मीत मेरे

family story in hindi

मीत मेरे- भाग 2

हैरी ने गौरव का इन्विटेशन खुशीखुशी स्वीकार कर लिया. नेहा ने बड़ी मेहनत से स्पैशल इंडियन डिशेज तैयार कीं, मटरपनीर, मलाई कोफ्ता, भरवां भिंडी, दहीबड़े के साथ पूरियां और कचौडि़यां बनाईं. मेवा डाल कर चावल की खीर भी तैयार कर डाली.

हैरी दंपती ने ठीक 6 बजे कालबैल बजाई. दरवाजा खोल गौरव ने स्वागत किया. ‘‘गुड ईवनिंग, हमारे घर में आप का स्वागत है.’’

‘‘नमस्ते…’’ कुछ अटकते हुए मिसेज हैरी ने हिंदी में अभिवादन कर गौरव को विस्मित कर दिया.

‘‘अरे, आप हिंदी बोल सकती हैं?’’ पीछे से आई नेहा ने आश्चर्य से कहा.

‘‘हां, मेरा स्कूल में थोड़ा इंडियन स्टूडैंट्स हैं, वो सिखाया है.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है, आइए, अंदर चलें,’’ नेहा की आंखों में प्रशंसा थी. सब के बैठने पर गौरव ने कुछ संकोच से कहा, ‘‘हमारा यह छोटा सा अपार्टमैंट है.’’

‘‘ओह, यह तो सुंदर घर है. अभी तुम्हारा स्ट्रगल पीरियड है. इस्टैब्लिश होने के बाद बड़ा घर लोगे,’’ हैरी ने गौरव को बढ़ावा दिया.

‘‘आप लोग क्या लेना पसंद करेंगे? सौरी, हमारे पास ड्रिंक का लिमिटेड स्टाक है, मैं ड्रिंक कम करता हूं.’’

‘‘अरे, नेहा की कंपनी में तो सौफ्ट ड्रिंक में भी सुरूर आ जाएगा, पर पहले इंट्रोडक्शन तो हो जाए, यह मेरी स्वीटहार्ट एलिजाबेथ, यानी क्वीन औफ माई हार्ट और डार्लिंग, यह गौरव और उस की चार्मिंग वाइफ नेहा,’’ हंसते हुए हैरी ने नेहा को देखा.

‘‘यू नो, हैरी ऐसा ही है, हर टाइम हंसता है.’’

‘‘हंसना तो बहुत अच्छी बात है. हंसने वाले इनसान हमेशा यंग दिखते हैं. देखो न, हैरी कितने यंग दिखते हैं,’’ गौरव ने नेहा से कहा.

‘‘यह तो असल में भी यंग मैन ही है, मैं इस से 7 साल बड़ी हूं. क्यों हैरी, ठीक कह रही हूं न?’’ एलिजाबेथ के चेहरे पर मुसकान थी.

एलिजाबेथ की बात सुन कर नेहा ने सोचा, ‘अपनी उम्र के बारे में इतनी सचाई से ऐसी बात स्वीकार करने के लिए साहस होना चाहिए. भारत में पत्नी का उम्र में बड़ा होना कोई सामान्य बात नहीं मानी जाती. वैसे भी वहां लड़कियां अकसर अपनी सही उम्र कम ही बताती हैं. कभीकभी मातापिता भी 1-2 साल कम कर के ही बताते हैं.’

‘‘अरे, तुम्हारी उम्र कुछ भी हो, मेरे लिए तो तुम स्वीट सिक्सटीन ही हो,’’ हैरी हंस रहा था.

‘‘हैरी सब को ऐसे ही प्यार करता है, तुम दोनों का तो फैन हो गया है. तुम को लाइक किया, इसलिए यहां आया है, नहीं तो इसे अपने गिटार और म्यूजिक के अलावा कुछ नहीं चाहिए,’’ एलिजाबेथ ने मुसकरा कर हैरी को देखा.

‘‘यह तो हैरी का बड़प्पन है. कोई और होता तो…’’

‘‘तो वह भी वही करता,’’ गौरव की बात काट कर हैरी ने कहा.

‘‘आई विश, आज टीना भी हमारे साथ आई होती,’’ एलिजाबेथ ने कहा.

‘‘टीना कौन?’’ नेहा ने पूछा.

‘‘एलिजाबेथ का पहले हसबैंड से डिवोर्स हो गया. टीना एलिजाबेथ के पहले हसबैंड से एलिजाबेथ की बेटी है, वह अपने फादर के साथ रहती है. वीकैंड में हमारे पास आती है. आज वह अपनी ग्रैनी (नानी) के पास गई हुई है वरना हम उसे भी साथ लाते.’’

‘‘क्या टीना के फादर उसे आप के पास आसानी से आने देते हैं?’’ अनजाने में नेहा पूछ बैठी.

‘‘हां, इस में क्या प्रौब्लम होगी? टीना हमारी भी तो बेटी हुई, आखिर एलिजाबेथ उस की मदर है. एलिजाबेथ का पहला हसबैंड मेरा अच्छा दोस्त है, हम सब मिल कर पार्टी करते हैं,’’ नेहा के सवाल पर हैरी विस्मत था.

‘‘माफ कीजिए, असल में भारत में पतिपत्नी के अलग होते समय बच्चों के बंटवारे को ले कर झगड़े उठ खड़े होते हैं इसीलिए मैं सवाल कर बैठी.’’

नेहा को याद हो आया, उस की कजिन गीता को अपने दुश्चरित्र पति से तलाक लेते समय 5 वर्ष के राहुल को कस्टडी में लेने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़े थे.

ऐसा नहीं कि उस के पति को बेटे से बहुत  प्यार था, पर पुरुष का अहं और गीता को तड़पाना उस का मकसद था. अकसर कानूनी अड़चनें भी मां के विरुद्ध फैसला देने को विवश होती हैं.

‘‘अमेरिका में दूसरी शादी के लिए मर्द या औरत को बराबरी का अधिकार है. जब दोनों को महसूस होता है, वे साथ नहीं रह सकते तो आपसी समझौते से अलग हो जाते हैं. तलाक से बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ता. यहां तलाक सामान्य बात है. बच्चे भी इसे आसानी से स्वीकार करते हैं. हो सकता है, इंडिया में हमारी मैरिज को बेमेल कहा जाए, पर यहां यह कोई नई बात नहीं है,’’ हैरी ने गंभीरता से कहा.

‘‘हां, पहले तो इंडिया में बच्चे वाली विधवा या परित्यक्ता स्त्री का विवाह मुश्किल होता था, पर आजकल समाज बदल रहा है. मीडिया के कारण लोगों में तेजी से चेतना आ रही है. हमारा समाज उदार होता जा रहा है,’’ जानकारी देते हुए गौरव को मीडिया पर आने वाली कई घटनाएं याद हो आईं, जब पीडि़त स्त्री को न्याय दिलाने के लिए मीडिया आगे आया था.

कोल्ड ड्रिंक देती नेहा ने कहा, ‘‘इफ यू डौंट माइंड, एक बात पूछ सकती हूं?’’

‘‘जरूर, हमें खुशी होगी. आप क्या जानना चाहती हैं?’’

‘‘आप दोनों की मुलाकात कैसे हुई थी?’’

‘‘एलिजाबेथ अपने स्कूल के बच्चों के साथ एक कोरस गीत के आर्केस्ट्रा के लिए मदद लेने हमारे म्यूजिक स्कूल आई थी. मजे की बात यह थी कि एलिजाबेथ को म्यूजिक

की एबीसीडी भी नहीं आती. कोरस गीत के साथ जब मेरी आर्केस्ट्रा टीम ने साथ दिया तो लोगों की तालियां देर तक हाल में गूंजती रहीं. उस दिन के बाद से हर म्यूजिक प्रोग्राम के लिए यह मेरी मदद लेने आने लगी. बस, पहले हम दोनों दोस्त थे, बाद में हसबैंडवाइफ,’’ बात खत्म करता हुआ हैरी, एलिजाबेथ को देख कर मुसकरा दिया.

‘‘लेकिन अब तो मैं काफी कुछ समझती हूं न, हैरी?’’

