सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती सबसे अधिक फ्लॉप फिल्मों के बाद भी कैसे टिके इंडस्ट्री में, जाने यहाँ

‘डिस्को डांसर’ फिल्म से इंडस्ट्री में एक नयी डांस फॉर्म ‘डिस्को और देसी’ को यूथ में स्थापित करने वाले सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती निर्माता, सिंगर,सोशल वर्कर, उद्यमी और राज्य सभा के सदस्य भी रहे है. उनका असली नाम गौरांग चक्रवर्ती है, जिसे बाद में फिल्मों में मिथुन चक्रवर्ती नाम दिया गया. उन्होंने अपनी पहली फिल्म ‘मृगया’ से अपने कैरियर की शुरुआत की थी, जो निर्माता निर्देशक मृणाल सेन की थी, जिसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था. सामान्य परिवार से आने वाले मिथुन ने अपनी ग्रेजुएशन तक काफी संघर्ष भरा जीवन देखा. पढाई करते करते ही उनका झुकाव अभिनय की तरफ होने लगा था, जिसके लिए उन्होंने काफी संघर्ष किये.

वे बंगाल के एक लोकप्रिय अभिनेता है, जहाँ वे ‘मिथुनदा’ के नाम से जाने जाते है. वहां उनके डांस स्टाइल के अलावा उनके चाल-ढाल और हेयर स्टाइल को आज भी यूथ फोलो करते है. उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया है, जिसमें बंगला, उड़िया, भोजपूरी, तेलगू और पंजाबी फिल्में शामिल है. फिल्मों में आने से पहले वे नक्सली हुआ करते थे. भाई की आकस्मिक मृत्यु के बाद उन्होंने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ दिया था. मार्शल आर्ट में ‘ब्लैक बेल्ट’ होने की वजह से उन्होंने एक्शन फिल्मों में काफी अच्छा काम किया है. मिठुन हमेशा आगे आने वाले काम पर अधिक फोकस्ड रहते है, इसलिए हमेशा खुश रहते है.

अभी मिथुन चक्रवर्ती रवींद्रनाथ टैगोर की क्लासिक फिल्म ‘काबुलीवाला’ में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. निर्देशक सुमन घोष ने रवींद्रनाथ टैगोर की क्लासिक ‘काबुलीवाला’ को सिल्वर स्क्रीन पर एक बार फिर से वापस ला रहे हैं. इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, रहमत की भूमिका निभाते नजर आयेंगे, ये एक क्लासिक फिल्म है, जिसे करते हुए मिथुन चक्रवर्ती भावनात्मक रूप से जुड़ चुके है. फिल्म ‘काबुलीवाला’ के लिए शूटिंग शुरू हो चुकी है. यह एक ऐसी भूमिका है, जो पीढ़ियों से दर्शकों के बीच गूंज रही है, जिसे वयस्कों से लेकर बच्चे सभी देखना पसंद करते है.

किये संघर्ष

दरअसल, मिथुन चक्रवर्ती जब फिल्मों में हीरो बनने का ख्वाब पाले मुंबई शहर पहुंचे थे, तो उनके रंग रूप के अलावा उनकी आर्थिक हालत भी बहुत खराब थी. मिथुन ने इंटरव्यू के दौरान कहा है कि कई बार उन्हें कभी गार्डन तो कभी किसी हॉस्टल के बाहर सोना पड़ता था. उनके एक दोस्त ने जिमखाना क्लब की मेंबरशिप इसलिए दिलवाई थी कि सुबह उठकर वे बाथरुम इस्तेमाल कर सकें. सुबह फ्रेश होने के बाद वे काम की तलाश में निकल जाते थे. पूरे दिन में उन्हें  पता नहीं होता था कि खाना कहां मिलेगा.  एक बार तो उन्होंने सुसाइड करने की भी बात तक सोची थी, लेकिन उनके धीरज और मेहनत ने उन्हें काम दिलाया. वे आज की यूथ के लिए एक मिसाल है.

