Lockdown सिचुएशन और अकेली लड़की, लखनऊ से 260 Km स्कूटी चलाकर पहुंची घर

लॉकडाउन है हम सभी को अपने घर में रहना चाहिए, हमारी सुरक्षा के लिए यह एक जरूरी कदम है, इस बात से हम सहमत भी है. पुलिस और डॉक्टर दिन रात हमारे लिए काम कर रहे हैं और यह गर्व की बात है.

सब ठीक है और हमें यकीन है कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा. कुछ लोग कुंकिंग कर रहे हैं तो कुछ पक्ष-विपक्ष की बातें कर रह हैं. कुछ लोग महाभारत-रामायण देख रहे हैं तो कुछ वेब सीरीज. कुल मिलाकर जिंदगी चल रही है…

रोज नई-नई बातें सामने आ रही हैं, कहीं वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही हैं वहीं कुछ लोग ठीक होकर अपने घर भी आ रहे हैं. मजदूरों की परेशानी सामने आई जिनमें कुछ जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे हैं तो कुछ के लिए रहने खाने की व्यवस्था की जा रही है. बहुत सारे सामाजिक संस्थान, नेता, अभिनेता और आम लोग भी मदद के लिए आगे आगे रहे हैं.

घरों से पुराने कैरम और लूडो निकल गए हैं. भाभी रोज नए-नए पकवान बनाकर खिला रही हैं तो पतिदेव भी बरतन साफ करने लगे हैं. कहीं नए रिश्तों में प्यार पनप रहा है तो कहीं फेसबुक पर लाइव गिटार बजाया जा रहा है. नॉनवेज के स्वाद में वेज सब्जियां बनाई जा रही हैं तो कहीं लता जी के गानों की मधुर संगीत सुनाई दे रही है. पड़ोसियों के चेहरे दिखने लगे हैं, रिश्तेदारों को फोन मिलाए जा रहे हैं. माने, यकीन पर दुनिया टिकी है.

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इन सब के बीच सोनम, यही नाम है इस हिम्मत वाली लड़की का. यह वह सोनम नहीं है जिसका नाम वायरल नोट पर लिखा था कि, सोनम गुप्ता बेवफा है. यह तो हमेशा दूसरों का साथ देने वाली 29-30 साल की सेल्फ डिपेंड लड़की है. जिसने अपने दम पर अपनी पहचान बनाई. वैसे तो सोनम के हिम्मत की कई कहानियां है. फिलहाल मैं इस कहानी के बारे में बता रही हूं.

सोनम जौनपुर की रहने वाली है और लखनऊ के एक बैंक में अच्छी पोजिशन पर है. सोनम के माता-पिता और भाई जौनपुर में ही रहते हैं जबकि ये अकेले लखनऊ में रहती हैं. मजदूरों की परेशानी सामने आई कुछ जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे हैं तो कुछ के लिए रहने खाने की व्यवस्था की जा रही है. बहुत सारे सामाजिक संस्थान, नेता, अभिनेता और आम लोग भी मदद के लिए आगे आगे रहे हैं.

हमसब की तरह सोनम ने भी लॉकडाउन की खबर सुनी, फिर ऑफिस से मेल भी आ गया कि 21 दिनों के लिए काम पर नहीं आना है. अब अकेली सोनम को कुछ समझ नहीं आया कि वो करे तो क्या करे. कुछ दिन सोशल मीडिया पर समय व्यतीत किया, एक-दो दिन पकवान भी बना लिए. वॉट्सऐप पर स्टेटस भी लगा लिए, लोगों को वीडियो कॉल भी कर लिया. धीरे-धीरे अकेलापन डिप्रेशन में बदलने लगा.

अब सोनम को घर की याद आने लगी, उपर से उसे अपनी मां की फिक्र थी जिनकी तबियत भी ठीक नहीं थी. सोनम ने अपने फेसबुक पर ये भी लिखा था कि कोई जौनपुर जाने वाला हो तो बताए. तीन-चार के कई प्रयास किए कि वह घर पहुंच जाए लेकिन सब फेल हो गया. अब सोनम अकेले पैदल तो जा नहीं सकती थी तो एक दिन सुबह पांच बजे अपनी स्कूटी निकाली और निकल पड़ी लखनऊ से जौनपुर की तरफ. रास्ते में पुलिस वालों ने रोका, कई जगह स्क्रीनिंग भी हुई लेकिन सौनम ने हार नहीं मानी और 5-6 घंटे स्कूटी चलाने के बाद दोपहर तक अपने घर पहुंच गई. इस दौरान उसे हल्की चोट भी लगी लेकिन घर जाने के अलावा उसे कुछ दिख ही नहीं रहा था.

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अगले दिन जब मैनें उसे वीडियो कॉल किया तो अपने घर पर थी और मुस्कुरा रही थी, मैंने पूछा क्या हाल, उसने बस इतना जबाव दिया घर पर हूं. मैंने पूछा कैसे, उसने बोला स्कूटी चलाकर. सच मैं उस वक्त हैरान रह गई थी, लेकिन उसके चेहरे की वो खुशी मैंने अपने दिल के कैमरे में कैद कर ली. सोनम की दाद इसलिए भी देनी चाहिए क्योंकि जब ससुराल वालों ने और दहेज की मांग की और घरवालों को परेशान किया तो उसने अपनी सगाई खुद तोड़ दी लेकिन अपने माता-पिता का सिर नहीं झुकने दिया.

गजब! सोनम वाकई तुम कुछ भी कर सकती हो…

नोट: आप इस सोनम की बातों में न आएं और ऐसा करने की सोचें भी नहीं. ऐसा करने के पीछे सोनम की अपनी कुछ जरूरी वजह थी. यह जोखिन भरा हो सकता है और बिना कर्फ्यू पास के आप कहीं आ-जा नहीं सकते, इसलिए घर में रहें इसी में आपकी भलाई है.

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