मास्क पहनें, मगर प्यार से 

मास्क अभी हर किसी के जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है. क्योंकि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने का एकमात्र साधन मास्क ही है. हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स अब किसी भी मरीज़ की जांच के लिए मास्क पहनने लगे है. ये पूरा विश्व कर रहा है. आम जनता को भी कही भी जाने पर आज मास्क पहनने के अलावा कोई चारा नहीं है. क्योंकि भारत जैसे घनी आबादी वाले देश में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना बहुत कठिन है.

यह अब लाइफस्टाइल में शामिल होकर स्टाइल स्टेटमेंट बन चुका है. यही वजह है कि डिज़ाइनर्स आजकल पोशाक के साथ-साथ तरह-तरह के मास्क भी बना रहे है. इतना ही नहीं ज्वेलर्स भी रत्न और सेमी प्रिसीयस स्टोन्स के साथ अलग-अलग डिजाईन के मास्क बनाकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे है.

इस बारें में स्ट्रेटेजिक मेडिकल एफेयर एड्रोइट बायोमेड लिमिटेड के डायरेक्टर डॉ.अनिश देसाई का कहना है कि इस समय मास्क पहनना जरुरी है. लेकिन सही मास्क का भी पहनना बहुत आवश्यक है. क्योंकि जब आप बाहर जा रहे है. तो घंटो मास्क पहनकर रहना पड़ता है. जिससे निम्न समस्या आ सकती है.

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  • टाइट मास्क से चेहरे की स्किन का डैमेज होना.
  • मास्क एरिया पर एक्ने का बढ़ना.
  • खासकर हेल्थ केयर से जुड़े लोगों को टाइट मास्क पहनना पड़ता है. ऐसे में मास्क वाले जगह पर लाल धारियों का उभरना. इरीटेशन होना. पिम्पल्स का बढ़ना. स्किन का डार्क हो जाना आदि होता है. क्योंकि इन स्थानों की चमड़ी नरम होती है और बार-बार मास्क के किनारों के रगड़ से उस स्थान पर इन्फ्लेमेशन होने लगता है. जिससे वहां की चमड़ी सेंसेटिव हो जाती है. सेंसरी नर्व्स एक्टिव हो जाते है. इसका अधिक प्रभाव सेंसेटिव स्किन पर पड़ता है. लोशन और क्रीम भी इसे कम करने में असमर्थ होता है.

डॉक्टर अनिश आगे कहते है कि असल में मास्क पहनने से त्वचा पर डायरेक्ट फ्रिक्शन होता है. जिससे इरीटेशन और इन्फ्लेमेशन का होना साधारण है. इसके अलावा मास्क अपने अंदर नमी. सेलाईवा. म्यूकस. आयल. गन्दगी और पसीने को बाहर आने से रोकती है. इससे माइल्ड से मॉडरेट एक्ने. स्क्ज़ेमा. आदि कई त्वचा सम्बंधित बिमारियां हो सकती है. सेंसेटिव त्वचा वाले व्यक्ति को फेसियल रेडनेस. रोजेसिया और स्केलिंग का सामना करना पड़ सकता है. ये अधिकतर उन व्यक्तियों को होता है. जिनकी स्किन अधिक सेंसेटिव हो या उनके आसपास नमी युक्त या अधिक शुष्क वातावरण हो. कुछ सुझाव निम्न है.

  • मास्क त्वचा को चोट पहुंचाए बिना. नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढकी हुई होनी चाहिए. लेकिन टाइट न हो.
  • चेहरे को मुलायम साबुन से दिन में दो बार धोने की कोशिश करें.
  • अगर आप हेल्थ केयर से जुड़े नहीं है. तो मास्क लम्बी अवधि के लिए पहनने से परहेज करें.
  • मास्क के गीले हो जाने पर इसे उतार कर दूसरा पहने.
  • अगर आपको अधिक समय तक मास्क पहननी है तो एक्स्ट्रा मास्क साथ में लें और यूस्ड मास्क को एक अलग प्लास्टिक बैग में जमाकर घर आने पर अच्छी तरह से धोकर सुखा लें.
  • कॉटन के फेस मास्क त्वचा के लिए अच्छा होता है. इसे निकालने के बाद गरम पानी और साबुन से धो लें.
  • मास्क उतारने के बाद हाइपोएलर्जेनिक मोयसस्चराइजर चेहरे पर लगाए. ऑइंटमेंट बेस्ड मोयास्चराइजर न लगायें. क्योंकि ये पसीने और आयल को अपने में समेटती है.
  • मास्क से स्किन इरीटेशन को कम करने के लिए नाक और सेंट्रल चीक के पास जहाँ नोजपीस होता है. वहां ठंडक पहुँचाने वाले क्रीम का प्रयोग करें.
  • त्वचा को हाइड्रेट रखने के लिए क्लींजिंग के बाद मोयास्चराइज करें. आयल फ्री मोयसस्चराइजर दिन में कई बार त्वचा की इन्फ्लेमेशन को कम करने के लिए प्रयोग करें.

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  • स्क्रब और एक्सफोलिएटर्स का प्रयोग इस समय चेहरे पर न करें.
  • पेट्रोलियम जेली या मुलायम क्रीम से त्वचा की ड्राईनेस को कम किया जा सकता है.
  • अगर ये सब करने के बाद भी कुछ समस्या आती है तो चर्मरोग विशेषज्ञ से तुरंत संपर्क कर दवा लें.
  • मास्क पहनने से पहले भूलकर भी हैवी मेकअप या फाउंडेशन न लगायें. क्योंकि इससे दाग धब्बे के अलावा एक्ने होने की संभावना बढ़ जाती है.
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