अपनी जर्नी के बारें वे कहते है कि मुझे लगा नहीं था कि मेरी ‘डिस्को डांस’ इतनी पोपुलर हो जाएगी. सभी ने इसे एक डांस फॉर्म बना दिया. मैंने सोचा नहीं था, ये हो गया. प्लान करके कई बार कुछ नहीं होता, लेकिन एक स्टाइल कभी-कभी अच्छी लग जाती है और सबके दिलों में घर कर लेती है. यही मेरे साथ हुआ. उसी से मुझे कामयाबी मिली और मैं यहाँ तक पहुँच पाया. मैं खुश हूँ कि मेरी जर्नी सही थी और आज भी चल रही है.

ये सही है कि 80 के दशक में सिर्फ मिथुन ही चल रहे थे. उस समय अमिताभ फेसम होना शुरू ही हुए थे. उस दौरान उन्होंने ‘मेरा रक्षक’, ‘सुरक्षा’, ‘तराना’, ‘हम पांच’, ‘डिस्को डांसर’, ‘प्यार झुकता नहीं’ जैसी फिल्में की. पहचान उन्हें डिस्को डांसर से मिली और दुनिया को मिला डांसिंग स्टार जिसने अपने फैन फॉलोइंग की बदौलत बहुत कुछ हासिल किया.

भीड़ से अलग

आप को बता दें कि 70 के दशक में मिथुन संघर्ष कर रहे थे, उन्हें सबसे अधिक काम्प्लेक्स अपने कलर टोन को लेकर हुआ, लेकिन वे एक अच्छे डांसर है और डांस अच्छा कर सकते है. वे अच्छी फाइटिंग, मार्शल आर्ट भी जानते थे. उन्होंने हमेशा सोचा था कि वे कुछ ऐसा करें, जिससे किसी का ध्यान उनके रंग पर न जाए और कुछ ऐसा हुआ कि मृणाल सेन ने उन्हें फिल्म ‘मृगया’ में ब्रेक दिया, जो ट्राइबल हीरो का था, जो उनके लिए बिल्कुल सूटेबल भूमिका थी. इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला. इसके बाद फिल्में मिलने लगीं और मिथुन को पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा.  रंग के बावजूद लोगों को उनकी डांसिंग स्टाइल और एक्शन पसंद आई. धीरे-धीरे समय के साथ इंडस्ट्री में काफी बदलाव आया और किसी गॉडफादर के बिना ही मिथुन हिंदी सिनेमा जगत में सफल हो गए. उनके डांसिंग स्टाइल, हेयर स्टाइल, पहनावा आदि को सभी युवा वर्ग कॉपी करने लगे.

उम्र नहीं होती मुश्किल

उम्र के इस पड़ाव में मिथुन काम करने से नहीं कतराते वे कहते है कि मुझे लगा नहीं कि मेरी उम्र हो गयी है. मैं तो अभी भी अपने आप को यूथ ही समझता हूँ और बहुत सारे काम करने की इच्छा रखता हूँ. मेरे हिसाब से टीवी को कभी भी कम नहीं समझना चाहिए. आज मैं जो भी हूँ.  इसमें टीवी का बहुत बड़ा योगदान है. कई रियलिटी शो ने मुझे लोगों के घर-घर तक पहुँचाया. ‘जेनरेशन गैप’ को  टीवी ने ही कम किया. टीवी में किसी का दिल जितना आसान नहीं होता. काम के साथ-साथ लोग इसे देखते है, ऐसे में उन्हें टीवी से जोड़े रखना बहुत बड़ी चुनौती कलाकारों के लिए होती है.

बने हीरों छोटे पर्दे के  

बड़े पर्दे पर अपनी एक्टिंग का जलवा बिखेरने के अलावा मिथुन छोटे पर्दे के कई शोज में भी काम किया है. उन्होंने रियलिटी शो “डांस इंडिया डांस”, “लिटिल मास्टर”, “डांस बांग्ला डांस” और “द ड्रामा कंपनी” जैसे कई टीवी शो में वे ग्रैंड जज के रूप में काम किया है. टीवी शो के दौरान उनका सबसे मशहूर डायलॉग ‘क्या बात- क्या बात- क्या बात’ पूरी दुनिया में मशहूर है. मिथुन को टीवी पर काम करना बहुत पसंद है, वे कहते है कि मेरे हिसाब से टीवी के लिए अधिक समय नहीं देना पड़ता. फिल्म भी समय से पैकअप नहीं कर पाती. टीवी में पहले से ही समय तय होता है और उसी में वह पूरी हो जाती है. मुझे मुश्किल नहीं लगता.

