औरतों को कम सैलरी वाली नौकरी भी करने को रहना चाहिए तैयार

प्रिया ने हिंदी में एम ए के साथ कंप्यूटर कोर्स भी किया हुआ था. शादी से पहले वह पास के एक एक्सपोर्ट कंपनी में कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती थी. बाद में जब उस की शादी हुई तो काम छूट गया. दोनों बेबी के बाद वह 7- 8 साल बच्चों में बिजी रही. इस बीच उस ने जौब करने की बात सोची भी नहीं थी. पर इधर कुछ दिनों से वह बच्चों के स्कूल जाने के बाद पूरे दिन घर में रहरह कर बोर होने लगी थी. उस ने घर में चर्चा की कि वह दोबारा जौब जौइन करना चाहती है. उस ने एकदो जगह इंटरव्यू भी दिए मगर 10 -15 हजार से ज्यादा सैलरी की बात नहीं हो पाई.

सास ने जब इतनी कम सैलरी की बात सुनी तो साफ इंकार करते हुए कहा,” तेरे 10 -15 हजार से हमारा कुछ नहीं होने वाला. घर में बहुत काम होते हैं उन्हें करो.”

एक दो साल ऐसे ही बीत गए. इस बीच उस के पति का एक्सीडेंट हो गया और वह बेड पर आ गया. दोतीन महीने में ही घर की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी. ऐसे में प्रिया ने हिम्मत दिखाई और फिर से 2 -3 जगह जौब इंटरव्यू देने चली गई. इस बार भी उसे 20- 22 हजार से ज्यादा ऑफर नहीं हुए मगर इस बार इतने रुपए भी उसे और घरवालों को काफी ज्यादा लग रहे थे. वैसे भी डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है. सास ने भी प्रिया को यह जौब कर लेने की अनुमति देने में वक्त नहीं लगाया.

प्रिया की जौब के सहारे कठिन समय गुजर गया. कुछ महीनों में प्रिया का पति भी वापस काम पर लौट गया मगर प्रिया ने जौब नहीं छोड़ी. उस के साथसाथ घर में भी सब को यह बात समझ में आ गई थी कि सैलरी कम हो या ज्यादा, घर में एडिशनल इनकम आ रही है तो उसे कभी रोकना नहीं चाहिए.

महिलाओं को कम वेतन वाली नौकरी भी करने को तैयार रहना चाहिए. इस से महिलाएं न सिर्फ घरपरिवार को आर्थिक सहयोग दे सकती हैं बल्कि यह उन के व्यक्तित्व के विकास और मानसिक सेहत के लिए भी फायदे का सौदा है,

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1. आत्मनिर्भर जीवन

स्वाबलंबी जीवन जीने के लिए हाथ में पैसे होने जरूरी होते हैं. आप के अंदर इतनी कूबत होनी चाहिए कि जरूरत पड़ने पर दूसरों से मदद लिए बगैर भी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकें. पैसा आप को आत्मनिर्भर बनाता है. आप दूसरों पर निर्भर नहीं रहतीं. कम सैलरी वाली नौकरी होने से भले ही आप के पास बहुत ज्यादा बैंकबैलेंस नहीं होगा पर इतने रुपए जरूर होंगे कि अपने खर्चे बहुत आराम से निकाल सकें. आत्मनिर्भर होने के लिए इतना ही काफी है.

2. जो मिल रहा है उसे लेने में ही समझदारी

कई बार हम बहुत ज्यादा की आस में जो मिल रहा है वह भी गँवा बैठते हैं. समझदारी इसी में है कि अवसर को आगे से पकड़ें. संभव है कि जो मिल रहा था आप वह भी खो दें और बाद में इस बात को ले कर पछताएं. याद रखें एक स्त्री होने के नाते आप के ऑप्शंस काफी कम हो जाते हैं. आप को कई दफा परिस्थितियों से समझौते करने पड़ते हैं. बहुत सी नौकरियां ऐसी हैं जिन के लिए एक लड़की को घरवाले स्वीकृति नहीं देते तो कई बार घरेलू कारणों से वह जौब इंटरव्यूज अटैंड नहीं कर पाती. कई बार महिलाएं अधिक ऊंची पढ़ाई नहीं कर पातीं. ऐसे में यह सोच कर साधारण या कम सैलरी वाली नौकरियां छोड़ देना कि यह मेरी योग्यता के अनुरूप नहीं, गलत है.

यदि आप को किसी ऐसे ऑर्गेनाइजेशन में कम सैलरी की जौब ऑफर होती है जो आप को सूट करता है तो सैलरी की चिंता कतई न करें. क्योंकि बाद में आप की योग्यता और परफॉर्मेंस देख कर वैसे भी सैलरी बढ़ा दी जाती है और फिर मन का काम और जीवन में सुकून का होना ज्यादा जरूरी है भले ही सैलरी कुछ कम ही क्यों न हो.