‘‘हां, अब तुम गलत नोटेशन पर हंस लेती हो. वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, नेहा ने इंडियन क्लासिकल म्यूजिक में मास्टर्स की डिग्री ली है.’’

‘‘वाऊ, दैट्स ग्रेट. हैरी, तुम अपने स्कूल में इंडियन क्लासिकल म्यूजिक की क्लासेज क्यों नहीं शुरू कर लेते? मैं ऐसे बहुत से इंडियन पेरैंट्स को जानती हूं, जो अपने बच्चों को इंडियन म्यूजिक सिखाना चाहते हैं,’’ एलिजाबेथ ने सुझाव दिया.

‘‘ओह यस, गुड आइडिया. नेहा, क्या तुम मेरे स्कूल में म्यूजिक टीचर की जौब लेना चाहोगी?’’ हैरी ने पूछा.

‘‘जी, मैं ने संगीत सीखा है, पर किसी को सिखाया नहीं है,’’ संकोच से नेहा ने कहा.

‘‘वह कोई प्रौब्लम नहीं है. एक बार सिखाना शुरू करोगी तो बहुत आसान लगेगा,’’ एलिजाबेथ ने उत्साहित किया.

‘‘मैं सोचती हूं, पहले गौरव को कोई जौब मिल जाए फिर…’’

‘‘गौरव के के लिए भी कोशिश की जाएगी. वह क्वालिफाइड है. उसे जरूर अच्छी जौब मिल जाएगी. जौब लेने से तुम्हें सैलरी के साथ मैडिकल इंश्योरेंस भी मिलेगा. अभी तुम लोग जो प्रौब्लम फेस कर रहे हो, उस से छुटकारा पाना जरूरी है. बी प्रैक्टिकल नेहा.’’

‘‘तुम्हें कोई औब्जेक्शन तो नहीं है, गौरव?’’ गौरव को चुप देख एलिजाबेथ ने पूछा.

‘‘नहीं, अगर नेहा की इच्छा है तो काम करे,’’ विक्षुब्ध हो कर गौरव ने कहा.

‘‘ठीक है, तुम दोनों सोच लो. मेरा औफर रहेगा. हां, नेहा को जौब पर रखने के लिए कुछ फौरमैलिटीज पूरी करनी होंगी. नेहा को आसानी से वर्कपरमिट मिल जाएगा, उस के साथ जौब करने की परमिशन हो जाएगी.’’

छोटी सी डाइनिंग टेबल पर डिनर सजा देख, एलिजाबेथ चौंक गई, प्रशंसा में बोली, ‘‘माई गौड, लगता है मैरिज पार्टी की तैयारी है. इतनी मेहनत क्यों की, नेहा? हम तो सिर्फ 2 ही गेस्ट हैं या कोई और भी आने वाला है?’’

‘‘यह तो कुछ नहीं है. हमारे देश में अतिथि को देवता यानी गौड कहा जाता है. उन के सत्कार में जो भी किया जाए कम है. आज आप हमारे गैस्ट यानी अतिथि हैं,’’ हंसते हुए गौरव ने बताया.

एलिजाबेथ और हैरी को खाना बहुत पसंद आया. एलिजाबेथ हर डिश की रैसिपी पूछ रही थी. हैरी ने उसे चिढ़ाया, ‘‘माई डियर, अपनी कुकिंग बेकिंग तक ही रहने दो. यह मजेदार स्पाइसी फूड बनाना तुम्हारे बस का नहीं. नेहा, तुम्हें हमारे घर में बेक्ड केक, पाई या टिन में पैक्ड खाना ही मिलेगा.’’

‘‘हैरी ठीक कहता है, हमारी कुकिंग बिलकुल अलग किस्म की होती है. शायद तुम्हें हमारा खाना उबला हुआ लगेगा,’’ एलिजाबेथ ने सचाई से कहा.

‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. हर देश और जगह का खानपान अलग होता है. हमारे देश में तो अलगअलग स्टेट्स का खाना अलग तरह का होता है. हमारी नेबर मंगलाजी साउथ की हैं, उन की और हमारी नौर्थ इंडियन डिशेज अलग होती हैं, पर हम दोनों एकदूसरे की डिशेज खूब ऐंजौय करते हैं,’’ मुसकराती नेहा ने कहा.

स्वीट डिश के रूप में मेवा पड़ी खीर ने तो उन्हें मुग्ध ही कर दिया.

‘‘व्हाट ए लवली स्वीट डिश. मजा आ गया,’’ डिनर खत्म होने पर हैरी और एलिजाबेथ को अपनी प्लेटें धोने के लिए जाने की कोशिश करते देख नेहा ने रोक दिया, ‘‘नहीं, प्लीज आप ऐसा न करें. हमारे यहां गैस्ट से यह काम अपेक्षित नहीं है. यह उन का अपमान माना जाता है.’’

‘‘पर अमेरिका में मेजबान पर सारा काम छोड़ कर नहीं जाया जाता. मेहमान अपनी डिशेज खुद धो कर डिशवाशर में लगाते हैं. इस तरह से मेजबान का काम भी हलका हो जाता है,’’ हैरी ने बताया.

‘‘हो सकता है, अगर हम यहां रहने लगें तो यहां की लाइफस्टाइल अपना लें, पर अभी तो हमारे संस्कार भारतीय ही हैं. हमें क्षमा करें,’’ नेहा ने उन के हाथों से प्लेटें ले कर सिंक में रख दीं.

उन के जाने के बाद गौरव चुपचाप लेट गया. डिशवाशर में बरतन लगाती नेहा सोचने लगी, ‘यह अच्छा देश है, इस देश में हर छोटे से छोटे अपार्टमैंट में भी मूल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. डिशवाशर, कपड़े धोने, सुखाने के लिए वाशिंग मशीन और ड्रायर, माइक्रोवेव और फ्रिज के रहने से

सारा काम कितना आसान हो जाता है.’

काम खत्म कर, कमरे में आ कर गौरव को लेटा देख नेहा ने खुशी से कहा, ‘‘क्या थक गए? वैसे आज की शाम बड़ी अच्छी बीती. दोनों पतिपत्नी कितने अच्छे हैं. एलिजाबेथ को हमारा बनाया खाना बहुत पसंद आया.’’

‘‘हां, तुम्हारे लिए तो जौब का औफर भी आ गया. तुम्हारी शाम तो अच्छी होनी ही थी,’’ कुछ तल्खी से गौरव ने कहा.

‘‘अरे, मैं कौन सी नौकरी करने जा रही हूं. उन्होंने कहा और मैं ने सुन लिया,’’ गौरव की आवाज की तल्खी नेहा पहचान गई थी.

‘‘सोचता हूं, हम इंडिया वापस क्यों न चलें. यहां का जो हाल देख रहा हूं, उस में अच्छी जौब का मिलना कठिन ही होगा.’’

‘‘इंडिया की अपनी जौब भी तो छोड़ कर आए हो.’’

‘‘तो क्या दूसरी जौब नहीं मिलेगी,

वहां के हालात यहां के मुकाबले में बहुत अच्छे हैं.’’

‘‘वह बात यहां भी तो संभव हो सकती है. तुम्हारे पास ऊंची डिग्री है, काम का अनुभव भी है, तुम्हें जरूर कोई अच्छी जौब मिल जाएगी. हिम्मत रखो. इंडिया में सारा सामान बेच कर घर खाली कर आए हैं.

वहां जा कर फिर से गृहस्थी जमाना भी तो इतना आसान नहीं होगा. लोग क्या हमारी हंसी नहीं उड़ाएंगे?’’

नेहा की बात में दम था. अमेरिका से जौब का औफर मिलने पर गौरव फूला न समाया था. आफिस में कितनी शान से कहा था, ‘‘इस दोटके की नौकरी में क्या रखा है? अमेरिका में जो सैलरी मिलेगी, उस से 1-2 साल में यहां एक शानदार बंगला बनवा लूंगा.’’

