मसाज करते समय न्यू मौम न करें ये 3 बड़ी गलतियां


ढेर सारा तेल चुपड़ कर बेबी की बौडी पर जोरजोर से हाथ को आगेपीछे घिसना सही मसाज नहीं है.  न्यू मौम को अक्सर इस बात का कंफ्यूजन रहता है कि मालिश करना जरूरी है या नहीं, मालिश किस तेल से की जाए, कितनी देर की जाए,  इस सब्जेक्ट को लेकर मन में जो भी कंफ्यूजन है, उसे दूर करना जरूरी है और इस काम में मदद कर रही हैं पीडियाट्रिशयन डॉ श्रेया दूबे.

अगर बेबी जोरजोर से रोने लगे – बच्चों की मालिश उसके जन्म के 10 से 12 दिन की उम्र से शुरू की जा सकती है.  इसे को 5 से 6साल की उम्र तक जारी रखा जा सकता है. बस इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बेबी मालिश को एंजौय कर रहा है या नहीं. अगर मां को यह महसूस होता है कि वह मालिश को एंजौय नहीं कर रहा है,  बहुत रो रहा है, तो इसका बहुत फायदा नहीं होगा. उसे शांत करने के बाद ही मालिश करें, मालिश करते समय म्यूजिक लगा दें या खुद गुनगुनाएं.

मसल्स नहीं बनाना है –   कई बार यह देखा गया है कि मां बच्चे के शरीर पर हाथों से दबाव डालकर मालिश करती हैं जबकि पीडियाट्रिशियन डॉक्टर श्रेया दूबे का कहना है कि बच्चों की मालिश हल्के हाथों से की जानी चाहिए. हर मां के लिए यह जानना जरूरी है कि बच्चे की मालिश उसके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए किया जाता है न कि उसके मसल्स बनाने के लिए, इसलिए हल्के हाथों से प्यार से मालिश की जानी चाहिए. मालिश का सिंपल फौर्मूला यह है कि ‘न बहुत ज्यादा तेजी से करें, न ही बहुत धीरे से’.

 

हाथ की गरमाहट – जिस कमरे में मालिश किया जा रहा हो, वह न ज्यादा गरम हो न ज्यादा ठंडा. मां के हाथ के टेम्परैचर के लिए भी यही रूल है, ‘हाथ न ज्यादा गरम हो, न ज्यादा ठंडा’.  न्यू मदर के लिए यह भी जानना जरूरी है कि जब बेबी को वैक्सीन लगाया गया हो, तो 24 घंटे तक मालिश नहीं  की जानी चाहिए. इसके अलावा उसे फीवर हो, तो भी मसाज करने की जरूरत नहीं.
जहां तक तेल का सवाल है, तो डॉक्टर श्रेया दूबे का मानना है कि यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी बौडी को कौन सा औइल सूट कर रहा है. वैसे हिंदुस्तान में नारियल की तेल से मालिश करने को तवज्जो देते हैं. 

क्या आइब्रो की कम ग्रोथ से आप भी हैं परेशान, तो बस अपनाएं ये नेचुरल उपाय

आंखें हमारे चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाती हैं और इन आंखों की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं, इनके ठीक ऊपर बनी आइब्रो. अगर ऑईब्रो घनी और परफेट शेप में होंगी तो ये चेहरे की रंगत बढ़ा देती हैं और ये हल्की हों तो चेहरे पर एक खालीपन रहता है. जिस कारण कई बार हमें शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता है इन्हें घना बनाने के चक़्कर में हम कई सारे प्रोडक्ट्स का भी इस्तेमाल करती हैं लेकिन जरूरी नहीं उनसे मनचाहा परिणाम मिले, इसलिए हमें आपको कुछ घरेलू चीजों के उपयोग के बारे में बता रहें हैं जिन्हे आप अपने ब्यूटी प्रोडक्ट्स के साथ भी इस्तेमाल कर सकती हैं और आप अपनी आइब्रो को खूबसूरत और घनी बना सकती हैं.

विटामन ई

विटामिन ई एक पावरफुल एंटी-ऑक्सीडेंट है यह हमारी स्किन व बालो के लिए बहुत लाभकारी होता है.इसके रेगुलर इस्तेमाल से बालों को नुकसान पहुंचाने वाले ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम होता है. बेहतर रिजल्ट के लिए रात में सोने से पहले आप इसे अपनी आईब्रो पर अप्लाई कर सकती हैं.

कैस्टर (आरंडी )ऑयल

कैस्टर ऑयल में रिकिनोइलिक एसिड पाया जाता है, जिसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं. इसके अलावा कई और अन्य पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.

