किताब पढ़ने के फायदे है क्या, जाने यहां

‘दिल की किताब कोरी है……’,‘किताबे बहुत सी पढ़ी होगी तुमने मगर कोई चेहरा जो तुमने पढ़ा है…..ऐसी कई हिंदी फिल्मों के गाने, जो किताबों के जरिये ही प्यार की गहराई को, प्रेमी जोड़े एक दूसरे को जाहिर करते आ रहे है, ये सभी जानते है, लेकिन आज फिल्मों के साथ-साथ लोगों ने भी किताबों को पढना कम कर दिया है. इसी वजह से विश्व में लोगों के बीच में किताब पढने की सिलसिला को जारी रखने के लिए हर साल 23 अप्रैल को वर्ल्ड बुक डे मनाया जाता है.

बचपन में पहले पेरेंट्स बच्चों को किताबें पढने पर जोर दिया करते थे, क्योंकि किताबें पढना अच्छी बात मानी जाती है. इससे बच्चे में एकाग्रता, यादाश्त, नई खोज को जानने की इच्छा, आदि विकसित हुआ करती है. पैरेंट्स से लेकर डॉक्टर, टीचर्स और लाइब्रेरियन तक, सभी हमें यही एडवाइस करते थे कि हमें बुक्स पढ़नी चाहिए. बुक्स आपकी हेल्थ और वेलनेस के लिए भी फायदेमंद होती हैं, लेकिन ये दुःख की बात है कि बदलते वक्त में आज के बच्चे किताबों को छोड़कर मोबाइल पर व्यस्त हो चुके है, जिससे उनकी एकाग्रता और यादाश्त में कमी होने के साथ-साथ उनके आँखों पर भी इसका प्रेशर बढ़ रहा है, आज 5 साल के बच्चे को भी चश्मा पहननी पढ़ती है. आज वे किसी बात को बार-बार कहने पर भी भूल जाया करते है.

रिसर्च बताते हैं कि किताबों के पढ़ने से ना केवल आप स्मार्ट बनते हैं बल्कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह आपको शार्प और एनालिटिकल भी बनाता है. किताबें हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा होती हैं. असल में किताबेंबिल्कुल एक पार्टनर की तरह होती है, उसके बिना व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है.

किताबे पढने से लाभ

किताबें पढ़ने और इसके प्रकाशन को बढ़ावा देने के लिए हर साल 23 अप्रैल को दुनिया भर के लोग वर्ल्ड बुक डे मनाते हैं. ऐसा माना जाता है कि नियमित रूप से किताबें पढ़ने से तनाव कम होता है, एकाग्रता, याददाश्त और विनम्रता बढ़ती है और कम्युनिकेशन स्किल्स में भी सुधार आता है. किताबें हमें नई-नई चीजें सिखाती हैं और हमें अपने काम और रिश्तों में कामयाब होने में मदद करती हैं. कुछ लाभ निम्न है,

  • शब्दों और भाषा का ज्ञान होना,
  • अल्जाइमर और डिमेंशिया से बचना,
  • तनाव कम करना,
  • ज्ञान बढ़ना,
  • याद रखने की क्षमता को बढ़ाना,
  • फोकस और एकाग्रता का बढ़ना,
  • आत्मविश्वास बढ़ाना,
  • अच्छी नींद आना,
  • लेखन क्षमता को बढ़ाना आदि.

किताबों को कम पढने को लेकर टीवी सेलेबस भी चिंतित है और अपनी सन्देश लोगों तक पहुँचाने की कोशिश कर रहे है. क्या कहते है वे आइये जाने

निहारिका रॉय

धारावाहिक ‘प्यार का पहला नाम राधा मोहन’ की अभिनेत्री निहारिका रॉय कहती है ‘‘मैं अपने खाली वक्त में हमेशा किताबें पढ़ती हूं. किसी भी दिलचस्प नॉवेल को पढ़कर हमेशा मुझे खुशी मिलती है और मैं थका देने वाले शूट शेड्यूल में भी तनावमुक्त महसूस करती हूं. मैं बताना चाहूंगी कि मेरे बचपन से ही मेरी किताबों का कलेक्शन बढ़ता जा रहा है. किताबें वाकई आपको एक व्यक्ति के रूप में विकसित होने में मदद करती हैं. यह कभी-कभी आपका सपोर्ट सिस्टम भी बन जाती हैं. मैंने भी यही महसूस किया है. जब भी मुझे निराशा महसूस होती है, मैं एक किताब पढ़ना शुरू कर देती हूं और इससे वाकई मुझे अंदर से खुशी मिलती है. किताबें पढ़ने के असली फायदों को देखते हुए मैं सभी को यह सलाह देना चाहूंगी कि वे महीने में कम से कम एक किताब जरूर पढ़ें.

