Hindi Story Collection : डांस एकैडमी से वापस आने पर नमिता ने देखा घर जैसा बिखरा हुआ छोड़ गई थी, उसी तरह पड़ा था. लगता है मेड दुलारी ने आज फिर से छुट्टी मार ली. उफ, अब क्या करूं, कैसे इस बिखरे घर को समेटूं. समेटना तो पड़ेगा उसे ही क्योंकि अभी यहां किसी को ज्यादा जानती भी तो नहीं है, नईनई तो आई है इस सोसायटी में रहने. सारा दिन तो काम की तलाश में ही निकल जाता है. वह तो अच्छा है कि दुलारी उसे मिल गई जो उस के लिए खाना बनाने से ले कर घर की साफसफाई तक मन लगा कर कर देती है.
मगर आज तो घर उसे ही साफ करना पड़ेगा. नमिता ने बड़बड़ाते हुए चाय बना कर पी और फिर ?ाड़ू लगाने लगी, साथ ही म्यूजिक भी औन कर लिया.
म्यूजिक व डांस बस 2 ही तो शौक थे उस के, जिन्हें वह भरपूर जीना चाहती थी, परंतु हमेशा मनचाहा पूरा हो ही जाए ऐसा संभव तो नहीं. वैसे भी उस के डांस व म्यूजिक के शौक को उस के मिडल क्लास मांबाबूजी अहमियत ही कहां देते थे. उस के उम्र के 28 वसंत पूरा करते उन का एक ही टेप चालू रहता, शादी कर के घर बसा लो, इस बेकार की उछलकूद व गानेबजाने से कुछ भी हासिल होने वाला नहीं है. डांस ऐकैडमी से जब भी वापस आती, वही घिसापिटा रिकौर्ड चालू हो जाता. बहुत इरिटेट हो चुकी थी यह सब सुनसुन कर, शादीवादी कर के घर बसाने का कहीं दूर तक प्लान नहीं था उस की विश लिस्ट में, उसे तो बस डांस में ऐसा कुछ कर दिखाना था जो शायद अभी तक किसी ने न किया हो.
अपने इन्हीं सपनों को अंजाम देने के लिए ही लखनऊ से मुंबई आने का निर्णय कर लिया था नमिता ने मन में. मांबाबूजी को जब इस फैसले के बारे में बताया तो एकदम भड़क उठे थे कि पगला गई हो क्या, इतने बड़े शहर में अकेली रहोगी? कहीं कुछ ऊंचनीच हो गई तो लोगों को क्या मुंह दिखाएंगे हम लोग? घर वालों के विरोध के बावजूद उस ने अपना मुंबई का टिकट बुक कर लिया था. यहां मुंबई में उस की बचपन की दोस्त मिताली रहती थी. वह भी नमिता की तरह अकेली थी लेकिन उस के पास किसी मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छी जौब थी. अपने मुंबई आने की खबर नमिता ने मिताली को फोन पर दे दी थी.
मिताली उसे स्टेशन पर रिसीव करने आ गई थी. मिताली ने काफी गरमजोशी से उस का स्वागत किया. कुछ टाइम दोनों सखियों ने अगलीपिछली यादें ताजा कर के खूब मस्ती की.
‘‘अच्छा बता तेरा प्लान क्या है, इस तरह अचानक घर छोड़ कर आने का कुछ तो कारण होगा. मिताली ने पूछा.
‘‘हां प्लान तो एकदम सौलिड है. यू नो, बिना किसी प्लान के तो मैं एक कदम भी आगे नहीं रखती. तु?ो तो याद ही होगा कि स्कूल में जब भी कोई कल्चरल प्रोग्राम होता था तो मैं उस में हमेशा डांस में परफौर्मैंस देती थी और मेरे डांस को टीचर्स बहुत ऐप्रीशिएट भी करती थीं. बस तभी से डांस मेरा पैशन बन गया.
‘‘यहां मुंबई में रह कर एक डांस ऐकैडमी खोलने का विचार है परंतु पहले यहां रह कर इस क्षेत्र में कुछ अनुभव जमा कर लूं.’’