इसे आप नारियल के तेल के साथ मिक्स कर के लगाएं. इस प्रक्रिया को लगातार 1 से 2 महीने तक जरूर ट्राई करें.फर्क आपको खुद नजर आने लगेगा.

ऑलिव ऑयल

ऑलिव ऑयल में फेनोलिक कंपाउंड भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बालों को लंबा और घना बनाने का काम करते हैं.

एलोवेरा जेल

एलोवेरा में विटामिन और खनिज होते हैं इसे आप फ्रेश भी लगा सकती हैं या बाजार में मिलने वाले जेल भी इस्तेमाल कर सकती है एलोवेरा से 10 मिनट के लिए मसाज करें और रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें.

कच्चा दूध

कच्चे दूध में कई सारे प्रोटीन, विटामिन्स, मिनिरल्स और फैटी एसिड्स होते हैं, जो आइब्रो की ग्रोथ बढ़ाने के साथ साथ बालों की ग्रोथ को कोमल बनाते हैं.

5 फैक्ट्स अबाउट बेबी मसाज

किसी भी शिशु के स्वस्थ जीवन की नींव उसे बचपन में मिलने वाली मजबूत व पौष्टिक औयल मसाज से होती है. आइए, जानते हैं बेबी मसाज के फायदों के बारे में:

रिलैक्स योर बेबी

जिस तरह आप को पार्लर में जा कर हैड मसाज, फुल बौडी मसाज लेने से काफी रिलैक्स व अच्छा फील होता है, आप खुद को स्ट्रैसफ्री महसूस करती हैं ठीक उसी तरह आप के बेबी को भी मसाज से काफी रिलैक्स फील होगा और इस से उस की मांसपेशियां व हड्डियां भी मजबूत बनेंगी क्योंकि मसाज करने से बच्चे में फील गुड नामक हारमोन रिलीज होता है, जो बच्चे को शांत रखने के साथसाथ उसे अंदर से खुश रखने का भी काम करता है. जिस से उस का चिड़चिड़ापन दूर होता है और वह रिलैक्स हो कर सोता है, खेलता है, जिस से आप भी उस के साथ ऐंजौय कर पाती हैं.

विकास में मददगार

मसाज से बच्चे की इम्यूनिटी बूस्ट होने के साथसाथ वजन बढ़ने में भी मदद मिलती है क्योंकि जब आप अपने स्पर्श से अपने बेबी की मसाज करती हैं तो उस से उस के इंटरनल सिस्टम में स्फूर्ति पैदा होने के साथसाथ ब्लड सर्कुलेशन में भी बढ़ोतरी होती है.

साथ ही आप इस के द्वारा अपने बच्चे के शरीर में मायलीनेशन की प्रक्रिया को तेज व सक्रिय बनाते हैं, जो आप के शिशु के ब्रेन व बौडी को सिगनल देने का काम करता है. यह आप के बच्चे में बोलने, समझने का विकास करने में मदद करता है.

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फैक्ट्स अबाउट बौडी पार्ट्स मसाज

बैली मसाज: अगर आप के बच्चे को कब्ज या फिर पाचन में किसी भी तरह की कोई दिक्कत हो, तो बैली मसाज से पाचन संबंधित दिक्कतों से नजात मिलता है, जिस से बच्चा चैन की नींद भी सो पाता है.

आर्म्स मसाज: इस से मांसपेशियों में मजबूती आने से बच्चे के हाथों में तेजी से मूवमैंट आने लगती है.

लेग्स मसाज: इस में थाईज मसाज भी शामिल है. इस से हड्डियां स्ट्रौंग बनने के साथसाथ पैरों व बौडी मूवमैंट में भी सुधार आता है.

चैस्ट मसाज: इस से बच्चे को गरमाहट मिलने से उसे कफ, कोल्ड की शिकायत नहीं होती है.

फेस मसाज: यह चेहरे की डाइनैस को दूर कर स्किन टैक्स्चर को इंप्रूव करती है.

हैड मसाज: यह मस्तिष्क के विकास व स्ट्रैस को दूर करने के साथसाथ बेबी स्लीप को ठीक करने का काम भी करती है. इस से ब्लड सर्कुलेशन भी इंपू्रव होता है.

बैक मसाज: यह हड्डियों को मजबूत बनाती है.

