लव इन सिक्सटीज : जानिए क्या करें और क्या नहीं

आधी से ज्यादा उम्र बीत जाने के बाद जब जीवन में किसी नए साथी के रूप में स्त्री या पुरुष का प्रवेश होता है तो एक नए अध्याय की शुरुआत होती है. इस नए अध्याय को पढ़ने की जिम्मेदारी उठाना बड़ा मुश्किल काम है.

आइए ऐसे नए रिश्ते जो खासकर अधिक उम्र में पनपें उन की साजसंभाल, जोखिम, परख और सावधानियों पर चर्चा करें ताकि जब भी उम्र के कई पड़ाव पार कर आप ऐसे किसी नए रिश्ते को संग ले चलने का निर्णय लें, तो खतरों को भांप सकें, जिद और मानसिक असंतुलन की स्थिति में नहीं, बल्कि वास्तविकता की समझ विकसित कर के.

स्त्री पुरुष की दोस्ती की कुछ मुख्य बातें:

स्त्रीपुरुष की दोस्ती में बस दोस्त का रिश्ता बहुत कठिन है. इस के अंतत: रोमांस में तबदील होने की पूरी संभावना रहती है.

स्त्रीपुरुष की दोस्ती अगर सिर्फ सामान्य दोस्ती रह पाए तो यह बहुत लंबी भी चल सकती है, लेकिन ऐसी दोस्ती में जब रोमांस आ जाता है तब दोस्ती की उम्र कम हो जाती है. बीच में साथ टूटने का अंदेशा रहता है.

उम्रदराज से क्रौस दोस्ती यानी विपरीत सैक्स से दोस्ती कब और किन हालात में हो सकती है और ऐसी दोस्ती के क्या कारक और जोखिम हैं इस पर काफी रिसर्च हुई है.

जब हो जाए कम उम्र के लड़के को अधिक उम्र की स्त्री से लगाव: कई बार कम उम्र के लड़कों की मानसिक स्थिति काफी परिपक्व रहती है और वे अपनी ही तरह किसी मानसिक रूप से परिपक्व स्त्री की दोस्ती चाहते हैं. ऐसे में जब उन्हें अपने से काफी अधिक उम्र की ऐसी स्त्री मिलती है, जो रुचि, व्यवहार, सोचसमझ और दृष्टिकोण में उन के साथ समानता रखे, तो उन की दोस्ती मजबूत हो जाती है. अगर बाद में ऐसे रिश्ते में रोमांस या शादी का रंग भर जाए तो आश्चर्य नहीं.

कम उम्र की स्त्री का अधिक उम्र के पुरुषों के प्रति लगाव और इस के कारण: इस स्थिति में कम उम्र की स्त्रियां अपने से दोगुनी उम्र के व्यक्ति यहां तक कि पिता की उम्र के व्यक्ति से भी मानसिक, शारीरिक आधार पर जुड़ने की कामना रखती हैं. साइकोलौजिकल आधार पर देखा जाए तो ऐसा पुरुष उम्र की परिपक्वता के साथसाथ सैक्सअपील से भी भरपूर होता है. उसे खुद को प्रस्तुत करने का तरीका आता है और वह अपनी उम्र में नहीं, बल्कि व्यक्तित्व में जीता है.

कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसे पुरुषों का अपनी बढ़ती उम्र की मजबूरी या असुविधाओं से ज्यादा ध्यान अपने व्यक्तित्व के गुणों को निखारने और प्रस्तुत करने पर होता है. ऐसे में उन के साथ मिलनेजुलने वाली स्त्री खुद उन पर ध्यान देती है, उन के संरक्षण में जाने और उन से जुड़ने का ख्वाब देखती है.

ऐसे पुरुषों का जीनगत प्रभाव भी काफी अच्छा रहता है. ये अपने कर्म, विचार और सामर्थ्य में शक्तिशाली, अपने परिवार की पूरी देखभाल करने वाले या फिर अपने ऊंचे पद और कर्मजीवन को बखूबी निभाने वाले होते हैं. ऐसे में कम उम्र की स्त्रियां इन पर समर्पित हो कर तृप्त होना चाहती हैं.

कई मामलों में पति की अवहेलना भी स्त्रियों के इन कर्मठ और रोमांटिक पुरुषों के प्रति आकर्षण का कारण बनती है. इन के सान्निध्य में अतृप्त स्त्रियां आत्मविश्वास वापस पाती हैं. इन पुरुषों के द्वारा की गई प्रशंसा, मदद इन्हें जीने की राह भी दिखा सकती है.

60 या इस के बाद की उम्र वाले पुरुषों का कम उम्र की स्त्रियों के प्रति झुकाव: ऐसी स्थिति आज के समाज में आम है. काम और व्यवसाय के सिलसिले में अधिक उम्र वाले पुरुषों से कम उम्र की स्त्रियों का नजदीकी वास्ता जब लगातार पड़े, तो पुरुष का इन स्त्रियों के प्रति हमदर्दी, अपनापन और रोमांस स्वाभाविक है.

ऐसे रिश्तों में पुरुष के व्यक्तित्व का खासा प्रभाव पड़ता है कि कम उम्र की स्त्रियों के साथ उन का आपसी संबंध कैसा होगा. दूसरे, पुरुष का स्वभाव और जुड़ने वाली स्त्री से पुरुष की अपेक्षाएं दोनों तय होती हैं उस पुरुष की बैकग्राउंड से. कैसे, आइए जानें:

उम्रदराज कामुक पुरुष और उस की स्त्री से अपेक्षाएं: ऐसे पुरुष स्वभाव से स्त्रीशरीर कामी होते हैं. ये अपनी कामनापूर्ति के लिए नाखुश रहने को ढाल बना कर स्त्री के भोग का बहाना ढूंढ़ ही लेते हैं. इस से इन्हें समाज व्यवस्था या न्यायव्यवस्था को न मानने के दोष से उबरने का सहारा मिलता है. इस तरह अपराधभावना से बच कर सिर्फ अपने स्वार्थ को तवज्जो देते हैं.