मिताली ने उसे हौसला दिया कि मुंबई में काम हरेक को जरूर मिल जाता है बस हौसला बुलंद होना चाहिए. इतना ही नहीं मिताली ने तो उसे कुछ ऐसे लोगों से भी मिलवा दिया जो उस की मदद कर सकते थे.
मुंबई आने के 2 महीने के बाद ही नमिता को एक डांस ऐकैडमी में डांस सिखाने का औफर मिल गया. पैकेज भी अच्छा था सो नमिता ने तुरंत जौइन कर लिया
आखिर मिताली पर कब तक बोझ बनी रहती. अत: नमिता ने इस बीच अपने लिए एक फ्लैट का भी जुगाड़ कर लिया. पहले जौब फिर फ्लैट का मिलना इन दोनों समस्याओं के दूर होते ही उस के आत्मविश्वास में भी कुछ इजाफा हो गया. वह खुश थी अपने मुंबई आने के निर्णय को ले कर.
बस कुछ ही दिन हुए थे उसे इस फ्लैट में शिफ्ट हुए. दुलारी के मिलने से घर के काम की समस्या भी सुलझ गई थी.
आज के दिन की शुरुआत भी हर रोज की तरह डांस व म्यूजिक के धूमधड़ाके के साथ ही हुई. नमिता अपना मनपसंद म्यूजिक लगा कर डांस करने में मगन थी कि तभी उस के दरवाजे की घंटी बजी. इस समय कौन डिस्टर्ब करने चला आया बड़बड़ाते हुए दरवाजे तक आई. दरवाजा खोला तो सामने एक छोटा बच्चा खड़ा था जिस की उम्र करीब 3-4 साल के बीच की रही होगी, दरवाजा खुलते ही बोला, ‘‘आंटी प्लीज म्यूजिक का वौल्यूम थोड़ा कम कर लीजिए.
उस बच्चे के आंटी कहने से नमिता बुरी तरह चिढ़ गई थी, बच्चा झटपट सीढि़यां उतर गया था. नमिता ने अपनी ही धुन में म्यूजिक और तेज कर दिया, तभी डोरबेल फिर से बजी, गुस्से में भुनभुनाती हुई दरवाजे तक आई, दरवाजा खोलते ही उस का मुंह खुला का खुला रह गया, उस के सामने एक 32-35 की उम्र का शख्स खड़ा था.
जी, मैं कल रात को ही आप के नीचे वाले फ्लैट में शिफ्ट हुआ हूं, पूरी रात सामान जमाने में ही बीत गई, अब कुछ देर सोना चाहता हूं, अगर आप को कोई तकलीफ न हो तो म्यूजिक का वौल्यूम थोड़ा कम कर लीजिए प्लीज.
नमिता ने म्यूजिक तुरंत बंद कर दिया और सोफे पर आ कर बैठ गई, उस सख्स की आवाज अभी तक उस के कानों में गूंज रही थी, उस की आवाज का जादू व चेहरे का आकर्षण उसे अनजाने ही अपनी ओर खींचने लगा गुजरे हुए पल का रीकैप उस के दिमाग में किसी चलचित्र सा घूमने लगा.
पहले वह बच्चा अव यह आदमी, क्या इन के घर में कोई फीमेल मेंबर नहीं है, उस की उत्सुकता इस फैमिली के बारे में जानने की बढ़ती जा रही थी.
फिर दिमाग को झटका, हुंह मुझे क्या? सोफे से उठी, शेष काम निबटाए और एकेडमी जाने को तैयार होने लगी. परंतु उस का मन न जाने क्यों आज अंदर से खुशी महसूस कर रहा था, मन में विचारों की उठापटक बराबर चल रही थी. नमिता ने अपने मन में उठ रहे विचारों को विराम दिया और एकेडमी जाने को सीढि़यां उतरने लगी, सीढि़यां उतरते ही नीचे वाले फ्लोर पर पहुंचते ही उस के पैरों की रफ्तार थम सी गई, वही सख्स खड़ा अपने दरवाजे को लौक कर रहा था.