बिल्ट ए स्ट्रौंग बौंडिंग

जब आप उस की आंखों में आंखें डाल कर, गुनगुनाते हुए, उसे सहलाते हुए उस की मसाज करती हैं, तो उस में आप के हाथों की खुशबू बसने के साथसाथ स्मैल सैंस विकसित होने के साथसाथ एक बहुत ही मजबूत बौंडिंग का विकास होता है, जो बहुत ही सुंदर एहसास देने का काम करता है.

बेबी स्किन में इंपू्रवमैंट

नवजात की स्किन जन्म के बाद रंग व टैक्स्चर में भिन्न होती है, जो धीरेधीरे अपनी नैचुरल स्किन टोन में आने में समय लेती है. नवजातों की स्किन टोन लाइट पिंक कलर का होती है, जो उन का रियल कंप्लैक्सन नहीं होता है. यह पिंकिश टोन ब्लड वैसल्स के कारण होती है, जो बच्चे की पतली त्वचा के माध्यम से दिखाई देती है, लेकिन धीरेधीरे यह मसाज व फीडिंग से बच्चे की खुद की स्किन में सैटल हो कर उस का खुद का स्किन कलर दिखाई देने लगता है.

लगातार बेबी मसाज करने से स्किन का कलर नहीं बल्कि उस का टैक्स्चर इंप्रूव होने लगता है क्योंकि बेबी औयल से स्किन ऐक्सफौलिएट होने से स्किन को नैचुरल मौइस्चर व शाइन मिलती है. साथ ही स्किन की ड्रायनैस भी दूर होती है.

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Global Parents Day: रखें New Born बेबी का पूरा ध्यान

मानव जीवन में माता पिता का सर्वोच्च स्थान है. बच्चों के जन्म से ही माता-पिता उनके लिए आदर्श के रूप में होते हैं. भागदौड़ की इस जिंदगी में भले ही हम अपने माता-पिता से दूर हैं, लेकिन दुख हो या सुख हर परिस्थिति में वह हमारे साथ होते हैं .

परिवार के साथ- साथ, बच्चों का पोषण और संरक्षण माता-पिता की एक प्राथमिक जिम्मेदारी है. बच्चों के विकास के लिए आवश्यक है कि वे अच्छे पारिवारिक माहौल में बड़े हों, जहां खुशी, प्यार और विश्वास हो.

जब बात हो न्यू बौर्न बेबी की देखभाल की सबसे महत्वपूर्ण समय मां के गर्भ के दौरान होता है. गर्भ के दौरान यदि मां स्वस्थ है, उसका खानपान उचित हो और गर्भ से संबंधित कोई विकार ना हो तो बच्चा जन्म के समय स्वस्थ रहता है. अपने नवजात बेबी की देखभाल करना माता-पिता के जीवन के सबसे खास अनुभवों में से एक होता है.

बेबी की सम्पूर्ण देखभाल के लिए कुछ सरल  टिप्स,  जिससे नए माता-पिता अपने बेबी  के साथ किसी भी चिंता के बिना पैरंटहुड का आनंद ले सकते हैं –

बेबी के  लिए चुने सही बाथिंग प्रोडक्ट्स –

बेबी के बॉथिंग प्रोडक्ट्स में  इस बात का ख़ास ध्यान रखना चाहिए की वह प्रोडक्ट्स बेबी की त्वचा को रूखा न  बनाये  और उसकी त्वचा पर कोमल  हों. बच्चों के साबुन की जगह बाथिंग जेल का प्रयोग किया जा सकता है जो की 100% साबुन मुक्त फार्मूला से बनाया जाता है और बेबी की  नाजुक त्वचा को जेंटली साफ करता है .  यह  नो टीयर्स फार्मूला इस तरह बनाया जाता है की यह बेबी की नाजुक आँखों  को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा. यह हर रोज बेबी  के लिए प्रयोग किया जा सकता है  जिससे बेबी की त्वचा सॉफ्ट  और मॉइस्चरीज़ड बनी  रहे.

बेबी की मालिश के लिए –

भारत में बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है. बच्चे की मालिश नहलाने से एक घंटे पहले करनी चाहिए. बेबी मसाज ऑयल आपके बच्चे की नाजुक त्वचा को मॉइस्चराइज करता है. यह बच्चे की हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है. इससे बच्चों का शारीरिक विकास बेहतर होता है और वह हेल्थी रहते है| इसके लिए एक एलर्जी मुक्त , डर्मटॉलॉजिस्ट टेस्टेड मालिश का तेल प्रयोग में लाएं. ऑलिव और आलमंड आयल के तत्त्व बेबी की मालिश के लिए अत्यधिक लाभकारी होते हैं. नेचुरल स्किन इलास्टिसिटी बढ़ाने के लिए मालिश का  तेल  अत्यंत  उपयोगी  हैं.