असल में आज नेहा के जौब औफर ने उसे विक्षुब्ध कर दिया. पत्नी नौकरी करे और पति घर में निकम्मा बैठा रहे, भारतीय पति की मानसिकता इसे सहज ही स्वीकार नहीं कर सकती. अभी तो परदेश से ठीक से परिचय भी नहीं हुआ था कि नौकरी चली जाने से असहायता की स्थिति बन गई. उस की अपेक्षा नेहा प्रसन्न लग रही थी. किसी तरह करवटें बदलते रात कट गई.

सुबहसुबह कालबैल सुन कर नेहा चौंक गई. दरवाजा खोलने पर मंगला खड़ी दिखीं.

‘‘अरे मंगला बहन, सब खैरियत तो है?’’

‘‘अइअइयो, अम्मा, बोत खुशी की बात है, नेहा. अम को काम मिलने का जी. ये लो, तुम्हारे लिए मैसूर पाक लाया है,’’ खुशी से मंगला का चेहरा चमक रहा था.

‘‘वाह, यह तो बहुत अच्छी खबर है. काम कहां मिला है?’’

‘‘वो जो पंजाबी होटल है ना, उस के मालिक ने बुलाया, मेरे को बोला कि

‘पुत्तर, तुसी बोत अच्छा इडलीडोसा बनाता, हमारे होटल में काम करो तो पैसा और नाम दोनों मिलेगा.’ मेरे को सुबह 8 से 1 बजे तक और शाम को 4 से 8 तक काम करने का जी.’’

‘‘तुम्हारे हसबैंड मान गए? मेरा मतलब अब तुम्हें काफी टाइम बाहर रहना होगा?’’

‘‘काए को नहीं मानेगा, हमारे पैसे से उस का भी तो फायदा होने का कि नईं? हम इंडिया जास्ती पैसा भेज सकने का,’’ मंगला के चेहरे पर आशा का उल्लास था.

‘‘हां, यह बात तो सच है, पर सब मर्द ऐसा नहीं सोचते.’’

‘‘क्या बोलता, नेहा, अमेरिका में हम देखा, सारी औरतें काम करने का,’’ अचानक पीछे खड़े गौरव पर निगाह पड़ते ही नेहा चुप हो गई. निश्चय ही उस ने नेहा की बात सुन ली थी.

 

‘‘बंधाई, हो मंगला बहन. मिस्टर रामास्वामी को भी कांग्रेचुलेट कीजिएगा.’’

‘‘थैंक्यू, अब हम को जाने का. आज से ही ड्यूटी करने का. रामास्वामी वेट करता जी,’’ उत्साहित मंगला चली गई.

‘‘हैरी का औफर स्वीकार कर लो, नेहा,’’ चाय पीते हुए गौरव ने कहा.

‘‘क्या?’’ नेहा चौंक गई.

‘‘हां, सोचता हूं, कम से कम कुछ समय के लिए तो समस्या से छुटकारा मिल ही जाएगा. बाद में जब मुझे जौब मिल जाएगी तब तुम आराम करना,’’ गौरव मुसकराया.

‘‘सच कहो, यह बात दिल से कह रहे हो, पर क्या मैं संगीत सिखा पाऊंगी?’’

‘‘क्यों नहीं, आखिर तुम ने संगीत में एम.ए. किया है. यहां तो सा रे गा मा से शुरू करना है. आज ही हैरी को तुम्हारी ऐक्सैप्टैंस भेज देता हूं,’’ गौरव ने उत्साहित किया.

‘‘तुम्हें परेशानी नहीं होगी?’’ नेहा ने गौरव का मन जानना चाहा.

‘‘कैसी परेशानी? दिन भर आराम से पैर फैला कर सोऊंगा. अभी तक काम की वजह से 8 की जगह 10-11 घंटे काम करना पड़ता था.’’

‘‘तुम घर पर रहोगे, मैं काम पर जाऊंगी तो लोग क्या कहेंगे?’’ नेहा शंकित थी.

‘‘हम भारत में नहीं हैं, जहां लोग अपने से ज्यादा दूसरों पर नजर रखते हैं. इतने दिनों में एक बात समझ गया हूं, इस देश में कोई किसी के बारे में नहीं सोचता. सब अपने काम से काम रखते हैं. हां, सामने पड़ने वाले अजनबी को भी हायहैलो जरूर करते हैं,’’ गौरव ने अपने 4 महीनों का अनुभव बताया.

‘‘थैंक्स, गौरव,’’ नेहा के चेहरे पर खुशी झलक आई.

एक घंटे में हैरी का फोन आ गया.

‘‘गुड, नेहा ने जौब करने का फैसला लिया है. मैं कल नेहा का वेट करूंगा,’’ हैरी की आवाज में खुशी स्पष्ट थी.

मीत मेरे- भाग 1

एकदम सामने से करीब आ रही कार को देख कर गौरव ने घबराहट में कार बाईं ओर मोड़ दी. किर्र की आवाज के साथ कार किनारे खड़े पेड़ से टकरा कर रुक गई. सामने वाली कार के चालक ने ब्रेक लगा कर अपनी कार रोक ली. कार को किनारे पार्क कर के कार चालक पेड़ से टकराई कार के यात्रियों की ओर आया और बोला, ‘‘आर यू ओके गाइज?’’ उन के सामने एक 29-30 वर्ष का अमेरिकी युवक खड़ा था.

‘‘जी…’’ गौरव इतना ही कह सका.

संयोग से गौरव और नेहा को ज्यादा चोट नहीं आई थी, पर स्टीयरिंग व्हील से टकराने के कारण गौरव के माथे से खून निकल रहा था. दहशत की वजह से नेहा सुन्न सी हो रही थी.

‘‘क्या मरने के लिए घर से निकले थे? अपनी लेन का भी ध्यान नहीं रहा. गलत लेन में आने पर कितना जुर्माना देना होगा, जानते हो न?’’

‘‘सौरी, माफ कीजिए, मैं कुछ परेशान था, इसलिए लेन का ध्यान नहीं रहा,’’ कार से उतर कर गौरव ने अपनी गलती मानी.

‘‘परेशान होने का मतलब यह तो नहीं कि किसी दूसरे को मुश्किल में डाल दो. अगर मेरी कार की टक्कर से तुम्हें कुछ हो जाता तो…’’ अचानक युवक की दृष्टि गौरव के माथे से निकलते खून पर पड़ी.

‘‘अरे, तुम्हारे माथे पर तो चोट लगी है, चलो, तुम्हें हास्पिटल ले चलता हूं,’’ अमेरिकी युवक ने अब हमदर्दी से कहा.

‘‘नहीं, नहीं, इस की जरूरत नहीं है. मामूली सी चोट है, घर में फर्स्ट एड का सामान है. चोट पर दवा लगा लेंगे,’’ गौरव ने संकोच से कहा.

‘‘नहीं, सिर पर लगी चोट को मामूली नहीं समझना चाहिए. यहां पास ही हास्पिटल है, वहीं चलते हैं.’’

‘‘हम हास्पिटल नहीं जा सकते,’’ गौरव की आवाज में उदासी थी.

‘‘क्यों, क्या प्रौब्लम है?’’

‘‘हमारे पास मैडिकल इंश्योरैंस नहीं है,’’ मायूसी से गौरव ने बताया.

‘‘क्या… बिना मैडिकल इंश्योरैंस के तुम अमेरिका में कैसे मैनेज कर सकते हो? यहां कब से रह रहे हो?’’

‘‘बस, 4 महीने पहले यहां आए थे. सब कुछ ठीक चल रहा था, पर एक वीक पहले मेरी जौब चली गई. जौब के साथ मेरा मैडिकल इंश्योरैंस भी खत्म हो गया.’’

‘‘ओह समझा. इकोनोमिक क्राइसिस के कारण न जाने कितनों की जौब चली गई. एनीहाऊ, मैं एक डाक्टर को जानता हूं, वे तुम्हारी हैल्प कर देंगे.’’

‘‘थैंक्स, पर मेरी कार तो शायद स्टार्ट ही न हो सके,’’ कार की दयनीय स्थिति पर गौरव ने नजर डाली.

‘‘ओह, यस. ऐसा करो, तुम दोनों मेरी कार में चलो, तुम्हारी कार ठीक होने पर घर पहुंचा दी जाएगी,’’ युवक ने अपने मोबाइल

से किसी मैकेनिक को निर्देश दे कर गौरव की तरफ उस के घर का पता बताने के लिए अपना फोन बढ़ा दिया.