तेज म्यूजिक की वजह से आप की नींद डिस्टर्ब हुई, उस के लिए सौरी, एक्चुअली, मुझे पता नहीं था कि इस फ्लोर पर कोई रहने आया है, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी. फिर नमिता कुछ देर वहीं खड़ी रही
शायद सामने वाला सख्स कुछ कहे, उस की सौरी के जवाब में, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर नमिता ने देखा वह सख्स सीढि़यों की तरफ बढ़ रहा था कि नमिता ने टोका, ‘‘सुनिए आप का नाम जान सकती हूं. वह बिना रूके सीढि़यों की तरफ बढ़ने लगा, हां जातेजाते अपना नाम जरूर बता गया था, निखिल. नमिता को ?ाल्लाहट महसूस हुई, उस ने सोचा अजीव इंसान है, न हाय न हैलो, बस अपनी ही धुन में मगन. जानपहचान बढ़ाने की नमिता की उम्मीदों पर पानी फिर गया.
नमिता अपनी डांस एकेडमी के लिए निकल गई. डांस क्लास में पैर तो उस के डांस की ताल पर थिरक रहे थे, परंतु उसका मन तो एक नई ताल पर ही थिरक रहा था, उस के मन में उस सख्स को ले कर अजीब सी हलचल मची हुई थी.
शाम को नमिता घर लौटी तो सोसाइटी के नीचे बने कंपाउंड में कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, नमिता कानों में ईयरफोन लगाए गाना सुनते हुए गेट तक पहुंची ही थी कि एक बौल तेजी से आई और उस के हाथ पर लगी. हाथ में पकड़ा उस का मोबाइल गिर कर टूट गया.
नमिता अपना टूटा मोबाइल फोन व बाल हाथ में ले कर जैसे ही बच्चों की तरफ मुड़ी तो सारे बच्चे डर कर भाग गये, बस एक छोटा सा बच्चा डरा सहमा सा हाथ में बैट पकड़े खड़ा था, नमिता ने गुस्से से उसे घूरा, कहां भाग गये तुम्हारे नाटी दोस्त. फिर उस ने ध्यान से उस बच्चे की तरफ देखा, ‘‘अरे, तुम तो वही हो न जो कल मेरे घर म्यूजिक का वौल्यूम कम करवाने आए थे.’’
चलो तुम्हारी मम्मी से तुम्हारी शिकायत करती हूं, नमिता ने उस बच्चे का हाथ पकड़ा और उस के घर ले जाने लगी, डरे सहमे बच्चे ने अचानक जोरजोर से रोना शुरू कर दिया और बैट पटक कर दौड़ता हुआ उसी बिल्डिंग में घुसा जहां नमिता रहती हैं.
जब नमिता पहले फ्लोर पर पहुंची तो देखा बच्चा, निखिल के दरवाजे के पास खड़े हो कर रो रहा था. नमिता को पास आते देख कर वह और जोरजोर से रोने लगा, बच्चे की रोने की आवाज सुन कर जैसे ही निखिल ने दरवाजा खोला बच्चा दौड़ कर उस से लिपट गया.
चिंटू बेटा क्या हुआ, किसी ने तुम को मारा है या किसी ने कुछ कहा है, ‘‘निखिल के बारबार पूछने पर उस ने नमिता की ओर इशारा किया, तब निखिल का ध्यान नमिता की ओर गया जो हाथ में अपना टूटा मोबाइल ले कर खड़ी थी.
माफ कीजिएगा, मैं ने आप को देखा नहीं, क्या आप को मालूम है कि चिंटू क्यों रो रहा है? निखिल ने नमिता से सवाल पूछा, परंतु नमिता तो कहीं और ही खोई हुई थी उस वक्त, शायद अपने दिल को कोस रही थी जो बिना सोचेसमझे एक ऐसे इंसान की ओर खिंचा चला जा रहा था, जो एक बच्चे का पिता था, जाहिर है किसी का पति भी होगा.