फ्लॉप फिल्मों की श्रेणी में सबसे ऊपर

कभी ऐसा समय था, जब मिथुन चक्रवर्ती ने सबसे अधिक फ्लॉप फिल्में दी थी, जो तक़रीबन 180 फिल्में थी, जो एक लीड एक्टर के लिए सबसे बड़ी संख्या रही. उनकी जिन्दादिली और विनम्र स्वभाव ही था, जिससे हर निर्माता, निर्देशक उन्हें अपनी फिल्मों में लेना पसंद करते थे. 80 और 90 की दशक में मिथुन ने दर्जनों फिल्मे एक साल में ही साइन किये, क्योंकि तब वे एक सुपरस्टार की श्रेणी में भी आते थे. फ्लॉप फिल्मों से वे कभी पीछे नहीं हटें और आगे मेहनत करते गए. फ्लॉप फिल्मों की वजह वे फिल्मों का सही ढंग से चयन न कर पाना या फिर गलत समय में फिल्मों का रिलीज होने को मानते है, उन्होंने हमेशा माना है कि सफलता से अधिक असफल फिल्मों से सीखने को उन्हें मिला है.

वन लाइनर का जमाना

फिल्मों में आये बदलाव के बारें में मिथुन का कहना है कि पहले की फिल्मों का बनना अब पूरी तरह से बदल चुका है. आज की तकनीक पहले से काफी अलग है. विचारों में बदलाव आया है. अभी वन लाइनर का जमाना है. पहले तीन या साढ़े तीन घंटे की फिल्में बनती थी. अब  छोटी फिल्में बनती है,क्योंकि किसी के पास बड़ी फिल्म देखने का समय नहीं है. आधे से अधिक लोग तो स्मार्ट फ़ोन और व्हाट्सएप पर लगे हुए है. काफी सारा समय लोगों का उसपर ही चला जाता है. मैं  पुराने दिनों को अधिक याद नहीं करता, क्योंकि उसमें कुछ अच्छे तो कुछ ख़राब भी थे. अधिक याद करूँगा, तो दुखी हो जाऊंगा. उस समय एक तरह के फैन फोलोअर्स थे, अब अलग है, जिसमें बच्चे भी आज शामिल है.

रहे कई अफेयर्स  

मिथुन चक्रवर्ती की अफेयर की अगर बात की जाय, तो अभिनेत्री योगिता बाली 70 के दशक में बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक थीं. वह अपनी एक्टिंग के साथ-साथ अपनी खूबसूरती के लिए भी दर्शकों के दिलों पर राज करती थी. फिल्म “ख्वाब” की शूटिंग के दौरान मिथुन चक्रवर्ती और योगिता बाली के बीच नजदीकियां बढ़ी और दोनों का एक दूसरे से प्यार हो गया. योगिता बाली ने किशोर कुमार से अलग होने के एक साल बाद साल 1979  में मिथुन चक्रवर्ती से शादी की. शादी के बाद दोनों 3 बेटों के माता-पिता बने. इसके अलावा उनकी एक गोद ली हुई बेटी भी है. शादी के बाद योगिता बाली फिल्मों से दूरी बना ली और अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त हो गयी.

मिथुन से पहले योगिता की शादी किशोर कुमार से हुई थी. योगिता किशोर कुमार की तीसरी पत्नी थीं. जानकारों की मानें तो योगिता और मिथुन की शादी के बाद किशोर कुमार काफी नाराज रहने लगे और इसका नतीजा यह हुआ कि किशोर कुमार ने मिथुन चक्रवर्ती के लिए गाना भी छोड़ दिया था.

अभिनेत्री योगिता बाली के साथ मिथुन चक्रवर्ती की दूसरी शादी थी. इससे पहले उनकी शादी हेलेना ल्यूक से हुई थी, जो उस समय फैशन की दुनिया का जाना-पहचाना चेहरा थीं. हालांकि बाद में हेलेना ने कई फिल्मों में भी काम किया. साल 1980 में रिलीज हुई फिल्म “जुदाई” उनकी पहली बॉलीवुड फिल्म थी.

