव है, कहीं नौकरियां नहीं बचीं, बावजूद इसके आप अपनी तरफ से नौकरी ढूंढ़ने की कोशिश न बंद करें. कई बार सुनी, देखी और पढ़ी बातों से हकीकत बिल्कुल भिन्न होती है.

– चूंकि इन दिनों नौकरियों की जरूरत ही नहीं, नौकरी ढूंढ़ने के तौर तरीके और इसके लिए मिलने जुलने की पारंपरिक तरीके में काफी बदलाव आ गये हैं. इसलिए बहुत संभव है कि आपको बजाय नियोक्ता के सामने बैठकर वीडियो इंटरव्यू देना पड़े. इसलिए जितना जल्दी हो सके, इन नयी तकनीकों से खुद को लैस कर लें. क्योंकि बिना नयी तकनीक की जानकारी के अब काम मिलना बहुत मुश्किल होगा.

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– यूं तो हमेशा उसी क्षेत्र में नौकरी को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिस क्षेत्र की आपको जानकारी हो, जिस क्षेत्र में आपकी विशेषज्ञता हो या जिस क्षेत्र की आप बुनियादी कुशलता रखते हों. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि नौकरी के अकाल में भी इस तरह की रिजिडिटी दिखाएं. अगर नौकरी नहीं मिल रही और यह हमारे अस्तित्व के लिए संकट बन रही है तो अपने ही क्षेत्र के अन्य विभागों में भी नौकरी की जा सकती है. यही नहीं अगर किसी खास तकनीकी दक्षता का सवाल नहीं है तो बिल्कुल अलग क्षेत्र में भी नौकरी की जा सकती है, जिस क्षेत्र की अभी तक आपको एबीसीडी तक का पता न हो. अगर ऐसी स्थिति हो तो निःसंकोच आगे बढ़ें.

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