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बेबी के दांत और मसूड़े के स्वस्थ्य के लिए –

बेबी की देखभाल करते समय बेबी के  मुँह की  स्वच्छता सबसे महत्वपूर्ण  है. बेहतर ओरल केयर प्रोडक्ट्स बच्चों के दांतों को साफ रखने के साथ-साथ मसूढ़ों को बैक्टीरिया मुक्त बनाने में काफी मदद करते  है. शुरुआती महीनों में बच्चे के मसूड़ों और दांतों की देखभाल करते समय अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है. बेबीओं  के  टूथपेस्ट  फ्लोराइड – फ्री  होने चाहिए  ताकि  अगर  छोटे बच्चे टूथपेस्ट निगल भी ले तो भी वह उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाए.  टूथब्रश का शेप और ब्रिस्ल्स  दोनों का ही  अकार  बच्चो  के  मुँह के  हिसाब से डिज़ाइन किए जाता है जिससे वह मुँह के  अन्दर कोने-कोने तक सफाई कर सके और  ब्रिस्ल्स  काफी  मुलायम  होते  हैं  जो टेपरेड़  टेक्नोलॉजी से बनते हैं जिससे बच्चो के मसूड़े और  दांत  पर  सख्त नहीं होते. सही टूथपेस्ट और सही टूथब्रश चुन कर बच्चे की ओरल हेल्थ का ध्यान रखें.  स्वस्थ आदतों का अभ्यास करने से बेबीओं और बच्चों में कैविटी, दांतों की सड़न को रोकने या कम करने में मदद मिल सकती है.

बेबी को सुलाने के लिए  –

नींद पूरे परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, इसलिए अपने बच्चे की नींद को सुगम बनाने के लिए आदर्श समाधान खोजना महत्वपूर्ण है. पहले महीनों के दौरान, पालना सबसे अच्छा समाधान है क्योंकि एक समर्पित स्थान बच्चे को सुरक्षित और संरक्षित रखता है, जैसा उसने जन्म से नौ महीने पहले महसूस किया था. यह वैज्ञानिक रूप से प्रदर्शित है, कि बच्चे को माता-पिता पालने में अपने बिस्तर के जितना पास हो सके सुलायें. यह बच्चे के लिए सुरक्षित है और कई फायदे देता है: यह स्तनपान को आसान बनाता है, यह नवजात बेबी की मदद करता है सोने-जागने की लय को विनियमित करने में और यह बच्चे और माता-पिता के बीच के बंधन को मजबूत करता है.

बेबी को घुमाने के लिए –

स्ट्रोलर का सही तरीके से चुनाव  करना  बहुत आवश्यक है- ना सिर्फ बच्चे के आराम और सुरक्षा के लिए पर माता-पिता की सुविधा के हिसाब से भी. बेबी के स्ट्रोलर की सीट आरामदायक और आसानी से अडजस्टेबल होनी चाहिए. सबल स्ट्रोलर फ्रेम के साथ व्हील पर लगे सस्पेंशन और लॉक्स बच्चे को हर तरह के रास्तों पर सुरक्षित रखते है.  एक हाथ से फोल्ड और कॉम्पैक्ट हो जाने वाले स्ट्रोलर पेरेंट्स के लिए बहुत सुविधाजनक होते हैं और उन्हें अपने बच्चों के साथ बिताए समय का पूरी तरह से आनंद लेने  देते हैं.

बच्चों के कपड़ो को विशेष रूप से बेबी के कपड़ों के लिए बनाये गए लांड्री डिटर्जेंट से ही धोएं – माता पिता को केवल बेबी के कपड़ों के लिए बनाये गए लांड्री डिटर्जेंट का ही उपयोग करना चाहिए – जो ज़िद्दी दाग व गंध हटाने में कारगर हो.  इसके साथ साथ लांड्री डिटर्जेंट में रोगाणुओं का नाश करने की क्षमता होनी चाहिये. क्यूंकि हम जानते है कि बेबी की त्वचा कोमल होती है, इसलिए बेबी के कपड़ों को डर्मटोलॉजिकली टेस्टेड लांड्री डिटर्जेंट से ही धोना चाहिए.