‘‘आप को तकलीफ होगी,’’ गौरव ने संकोच से कहा.

‘‘तुम्हारे साथ इतनी ब्यूटीफुल यंग वाइफ है. उस के साथ तुम्हें सड़क पर तो नहीं छोड़ा जा सकता. हां, अपना परिचय देना तो भूल ही गया, मैं हैरीसन, पर सब हैरी ही पुकारते हैं,’’ अपना नाम बता कर हैरी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया.

‘‘मैं गौरव और यह मेरी वाइफ, नेहा,’’ हैरी से हाथ मिलाते हुए गौरव ने कहा.

हैरी के साथ उस की कार में दोनों डाक्टर के पास पहुंचे. डाक्टर हैरी का अच्छा मित्र था. कुछ ही शब्दों में हैरी ने उन की समस्या बता कर उन की हैल्प के लिए रिक्वैस्ट की.

‘‘नो प्रौब्लम, आइए, आप की चोट एग्जामिन कर लूं.’’

गौरव के माथे की चोट एग्जामिन कर के डाक्टर ने नर्स को इंस्ट्रक्शन दे कर कहा, ‘‘डोंट वरी, मामूली चोट है. नर्स अभी ड्रेसिंग कर देगी. 2-3 दिन में ठीक हो जाएगी.’’

‘‘थैंक्स डाक्टर,’’ गौरव ने सम्मान में धन्यवाद दिया.

‘‘वेलकम, हैरी मेरे नेबर ही नहीं, मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी हैं, एनीथिंग फौर हिम,’’ मुसकराते हुए डाक्टर ने कहा.

डाक्टर से विदा ले तीनों हास्पिटल से बाहर आए. गौरव ने हैरी से कहा, ‘‘हम आप के बहुत आभारी हैं. अब हम चलते हैं.’’

‘‘कैसे जाओगे, पैदल? तुम्हारी कार तो रोड की साइड पर पड़ी है?’’ हैरी के चेहरे पर मुसकान थी.

‘‘हम कोई बस या टैक्सी ले लेंगे, आप को बहुत थैंक्स.’’

‘‘आज संडे है. मेरे पास पूरा दिन खाली है, यहीं पास ही मेरा घर है. मेरे खयाल से तुम दोनों को कौफी की सख्त जरूरत है.

1-1 कप कौफी के बाद तुम्हें घर छोड़ दूंगा.’’

‘‘नहीं मिस्टर हैरीसन, अब आप को और ज्यादा तकलीफ नहीं दे सकते. हम मैनेज कर लेंगे,’’ संकोच से नेहा ने कहा.

‘‘इट्स माई प्लैजर, नेहा. हां, तुम्हें नेहा पुकारा, बुरा तो नहीं लगा? अमेरिका में तो बच्चे भी मांबाप को उन के नाम से पुकारते हैं. हम अमेरिकी फ्रैंक होते हैं. अगर कुछ बुरा लगे तो साफसाफ कह देते हैं. आई होप यू डौंट माइंड. एक बात और, मुझे मिस्टर हैरीसन न कह कर सिर्फ हैरी कहना ही ठीक है. यहां इस तरह की फार्मैलिटी नहीं चलती.’’

‘‘ठीक है, हम आप को हैरी ही पुकारेंगे,’’ नेहा हंस पड़ी.

कार हैरी के घर में प्रविष्ट हो रही थी. गेट के अंदर आते ही दोनों ओर सुंदर फूलों की क्यारियों को देख कर नेहा मुग्ध हो गई. सामने हैरी का बड़ा सा घर था. घर में सोफे पर बैठी नेहा ने चारों ओर नजर दौड़ाई, सब कुछ कितना सुव्यवस्थित था.

‘‘आप का गार्डन तो बहुत सुंदर है. इतने रंगों के गुलाब देखना एक सुखद अनुभव है.’’

‘‘म्यूजिक और गार्डनिंग, मेरे यही 2 शौक हैं या यों कहो, इन्हीं के सहारे जिंदगी का मजा उठाता हूं,’’ बात कहते हुए हैरी हंस दिया.

‘‘अरे वाह, नेहा को भी म्यूजिक से प्यार है. इस ने इंडियन म्यूजिक में एम.ए. की डिग्री ली है, गौरव ने कहा.’’

‘‘वाउ, ग्रेट. गौरव, यू आर ए लकी गाई. तुम्हारी वाइफ म्यूजीशियन है, तुम जब चाहो अपने मनपसंद गीत सुन सकते हो,’’ हैरी की आंखों में प्रशंसा थी.

‘‘सौरी, मुझे संगीत से कोई लगाव नहीं है,’’ गौरव के सपाट जवाब से नेहा का चेहरा उतर गया.

सच ही तो कहा था गौरव ने, शादी के बाद से आज तक उस ने कभी भी नेहा से कोई गीत सुनाने का अनुरोध नहीं किया था. गौरव के रिश्तेदार और मित्र उस की मीठी आवाज में गाए गए गीतों की जी खोल कर प्रशंसा करते, पर गौरव हमेशा उदासीन ही रहा.

‘‘अगर कोशिश करो तो म्यूजिक का आनंद जरूर उठा सकते हो. नेहा, शायद तुम हमारे म्यूजिक को भी पसंद करो,’’ हैरी ने टीवी औन कर दिया.

टीवी पर पाश्चात्य संगीत आ रहा था. हैरी सामने किचन में कौफी बनाने गया.

हैरी कौफी बनाते देख नेहा उठ आई. बोली, ‘‘लाइए, कौफी मैं बनाती हूं. मेरे रहते आप कौफी बनाएं, यह ठीक नहीं.’’

‘‘ओह नो. तुम हमारी गैस्ट हो. वैसे तो हमारे यहां गैस्ट और होस्ट दोनों मिल कर काम करते हैं, पर आज पहली बार घर आई हो, इसलिए बस, म्यूजिक ऐंजौय करो. अगली बार कौफी तुम बनाना,’’ हैरी ने परिहास किया.

‘‘एक बात बताएं, भारत में किचन का काम पुरुष कम ही करते हैं. यह काम हम स्त्रियों के ही जिम्मे है. इन्हें तो अपनी चाय तक बनानी नहीं आती,’’ मुसकराती नेहा ने गौरव की ओर देखा.

 

‘‘कोई बात नहीं, अभी तो आप लोग यहां आए हैं, कुछ ही दिनों में आप के हसबैंड यहां की लाइफस्टाइल अपना लेंगे और आप के हर काम में मदद देंगे. अमेरिका में पति और पत्नी दोनों घर के कामों में बराबर साथ देते हैं. मैं और मेरी वाइफ दोनों कामकाजी हैं, पर घर के कामों में हम साथी हैं. हम दोनों को बराबर की आजादी भी है. आज वह मूवी देखने गई है वरना आप उस से भी मिल लेतीं.’’

‘‘शायद इसीलिए यहां रहने के बाद भारतीय स्त्रियां भी अपने देश वापस नहीं जाना चाहतीं,’’ मुसकराती नेहा ने कहा.

नेहा को याद आया, उस की चचेरी बहन भारत लौटने को तैयार नहीं है, जबकि उस के पति वापसी के लिए बेचैन हैं.

‘‘इस का मतलब इंडिया में पतियों को बहुत आराम होता है. सोचता हूं, मुझे किसी इंडियन लड़की से मैरिज करनी चाहिए थी. आराम से अपना गिटार बजाता और चैन से रहता,’’ हैरी के साथ नेहा भी हंस पड़ी.

‘‘यह सच नहीं है, आजकल वर्किंग लेडीज के पति भी घर के कामों में मदद करते हैं. हां, जो औरतें काम नहीं करतीं वे किचन में काम नहीं करेंगी तो फिर क्या करेंगी?’’ गौरव की आवाज की रुखाई साफ थी.

‘‘ओ.के., लैट्स फौरगेट दिस इशू. कौफी तैयार है. हां, ब्लैक कौफी या मिल्क?’’

‘‘चलिए, इतना काम तो मैं कर ही

सकती हूं,’’ कह अपने और गौरव के लिए कौफी में दूध और चीनी डाल कर हैरी से मिल्क के लिए पूछा.