आई एम सौरी, आप का मोबाइल टूट गया है, क्या मैं इसे ठीक करने की कोशिश कर सकता हूं, तब तक आप मेरे पास जो एक नया सैट हैं उस से काम चला लीजिए, आप प्लीज बैठिए, हो सकता है मैं इसे अभी ठीक कर के आप को दे दूं.
नमिता ड्राइंगरूम में पड़े सोफे पर बैठ गई, उस की नजर दीवारों पर सजी ढेर सारी फोटोज पर पड़ीं, अधिकतर फोटो चिंटू व उस के पापा की ही थीं. नमिता के दिमाग की उलझन और बढ़ गई, बिना किसी लाग लपेट के उस ने निखिल की तरफ यह प्रश्न उछाल ही दिया, चिंटू आप का ही का बेटा है न और आप की वाइफ नहीं है, बस निखिल ने छोटा सा जवाब पकड़ा दिया.
ओह, आई एम सौरी, वैसे क्या हुआ था उन्हें ‘‘नमिता, निखिल की पर्सनल लाइफ के पन्ने खंगालने की कोशिश कर रही थी.
नहींनहीं जैसा आप सम?ा रहीं हैं वैसा कुछ भी नहीं है, निखिल ने नमिता की सोच के घोड़ों को वही रोक दिया, ओह, आई एम सौरी अगेन ‘‘मुझे कुछ और ही लगा था, अच्छा शायद मायके गई हैं और चिंटू शायद स्कूल की छुट्टियां न होने के कारण उन के साथ नहीं जा पाया होगा,’’ पता नहीं क्यों नमिता निखिल के बारे में सबकुछ जान लेने को उत्सुक हो रही थी. उसे खुद भी समझ नहीं आ रहा था कि उस का मन निखिल की तरफ क्यों खिंचा चला जा रहा है. शायद इसे ही पहली नजर का प्यार कहते हैं.
तभी निखिल के स्वर ने उसे उस की सोच से बाहर निकाला, ‘‘मैं आप का मोबाइल रिपेयर करवा कर कल आप के पास पहुंचा दूंगा. बस, आप 1 मिनट रुकिए, मैं आप के लिए फोन ले कर आता हूं और चाय भी. चाय का तो टाइम भी हो चला है.’’
निखिल ने नमिता को फोन पकड़ाया और चाय बनाने किचन की ओर जाने लगा.
तभी नमिता की आवाज उस के कानों में पड़ी, ‘‘जी, फोन के लिए शुक्रिया और परंतु चाय तो मैं सिर्फ अपने हाथ की ही बनाई हुई पीती हूं,’’ और फोन ले कर नमिता दरवाजे की तरफ बढ़ गईं. मगर उस के कदम उस का साथ नहीं दे रहे थे. उस के मन में निखिल के प्रति अजीब सा आकर्षण महसूस हो रहा था.
घर पंहुच घर जैसे ही फ्रैश हुई, मां का फोन आ गया, ‘‘कैसी हो बेटा? कोई जौब मिली या नहीं?’’
‘‘हां मां जौब भी मिल गई है और मैं ने यहां एक फ्लैट भी खरीद लिया है आप लोगों के आशीर्वाद से. सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा है मां,’’ नमिता ने चहकते हुए कहा.
‘‘अरे बेटा जब सबकुछ ठीक है तो अब तो शादी के लिए सोचो.’’
‘‘हां मां मैं भी यही सोच रही थी.’’
‘‘तो हम लोग तुम्हारे लिए एक अच्छे घर, वर की तलाश करते हैं.’’
‘‘नहीं मां आप लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है, मुझे लगता है मेरी पसंद का पार्टनर मु?ो मिल गया है.’’
‘‘यह क्या कह रही हो तुम? मुंबई जा कर तुम्हारे अंदर ऐसे कौन से सुरखाब के पर लग गए कि शादी जैसे मुद्दे का फैसला तुम खुद ही करने लगी. लड़का कौन है, किस जाति का है, उस का घर खानदान कैसा है आदिआदि बातें शादी के लिए जाननी जरूरी हैं.’’
