बारिश का मौसम चिलचिलाती गर्मी से राहत तो दिलाती है, लेकिन अपने साथ तापमान और आर्द्रता के स्तिरों में भी परिवर्तन लाती है. मौनसून के शुरू होते ही पैरेंट्स के लिए बच्चों की देखभाल सही तरीके से करने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, क्योंकि बारिश में मच्छर, मक्खियाँ और कई प्रकार के कीडे-मकोडे अंदर आ जाते है, जिससे कई प्रकार की बिमारियों के अलावा उनके कांटने से बेबी की स्किन पर लाल रैशेज, इन्फेक्शन, सूजन आदि से जुड़ी समस्या दिखाई पड़ने लगती है. इस बारें में पुणे की प्रोफेसर एवं हेड, डिपार्टमेंट ऑफ नियोनेटोलॉजी, बीवीयू मेडिकल कॉलेज, मेम्बर, इंडियन एकेडमी ऑफ
पीडियाट्रिक्सव डॉ. प्रदीप सूर्यवंशी कहते है कि न्यूबौर्न बेबी की स्किन वयस्कन की तुलना में 40से60 गुना पतली होती है. इसलिए उनकी कोमलतापूर्ण देखभाल और पोषण की आवश्य्कता होती है. मौनसून के दौरान बेबी की स्किन की अच्छी देखभाल के लिए कुछ सुझाव निम्न है,
बेबी की मालिश
• बच्चों को तेल मालिश पुरानी प्रथा है. भारत के लगभग हर परिवार में बेबीओं पर तेल मालिश किया जाता है. इसके लाभ कई है, इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्सब (आईएपी) के अनुसार, सही तेल से बच्चों की उचित तरीके से मालिश किये जाने से उनका व्यीवहार सौम्या होता है, कॉर्टिसॉल का स्तर या मात्रा घटता है और बेबी का मानसिक रूप से बेहतर प्रदर्शन देखा गया.
• मालिश करने का सबसे उपयुक्ता समय तब होता है, जब बच्चा पूरी तरह से आराम कर चुका हो और भूखा न हो. इसके अलावा कमरा गर्म हो और हाथों में थोड़ा-सा तेल लेकर मालिश की शुरुआत करें और उसे धीरे-धीरे स्किन पर मालिश करते जाएं. मालिश के लिए हल्केआ और चिपचिपाहटरहित मिनरल ऑयल का इस्ते माल करना चाहिए, जिसमें विटामिन E भरपूर मात्रा में मौजूद हो.
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• ज्या,दा जोर लगाकर मालिश न करें, ऊपर की ओर प्या र भरी थपकी देने के साथ बेबी के सामने और पीठ की ओर गोलाई में हल्केन-हल्केी मालिश करें. जेंटल स्पर्श के साथ की जाने वाली मालिश से माता-पिता और बच्चे के बीच रिश्ता मजबूत होता है और बच्चे की स्किन में गर्माहट आती है, जो मौनसून के बदलते तापमान की वजह से फायदेमंद है.
खुशनुमा स्ना न
• मालिश की तरह ही नहाने का समय भी बच्चेच से जुड़ाव बढ़ाने का अच्छाक मौका होता है. मौनसून के दौरान, रोज नहलाना जरूरी नहीं होता. हफ्ते में दो से तीन बार नहलाना उपयुक्ति होता है. बेबी को नहलाने का कमरा गर्म होना चाहिए और गुनगुने पानी से नहलाया जाना चाहिए. पैरेंट्स, बेबी को नहलाने के लिए बेबी क्लेनन्जर या बेबी सोप का इस्तेामाल कर सकते है. आपको यह भी देखना होगा कि बच्चेा को नहलाने के लिए प्रयोग किये गए उत्पाद में पैराबिन या डाई न हों, चिकित्स्कीय रूप से प्रामाणिक हो और बच्चेि की स्किन के लिए उपयुक्तन हो. मिल्कर प्रोटीन और विटामिन E से भरपूर बेबी सोप सबसे अच्छा होता है.
• बेबी सोप किटाणुओं को धीरे-धीरे हटा देने के साथ-साथ स्किन को कोमल और चिकना बना देती है. साबुन की तरह ही, नैचुरल मिल्कस एक्सलट्रैक्ट्स , राइस ब्रैन प्रोटीन जैसे तत्वोंत और 24 घंटे मॉइश्चनराइजिंग प्रदान करने वाले बेबी वॉश भी बेबी के लिए सही होता है.
• नहलाने के बाद, नर्म एवं गर्म तौलिये से बेबी के शरीर को पोंछकर सूखा दें. क्रीज वाले स्थान जैसे गर्दन, अंडरआर्म आदि को अच्छीस तरह से सूखा लें, जिससे रैशेज न हों.
मॉइश्चजराइजिंग है ज़रूरी
• शोध के अनुसार, भारत में 3 में से 2 बेबीओं की स्किन रूखी होती है. एक अच्छी मॉइश्चधराइजिंग क्रीम या लोशन का उपयोग करने से बच्चे की स्किन में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है. सही उत्पाद न केवल पोषण देता है, बल्कि बच्चे की स्किन की रक्षा भी करता है. बेबी को नहलाने के बाद ग्लिसरीन या मिल्क एक्सोट्रैक्ट्स और राइस ब्रैन प्रोटीन के साथ 24 घंटे के लॉकिंग सिस्टम वाले लोशन का उपयोग किया जा सकता है.
• मॉइश्च राइजर लगाते समय दोनों हाथों पर थोड़ा सा लोशन लें और बच्चे के आगे-पीछे दिल के आकार में लगाएं. विटामिन E और मिल्कन एक्स ट्रैक्स्ीछ वाले बेबी क्रीम बेबी के चेहरे पर और शरीर के बाकी हिस्सों पर लोशन का प्रयोग अच्छा रहता है.
डायपर केयर
• बेबी के डायपर के जगह की देखभाल करना महत्वपूर्ण है. विशेष रूप से आर्द्र मौसम के दौरान, गीले और तंग डायपर से बच्चे को अधिक पसीना हो सकता है, जिससे डायपर के उपयोग वाली जगह पर डायपर डर्मेटाइटिस और इंफेक्शअन हो सकता है.
• बीच-बीच में डायपर बदलते रहें या जब भी संभव हो बच्चे को बिना डायपर का ही रखे. डायपर क्षेत्र को साफ करने के लिए मॉइश्चंराइजरयुक्त अल्कोहल-मुक्त वाइप्स का उपयोग करें. डायपर क्षेत्र को साफ और सूखा रखने से रैशेज से बचा जा सकेगा. अगर रैशेज की समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह लें.
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कम्फ़र्टेबल पोशाक
• मौनसून के दौरान, पूरी लंबाई वाले सूती कपड़े पहनाएं, जिससे स्किन को ताजी हवा लगने के साथ-साथ रैशेज और मच्छ रों से बचा जा सके. फेब्रिक सॉफ्ट हो, धोने में आसानी हो. पजामे में टाइट रबड़ या इलास्टिक न लगा हो. यदि भारी बारिश के चलते तापमान घटता है, तो बच्चेब को नर्म हल्के ऊनी कपड़े पहनाएं.