Dr. Tanaya Narendra : यौन शिक्षा पर खुल कर बात की जाए

Dr. Tanaya Narendra : डा.  क्यूटरस के नाम से जानी जाने वाली डा. तन्या नरेंद्र स्त्रीरोग विशेषज्ञा यौन स्वास्थ्य शिक्षक, भ्रूणविज्ञानी, वैज्ञानिक और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं. उन्होंने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काफी योगदान दिया है. 2022 में तन्या को सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगदान के लिए नीति आयोग और आयुष्मान भारत द्वारा समर्थित आईएचडब्ल्यू परिषद से ‘हैल्थ इन्फ्लुएंसर औफ द ईयर’ और टौप 100 डिजिटल स्टार्स का पुरस्कार मिला है. इस के अलावा वे विभिन्न सरकारी और गैरसरकारी निकायों के लिए वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी काम करती हैं.

यह सही है कि सोशल मीडिया के इस दौर में कुछ ऐजुकेटर यौन संबंधी विषयों पर न केवल बात करते हैं बल्कि लोगों के आधेअधूरे ज्ञान को बढ़ाने का काम भी कर रहे हैं. इन्हीं यौन स्वास्थ्य शिक्षकों में एक महिला डाक्टर तन्या नरेंद्र का नाम काफी लोकप्रिय है जो एक साइंटिस्ट और यौन हैल्थ केयर ऐजुकेटर हैं.

अपने चैनल डा. क्यूटरस के माध्यम से डा. तन्या ने भारत में यौन स्वास्थ्य और शरीर की वैज्ञानिक विधि को समझाने में आसान तरीके को अपनाया है. उन की पुस्तक ‘डा. क्यूटरस: ऐवरीथिंग नोबडी टैल्स यू अबाउट योर बौडी’ में उन्होंने इसी विषय को स्पष्ट किया है.

यौन शिक्षा पर खुल कर की बात

2022 में प्रकाशित हुई इस किताब के कारण डा. तन्या काफी सुर्खियों में रहीं. पुस्तक बैस्ट सेलर बन गई और इस का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया. इस की एक मराठी संस्करण भी है. इतना ही नहीं वे सोशल मीडिया पर भी काफी ऐक्टिव रहती हैं और उन विषयों पर सक्रिय ज्ञान देती हैं, जिन पर लोग दबी जबान और चुपकेचुपके बात करते है. उन की वजह से यौन संबंधों पर बात करने वाली महिलाएं अब खुल कर यौन शिक्षा पर चर्चा कर रही हैं. उन का मानना है कि यौन शिक्षा को लोकलाज विषय बना कर उस पर चर्चा न करने के कारण वयस्कों को भी इस संबंध में गलत जानकारी होती है और एक गंभीर बीमारी का सामना उन्हें उम्र के अंतिम पड़ाव में करना पड़ता है.

तन्या ने 25 साल की उम्र से ही अपने उद्देश्य को समझ लिया था. वे पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहीं. यही वजह है कि उन्होंने मैडिकल कालेज से डाक्टरी की पढ़ाई पूरी की और बाद में यूके के औक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि हासिल की. उन के मातापिता गाइनेकोलौजिस्ट हैं. इस कारण उन्हें कम उम्र में ही यौन स्वास्थ्य के बारे में पता चल गया था. एमबीबीएस के बाद उन्होंने यूके से क्लीनिकल भू्रण विज्ञान में मास्टर की डिगरी हासिल की और 2020 से डा. क्यूटेरस नाम से इंस्टाग्राम अकाउंट शुरू किया और आज उन के लाखों फौलोअर्स हैं.

मिली चुनौती

शुरूशुरू में तन्या के लिए सैक्स एजुकेशन देना आसान नहीं था. इस के लिए उन्होंने खुद की लव लाइफ को उन के फौलोअर्स के सामने उदाहरणस्वरूप रखा और बताया कि कालेज टाइम में उन्हें किसी लड़के से प्यार हो गया था और यह प्यार 2 साल तक चला. किसी कारणवश रिश्ता टूट गया. इस के बाद उन के जीवन में दूसरा लड़का आया और सैक्स की डिमांड करने लगा. तन्या ने उसे भी छोड़ दिया. उन्होंने बताया कि अगर किसी लड़की का बौयफ्रैंड फ्यूचर रिलेशनशिप को छोड़ कर फिजिकल रिलेशनशिप के बारे में बात करता है तो उस लड़के को तुरंत छोड़ देना चाहिए क्योंकि इस रिलेशनशिप का कोई फ्यूचर नहीं होता यह उन्हें कभी खुशी नहीं दे सकती सिर्फ दुख देती है.

आज डा. तन्या महिला सशक्तीकरण का एक बेहतरीन उदाहरण हैं क्योंकि उन्होंने यौन से संबंधित हर छोटीबड़ी समस्या को आसानी से समझाया. पोस्ट के माध्यम से वे यौन और जननांग से जुड़े मिथकों को तोड़ कर जागरूकता बढ़ा रही हैं.

