क्यों जरूरी है मैंस्ट्रुअल हाइजीन

आप को जान कर हैरानी होगी कि भारत के सभी राज्यों में से सिर्फ 2 राज्य, गुजरात और मेघालय में ही 65% महिलाएं पीरियड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं, जबकि बाकी राज्यों में यह आंकड़ा काफी कम है. आधुनिकता और सूचनाओं के तमाम विकल्पों के बावजूद देश की तीनचौथाई से अधिक महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं करतीं और आज भी पीरियड्स के दौरान पुराने तौरतरीके अपनाती हैं, जिस का प्रमुख कारण अधिकांश लड़कियां व महिलाएं इस विषय पर बात करना भी शर्म की बात समझती हैं.

इस के कारण न सिर्फ संक्रमण का डर बना रहता है, बल्कि बांझपन व कैंसर का भी काफी खतरा रहता है. इसलिए जरूरत है जागरूकता की ताकि पीरियड्स के दौरान महिलाएं पीरियड प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर के खुद के हाइजीन का ध्यान रख सकें.

पीरियड्स के दौरान जब महिलाएं कपड़े का सब से ज्यादा इस्तेमाल करती हैं तो उस से योनि में इन्फैक्शन होने के चांसेज काफी ज्यादा हो जाते हैं, जिस का सीधा संबंध सर्वाइकल कैंसर से जुड़ा हुआ है. भारत में हर साल हजारों महिलाओं की यूटरस व सर्वाइकल कैंसर से मृत्यु हो जाती है.

इस में ज्यादा संख्या रूरल एरिया की महिलाओं की है, जो पीरियड्स के दौरान हाइजीन का जरा भी ध्यान नहीं रखती हैं. ये कैंसर सीधे तौर पर महिलाओं के जननांग से जुड़ा कैंसर होता है, जो सर्विक्स की कोशिकाओं को प्रभावित कर के कैंसर का कारण बनता है.

सस्ते नैपकिन खरीदना बड़ी समस्या

सभी जानते हैं कि महिलाएं अपने परिवार को प्राथमिकता देती हैं. फिर चाहे उन के खानपान की बात हो या फिर उन की हैल्थ की, इस चक्कर में वे खुद को पूरी तरह से इग्नोर कर देती हैं, जिस कारण उन में ढेरों कमियां रहने के साथसाथ पैसा बचाने के चक्कर में सस्ते नैपकिन या फिर घर में रखे कपड़े का ही इस्तेमाल कर लेती हैं. भले ही आप को ये नैपकिन कम दाम पर मिल जाते हैं, लेकिन इन में ब्लीचिंग सहित अनेक खतरनाक कैमिकल्स का इस्तेमाल होने के कारण ये ओवेरियन कैंसर के साथसाथ बांझपन का भी कारण बनते हैं.

अधिकांश महिलाएं नौनऔर्गेनिक सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं, जिस में एक पैड में 4 प्लास्टिक बैग जितनी प्लास्टिक होती है, जिस से आप अनुमान लगा सकते हैं कि ये महिलाओं की सेहत के लिए कितने हानिकारक होते हैं.

कैसे रखें हाइजीन का ध्यान

पैड्स का इस्तेमाल करने में न करें कंजूसी: अगर आप हर माह आने वाले पीरियड्स में कपड़े का इस्तेमाल कर रही हैं तो सावधान हो जाएं. क्योंकि इस में ढेरों जीवाणु होने के कारण ये आप की रिप्रोडक्टिव हैल्थ को खराब कर सकते हैं. इसलिए पीरियड्स के दौरान हमेशा अच्छे यानी और्गेनिक पैड्स का ही इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ये नैचुरल होने के साथसाथ इन की सोखने की क्षमता भी काफी अच्छी होती है. साथ ही ये नैचुरल चीजों से बने होने के कारण यूरिन इनफैक्शन, कैंसर होने के चांसेज काफी कम हो जाते हैं. ये ज्यादा कंफर्टेबल होने के कारण वैजाइना की हैल्थ के लिए भी काफी होते हैं.

आप को इस बात का भी ध्यान रखना बहुत

जरूरी है कि चाहे आप के पीरियड्स का फ्लो ज्यादा न भी हो, तब भी हर 2-3 घंटे में पैडस बदलती रहें ताकि किसी भी तरह के इन्फैक्शन के चांसेज न रहें.

डेली बाथ लें: पीरियड्स के दौरान महिलाओं के शरीर में तरहतरह के बदलाव आते हैं. कभी पेट दर्द की समस्या तो कभी कमर दर्द की समस्या. ऐसे में कई बार लड़कियां व महिलाएं पीरियड्स के दौरान डेली बाथ लेना पूरी तरह से अवौइड कर देती हैं, जो योनि में इन्फैक्शन का कारण बन सकता है. ऐसे में खुद के हाइजीन का ध्यान रखते हुए इस दौरान डेली नहाने की आदत डालें ताकि खुद को इन्फैक्शन से बचा सकें.

टैंपून्स भी बैस्ट औप्शन: आप को अगर हैवी फ्लो आता है या फिर आप बारबार पैड्स बदलने के झंझट से बचना चाहती हैं तो टैंपून्स काफी सेफ व बैस्ट औप्शन है. इसे बस आराम से वैजाइना के अंदर इंसर्ट करने की जरूरत होगी. यह इजी टू यूज के साथसाथ काफी आरामदायक भी होता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि 8 घंटे से ज्यादा एक टैंपून का इस्तेमाल न करें वरना यह इन्फैक्शन का कारण बन सकता है.

कौटन पैंटी पहनें: इन दिनों के लिए आप की पैंटी कौटन की व साफसुथरी होनी चाहिए क्योंकि अगर आप एक ही गंदी पैंटी को रोजाना इस्तेमाल करेंगी, तो इस से संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है, इसलिए अगर आप कौटन की पैंटी का इस्तेमाल करेंगी, तो यह कंफर्टेबल होने के साथसाथ स्किन फ्रैंडली भी होगी.

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