माइग्रेन सताए तो करें ये उपाय

30 वर्षीय रेहाना पब्लिशिंग हाउस में ऐडिटर हैं. उन्हें भयंकर सिरदर्द रहता है, लेकिन उन्होंने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया. शुरुआती वर्षों में यह सिरदर्द भयंकर तो था, लेकिन कभीकभी ही उभरता था. मगर फिर सप्ताह में 3 बार उभरने लगा. कई बार तो दर्द बरदाश्त से बाहर हो जाता. फिर जब वे डाक्टर से मिलीं तो उन्होंने बताया कि आप क्रोनिक माइगे्रन से पीडि़त हैं. माइग्रेन के सिरदर्द की सही वजह तो नहीं बताई जा सकती, लेकिन माना जाता है कि मस्तिष्क की असामान्य गतिविधियां स्नायु के सिगनल्स को प्रभावित करती हैं. मस्तिष्क की रक्तनलिकाएं इसे और तीव्र कर सकती हैं. यह डिसऔर्डर लगातार स्थिति बिगाड़ने वाला होता है, जिस से प्रभावित व्यक्ति की जिंदगी अस्तव्यस्त हो जाती है. इस के बावजूद बहुत सारे लोग चिकित्सकीय सलाह नहीं लेते.

क्रोनिक माइग्रेन की स्थिति को गंभीरता से लेना चाहिए. चिकित्सकीय सहायता, पौष्टिक खानपान व लाइफस्टाइल में बदलाव लाने से माइग्रेन की स्थिति पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है.

माइग्रेन का दौरा

माइग्रेन का दर्द बढ़ाने में कई कारक जिम्मेदार होते हैं. मसलन, हारमोनल बदलाव, नींद की कमी, अनियमित खानपान, ऐसिडिटी, अवसाद और धूप में रहना. कुछ महिलाओं को हारमोनल कारणों से मासिकधर्म के समय माइग्रेन का दौरा पड़ता है, जबकि कुछ लोगों को तेज रोशनी, ट्रैफिक के शोरशराबे और तीखी गंध के कारण इस स्थिति से गुजरना पड़ता है. खानेपीने की कुछ चीजों से भी माइगे्रन की संभावना बढ़ती है.

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तनाव और माइग्रेन

माइग्रेन की समस्या मस्तिष्क के स्नायु से शुरू होती है. मस्तिष्क में किसी तरह का बड़ा दबाव मस्तिष्क की गतिविधियों को सक्रिय करते हुए सिरदर्द की स्थिति में ला सकता है. अत: तनाव से यथासंभव बचना चाहिए ताकि हमारे शरीर और मस्तिष्क पर उस का कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े. महिलाओं को अकसर कई तरह की जिम्मेदारियां एकसाथ पूरी करनी पड़ती हैं. अपने कैरियर से जुड़े कामकाज के अलावा उन्हें परिवार की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ती है. ऐसी स्थिति में वे बहुत ज्यादा काम के दबाव की स्थिति से गुजरती हैं, इसलिए माइगे्रन उन में ज्यादा पाया जाता है.

नींद का अभाव, भोजन से वंचित रहना, चिंता आदि कारणों से भी तनाव बढ़ता है और यह माइग्रेन के सिरदर्द का कारण बनता है. कई बार दर्दनिवारक दवा के ज्यादा इस्तेमाल से भी बारबार सिरदर्द उभरता है. कुछ समय बाद ये दर्दनिवारक दवाएं दर्द मिटाने में बेअसर हो जाती हैं. इस के अलावा लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाओं का इस्तेमाल सिरदर्द के साथसाथ किडनी, लिवर और पेट पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने लगता है.

उपचार

शुरुआती स्तर के दर्द से नजात दिलाने के लिए डाक्टर अकसर माइगे्रन के बचावकारी इलाज पर ध्यान देते हैं और माइग्रेन के दौरे से उन्हें दूर रखते हैं. स्ट्रैस की स्थिति को बचावकारी उपायों से ही प्रबंधित किया जा सकता है. इस के समाधान में पौष्टिक भोजन सप्लिमैंट, व्यायाम, लाइफस्टाइल में बदलाव माइगे्रन के दौरे को टालने के उपाय हैं. यदि आप धूप के प्रति संवेदनशील हैं तो तेज धूप में न निकलें. कुछ लोगों पर ये उपचार पद्धतियां कारगर होती हैं और इन से उन के जीवन में व्यापक बदलाव आ जाता. हालांकि क्रोनिक माइग्रेन से पीडि़त कुछ लोगों पर ऐसी परंपरागत पद्धतियों का कोई असर नहीं होता. ऐसे लोगों के लिए ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए का इंजैक्शन ही राहत देता है. ऐसे वयस्क मरीजों को रोग से नजात दिलाने के लिए इस दवा को अमेरिकी फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिली है. जो महीने में 15 या इस से अधिक दिनों तक सिरदर्द की समस्या से पीडि़त रहते हैं, उन्हें यह दवा गंभीर दर्द से राहत दिलाने में कारगर है.

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यह दवा स्नायु के उन संकेतकों को अस्थायी रूप से अवरुद्ध करने का काम करती है, जिन से बेचैनी और दर्द बढ़ाने वाले रसायन प्रवाहित होते हैं. इस दवा का असर कई महीनों तक रहता है. 3 महीनों के अंतराल पर नियमित रूप से इस का इंजैक्शन लेने वाले मरीजों में आश्चर्यजनक सुधार आ सकता है. ओनाबोटुलिनम टौक्सिन टाइप ए इंजैक्शन सिर के पास के कुछ खास बिंदुओं पर लगाए जाते हैं और ये निपुण चिकित्सकों द्वारा ही लगाए जाते हैं. स्ट्रैस मैनेजमैंट भी एक महत्त्वपूर्ण उपाय है, जिसे बेहद तनावपूर्ण जीवनशैली जीने वालों को अपनाना चाहिए. सक्रिय रहें, पर्याप्त नींद लें, क्योंकि नींद की कमी से तनाव और बढ़ता है. तनाव से राहत दिलाने में व्यायाम की भी अहम भूमिका होती है. आराम दिलाने वाले व्यायाम करने की प्रक्रिया अपनाएं, जिन से आप को तनाव से मुकाबला करने में मदद करेगी.       

– डाक्टर राजशेखर रेड्डी 
मैक्स हौस्पिटल, नई दिल्ली

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