3. किसी का धौंस नहीं सहना पड़ता

शादीशुदा महिलाओं को अक्सर पैसों के लिए अपने इनलॉज़ या पति की धौंस सहनी पड़ती है. वे यह शो करते हैं जैसे उन का खर्चा चला कर वे बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं. जबकि ऐसा है नहीं. औरतें पूरे दिन घर का काम करती हैं फिर भी उन के काम को कोई मानदेय नहीं मिलता. ऐसे में जरूरी है कि आप जौब कर रुपए कमाए ताकि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आप को किसी का मुंह न देखना पड़े.

4. रास्ता खुला रहता है

सैलरी कम हो या ज्यादा मगर एक बार जब आप जौब करना शुरू कर देती हैं तो आप के लिए आगे का रास्ता खुल जाता है. घरवालों को भी आदत हो जाती है कि आप जौब पर जाएंगी तो पीछे से घर में सब एडजस्ट कैसे करना है यह सीख जाते हैं. जौब के दौरान आप को दूसरे अवसरों की सूचनाएं मिलती रहती हैं. आप विवेकपूर्ण निर्णय ले पाती हैं. उस संस्था में भी यदि अच्छा काम कर के दिखाती हैं तो आप को जल्दी तरक्की मिल जाती है.

5. लोगों से मिलना भी जरूरी

आप जब जौब करती हैं तो 10 लोगों से मिलनाजुलना होता है. आप का एक सर्कल बन जाता है. सामाजिक दायरा बढ़ता है. नईनई बातें जानने को मिलती हैं, दिमाग खुलता है वरना घर में बैठेबैठे आप की सोच केवल एक ही दिशा तक सीमित रह जाती है. इसलिए जब भी मौका मिले बाहर निकलें, जौब करें. सैलरी से संतुष्ट नहीं हैं तो काम के साथ ही नई जौब भी तलाश कर सकती हैं.

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6. आत्मविश्वास बढ़ता है

आप की सैलरी कम हो या ज्यादा मगर जब आप जौब करती हैं तो आप के अंदर एक अलग सा आत्मविश्वास पैदा होता है. आप के पहननेओढ़ने, चलनेफिरने, संवरने, बोलने आदि का ढंग बदल जाता है. आप हर मामले में अपटूडेट रहने लगती हैं. आप को दूसरों के आगे खुद को साबित करने का मौका मिलता है. इस से पर्सनैलिटी में काफी सकारात्मक बदलाव आते हैं.

7. पति को सहयोग

कई बार घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होती. पति सीमित सैलरी में मुश्किल से घर चला रहे होते हैं तो ऐसे में उन का हाथ बंधा होता है. घर के खर्चे निपटाने की बात ले कर अक्सर मियांबीवी में झगड़े होने लगते हैं. घर में तनाव बढ़ता है. इस स्थिति से बचने के लिए आप का नौकरी करना जरूरी हो जाता है. भले ही आप ज्यादा नहीं कमा रही हों मगर पति को आप की तरफ से थोड़ा सा भी आर्थिक सहयोग मिल जाए तो परिस्थितियां बदल जाती हैं. रिश्ते में प्यार बढ़ता है.

8. कम जिम्मेदारियां

जब आप की सैलरी कम होगी तो जाहिर है आप की जिम्मेदारियां भी कम होंगी. किसी भी संस्थान में जिम्मेदारियों के हिसाब से ही सैलरी तय की जाती है. ज्यादा जिम्मेदारी वाला पद लेकर भी यदि अपने घरेलू दायित्वों के कारण आप संस्थान से जुड़ी अपनी जिम्मेदारियों के साथ न्याय नहीं कर पा रही तो आप को बहुत टेंशन रहेगा. आप न ठीक से घर और बच्चों को संभाल पाएंगी और न ऑफिस के काम. ऐसे में क्या यह बेहतर नहीं कि आप हल्कीफुल्की जौब करते हुए घर भी देखती रहें और ऑफिस भी.

यही नहीं जब आप पूरे दिन घर में होती हैं तो आप को ज्यादा से ज्यादा घरेलू जिम्मेदारियां सौंप दी जाती हैं. पर जब आप ऑफिस जाएंगी तो आप का मन भी बदलेगा, हाथ में पैसे भी आएंगे और दिन भर घर की जिम्मेदारियों से भी आजादी भी मिलेगी. घर में सास ननद बगैरह आप के काफी काम निपटा कर रखेंगी. सास नहीं हैं तो आप अपने पैसों से मेड भी रख सकती हैं.

9. जौब छोड़ना पड़े तो भी अफसोस नहीं होगा

औरतों की जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब उन्हें काम से लंबा ब्रेक लेना पड़ता है. मसलन बच्चे की पैदाइश के समय या जब बच्चे छोटे हों, घर में कोई बीमार हो या फिर किसी और तरह की परेशानी में उन्हें मजबूरन जौब छोड़नी पड़ती है. जरा सोचिए यदि आप अच्छीखासी सैलरी उठा रही हों तो क्या आप का अचानक जौब छोड़ना इतना आसान हो सकेगा? तब तो आप इसी कन्फ्यूजन में रही आएंगी कि ऑफिस देखूं या घर. मगर यदि आप की सैलरी बहुत साधारण है तो आप बिना ज्यादा सोचे भी ऑफिस की जिम्मेदारियों को गुड़बाय कह सकेंगी.

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