इससे पहले मिथुन का अफेयर एक्ट्रेस सारिका के साथ था. सारिका से ब्रेकअप के बाद मिथुन को नए दोस्त की तलाश थी. तब हेलेना का जावेद खान से ब्रेकअप हुआ था और मिथुन को हेलेना मिल गई थी. मिथुन, हेलेना के प्यार में जितने पागल थे, उतना हेलेना नहीं थी. हेलेना ने एक जगह कहा था कि मिथुन उनके  प्यार में इस कदर पागल था कि वह पूरा दिन उन्हें शादी के लिए मनाने में लगा रहता था. वह रोज उनसे मिलने भी आता था. आखिरकार उन दोनों ने शादी की और ये शादी केवल 4 महीने तक ही चली थी.

शादी के कुछ दिनों बाद ही मिथुन का दिल योगिता बाली पर आने लगा, जिससे हेलेना और मिथुन के बीच दूरियां बढ़ने लगीं और अंत में उनका तलाक हो गया. मिथुन का श्रीदेवी के साथ भी अफेयर रहा था, लेकिन श्रीदेवी ने मिथुन से रिश्ता तब खत्म कर लिया, जब उन्हें पता चला कि मिथुन ने योगिता बाली को तलाक नहीं दिया है. सूत्रों की माने तो मिथुन चक्रवर्ती और श्रीदेवी ने गुपचुप तरीके से शादी भी कर ली थी. हालांकि दोनों ने कभी इस बारे में खुलकर बात नहीं की.

राजनीति नहीं वश में

मिथुन चक्रवर्ती का राजनीतिक सफर अच्छा नहीं रहा. साल 2011 में जब टीएमसी पार्टी सत्ता में आई तो ममता बनर्जी ने उन्हें राजनीति में आने का न्यौता दिया. मिथुन चक्रवर्ती ने उनका निमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया और टीएमसी पार्टी में शामिल होने के साथ ही उन्होंने राजनीती में कदम रखा. टीएमसी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा सांसद भी बनाया, लेकिन साल 2016 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से संन्यास ले लिया. इसके लिए उन्होंने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए राजनीति से संन्यास ले लिया. हालांकि शारदा चिटफंड घोटाले में उनका नाम आने के बाद से ही उनका राजनीति छोड़ने का प्रयास था, क्योंकि मिथुन चक्रवर्ती उस समय शारदा कंपनी के ब्रांड एंबेसेडर थे. जब प्रवर्तन निदेशालय ने उनसे पूछताछ की तो उन्होंने 1 करोड़ 20 लाख रुपये यह कहकर लौटा दिए कि वह किसी को धोखा नहीं देना चाहते. राजनीति के आखिरी साल में वे राज्यसभा में कम ही नजर आए. हाल ही में वह सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद सबको लगा था कि वे फिर से राजनीति में आयेंगे, लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया था कि वह दोबारा राजनीति में आने वाले नहीं हैं.

फिटनेस का राज

मिथुन चक्रवर्ती हमेशा जो भी मिला उसमे खुश रहना जानते है, यही वजह है कि आज भी वे फिट है और काम कर रहे है, उनकी फिटनेस का राज समय पर वर्कआउट करना, सही डाइट लेना और खुश रहना है.

