हमारा समाज आज भी मैंस्ट्रुअल हाइजीन के संबंध में अंधविश्वासों से ग्रस्त है- रिचा सिंह

रिचा सिंह

सीईओ, नाइन

पीरियड्स हर लड़की व महिला में होने वाली सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जिस के लिए ऐस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरौन नाम के हारमोन जिम्मेदार हैं. लेकिन पीरियड्स को ले कर आज भी महिलाओं में जागरूकता  का अभाव है, जिस के कारण अलगअलग देशों में इसे ले कर अलगअलग भ्रांतियां फैली हुई हैं.

इस दौरान महिला को अशुद्ध समझ जाता है, जिस कारण उन्हें माहवारी के दौरान किचन में जाने की अनुमति नहीं होती, तो कहीं उन्हें इस दौरान जमीन पर सोना पड़ता है.

रिचा का मानना है कि पैड्स को ले कर भी जागरूकता का काफी अभाव है, जिस के कारण महिलाएं इन दिनों कपड़े का इस्तेमाल कर के खुद के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करती हैं. लेकिन हम उन की सुरक्षा और हाइजीन को ले कर प्रयासरत हैं. हम महिलाओं को जागरूक बनाने का प्रयास करत हैं और उन्हें यह बताते हैं कि कपड़ा इस्तेमाल करने से वे किन गंभीर बीमारीयों का शिकार हो सकती हैं.

पेश हैं, इस संबंध में नाइन सैनिटरी  पैड्स की सीईओ रिचा सिंह से हुई बातचीत के खास अंश:

अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे  में बताएं?

मेरे पापा इंजीरियर थे और मम्मी ने कुछ साल शिक्षक के रूप में काम किया. मेरे परिवार में लड़कियों के लिए यह सामान्य नहीं था कि वे उद्यम करें और अपना कैरियर बनाएं. यहां तक कि मेरी मम्मी और ग्रैंड मदर की मुझ से कुछ अपेक्षाएं थीं. वे चाहती थीं कि मैं डाक्टर या इंजीनियर बनूं, जो उस समय बहुत अच्छा कैरियर माना जाता था. लेकिन समय के साथ मेरा वाणिज्य और बिजनैस के प्रति झकाव बढ़ता  गया और यहीं से मेरी कौरपोरेट वर्ल्ड में यात्रा प्रारंभ हुई.

समाज में आज भी माहवारी को ले कर अंधविश्वास और भ्रांतियां हैं? आप इस पर क्या कहेंगी?

हमारा समाज आज भी मैंस्ट्रुअल हाइजीन के संबंध में विभिन्न अंधविश्वासों से ग्रस्त हैं. इस समय लड़की को अछूत माना जाता है. यही नहीं इस दौरान उस पर और भी कई प्रतिबंध लगाए जाते हैं. कुछ परिवार यहां तक मानते हैं कि मैंस्ट्रुअल हाइजीन का प्रबंधन करने के लिए पैसे खर्च करना एक पाप है, जिस कारण महिलाएं इन दिनों पुराना कपड़ा इस्तेमाल करती हैं, जो ज्यादातर मैला होता है, जो उन्हें खराब हाइजीन की ओर ले जाता है.

मासिकधर्म एक बहुत ही सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है, जो इस बात का इशारा है कि लड़की के शरीर में सभी जरूरी बदलाव हो रहे हैं, जो उस के फर्टाइल होने का इशारा करते हैं. इस दौरान निकलने वाला ब्लड गंदा नहीं होता है. यह स्टेम कोशिकाओं से भरपूर होता है, जो जीवन देने वाली कोशिकाएं होती हैं.

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कोरोनाकाल में आप ने पैड्स की डिस्ट्रीब्यूशन कैसे सुनिश्चित की?

लौकडाउन के दौरान हम ने पैड्स  की आपूर्ति सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर योजना बना कर काम करना शुरू किया. हम ने  सरकार के साथ मिल कर जागरूकता बढ़ाई.  पूरे भारत में सैनिटरी पैड्स को जरूरी आवश्यकता के रूप में सूचीबद्ध किया. इस  कार्य में हम ने सरकारी और गैरसरकारी संगठनों का भी समर्थन किया. हमारा प्रयास सफल रहा और हम बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों तक सैनिटरी पैड्स पहुंचा पाए.

मैंस्ट्रुअल हाइजीन क्यों जरूरी है?

मैंस्ट्रुअल हाइजीन को बहुत अधिक महत्त्व देने के 2 प्रमुख कारण हैं- पहला है मानसिक स्वास्थ्य के लिए, क्योंकि अच्छे और सुरक्षित मैंस्ट्रुअल हाइजीन के अभाव में लड़कियां व महिलाएं खुद को उन 5 दिनों में काफी सिमटा हुआ पाती हैं.

इस से उन के काम, परफौर्मैंस व पढ़ाई पर भी काफी असर पड़ता है और दूसरा खराब हाइजीन की वजह से वे विभिन्न तरह के संक्रमण का भी शिकार हो जाती हैं, जिस का पता भी नहीं चलता है और जब पता चलता है तो वह सर्वाइकल कैंसर या फिर इनफर्टिलिटी का रूप  ले लेता है, जो सिर्फ मैंस्ट्रुअल हाइजीन का ध्यान नहीं रखने के कारण है.

कौरपोरेट क्षेत्र में क्या आज भी महिलाओं के लिए कैरियर बनाने में मुश्किल है?

भारतीय महिलाओं को कौरपोरेट वर्ल्ड में काफी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. इन में से अधिकांश खुद के परिवार के द्वारा ही हैं. किसी भी क्षेत्र में कार्य के लिए समर्पण व प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. लेकिन ज्यादातर महिलाओं पर परिवार की जिम्मेदारियां थोपने के कारण कैरियर उन के लिए प्राथमिकता नहीं रह जाता. उन की परवरिश व समाज उन  के साथ कैसा व्यवहार करता है, के कारण भी ज्यादातर महिलाओं में चैलेंजिंग टास्क या रोल लेने में आत्मविश्वास की कमी देखने को  मिलती है.

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लेकिन यह हर किसी के लिए जरूरी है कि वह अपने टैलेंट व स्किल्स में विश्वास कर के सफलता के लिए प्रतिबद्ध हो. किसी भी तरह के सामाजिक दबाव को अपने ऊपर हावी न होने दे, क्योंकि कौरपोरेट की यही कोशिश है कि सब को बराबर नौकरी के अवसर मिलें. फिर चाहे वह पुरुष हो या महिला. महिलाएं अब यह साबित भी कर रही हैं कि किसी भी क्षेत्र में वे पुरूषों की तुलना में कमतर नहीं. यह आदी आबादी के लिए अच्छा संकेत है.

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