‘‘मैं ब्लैक कौफी विदाउट शुगर लेता हूं.’’

कौफी के मग थमाते हैरी ने कहा, ‘‘हां, अब परिचय हो जाए. तुम्हारी क्वालिफिकेशन क्या है, गौरव? इंजीनियर लगते हो.’’

‘‘जी नहीं, मैं ने मार्केटिंग में एम.बी.ए. किया है. यहां जौब मिलने की वजह से इंडिया की अच्छीभली जौब छोड़ आया. यह कब सोचा था कि यहां इकोनोमिक क्राइसिस आ जाएगा. समझ में नहीं आ रहा है, क्या करूं,’’ परेशानी उस के चेहरे पर स्पष्ट थी.

‘‘अब समझ में आ रहा है, इसी परेशानी की वजह से तुम अपनी लेन से गलत लेन में आ गए थे. तुम्हारी प्रौब्लम तो सीरियस है. इन दिनों जौब मिलना आसान नहीं है. बिना जौब के मैडिकल इंश्योरैंस भी नहीं रहता. इलाज इतना महंगा होता है कि अपने पैसों से इलाज कराना संभव नहीं होता. कोई डाक्टर भी इंश्योरैंस के बिना केस नहीं लेता,’’ कहते हुए हैरी सोच में पड़ गया.

‘‘मैं सोचता हूं, हम इंडिया वापस चले जाएं, लेकिन मुझे मेरे मांबाप ने बड़ी उम्मीदों से भेजा था, उन्हें क्या जवाब दूंगा? लोग तो यही सोचेंगे, मैं नाकामयाब रहा.’’

‘‘मुझे कुछ टाइम दो, मेरा एक म्यूजिक स्कूल है. मेरे स्टूडेंट्स के कुछ पेरैंट्स इंडस्ट्रियलिस्ट हैं. उन से बात कर के देखूंगा, शायद कहीं चांस मिल जाए.’’

‘‘आप की बहुत मेहरबानी होगी. अब हमें इजाजत दीजिए. आज के लिए बहुत थैंक्स,’’ गौरव की आवाज में उत्साह छलक आया.

‘‘चलो, तुम्हें घर छोड़ दूं. कार ठीक होने में कुछ देर लगेगी. कार को मैकेनिक घर पहुंचा देगा.’’

गौरव के अपार्टमैंट के सामने कार रोक हैरी ने विदा मांगी, पर नेहा अनुरोध कर बैठी, ‘‘आज आप की वाइफ तो देर से वापस आएंगी. आइए, आज हमारे घर लंच लीजिए. हमारा इंडियन फूड आप के अमेरिकी फूड से अलग होता है. शायद आप को पसंद आए. वैसे भी खाना तो आप को ही तैयार करना होगा.’’

‘‘नहीं, आज नहीं, फिर कभी. जब आप लोग इन्वाइट करेंगे, हम जरूर आएंगे. बिना इन्विटेशन अचानक लंच या डिनर पर अमेरिकी कहीं नहीं जाते. कहीं जाने के लिए पहले से टाइम और डेट तय रहती है. डौंट वरी, वी विल मीट अगेन. थैंक्स फौर दि इन्विटेशन,’’ और कुछ कहने का अवसर दिए बिना हैरी कार स्टार्ट कर चला गया.

अपार्टमैंट का लौक खुलने की आवाज सुनते ही पास वाले अपार्टमैंट में रहने वाली मंगला रामास्वामी बाहर आ गईं.

 

‘‘अइअइयो, नेहा, तुम लोग कहां रह गया जी, हम को बहुत फिकर होने लगा. वो तुम्हारा कार कहां है, यह अंगरेज तुम को इधर कैसे लाया?’’

‘‘हमारी कार खराब हो गई, हैरी ने हमें लिफ्ट दी,’’ नेहा ने संक्षेप में बात बता दी.

‘‘ऐसा… पर ये गोरा लोग किसी की हैल्प नहीं करने का जी. ठीक से बात भी नहीं करने का, पर तुम को कैसे हैल्प किया,’’ मंगला ने एक भरपूर नजर नेहा के सुंदर चेहरे पर डाली.

‘‘सब इनसान एक से नहीं होते, मंगला बहन. चलूं, खाना बनाना है.’’

‘‘तुम अभी थक कर आया है, हमारे घर सांभरराइस तैयार है. अभी लाने का, नेहा,’’ मंगला ने प्यार से कहा.

‘‘नहीं मंगला बहन, आप तकलीफ न करें,’’ मंगला को और कुछ कहने का अवसर न दे कर नेहा अपार्टमैंट के भीतर चली गई.

2 महीने पहले मंगला, श्रीधर रामास्वामी की पत्नी बन कर चेन्नई से अमेरिका आई थीं. श्रीधर कंप्यूटर ठीक करने का काम करते थे. मंगला 10वीं कक्षा पास सीधीसादी गृहिणी थीं. अपने सीमित ज्ञान और टूटीफूटी अंगरेजी के कारण वे पास में रहने वाली अमेरिकी औरतों से बात करने में हिचकती थीं. एक नेहा ही थी, जो उन के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार रखती थी. जब से मंगला को पता चला, नेहा को इडलीडोसा पसंद है, तब से जब भी वह इडलीडोसा बनातीं, नेहा को जरूर देतीं. नेहा भी मंगला को उन की पसंद वाली खस्ता कचौडि़यां भेजना नहीं भूलती थी. विदेशी धरती ने दोनों को एक सूत्र में बांध दिया था.

पिछले कुछ दिनों से मंगला का परिचय अन्य दक्षिण भारतीय परिवारों से हो गया था. मंगला पाककला में दक्ष थीं. वे ड्राइव नहीं कर पाती थीं, पर दक्षिण भारतीय व्यंजन बनाने की कला में निपुण होने के कारण उन के समाज के समारोहों में कोई न कोई उन्हें अपनी कार से सम्मानपूर्वक ले जाता. समारोहों में कुछ खास बनाने का दायित्व लेने के कारण उन का सम्मान बढ़ गया था. अकसर दक्षिण भारतीय परिवारों की पार्टियों में भी उन का सहयोग लिया जाता. अपनों के बीच मंगला चेन्नई को जैसे भूल सी जाती.

पहली बार एक परिवार में भोजन बनाने के बाद जब गृहस्वामिनी ने उन के हाथ में

50 डालर दिए तो मंगला चौंक गईं, ‘‘यह क्या? मैं कोई खाना बनाने वाली नहीं हूं.’’

‘‘ऐसा क्यों सोचती हो, मंगला. अमेरिका में कोई भी इनसान किसी का काम मुफ्त में नहीं करता, न ही कोई काम छोटा समझा जाता है. हमारे घर जो सफाई करने वाली आती है, हम उसे भी इज्जत देते हैं. कभीकभी तो घर के बुजुर्ग अपने ग्रैंड चिल्ड्रन की देखभाल के लिए भी पैसे लेते हैं. इसे अपनी मेहनत का पहला इनाम समझ कर रख लो. यह हिंदुस्तान नहीं, अमेरिका है,’’ गृहस्वामिनी ने प्यार से समझाया.

हिचकती मंगला ने पैसे रख तो लिए पर मन में संकोच था. नेहा ने भी मंगला को उत्साहित किया. उस ने मंगला से कहा कि यह उन की मेहनत का फल है, किसी का दिया हुआ दान नहीं. गौरव के बौस के यहां एक अच्छे परिवार की महिला खाना बनाने का काम करती है. अपनी छोटीमोटी जरूरतें तो इन पैसों से पूरी की ही जा सकती हैं.

अब मंगला को कुछ आय होने लगी थी, चेहरा भी आत्मविश्वासपूर्ण हो चला था. उन्हें देख नेहा के मन में भी आता कि वह भी कोई काम कर पाती, पर गौरव का वेतन दोनों के लिए बहुत था, इसलिए उस ने इस बारे में अधिक नहीं सोचा.