मिथुन के कुछ चर्चित डायलॉग जिन्हें सुनकर बजती थी खूब सीटियाँ

देखने में बेवड़ा, भागने में घोड़ा और मारने में हथौड़ा – फिल्म लोहा

इतिहास बदलने वाले का नाम कभी इतिहास में नहीं होता – फिल्म गुंडा

अब जिंदगी तुझे तकलीफ नहीं देगी…वो तकलीफ देगा तुझे – फिल्म बॉस

इज्जत, जिल्लत, शोहरत और मौत….ऊपर वाले के हाथ में है – फिल्म किक

इंसान का इरादा और उसकी तकदीर, बोलके नहीं बदलते – फिल्म लक

जिसकी जरूरत ऊसूलों से बड़ी होती है…वो न नहीं बोल सकता – फिल्म जाल

हम सिर्फ अंग्रेजों का खून पीते हैं – फिल्म वीर

जिनके घर शीशों के होते हैं न, वो बेसमेंट में कपड़े बदलते हैं – फिल्म गोलमाल 3

मिलिए ‘अनुपमा’ की ‘काव्या’ से, जो हैं मिथुन चक्रवर्ती की बहू

 फिल्म ‘सम्राट एंड कंपनी’ से चर्चित होने वाली अभिनेत्री मदालसा शर्मा चक्रवर्ती ने तेलगू फिल्म से अभिनय कैरियर की शुरुआत की है. विनम्र और हंसमुख मदालसा अभिनेत्री शीला शर्मा और निर्माता, निर्देशक सुभाष शर्मा की बेटी है. मदालसा को बचपन से अभिनय का माहौल मिला है. यही वजह है कि अभिनय के अलावा वह किसी और फिल्ड के बारें में नहीं सोच सकती थी. उन्होंने हर फिल्म में अपनी एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की है. काम के दौरान मदालसा का परिचय अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती के बेटे मिमोह से हुआ. प्यार हुआ और शादी की. वह अपनी शादी शुदा जिंदगी से बहुत खुश है, क्योंकि मिमोह एक केयरिंग पति है. मदालसा अभी स्टार प्लस की धारावाहिक अनुपमा में डेब्यू कर रही हैं, जिसमें वह काव्या जावेरी की भूमिका निभा रही है. शूटिंग के दौरान उन्होंने समय निकालकर बात की पेश है अंश. 

सवाल-कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सेट पर किस तरह की एहतियात बरती जा रही है?

सेट पर शुरू से तैयारी की जा चुकी है. अभी सेफ्टी को मुख्य रूप से ध्यान में रखा गया है. प्रोड्यूसर ने सारे एक्टर्स और क्रू के लिए जरुरी सेनिटाइजेशन की प्रक्रिया को पूरी तरह से फोलो किया है. हर दो घंटे में चारों तरफ सेनिटाइज किया जाता है. सुबह काम पर आने और जाते सबका तापमान चेक किया जाता है. ओक्सिमीटर से ऑक्सिजन का लेवल देखा जाता है. पूरा दिन मास्क पहनकर रहना पड़ता है. केवल शूट के समय मास्क उतारकर दृश्य किये जाते है. इसके अलावा हम सब खुद का भी बहुत ख्याल रख रहे है.

सवाल-अनुपमा धारावाहिक में आपने एक मॉडर्न लड़की की भूमिका निभाई है, जिसे बॉस से प्यार हो जाता है, इसे आप कैसे लेती है?

ये कहानी बहुत रीयलिस्टिक है. कोई माने या न माने ऐसा कई ऑफिसों में होता है. पुराने दौर में अब हम नहीं है, जो सही है उसे ही लोग देखना पसंद भी करते है. धारावाहिके भी वैसी ही बनाई जाती है. पहले जैसी मनगढ़ंत कहानियों पर आज की पीढ़ी खुद से रिलेट नहीं कर सकती. कहनी वही दर्शकों को पसंद आती है, जिससे वे खुद को जोड़ सकें. इस शो में मेरी भूमिका हर एक इमोशन को दिखाती है, जिसे लोग पसंद कर रहे है. 

सवाल-इस भूमिका से आप अपने आप को कितना जोड़ पाती है?

जो नेचुरल एलिमेंट इसमें है उससे मैं अपने आपको जोड़ पाती हूं. मैं भी एक आत्मनिर्भर लड़की हूं. आज के खयालात है और परिवार के मूल्यों को भी समझती हूं. बहुत हद तक मैं इससे अपने आपको जोड़ पाती हूं, इसलिए करने में अच्छा भी लग रहा है.

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सवाल-मिमोह से आप कब और कैसे मिली?

काफी सालों से हम एक दूसरे को जानते है. मेरी माँ अभिनेत्री शीला डेविड शर्मा काफी साल पहले मिमोह के साथ एक फिल्म की थी. उस दौरान एक इवेंट में मैं माँ के साथ गयी थी. वहां मेरी मुलाकात मिमोह से हुई करीब 7 से 8 साल पहले की बात है. हम दोनों दोस्त बने और हमारी एक अच्छी दोस्ती थी. एक समय बाद हम दोनों फिर एक बार मिले प्यार हुआ और शादी हुई. ये समय के साथ होता गया.