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बेबी के लिए कॉटन के कपडे –

गर्मी का मौसम हो तो नवजात को कॉटन के कपड़े पहनाने चाहिए. कॉटन  के  हवादार  और  अच्छी  क्वालिटी  के  कपडे  न  केवल  आरामदायक  होते  है  बल्कि  ट्रेंडी  भी  होते  है.  समर ट्रेंड्स में  बच्चों क लिए सबसे  ज्यादा  क्यूट  प्रिंट्स  जैसे – एनिमल मैस्कॉट , शेप्स , फ्लोरल  प्रिंट्स  देखने  को  मिलते हैं.  इन प्रिंट्स में बच्चे बहुत खूबसूरत दिखते  है और साथ  ही जानवर, नेचर और शेप्स पहचानना भी सीखते है.

श्री राजेश वोहरा, चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आर्ट्साना ग्रुप, इन एसोसिएशन विद कीको रिसर्च सेण्टर के द्वारा.

न्यू बौर्न बेबी के लिए बेस्ट है टच थेरैपी

बच्चे को नहलाने से पहले तेल मालिश उस की हड्डियों को मजबूत और स्किन को सुंदर बनाती है. यही वजह है कि अधिकांश घरों में  तेल, क्रीम और लोशन से बच्चे की मालिश की जाती है. मगर बच्चे की मालिश से पहले डाक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आप बच्चे को सही तेल की मसाज दे सकें. बच्चे की स्किन बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है. अत: थोड़ी सी लापरवाही भी उस की स्किन के लिए खतरा बन सकती है.

इस बारे में नवी मुंबई के मदरहुड हौस्पिटल के डा. सुरेश बिराजदार बताते हैं कि मालिश बच्चे के लिए लाभदायक होती है. इस से बच्चे में चुस्ती और फुरती आती है, शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिस से उस का अच्छा विकास होता है.

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दरअसल, मालिश एक टच थेरैपी है, जिसे अधिकतर माएं करती हैं. मां के मालिश करने से उस का प्रभाव बच्चे पर अधिक रहता है, धीरेधीरे बच्चे का मां से संबंध प्रगाढ़ होता है. यही नहीं मालिश से कई बीमारियां भी दूर होती हैं. रोजाना मालिश से शिशु खुश रहता है.

आजकल कई घरों में मालिश मेड से करवाई जाती है, जिस का फायदा तो है पर मां को आसपास रह कर शिशु से इमोशनल बौंडिंग को मजबूत करने की जरूरत होती है. वैसे तो मां के साथ बच्चे का जुड़ाव जन्म से ही होता है, क्योंकि बच्चा उस की कोख से जन्म लेता है, लेकिन मसाज एक शारीरिक स्पर्श है, जो उसे और अधिक सिक्योर महसूस कराती है.

कब तक करें

डाक्टर सुरेश कहते हैं कि पहले साल बच्चे को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इस के बाद वह खुद अधिक ऐक्टिव होने लगता है, इधरउधर की चीजें ऐक्स्प्लोर करने लगता है. वह सोना नहीं चाहता. ऐसे में अधिक मसाज की जरूरत नहीं होती. इन्फैंट को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि वे अधिक देर तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं. अगर बच्चा मसाज को ऐंजौय करता है, तो ढाई साल तक मसाज करना अच्छा रहता है. इस के निम्न फायदे हैं:

– मालिश से रक्तसंचार बढ़ता है.

– शिशु की हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं.

– शारीरिक विकास सही होता है.

– मसाज के बाद बच्चे को भूख लगती है.

– उस की पहचानशक्ति बढ़ती है.

– अच्छी नींद आती है.

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– वजन सही रहता है.

– बच्चा चिड़चिड़ेपन से दूर रहता है.

– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

– बच्चा अधिक ऐक्टिव रहता है.

– मां के साथ उस का भावनात्मक संबंध मजबूत होता है.

चुनें सही तेल

मसाज के लिए औयल का सही चुनाव बहुत आवश्यक है. सरसों का तेल, नारियल का तेल और औलिव औयल या बादाम का तेल ये तीनों बच्चों की मसाज के लिए अच्छे होते हैं.

अधिकतर मांएं तेल में आटा या बेसन मिला कर बच्चे की मालिश करती हैं, जिस से उस की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस के अलावा कानों के पीछे, जांघों, आर्मपिट आदि जगहों में कई बार औयल रह जाता है, जिस से वहां नमी होने की वजह से इन्फैक्शन हो जाता है. इसलिए बच्चे के शरीर से औयल अच्छी तरह साफ कर लें. बच्चे की हलके हाथों से मालिश करें.

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मालिश के लिए सही समय चुनें. बच्चे को कुछ खिलाने या स्तनपान कराने के बाद मालिश कतई न करें. मालिश के बाद बच्चे के शरीर से तेल पोंछ दें और उसे कुछ देर यों ही खेलने दें. फिर नहलाएं.

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