‘‘अमेरिका में हर पार्टी, त्योहार यानी शनिवार या इतवार को आयोजित किए जाते हैं,’’ नेहा ने गौरव से कहा, ‘‘इस शनिवार को हैरी दंपती को डिनर पर बुलाना चाहिए, उस मुश्किल के समय अगर हैरी ने हमारी मदद न की होती तो हम क्या करते.’’

‘‘यह तो ठीक है, पर अभी मैं किसी को डिनर देने के मूड में नहीं हूं, मेरी जौब नहीं है, जमापूंजी खत्म होती जा रही है,’’ अनमने से गौरव ने जवाब दिया.

‘‘हैरी ने हम पर बहुत एहसान किया है वरना हम पुलिस के चक्कर में आ सकते थे. उन के उपकार के बदले हमें धन्यवाद के रूप में डिनर तो देना ही चाहिए. तुम मायूस क्यों होते हो? हो सकता है, हैरी की मदद से तुम्हें कोई जौब मिल जाए.’’

‘‘अरे, उस की आशा करना बेकार है, आजकल स्थिति बहुत खराब है. हां, उस की मदद में कोई स्वार्थ नहीं था, चलो मैं फोन करता हूं.’’

मीत मेरे- भाग 3

धड़कते दिल के साथ नेहा हैरी के म्यूजिक स्कूल पहुंची. गौरव उसे पहुंचा कर चला गया. स्कूल की भव्य इमारत देख कर यह सहज ही अनुमान हो गया कि स्कूल बहुत अच्छा चल रहा है. हैरी के रूम में पहुंची नेहा का हैरी ने खड़े हो कर स्वागत किया. नेहा से हाथ मिलाते हुए हैरी का चेहरा चमक रहा था, ‘‘वेलकम. इट्स ए प्लेजर टु हैव यू विद अस.’’

‘‘थैंक्स,’’ कहती नेहा ने अपना हाथ खींच लिया.

‘‘ओह,’’ हैरी को जैसे अपनी भूल ज्ञात हो गई.

नेहा का अन्य अमेरिकी टीचरों से परिचय कराते हुए हैरी ने गर्व से कहा, ‘‘अब हम म्यूजिक के माध्यम से इंडियन कम्युनिटी के और ज्यादा नजदीक आ सकेंगे.’’

पास खड़ी नेहा से उस ने कहा, ‘‘हमारे पास आलरेडी 10 ऐप्लिकेशंस आ चुकी हैं.

1 घंटे बाद तुम्हारे स्टूडेंट्स आने वाले हैं. आर यू रेडी टु स्टार्ट योर क्लास?’’

‘‘जी,’’ नेहा के चेहरे पर हलकी मुसकान थी.

नेहा की म्यूजिक क्लास में 7 लड़कियां और 3 लड़के थे. सब के नाम पूछ कर नेहा ने समझाया, ‘‘मुझे खुशी है कि तुम सब को इंडियन म्यूजिक अच्छा लगता है. अगर तुम मन लगा कर अभ्यास करोगे तो जल्दी ही हिंदी गीत गा सकोगे.’’

‘‘मैम, असल में मुझे तो आप के म्यूजिक में कोई इंटरैस्ट नहीं है, पर मौम कहती हैं, इसलिए आना पड़ा,’’ एक लड़की ने कुछ उद्दंडता से कहा.

उस के सपाट जवाब से एक पल को नेहा चौंक सी गई, फिर उसे याद आया, वह भी तो नई टीचर को ऐसे ही परेशान करती थी. नहीं, उसे हार नहीं माननी है.

उस ने प्यार से कहा, ‘‘मुझे इंडियन और वैस्टर्न म्यूजिक दोनों अच्छे लगते हैं. दोनों में मिठास होती है. देखो, उस में डो रे मी फा सो ला… की सरगम है तो इंडियन म्यूजिक की सरगम में सा रे गा मा पा… है. अगर हिंदुस्तानी संगीत नहीं सीख पाओगी तो मैं तुम्हें वैस्टर्न संगीत की क्लास में खुद भेज दूंगी, पर कोशिश कर के देखो, तुम्हारा गला बहुत मधुर है. तुम इंडियन म्यूजिक सीख कर अच्छी गायिका बन सकती हो.’’

‘‘सच मैम, तब तो मैं जरूर ट्राई करूंगी.’’

अचानक एक लड़की ने कहा, ‘‘मैम, आप जींस क्यों नहीं पहनतीं? यू.एस.ए. में वर्क पर जाने के लिए प्रौपर ड्रैस पहननी होती है.’’

‘‘तुम्हें मेरी साड़ी अच्छी नहीं लगती? देखो, इस में कितने सुंदर रंगों वाला डिजाइन बना है. साड़ी हमारी इंडिया की ड्रैस है.’’

‘‘आई लाइक योर ड्रैस,’’ एक लड़के ने प्रशंसा में कहा.

‘‘थैंक यू. कल मैं सलवारसूट पहन कर आऊंगी. वह ड्रैस जींस से मिलती है. हमारे देश में अलगअलग जगहों का अलगअलग पहनावा होता है. चलो, बहुत बातें हो गईं, अब काम की बातें करें. आज हम सरगम से शुरू करते हैं.’’

नेहा ने अपनी मीठी आवाज में सरगम शुरू की तो सब मंत्रमुग्ध रह गए. सरगम दोहराते वे संकुचित थे, पर नेहा के प्रोत्साहन पर उन्होंने प्रयास शुरू किया. थोड़ी देर में माहौल बदल गया, सब सरगम दोहराते खुश थे.

क्लास के बाद नेहा को विदा करते हुए हैरी ने कहा, ‘‘इतनी मीठी आवाज के साथ इंडियन ब्यूटी तुम में साकार है, नेहा. आई कैन से गौरव इज ए लकी चैप.’’

हैरी की बात पर नेहा सोच में पड़ गई, क्या गौरव भी ऐसा ही महसूस करता है? शादी के बाद से आज तक उस ने कभी नेहा के संगीत या रूप की प्रशंसा में शायद ही कभी कुछ कहा हो. उस की उदासीनता को नेहा ने उस का स्वभाव मान अपने मन को समझा लिया था.

घर आई नेहा बेहद उत्साहित थी. उस ने गौरव से कहा, ‘‘संगीत सिखाना उतना कठिन नहीं जितना मैं सोच रही थी, गौरव. स्टूडेंट्स अगर रुचि लेने लगें तो काम और भी आसान हो जाएगा.’’

‘‘चलो, तुम्हारा शौक पूरा हो गया. तुम्हें मुझ से शिकायत थी, मैं ने कभी तुम्हारे संगीत ज्ञान को जानने की कोशिश नहीं की. सच कहूं तो संगीत से मेरा कोई लगाव नहीं है. चलो, बधाई,’’ होंठ भींच, गौरव ने बधाई दी.

नेहा को एक कड़वा सच याद हो आया, शादी के बाद दबी फुसफुसाहटों ने उसे जता दिया था, गौरव के साथ उस की शादी उस के घर से आए भारी दहेज के कारण हुई थी, वरना उस का मन तो कहीं और बंधा था. गौरव उस लड़की की गायकी पर फिदा था, पर उस लड़की की गरीबी के कारण गौरव के माता पिता ने संबंध स्वीकार नहीं किया. अपनी 3 अनब्याही बहनों के विवाह की समस्या ने गौरव को नेहा से विवाह करने को विवश कर दिया. उस के रिटायर्ड पिता कैसे बेटियों के विवाह निबटाते?

विवाह की पहली रात नेहा ने जानना चाहा था, ‘‘सुना है, आप किसी और को चाहते थे?’’

‘‘एक बात याद रखो, मेरे अतीत को कुरेदने की कोशिश न करने में ही सुख है. मुझे भी तुम्हारे अतीत से कुछ लेनादेना नहीं है. जिंदगी शांति से काटना चाहता हूं, बस. तुम से इतने सहयोग की उम्मीद रखता हूं, इसी में हमारी भलाई है. अगर तुम ऐसा न कर सकीं तो अशांति के लिए तुम जिम्मेदार होगी. तुम पढ़ीलिखी, समझदार लड़की हो, निर्णय तुम्हारे हाथ में है.’’