‘‘अरे मेरी प्यारी मां, आप किस जमाने में जी रही हैं? आप के कितने सवाल हैं शादी को ले कर… आप की शादी तो नानाजी ने सबकुछ देख कर ही की होगी लेकिन जब से मैं ने होश संभाला है आप व बावूजी में आपसी मतभेद ही पाया है विचारों का. इंसान दिल का अच्छा होना चाहिए, जाति आदि आजकल कुछ माने नहीं रखता. अच्छा मां फोन रखती हूं, शायद चिंटू आ गया है. मुझे उसे ट्यूशन देनी है.’’
‘‘अब यह चिंटू कौन है?’’
‘‘चिंटू निखिल का बेटा है. अब आप पूछोगी कि यह निखिल कौन है? सो आप की जानकारी के लिए बता दूं कि निखिल मेरा होने वाला लाइफ पार्टनर है. हम लोग कई बार एकदूसरे से मिल चुके हैं. सच मां निखिल व चिंटू दोनों ही बहुत प्यारे हैं. आप भी जब उन दोनों से मिलोगी तो आप को भी उन से प्यार हो जाएगा.’’
‘‘तो क्या तुम अब 1 बच्चे के बाप से शादी करने की सोच रही हो?’’
‘‘अरे मां आजकल इंस्टैंट का जमाना है, जब सबकुछ मनचाहा मिल रहा हो तो बेवजह क्यों मीनमेख लिकालना.’’
‘‘जब तुम ने सबकुछ डिसाइड कर ही लिया है तो जो दिल में आए करो. वैसे भी आजकल की नई पीढ़ी के बच्चे बड़ों की सुनते ही कहां हैं.’’
सब से बड़ी बात निखिल बहुत कम बोलता है लेकिन उस की खामोशी उस की आंखों
से झलकती है. मैं ने उस की आंखों में अपने लिए प्यार देखा है.
नमिता निखिल से शादी करने का मन बना चुकी थी, बस उसे इंतजार था तो निखिल की हां का.
मां से बात कर के उस का मन हलका हो गया, जानती थी मांबाबूजी उस की पसंद को जरूर पसंद करेंगे.
1-2 छोटी सी मुलाकातों में ही निखिल उसे सदियों से जानापहचाना सा लग रहा था. उस रात नमिता की नींद पूरी तरह उड़ चुकी थी. पूरी रात वह सिर्फ निखिल के खयालों में ही खोई रही. यह जानते हुए भी कि निखिल शादीशुदा है और उस का 1 बेटा भी है, फिर भी उस के खयालों को अपने मन से दूर नहीं कर पा रही थी.
कई बार कुछ खास पल दिल व दिमाग दोनों को विचारों के ऐसे भंवर में बहां ले जाते हैं कि सहीगलत का ध्यान नहीं रहता.
नमिता भी सहीगलत की भी परवाह किए बिना उन पलों के साथ जीने लगी. नमिता की पूरी रात आंखों में ही बीती थी सो सुबह देर तक सोती रही. डोरबैल की आवाज से उस की नींद टूटी. शायद दुलारी होगी, यह सोचती हुई अलसाई सी उठी और दरवाजा खोला तो सामने निखिल को देखते ही नमिता की अधखुली आंखों में चमक आ गई, ‘‘अरे, गुडमौर्निंग, आप? आइए अंदर आइए,’’ नमिता ने आग्रह करते हुए कहा.
‘‘वह मैं आप का फोन लौटाने आया हूं,’’ निखिल ने साथ लाए मोबाइल को टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘अच्छा अब मैं चलता हूं, दरअसल, मुझे चिंटू के लिए एक ट्यूशन टीचर की तलाश है और औफिस भी जाना है.’’
निखिल वापस जाने को मुड़ा ही था कि नमिता का स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘यदि मैं आप की यह समस्या हल कर दूं तो? यदि आप चाहें तो चिंटू को ट्यूशन मैं दे सकती हूं, मैं डांस ऐकैडमी से शाम 5 बजे तक वापस आ जाती हूं. उस के बाद खाली समय रहता है मेरे पास.’’