अनुष्का मर्चंडे

धारावाहिक ‘मैं हूं अपराजिता’ में छवि का रोल निभा रहीं अभिनेत्री अनुष्का मर्चंडे बताती हैं कि जिस पहली किताब ने जिंदगी के प्रति वाकई मेरा नजरिया बदल दिया था, वो थी रिजर्ड बक की ‘जॉनेथन लिविंगस्टन सीगल’. इससे मुझे चीजों को देखने का एक नया नज़रिया मिला. असल में इस किताब को पढ़ने के बाद ही मुझे महसूस हुआ कि मुझे ऐसी विचारोत्तेजक कहानियां पढ़ना पसंद हैं, जो मुझे एक इंसान के रूप में आगे बढ़ने में मदद करें. जब भी मुझे खाली वक्त मिलता है, मैं एक नई उपन्यास पढ़ती हूं. मैं बताना चाहूंगी कि जब भी मैं कोई दिलचस्प नॉवेल पढ़ती हूं, तो मैं अपने बिजी शूट शेड्यूल के बावजूद बड़ा खुश और तरोताजा महसूस करती हूं. कोई किताब पढ़ना एक और जिंदगी जीने जैसा है और इससे मुझे बेइंतेहा खुशी मिलती है. मैं सभी को यह सलाह दूंगी कि वो हर दिन एक नॉवेल के कुछ पन्ने जरूर पढ़ें. अपनी पसंद की किताबों के बारे में बात करूं, तो यह अलग-अलग विषय की किताबें हैं जैसे मुझे ऐतिहासिक, बायोग्राफिकल, हेल्थ और फिक्शन जैसे अनोखे जॉनर्स की किताबें पढ़ना अच्छा लगता है. इस समय मेरी फेवरेट बुक्स हैं – ऐलेना अरमास की द स्पैनिश लव डिसेप्शन, ऐना हुआंग की ट्विस्टेड लव और ऐसी ही कई अन्य किताबें है. मुझे स्टिफेनी मेयेर और कॉलीन हूवर का काम भी बहुत पसंद है, जिन्होंने मुझे प्रेरित और प्रभावित किया. इसके अलावा कॉन्स्टैंटिन स्टेनिस्लाव्स्की की बिल्डिंग ए कैरेक्टर हर एक्टर के लिए पढ़ने लायक किताब है, क्योंकि इसमें उनकी कला को निखारने के लिए कई नायाब टेक्निक्स बताई गई हैं

प्यार के बारे में क्या कहती है एक्ट्रेस निहारिका रॉय, पढ़ें इंटरव्यू

क्या प्यार से सब कुछ जीत लिया जा सकता है? क्या प्यार से कठोर व्यक्तित्व के इंसान के चेहरे पर मुस्कान बिखेरा जा सकता है? आखिर कैसे? कुछ ऐसी ही बातों पर रौशनी डालती है, जी टीवी की नई शो ‘प्यार का पहला नाम राधा मोहन’. यह एक फिक्शन कहानी है, जिसमें अभिनेत्री निहारिका रॉय मुख्य भूमिका राधा की निभा रही है, जो प्यार से शबीर अहलुवालिया के स्वभाव और दिल को बदलने में कामयाब होती है. प्यार और तहजीब का शहर लखनऊ में इसे लौंच किया गया.

मुंबई की निहारिका को बचपन से अभिनय करना पसंद था. उन्होंने कथक ज्वाइन किया और पढाई के साथ-साथ मॉडलिंग भी करने लगी, जिसमें उनके माता (दोलन रॉय) पिता मिहिर रॉय ने हमेशा सहयोग दिया. एक लीड रोल के लिए उन्हें कई साल ऑडिशन देने पड़े, पर उन्होंने इसे शांत चित्त से लिया और अंत में वह सफल रही. खूबसूरत और चुलबुली निहारिका से उनकी जर्नी के बारें में बात की, जो बहुत रोचक थी, आइये जानते है उनकी कहानी उनकी जुबानी.

