Lockdown पर मानवी गागरू का गिल्ट फ्री ब्रेक, बोलीं- कोई दूसरा औप्शन नहीं है

डिजनी चैनल की टीवी शो धूम मचाओं धूम से अपने कैरियर की शुरूआत करने वाली अभिनेत्री मानवी गागरू ने कई हिट फिल्में दी, जिसमें लाइफ रिबूट नहीं होती, नो वन किल्ड जसिका, उजड़ा चमन, शुभ मंगल ज्यादा सावधान आदि कई फिल्में है. जिसमें उसके अभिनय की काफी तारीफ की गयी. फिल्मों के अलावा उसने कई वेब सीरीज भी की है. उसे हर नया चरित्र आकर्षित करता है. दिल्ली की मानवी पिछले कई सालों से मुंबई में रह रही है और इस लॉक डाउन को एन्जॉय कर रही है और सोचती है कि इस लॉक डाउन के बाद काम बड़े जोर शोर से शुरू होगा, क्योंकि भाग दौड़ की जिंदगी से लोगों को थोड़ी फुर्सत मिली है, जिसे वे अपने परिवार के साथ बिता रहे है. नयी स्फूर्ति और नए सिरे से सब लोग पहले से और बेहतर काम कर इंडस्ट्री को एक बार फिर से पटरी पर ला देंगे. मानवी की वेब सीरीज फोर मोर शॉट्स सीजन 2 रिलीज पर है. गृहशोभा के लिए उसने ख़ास बात की पेश है, कुछ अंश.

सवाल- इस वेब सीरीज में आपको क्या ख़ास लगा ?

इसकी स्क्रिप्ट मुझे बहुत पसंद आई थी. इसमें 4 लड़कियों की कहानी है, उनके लाइफ को सेलिब्रेट किया जा रहा है. ये किसी लड़की की दुखभरी या संघर्ष की कहानी नहीं है. नार्मल आज की बड़े शहर में रहने वाली आत्मनिर्भर लडकियां है. ये साथ रहती है और किसी गलती को समझती है. इसके अलावा इस वेब सीरीज की क्रू में सारी लड़कियां ही थी. निर्देशक, लेखक और हम 4 लड़कियां, ये मेरे लिए एक नया अनुभव था और मुझे बहुत अच्छा लगा था.

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सवाल- अभिनय में आने की इच्छा कहाँ से हुई, किसने प्रेरित किया?

मैं किसी फ़िल्मी परिवार से नहीं हूं और मैंने जीवन में कभी अभिनय की बात नहीं सोची थी. आप्शन भी नहीं था. स्कूल में रहते हुए डिजनी वाले किसी शो के लिए कलाकार ढूँढ़ रहे थे,उस समय एक टीचर के कहने पर वहां गयी और चुन ली गयी. मैंने उस टीचर को पहले मना भी किया था, क्योंकि मुझे डांस आती है, अभिनय नहीं. असल में मैंने 12 साल की उम्र से कथक सीखा है, लेकिन टीचर ने मुझे वहां एक परफ़ॉर्मर के तौर पर जाने के लिए कहा, मैं गयी और उन्हें मेरा परफोर्मेंस पसंद आया. उसके बाद भी मैं पढाई कर रही थी. कॉलेज के दौरान मैंने फिल्म ‘आमरस’ की, रिलीज होने तक मेरी पढाई ख़त्म हो चुकी थी. फिल्म बहुत अच्छी नहीं चली,पर मेरे काम को बहुत सराहा गया. तब मुझे लगा कि मुझे इसको सीरियसली लेना चाहिए. 2 साल तक कोशिश करने की जरुरत है. सफल न होने पर मैं हायर एजुकेशन में वापस चली आउंगी, ऐसा सोचकर मैं मुंबई साल 2010 में आ गयी. फिर मेरा संघर्ष शुरू हुआ. शुरू के दिनों में जब भी सोचती थी कि वापस चली जाउंगी, तभी कुछ काम मिल जाता था.इससे थोडा और रुकने की प्रेरणा जागती रही.

सवाल- अभिनय में आने के बारें में परिवार से कहने पर उनकी प्रतिक्रियां क्या रही?

उन्हें शुरू में समझ में नहीं आया कि मैं क्या करने वाली हूं, क्योंकि अधिकतर पढाई के बाद कुछ और करने की बात होती रही. एक्टिंग को लेकर कोई बात नहीं होती थी. जब मैं मुंबई आ गयी तो वे सोचने लगे कि मैं यहाँ कैसे एडजस्ट करुँगी, क्योंकि उस समय मैं कई लड़कियों के साथ रहती थी. वे कुछ दूसरा जॉब साथ-साथ करने की सलाह भी देते रहे, पर मैंने उन्हें हमेशा मना किया और अभिनय पर फोकस्ड रही. जब धीरे-धीरे काम आने लगा, तो उन्हें थोड़ी राहत मिली. वे खुश हुए. मुझे याद है, जब मैं मुंबई आ रही थी, तो पिता ने मुझे पास बिठाकर कहा कि ये अच्छा क्षेत्र नहीं है, आपको सावधान रहने की जरुरत है. मुझे लगा कि वे कास्टिंग काउच के बारें में कह रहे है. मैंने उनको भरोषा दिलाया था कि मुझे ऐसी चीजो को हैंडल करना आता है, लेकिन ऐसा नहीं था. वे मेरे काम के बारें में कह रहे थे,क्योंकि फ़िल्मी दुनिया में लोग एक दिन कामयाबी को सराहेंगे, तो दूसरे दिन नीचे भी उतार देते है. ये अनिश्चित इंडस्ट्री है. मुझे उनकी बातें तब समझ में नहीं आई थी, अब उनके कहने का मतलब पता चलता है.