‘‘ठीक है चिंटू से कह दूंगा, आज शाम से ही आ जाएगा,’’ कह कर दरवाजे की तरफ मुड़ा.
‘‘अरे सुनिए, 1 कप चाय तो पीते जाइए.’’
‘‘जी, शुक्रिया, चाय तो मैं भी सिर्फ अपने हाथ की ही बनाई हुई पसंद करता हूं.’’
चिंटू रोज शाम को ट्यूशन के लिए आने लगा और कुछ ही दिनों में नमिता के साथ घुलमिल भी गया. एक दिन ट्यूशन के बाद नमिता ने चिंटू से पूछ ही लिया, ‘‘क्या तुम्हें अपनी मां की याद नहीं आती?’’
तब चिंटू ने कहा कि उस ने तो अपनी मां को कभी देखा ही नहीं है. यह जान कर नमिता के मन की उल?ान और बढ़ गई.
चिंटू के पास घर की एक चाबी रहती थी. वह नमिता के यहां जाते समय लैच खींच कर दरबाजा बंद कर देता और ट्यूशन से वापस आ कर ताला खोल कर घर के अंदर आ जाता. निखिल ने चिंटू को अच्छी तरह समझा दिया था कि घर से बाहर निकलते समय चाबी हमेशा अपने साथ रखनी है ताकि वापस आने पर दरवाजा खोल सके.
एक दिन चिंटू चाबी साथ लिए बिना ही बाहर निकला और लैच खींच कर दरवाजा बंद कर दिया. ट्यूशन से वापस जब दरवाजा खोलना चाहा तो एहसास हुआ कि चाबी तो आज उस से घर के अंदर ही छूट गई है. वापस नमिता के घर गया और सारी बात बताई.
नमिता ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं, जब तक तुम्हारे पापा नहीं आते तुम यहीं मेरे घर पर रहो.’’
उस दिन निखिल को भी औफिस से आने में काफी देर हो गई. साथ ही आज वह अपने पास की चाबी भी औफिस में ही भूल आया. निखिल के औफिस से आ कर कई बार डोरबैल बजाने के वाबजूद जब चिंटू ने दरवाजा नहीं खोला तो उस ने नमिता को फोन किया तो मालूम हुआ कि चिंटू भी आज घर की चाबी घर के अंदर ही भूल गया है. अत: मेरे यहां ही सो गया है.
‘‘नमिता मैं चिंटू को लेने आ रहा हूं, हम आज रात किसी होटल में रुक जाएंगे.’’
चिंटू काफी गहरी नींद में था. निखिल के बहुत कोशिश करने पर भी जब नहीं उठा तो नमिता ने चिंटू को जगाने की कोशिश करते हुए निखिल का हाथ पकड़ लिया और कहा इसे यहीं सोने दीजिए.
‘‘ठीक है मैं भी यहीं टैरस पर सो जाता हूं, वैसे भी ठंड ज्यादा नहीं है,’’ निखिल ने अपना हाथ छुड़ाया और टैरस पर चला आया.
निखिल को नींद नहीं आ रही थी. पता नहीं ठंड के कारण या मन में घुमड़ते नमिता के बारे में सोचते खयालों के कारण. वह टैरस पर ही टहलने लगा. तभी उस ने देखा सामने नमिता खड़ी थी हाथ में चादर ले कर, ‘‘ठंड इतनी भी कम नहीं हैं, इस की जरूरत पड़ेगी,’’ चादर पकड़ा कर नमिता जैसे ही वापस जाने को मुड़ी निखिल के स्वर ने उसे रोक लिया.
निखिल टैरस की जमीन पर बैठ गया. नमिता भी उस से कुछ दूरी पर बैठ गई. निखिल ने बोलना शुरू किया, ‘‘तुम चिंटू की मां के बारे में जानना चाहती थी न, तो सुनो, वह मुझ से उम्र में कई साल बड़ी थी, प्यार हुआ, घर वालों के विरुद्ध जा कर हम दोनों ने शादी कर ली, सबकुछ ठीक ही चल रहा था, हम दोनों बहुत खुश थे, लेकिन जब चिंटू आने वाला था, तब अचानक सबकुछ बदल गया. वह खुश नहीं थी, चिंटू के आने की खबर जान कर, शायद वह तैयार नहीं थी इस सब के लिए. जिंदगी उसे कैद लगने लगी थी. मैं ने उसे बहुत सम?ाया लेकिन नाकाम रहा.