सवाल-मिमोह की खूबी, जिसे आप बहुत पसंद करती है?

वे बहुत अधिक केयरिंग स्वभाव के है और शुरू से ही उनका ये स्वभाव मुझे पसंद है. वह उनके पेरेंट्स से लेकर हम सभी की बहुत देखभाल करते है. बहुत अच्छे इंसान है. वही मेरे लिए सबसे बड़ी वजह उन्हें पसंद करना है. 

सवाल-क्या अभिनय के अलावा आपने कुछ और सोचा था?

मैंने बचपन से पेरेंट्स को फ़िल्मी माहौल में देखा है. मेरे पिता निर्माता निर्देशक है, इसलिए हमेशा फिल्मों को लेकर ही चर्चा चलती रहती थी. माँ भी अभिनय से जुडी थी. माहौल आसपास यही था, इसलिए बचपन से पैशन अभिनय करने का ही था. 

सवाल-दिग्गज कलाकार मिठुन चक्रवर्ती से आपका कभी मिलना हुआ, उनकी किस खूबी को आप सराहती है?

पहली बार जब मैं उनसे मिली थी, तो उन्होंने मुझसे पूछा था कि मैं उनके बेटे की जिंदगी में हमेशा के लिए शामिल हो सकती हूं या नहीं. ये बात उन्होंने अपने बेटे से भी पूछा था, जो मुझे अच्छा लगा था. वे बहुत वास्तविक इंसान है. बहुत विनम्र है, हर किसी से बहुत ही विनम्रता से बात करते है. वे मेरे डैड है और ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मैं कई बार उनसे मिली हूं. हर बार कुछ अच्छा सीखने को मिलता है. छोटी-छोटी चीजो का भी वे मेरे लिए ध्यान रखते है. जब भी हम कभी उनकी ग्रोथ को लेकर बात करते है, तो आज भी उनकी मेहनत और लगन को देखकर हम सभी चकित हो जाते है. इतना स्टारडम मिलने के बाद भी वह आज किसी काम को सही तरीके से करने के लिए बहुत मेहनत करते है और मैंने उनसे इसे सीखा है. इसके अलावा वे बहुत अच्छा खाना बनाते है. खाने की सुगंध इतनी अच्छी होती है कि मैं किचन के आगे ही घूमती रहती हूं और उस डिश को खाने का इंतजार करती हूं. 

सवाल-अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है?

ये धारावाहिक मेरी पहली शो है, पर मैंने 16 से 17 फिल्में की है. मैंने 16 साल की उम्र में पहली फिल्म की थी. तबसे लेकर आज तक काम कर रही हूं. जो भी काम आया में अपना सौ प्रतिशत कमिटमेंट दिया है. इसमें कुछ सफ़ल तो कुछ फिल्में असफल भी रही है, इसे मैं अपना डेस्टिनी मानती हूं. 

सवाल-दोस्ती आपकी नजर में क्या है और आज के तनाव भरे माहौल में एक अच्छा दोस्त कितना जरुरी है?

दोस्ती परिवार से ही शुरू होती है, जो आपकी भावनाओं और आपको समझ सकें, जिनसे आप कभी भी सहजता से बात कर सकते है और ऐसे लोग गिने-चुने ही होते है, जो बिना शर्तो के आपको प्यार करें. मेरे हिसाब से वही दोस्ती है. ऐसे लोगों की मौजूदगी आपके जीवन के लिए प्रमुख होती है. दोस्ती एक खूबसूरत रिश्ता है, जिससे आपको हर समस्या का समाधान मिलता है. पर्दे पर दिखाई गयी दोस्ती थोड़ी फ़िल्मी होती है. 

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सवाल-क्या गृहशोभा के ज़रिये कोई मेसेज देना चाहती है?

महिलाओं को बहुत सारी शक्तियाँ मिली हुई है, वह बहुत कुछ सह सकती है. मजबूत और आत्मनिर्भर बने. सकारात्मक सोच रखें और जो भी काम आप खुद के लिए करना चाहे, उसे करते जाय. केवल महिला ही नहीं हर इंसान को खुद के अलावा दूसरों के बारें में भी सोचने की जरुरत है. 

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