नेहा चुप रह गई, पर विवाह के बाद एक प्रेमी पति पाने के उस के सपने चूरचूर हो गए. नेहा के मीठे गीतों ने सब की प्रशंसा पाई, पर गौरव उदासीन ही रहा. नेहा के प्रति पति का कर्तव्य गौरव उसी तटस्थता से निभाता रहा.

नेहा ने उस की उदासीनता को अपनी नियति मान कर जीवन जीना शुरू किया था. अचानक अमेरिका से मिले नौकरी के प्रस्ताव ने नेहा को उत्साहित कर दिया. नए परिवेश में शायद पुरानी यादें धूमिल हो जाएं और वह गौरव को पूरी तरह से पा सके.

अमेरिका में नए काम के उत्साह के साथ अच्छा वेतन मिलने से गौरव भी सामान्य हो चला था, पर अचानक जौब चली जाने से गौरव फिर उदास हो गया था.

नेहा के विचार में उन की उस परेशानी में नेहा को जौब मिलना एक वरदान ही था. गौरव की कुंठा वह समझ रही थी, पर उस का सोचना था, शांत रह कर अच्छे समय की प्रतीक्षा करने में ही समझदारी है.

दूसरे दिन स्कूल पहुंची नेहा को रोक कर हैरी ने कहा, ‘‘तुम्हारी क्लास में एक नया स्टूडेंट आना चाहता है, एडमिट करोगी?’’ परिहास हैरी के चेहरे पर स्पष्ट था.

‘‘यह तुम्हारा स्कूल है, तुम्हें डिसाइड करना है,’’ नेहा ने कहा.

‘‘तुम्हारा नया स्टूडेंट मैं हूं, नेहा. मैं ने इंडियन म्यूजिक हमेशा सीखना चाहा, पर कोई गुरु नहीं मिला. मुझे सिखाओगी? विश्वास रखो, मैं एक अच्छा स्टूडेंट साबित होऊंगा.’’

‘‘बच्चों के साथ तुम सीख सकोगे, हैरी? वे हंसेंगे नहीं?’’

‘‘नहीं, मेरी क्लास लेने के लिए तुम्हें अपने समय से 1 घंटा पहले आना होगा. स्कूल के समय तो मैं अपनी गिटार क्लासेस लेता हूं. मेरी क्लास के लिए तुम्हें अलग से ऐक्स्ट्रा पैसे मिलेंगे. वैसे कोई जबरदस्ती नहीं है, तुम मेरी रिक्वैस्ट पर सोच लो.’’

‘‘ठीक है, मैं जल्दी आ सकती हूं. अच्छा स्टूडेंट भी मुश्किल से मिलता है, हैरी, पर क्या तुम सचमुच सीरियस हो?’’

‘‘इस में तुम्हें शक क्यों है, नेहा? मेरे पास भीमसेन जोशी और जगजीत सिंह की सीडीज हैं. कभी फुरसत में हम दोनों साथसाथ उन गीतों और गजलों का आनंद लेंगे.’’

‘‘सच? मेरे पास भी कुछ अच्छे म्यूजीशियंस की सीडीज हैं, तुम्हें दूंगी. मैं नहीं जानती थी, तुम्हें इंडियन म्यूजिक से प्यार है.’’

‘‘मेरे ग्रैंड फादर इंडिया में काफी टाइम तक रहे थे. उन से इंडिया की बहुत तारीफ सुनी थी. वे इंडिया को दिल से चाहते थे. उन के पास इंडियन गीतों के रेकार्ड थे. मुझे भी वे गीत बहुत अच्छे लगते थे. तब से इंडियन म्यूजिक सीखना चाहता था.’’

‘‘तुम जैसे संगीतप्रेमी को संगीत सिखाने में मुझे खुशी होगी, हैरी.’’

‘‘थैंक्स, नेहा. मैं कल अपनी नई क्लास का वेट करूंगा.’’

हैरी को संगीत सिखाना आसान था, उसे स्वर का ज्ञान था, पर हिंदी का उच्चारण ठीक कराती नेहा अकसर हंस पड़ती. बच्चों जैसा भोला मुंह बना हैरी ‘सौरी’ कह क्षमा मांग लेता. कभीकभी गीत गाती नेहा को हैरी मुग्ध देखता रह जाता और गीत की पंक्ति भूल जाता. नेहा नाराज होती, ‘‘तुम ध्यान से क्यों नहीं सुनते, हैरी?’’

‘‘एक्सक्यूज मी. असल में तुम्हारा चेहरा जैसे खुद गीत बन गया था, मैं भूल गया कि तुम गा रही हो, बस, और कुछ याद नहीं रहा,’’ हैरी ने सचाई से कहा.

‘‘गीत में जो भाव होते हैं वे चेहरे पर तो आ ही सकते हैं, पर इस का मतलब यह नहीं कि तुम गीत की जगह चेहरा देखो.’’

सचाई यह थी कि हैरी की उस बात ने नेहा को गुदगुदा दिया. ऐसी बात सुनने का उसे अभ्यास नहीं था.

‘‘ओ.के., टीचरजी, अब मिस्टेक नहीं होगी.’’

दोनों की सम्मिलित हंसी से संगीत कक्ष गूंज उठा. अकसर नेहा की क्लास में हैरी अपने गिटार के साथ आ जाता और स्टूडेंट्स के गीतों के साथ अपना गिटार बजा, उन की खुशी बढ़ा देता. नेहा का समय अच्छा बीत रहा था. हैरी की बातें और उस का गिटार नेहा को अच्छा लगता. स्कूल में नेहा अपने घर की समस्याएं भूल जाती, लगता मानो वक्त पंख लगा कर उड़ जाता. घर में गौरव की मायूसी उसे उदास कर देती. काश, गौरव को कोई जौब मिल जाती.

हर ओर से मायूस गौरव ने एक छोटी सी स्टार्टअप कंपनी में सहायक मार्केटिंग मैनेजर की जौब कर ली. कंपनी को अपने काम को बढ़ाने के लिए अमेरिका के कई शहरों में सैंटर्स खोलने थे. पहले तो वह उन केंद्रों में दौरे पर जाया करता था, पर एक नया सैंटर खोलने के लिए उसे 2 महीनों के लिए अपने शहर से बहुत दूर जाने के आदेश मिले. गौरव परेशान हो उठा, पर नेहा ने समझाया, ‘‘परेशान क्यों होते हो, हो सकता है तुम्हारे अच्छे काम से खुश हो कर तुम्हें इसी कंपनी में प्रमोशन मिल जाए. तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी.’’

‘‘तुम अकेली कैसे मैनेज करोगी?’’

‘‘क्यों, यहां इंडिया से न जाने कितनी लड़कियां अकेले पढ़ने या जौब के लिए आती हैं. मेरे पास तो एक जौब भी है यानी मैं एक वर्किंग वुमन हूं, जनाब. मेरी मदद के लिए यहां मंगला और हैरी भी तो हैं,’’ नेहा ने मजाक कर गौरव को हंसाना चाहा.

‘‘फिर भी अचानक मुश्किल के समय 911 काल करना मत भूलना. फोन पाते ही पुलिस तुरंत मदद के लिए आ जाती है.’’

‘‘जानती हूं, गौरव. तुम मेरी चिंता छोड़, अपनी पैकिंग कर डालो. मैं मदद करती हूं.’’ गौरव को विदा करती नेहा ने कब सोचा था कि उस के जाते ही सचमुच मुश्किल आ जाएगी. सीढ़ी से उतरती नेहा का अचानक पांव फिसल गया. पांव में इतना जबरदस्त दर्द था कि एक कदम चलना असंभव लग रहा था. मंगला अपने काम पर जा चुकी थी. किसी तरह अपने को घसीट नेहा कमरे में पहुंच सकी. फोन मिलते ही हैरी पहुंच गया.

हास्पिटल में एक्सरे से पता लगा, एड़ी के पास हड्डी चटक गई थी. नेहा के पैर पर प्लास्टर लगा दिया गया, चलनेफिरने के लिए बैसाखी का सहारा लेना जरूरी हो गया.

‘‘मैं अब स्कूल नहीं आ सकूंगी, हैरी. सोचती हूं, गौरव को खबर कर दूं.’’