‘‘जिस दिन चिंटू का जन्म हुआ, मैं बहुत खुश था परंतु वह कुछ परेशान सी लग रही थी. जब हौस्पिटल से डिस्चार्ज मिला तो घर आने तक एकदम नौर्मल लग रही थी. औफिस से अर्जेंट कौल आने पर मु?ो कुछ देर के लिए औफिस जाना पड़ा. जब लौट कर आया तो वह घर छोड़ कर जा चुकी थी. हां, जाने से पहले एक पत्र जरूर छोड़ा था कि मुझे वापस लाने की कोशिश मत करना प्लीज. कुछ सालों बाद पता चला कि उस ने शादी कर ली है और विदेश में सैटल है अपने ने पति के साथ.
‘‘उम्र चाहे कितनी भी हो, जीवनसाथी का जाना लाइफ में खालीपन लिख ही जाता है, काम नहीं रुकते, मौसम भी बदलते हैं, दिनरात आतेजाते हैं रोज की तरह लेकिन जिंदगी का सूनापन काटे नहीं कटता.
‘‘हां चिंटू तुम से काफी घुलमिल गया है, हमेशा तुम्हारी ही बातें करता है, शायद आप में वह अपनी मां की छवि महसूस करता है. मैं चिंटू को ले कर कहीं बाहर भी नहीं जा पाता. अब 2 दिनों की छुट्टी आ रही है सोचा है कहीं बाहर घूमने का प्रोग्राम बना लूं, क्या आप भी हमारे साथ चलना पसंद करोगी?’’
‘‘अरे वाह, आप ने तो मेरे दिल की बात कह दी, मैं भी अकेले कहीं नहीं जा पाती हूं.’’
‘‘तो फिर ठीक है हम लोग यहां पास में एक पिकनिक सौपट है वहीं चलते हैं, लंच बाहर से और्डर कर देंगे, शाम तक वापस आ जाएंगे, ठीक रहेगा न?’’
दूसरे दिन चिंटू, निखिल व नमिता सुबह ही निकल गए. घर से बाहर आने पर चिंटू बेहद खुश था. निखिल व नमिता ने भी खूब गप्पों कीं. इस बीच दोनों ने एकदूसरे की पसंदनापसंद के बारे में भी जाना. निखिल ने पूछा, ‘‘अब आगे आप का क्या प्लान है?’’
‘‘हां आप ने एकदम सही प्रश्न किया, मांबाप शादी के लिए दबाव बना रहे हैं. चिंटू से मिलती हूं तो मेरे दिल में भी इस बात का खयाल आता है कि घरपरिवार का सुख अलग ही होता है. पैसे से इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता.’’
मगर परिवार पूरा तो पतिपत्नी व बच्चों से होता है, सोचता हूं चिंटू के लिए नई मां ले ही आऊं. क्या आप इस में मेरी मदद करेंगी?’’
‘‘यह सुन कर नमिता के दिल की धड़कनें तेज हो गईं. अपनी धड़कनों पर काबू पाते हुए उस ने पूछा, ‘‘मैं भला इस में आप की मदद किस तरह कर सकती हूं?’’
‘‘चिंटू की मां बन कर,’’ कह कर निखिल कुछ देर चुप रहा नमिता के जबाव के इंतजार में.
कुछ पलों के बाद नमिता ने ही चुप्पी तोडी, ‘‘ठंड बढ़ती जा रही है. मेरे हाथों की चाय पीएंगे?’’
‘‘हां अब तो रोज चलेगी तुम्हारे हाथों की चाय,’’ कहते हुए निखिल ने नमिता की हथेली अपने हाथों में भींच ली. नमिता ने भी उस के कंधे पर अपना सिर टिका दिया.