सवाल- उजड़ा चमन आपकी सफल फिल्म रही, उसमें आपने एक मोटी लड़की की भूमिका निभाई, कैसे किया और फायदा कितना मिला?

मैंने उसमें बॉडी सूट पहनी थी, जो मेरे लिए अच्छी तरह से आरामदायक बनायी गयी थी. इस फिल्म के लिए मुझे वजन बढाने के लिए भी कहा गया था, पर उजड़ा चमन के कुछ दिनों बाद ही शुभ मंगल ज्यादा सावधान फिल्म की शूटिंग थी, इसलिए मैंने उन्हें मना किया था. फिर बहुत मुश्किल से ये बॉडी सूट बनी थी. फिल्म सफल होने पर कलाकार को लोग अधिक सराहने लगते है.

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सवाल- आप अब तक की जर्नी से कितनी संतुष्ट है?

मैं अपने आप को लकी समझती हूं, क्योंकि मुझे अच्छे प्रोजेक्ट के साथ अच्छे लोग भी मिले है, पिछले साल मैंने काफी काम किया है. वे सारे लोग प्रतिभावान और क्रिएटिवली अच्छे रहे, जिससे काम करना आसान हुआ. इस क्षेत्र में सबको एक जुट होकर काम करना पड़ता है. टीम वर्क सही हो तो ही काम सही होता है.

सवाल- लॉक डाउन की वजह से फिल्म इंडस्ट्री को काफी नुकसान हो रहा है, क्योंकि यहाँ टीम वर्क होता है, एक अकेला कुछ नहीं कर सकता, आपको क्या लगता है कि इंडस्ट्री को एक बार फिर से पटरी पर आने में कितना समय लगेगा? क्या-क्या तैयारियां उन्हें करनी पड़ेगी?

मेरे हिसाब से जो कलाकार वित्तीय रूप से अधिक सक्षम नहीं है, खासकर कोई नया कलाकार जिसने पहली प्रोजेक्ट को केवल साईन किया है. उनके रेंट को माफ़ करना चाहिए. इसके अलावा वार्ड बॉयज जिन्हें रोज के हिसाब से पैसे मिलते है, उनके लिए रिलीफ फंड रिलीज किये गए है. उसकी मुझे चिंता है. मैंने अपने स्टाफ को तीन महीने का वेतन दे दिया है, ताकि उनका घर चलता रहे. इसके अलावा इन दिनों क्रिएटिव लोग नए-नए कंटेंट बना रहे है. कोई मीम तो कोई विडियो बना रहा है. कोई थिएटर लाइव कर रहा है. ये अच्छी बात है, लोग क्रिएटिवली अच्छी चीजे सोच रहे है. ये सही है कि इस फील्ड में अभी कोई प्लानिंग नहीं हो पायेगा, क्योंकि लॉक डाउन है, पर मैं इस समय को एन्जॉय कर रही हूं,क्योंकि मैं पिछले कुछ दिनों से बहुत व्यस्त रही. ये गिल्ट फ्री ब्रेक है, क्योंकि कोई आप्शन नहीं है. इस लॉक डाउन के ख़त्म होने पर इंडस्ट्री बूम करेगी. लोग काम करने के लिए उत्सुक हो जायेंगे.

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सवाल-आप इन दिनों क्या कर रही है?

पहले दो दिन तो मुझे बहुत ख़ुशी मिली थी. मैं घर पर रहकर टीवी देखना, सोना और खाना खा रही थी, लेकिन जब मैंने हजारों की संख्या में फंसे लोगों को अपने घर जाने की चाहत को टीवी पर देखी, तो तनाव में आ गयी थी, रोने लगी थी, खुद को बहुत असहाय महसूस कर रही थी,क्योंकि मैं कुछ करने में असमर्थ हूं. फिर धीरे-धीरे अच्छी न्यूज़ देखकर अपने आप को सम्हाली. अभी घर का काम बहुत है, उसे करने में पूरा दिन निकल जाता है. अभी कोई डेड लाइन नहीं है, इसलिए आराम से उठकर घर का काम कर लेती हूं. मुझे लगता है कि लॉक डाउन पीरियड में मैं अधिक डिसिप्लिन हो गयी हूं, अभी वर्कआउट न करने की कोई बहाना नहीं है. नियमित करती हूं और मेंटल हेल्थ के लिए आज ये बहुत आवश्यक भी है.

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