टीनऐज में क्यों जरूरी है सैक्स ऐजुकेशन

युवाओं में भले ही पोर्नोग्राफी देखने का चलन बढ़ रहा हो पर सैक्स ऐजुकेशन के नाम पर उन की जानकारी शून्य ही होती है. सैक्स ऐजुकेशन पोर्नोग्राफी से अलग होती है. इस की जानकारी टीनऐज में जरूरी है. इस से लड़कियों को कई तरह की परेशानियों से बचाया जा सकता है.

16 साल की नेहा अपनी मामी के घर आई हुई थी. उस के स्कूल में गरमी की छुट्टियां चल रही थीं. नेहा के मामामामी शहर में एक बड़े घर में रहते थे. घर का काम करने के लिए नौकर थे. एक दिन नेहा की मामी अपने किसी जानने वाले से मिलने चली गईं. घर पर नेहा और उस के मामा थे. दोनों टीवी पर एक फिल्म देख रहे थे. इसी बीच नेहा के मामा ने कहा कि आओ तुम्हें एक खेल खिलाते हैं.

man and woman hands with thumbs up ok signal on black background Stone Paper Scissors

नेहा कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन जो हुआ वह बहुत बुरा और रिश्तों को कलंकित करने वाला था. नेहा को इस का परिणाम पता ही नहीं था. मामा ने नेहा से कहा कि यह बात किसी को न बताना. नेहा भी इस खेल को बुरा खेल समझ कर भूल गई.

इस के बाद नेहा का मन मामा के घर में नहीं लगा. कुछ ही दिन बाद वह वापस अपने घर आ गई. समय बीतने लगा. इसी बीच नेहा की तबीयत कुछ खराब रहने लगी तो मां ने डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने कुछ जांच की और इस के बाद नेहा की मां को जो कुछ बताया उस पर उन्हें यकीन ही नहीं हुआ.

डाक्टर ने साफसाफ शब्दों में कह दिया कि नेहा मां बनने वाली है. डाक्टर और उस की मां ने जब नेहा से पूछा तो उस ने बताया कि किस तरह एक दिन मामा ने उस के साथ दुष्कर्म किया.

Deaf woman communicating through sign language

सैक्स की जानकारी जरूरी

स्त्रीरोग विशेषज्ञा डा. सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘इस तरह के मामले कोई अचंभे वाली बातें नहीं हैं. ऐसी बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं, जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हुआ है. इसीलिए इस बात की जरूरत है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सैक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर इस काम को सरलता से कर सकती हैं. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सैक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए.’’

डाक्टर सुनीता का कहना है, ‘‘जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों का यौनशोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाए कि सैक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जाता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर कभी इस तरह की कोई घटना घटती है तो लड़की मां को यह बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.’’

शारीरिक संबंधों में समझदारी

शारीरिक संबंध बनाने से यौन रोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा लाइलाज बीमारी भी शामिल है. इसीलिए पेरैंट्स व टीचर्स को चाहिए कि वे घर व स्कूल में लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियां के बारे मेें बताएं कि इन का उपयोग क्यों और कैसे किया जाता है.

अधिकतर लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं हो जाती हैं तो वे या तो मां बन जाती हैं या फिर आत्महत्या कर लेती हैं. इन लड़कियों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोलियां भी आती हैं, जिन्हें खाने से अनचाहे गर्भ से नजात मिल सकती है. वैसे कई दवाएं अब आसानी से दवा की दुकानों में उपलब्ध हैं. लेकिन दवा लेने से पहले बेहतर होगा कि आप किसी डाक्टर से मिल लें और जो भी पिल्स डाक्टर कहे वही लें.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों द्वारा हर दिन कुछ समय किशोरियों की परेशानियों को हल करने के लिए दिया जाना चाहिए. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए ताकि छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके. बढ़ती उम्र की लड़कियों को कंडोम के बारे में बताना जरूरी होता है. यह केवल गर्भ ठहरने से ही नहीं रोकता बल्कि यौन रोगों से भी बचाव करता है.

पीरियड्स में न घबराएं

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में पीरियड्स को ले कर होती है. आमतौर पर पीरियड्स आने की उम्र 12 से 15 साल के बीच होती है. अगर इस बीच में पीरियड्स न आएं तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि पीरियड्स में देरी का कारण खानपान में कमी, पारिवारिक इतिहास जैसे मां और बहन को अगर पीरियड्स देर से आए होंगे तो उस के साथ भी देरी हो सकती है. ऐसा कुछ बीमारियों के चलते भी होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और ऐनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर से सलाह ले कर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है.

पीरियड्स में कई दूसरी तरह की परेशानियां भी आती हैं. कभीकभी यह समय से शुरू तो हो जाते हैं लेकिन बीच में 1-2 माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में यह नौर्मल होता है. लेकिन यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी पीरियड्स का समय तो ठीक होता है लेकिन रक्तस्राव ज्यादा मात्रा में होता है. यदि ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास कम हो जाता है.

डाक्टर सुनीता कहती हैं कि परेशानी की बात तो यह है कि कुछ लोग अपनी लड़कियों को डाक्टर के पास ले जाने से घबराते हैं. उन का मानना है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है, जिस से पति उस पर शक कर सकता है. मगर अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.

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