‘‘बिलकुल नहीं, पहली बात तो तुम्हारी छुट्टी ग्रांट नहीं करूंगा. यह अमेरिका है, मैडम. यहां पूरी तरह से इन्वैलिड लोग भी काम करते हैं. इतनी मामूली तकलीफ के लिए स्कूल सफर नहीं कर सकता. दूसरी बात, गौरव को इन्फार्म नहीं करना है. अभी उस ने नई जौब ली है, पहले असाइन्मैंट पर गया है, उस का छुट्टी लेना क्या ठीक होगा?’’ हैरी ने समझाने के अंदाज में कहा.

‘‘तुम्हीं बताओ, मैं कैसे मैनेज करूंगी?’’ नेहा की बड़ीबड़ी आंखों में आंसू आ गए.

‘‘मुझ पर यकीन नहीं है, नेहा? मैं तुम्हारे साथ हूं. तुम्हें संभालना मेरी रिसपौंसिबिलिटी है,’’ प्यार से नेहा के आंसू पोंछ, हैरी ने कहा.

‘‘नहीं, तुम्हें अपना घर और स्कूल दोनों देखने हैं. एलिजाबेथ को तुम्हारा टाइम चाहिए. मैं तुम्हें तकलीफ नहीं दे सकती, हैरी.’’

‘‘ओह, मैं बताना ही भूल गया, एलिजाबेथ अपनी बेटी के साथ समर कैंप के लिए 1 महीने के लिए कनाडा गई है. तुम्हारी सेवा के लिए मैं पूरी तरह फ्री हूं. ऐनी अदर प्रौब्लम?’’ हैरी हंस रहा था. हैरी की बात पर नेहा अपना दर्द भूल कर हंस पड़ी.

‘‘यह हुई न बात, इसी बात पर कौफी बनाता हूं. हां, लंच में क्या लोगी, मुझे इंडियन कुकिंग नहीं आती. मेरी कुकिंग तुम्हें पसंद नहीं आएगी,’’ हैरी परेशान था.

‘‘अभी तो फ्रिज में काफी खाना रखा है. वैसे अब यहां इंडियन स्टोर्स में भी पकापकाया खाने का सारा सामान पैक्ड मिलता है. तरहतरह की तैयार सब्जियों के साथ बढि़या नान, रोटी, परांठे, चाट सब कुछ मिलता है. तुम ने सेवा का फैसला किया है तो लिस्ट दे दूंगी, सामान लाना होगा. वैसे भी मेरे हाथ सहीसलामत हैं, आराम से चेयर पर बैठ कर खाना बना सकती हूं और तुम्हें खिला भी सकती हूं,’’ नेहा भी मजाक कर बैठी.

‘‘इंपौसिबिल, इस हाल में तुम कोई काम नहीं करोगी. आई एम ऐट योर सर्विस मैम,’’ हैरी ने झुक कर आदाब किया.

नेहा के साथ कौफी पी कर हैरी ने नेहा के साथ लंच भी लिया. दूसरे दिन अपने साथ स्कूल ले जाने को कह, हैरी ने विदा ली. बैसाखी के साथ दरवाजे तक आई नेहा को देख मंगला चौंक गई. वह अपनी 1 बजे तक की ड्यूटी कर के वापस आई थी.

‘‘रामा रामा, यह क्या होने का, नेहा, कैसे हुआ?’’

नेहा से पूरी बात सुन कर मंगला बोली, ‘‘तुम फिक्कर नहीं करने का. हम काम से छुट्टी लेने का. इधर गौरवजी भी नहीं, हम तुम को हैल्प करेगा, नेहा.’’

‘‘थैंक्यू, मंगला बहन. अमेरिका में काम से बेकार छुट्टी लेना ठीक नहीं, मैं भी तो काम पर जाऊंगी. अगर जरूरत हुई तो मैं आप की हैल्प जरूर लूंगी.’’

‘‘ठीक है, पर तुम को खाना नहीं बनाने का, हम खाना देगा.’’

‘‘अभी फ्रिज में खाने का बहुत सामान है, संडे को अगर आप का इडली बनाने का प्रोग्राम हुआ तो जरूर दीजिएगा. आप जैसी इडली कोई नहीं बना सकता.’’

‘‘जरूर बनाएगा. उधर होटल में भी सब ऐसा ही कहता है,’’ मंगला खुश हो गई.

दूसरी सुबह नेहा स्कूल जाने को तैयार थी. हैरी ठीक कहता है, जहां तक हो सके तकलीफ में भी काम करने की हिम्मत रखनी चाहिए. खुद नेहा ने यहां ऐसे व्यक्तियों को काम करते देखा है, जिन के हाथपांव बेकार हैं, पर व्हीलचेयर और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों की सहायता से सामान्य व्यक्तियों की तरह काम करते हैं.

इस देश में विकलांगता अभिशाप नहीं है. विकलांगों पर सरकार की ओर से हर संभव सुविधा और सहायता उपलब्ध कराई जाती है. ठीक समय पर हैरी की कार की आवाज ने नेहा के विचारों की शृंखला तोड़ दी. हैरी के सहारे नेहा आसानी से सीढि़यां उतर कर कार में बैठ गई.

अब हैरी का रोज का नियम हो गया, सुबह नेहा को स्कूल ले जाता और शाम को उस के साथ कौफी पीता. कभीकभी नेहा के अनुरोध पर डिनर भी लेना पड़ता. कोई अच्छी सी गजल या गीत सुनते हुए दोनों को साथ समय बिताते अच्छा लगता. कभीकभी हैरी अपने हाथों से कुकिंग कर के नेहा को चमत्कृत कर देता.

‘‘वाह, तुम तो बहुत अच्छे कुक हो, हैरी. तुम्हें तो गिटारिस्ट नहीं, किसी होटल का शैफ होना चाहिए,’’ नेहा परिहास करती.

‘‘तब तो इस शैफ को इनाम मिलना चाहिए, नहीं, क्या कहते हैं, बख्शीश दो,’’ नेहा से संगीत सीखने के साथसाथ वह हिंदी बोलना भी सीख रहा था.

‘‘तुम्हें इनाम तो जरूर मिलना चाहिए. तुम्हारी वजह से आज हम यहां रह रहे हैं. गौरव जब भी फोन करता है तुम्हारा हाल पूछता है. तुम्हें थैंक्स देता है.’’

‘‘गौरव का काम कैसा चल रहा है, तुम्हें तो बहुत मिस करता होगा. अगर वह cजान जाए उस की ऐबसेंस में मैं तुम्हारी कंपनी एंजौय कर रहा हूं तो वह शायद काम छोड़ कर वापस आ जाए. ऐसी वाइफ को छोड़ कर दूर रहना पौसिबिल नहीं होता,’’ हैरी की मुग्ध दृष्टि अपने पर गड़ी पा कर नेहा संकुचित हो गई.

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. गौरव बहुत प्रैक्टिकल इनसान हैं, भावुक तो शायद मैं

बहुत हूं. वैसे उस का मन इस नए काम में नहीं लग रहा है. पता नहीं वह इस काम को कंटीन्यू करेगा या नहीं?’’ नेहा ने अपना भय प्रकट किया.

‘‘इस इकोनोमिक क्राइसिस के समय जौब छोड़ना मिस्टेक होगी. आई होप वह ऐसा न करे,’’ हैरी ने सलाह दी.

‘‘मैं उस तक तुम्हारी सलाह पहुंचा दूंगी. तुम ने हमारी बहुत मदद की है, हैरी.’’

‘‘चलो, इस टौपिक को यहीं छोड़ते हैं, आज एक प्रेम गीत सुनने का मन चाह रहा है. देखो, मैं इसलिए अपना गिटार भी लाया हूं. मेरा गिटार तुम्हारे गीत का साथ देगा.’’

‘‘प्रेम गीत? क्या एलिजाबेथ की याद आ रही है?’’ नेहा के चेहरे पर शरारत थी.

‘‘जरूरी तो नहीं प्रेम गीत के साथ वाइफ की याद आए. प्रेम तो एक ऐसा भाव है, कभी भी जाग जाए. अब प्लीज, गीत गाना शुरू करो, नेहा. इट्स माई रिक्वैस्ट,’’ हैरी गंभीर था.

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