भोगी पुरुषों की पहचान और स्त्री की इन से खुद की सुरक्षा: यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण मुद्दा है. नौकरी हो या व्यवसाय या फिर कैरियर का कोई भी पहलु 20 से 40 साल की महिला को ज्यादातर उम्रदराज पुरुषों के सान्निध्य में काम करना पड़ता है.

ऐसी स्त्रियां अपनी बातों, विचारों, व्यवहार और गुणों की वजह से अकसर सब के आकर्षण का केंद्र होती हैं. स्वाभाविक है कि उम्रदराज पुरुष ऐसी स्त्रियों का सान्निध्य ज्यादा चाहें. मगर बात तब बिगड़ती है जब ये दोस्ती के नाम पर स्त्रियों को लुभा कर उन्हें अपने चंगुल में फंसाते हैं. जो स्त्रियां जानबूझ कर अपने रिस्क पर इन रिश्तों में आगे बढ़ती हैं उन के लिए यह चर्चा भले ही काम की न हो, लेकिन उन्हें आगाह करना जरूरी है जो ऐसे पुरुषों की दोस्ती को बिना समझे ही अपना लेती हैं और बाद में उन्हें न पीछे लौटने का रास्ता मिलता है, न आगे जाने का. इन्हीं शरीरकामी पुरुषों की मानसिकता की कुछ झलकियां हैं, जिन्हें जान लेने से ऐसे पुरुषों की पहचान आसान हो जाएगी:

ऐसे पुरुष शुरुआती दौर में भावनात्मक पहल करते ही पाए जाते हैं.

जुड़ने वाली स्त्री की हर जरूरत का खयाल रखना चाहते हैं.

स्त्री के परिवार में पति या निकट के लोगों में खामियां ढूंढ़ कर वे खुद भला बन कर स्त्री पर छा जाना चाहते हैं.

काम के क्षेत्र में अतिरिक्त सुविधा देते हैं.

गाहेबगाहे स्त्री शरीर का स्पर्श करते हैं, लेकिन उसे केयर का रूप देते हैं.

झूठ बोलने और अभिनय में माहिर होते हैं.

शिकार को पूरा वक्त देते हैं, चाशनी में उतारने की जल्दी नहीं करते.

उम्रदराज पुरुषों का कम उम्र की स्त्री से भावनात्मक संबंध: अधिक उम्र वाले ऐसे पुरुष भी होते हैं जो कम उम्र की समझदार स्त्री से दोस्ती का भावनात्मक संपर्क बनाए रखना चाहते हैं. ऐसे पुरुष ऐसी स्त्री के साथ दोस्ती रखना चाहते हैं, जो विचारों, स्वभाव और अनुभूति में उन के समान हो.

अगर ऐसे संबंध सहज हों, विचारों के आदानप्रदान से ले कर स्वस्थ मानसिकता तक दर्शाते हों और दोनों के पारिवारिक संबंधों को नष्ट न करते हों, तो यह दोस्ती ठीक है.

भावनात्मक सहारे ढूंढ़ने वाले पुरुषों की पारिवारिक स्थिति: ऐसे पुरुष घर में अकसर पत्नी को जीवनसंगिनी का वह मोल नहीं दे पाते जिस की पत्नी को अपेक्षा रहती है. ऐसे व्यक्ति पारिवारिक जिम्मेदारियां तो निभाते हैं और पत्नी की जरूरतों को भी पूरा करते हैं, लेकिन पत्नी को खुद के बराबर नहीं समझते.

हो सकता है, पत्नी में भी उन का सहारा बनने की योग्यता न हो, घरपरिवार में कई तरह के क्लेश हों या पुरुष के कामकाजी जीवन की मुश्किलों को उस की पत्नी न समझती हो या फिर उस पुरुष की अपेक्षाएं इतनी हों कि उन पर खरा उतरना उस की पत्नी के लिए संभव न हो.

जो भी कारण रहे, अगर बाहरी स्त्रीपुरुष में संबंध बन ही गए हों, तो ‘लव इन सिक्सटीज’ के लिए कुछ मुख्य बातें जो स्त्रीपुरुष दोनों पर ही लागू होंगी:

ऐसे साझा संबंध निभाते वक्त सब से पहले संबंध का प्रकार अवश्य तय कर लें. इस पर अमल दोनों ही करें. मसलन, यह संबंध सिर्फ दोस्ती का है और दोस्ती ही रहेगी या इस संबंध को आगे किसी भी मोड़ तक ले जाने को दोनों स्वच्छंद हैं.

दोनों अपनी दोस्ती को समाजपरिवार से छिपा कर रखेंगे या जाहिर करेंगे, यह भी दोनों तय कर लें.

दोनों ही एकदूसरे को कोई छोटामोटा गिफ्ट देने तक ही सीमित रहें. बड़ा गिफ्ट देने से बचें. इस से परिवार विद्रोह पर उतर सकता है और आप बेमतलब के झंझट में फंस सकते हैं.

आपसी रिश्ते को पारदर्शी रखें और सच के साथ जुड़े रहें. इस से दोस्त को आप की सीमाओं का भान रहेगा और आप से उस की अपेक्षाएं कम रहेंगी.

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