सवाल – आप छोटी उम्र से अभिनय कर रही है, ये कैसे संभव हुआ?

जवाब –बांग्ला कल्चर में बचपन से ही कला को अधिक महत्व दिया जाता है,मैंने पहली एक्टिंग 9 साल की उम्र में किया था. मेरे पिता का शौक था कि मैं कुछ अलग काम करूँ. स्कूल या बिल्डिंग की शो में जब भी कोई कार्यक्रम होता, वहांमै बढ़-चढ़ कर भाग लिया करती थी, क्योंकि मुझे डांस और नाटकों में भाग लेना बहुत पसंद था. फिर मैंने आगे चलकर कथक सीखना शुरू किया. कथक का कोर्स अभी पूरा नहीं कर पायी, दो साल का कोर्स बाकी है, जिसे मैं पूरा करने पर मुझे कथक में विशारद की डीग्री मिल जायेगी.

सवाल – क्या अभिनय में आने की वजह से डांस को मिस नहीं करती?

जवाब – जब भी मैं डांस को मिस करती हूँ, तो गाना लगाकर प्रैक्टिस कर लेती हूँ. इससे मेरा मन भी हल्का हो जाता है और सरे तनाव भाग जाते है.

सवाल – इस फील्ड में आने पर परिवार की प्रतिक्रियां कैसी रही?

जवाब –मेरे पूरे परिवार में सारे इंजिनियर है और मैं परिवार की इकलौती बेटी हूँ, सबकी लाडली हूँ. मेरे पिता की इच्छा थी कि मैं कुछ ऐसी काम करूँ, जो परिवार से हटकर हो. मेरी एक्टिंग, डांसिंग और एक्सप्रेशन्स सबको बहुत अच्छे लगते थे, इसलिए उन्होंने ही मुझे इस क्षेत्र में आने की सलाह दी. फिर मैंने ऑडिशन देना शुरू किया, उसमे कुछ मिले कुछ हाथ से छूट गए. अंत में ये बड़ी प्रोजेक्ट मुझे मिली.

सवाल – पहला ब्रेक कैसे मिला?

जवाब – मुझे 9 साल की उम्र में बालवीर में काम करने का मौका मिला. उसमे एक दिन के लिए डांस था. उसके बाद मैंने काफी ऑडिशन दिए और दूसरा काम ‘ तेरा यार हूँ मैं’ मिला. इसके बाद मैंने सोच लिया कि मुझे अब लीड करना है, मैंने किसी भी साइड रोल को करने से मना किया और अब मैं सफल हुई. ये सही है कि इस दौरान तनाव बहुत होते थे. कई बार काम होते-होते छूट जाती थी, क्योंकि चैनल को कुछ दूसरा जाना-माना चेहरा चाहिए, जो मेरा नहीं था.

सवाल –पहली बार आप लीड भूमिका निभा रही है, कितना प्रेशर महसूस कर रही है?

जवाब –पहले मैंने जितने भी अभिनय किये है, सभी छोटी-छोटी भूमिकाएं थी. मैंने उसमें  भी मेहनत से काम किया है. इस धारावाहिक में मैं लीड कर रही हूँ, इसलिए मुझे वैसी राधा बननी है, जैसा निर्देशक को चाहिए. मेरे चरित्र में घुसने के लिए मुझे मेहनत करनी पड़ी, पर अधिक नहीं, क्योंकि मेरा नेचर इस भूमिका से मिलता है.

सवाल – भक्ति में कई बार अंधभक्ति समा जाती है, इससे आप कितना सहमत रखती है?

जवाब – मेरा इसमें मानना है कि कभी अपनी ड्रीम को पूरा करने के लिए भगवान को मत बुलाएं, क्योंकि ड्रीम को पूरा करने के लिए खुद को मेहनत करनी पड़ती है, मंदिरों, मस्जिदों चर्च आदि में अधिक जाने पर ही अंधभक्ति आती है.

सवाल – क्या टीनेज में आपने कभी सोचा था कि आपको अभिनय करना है?

जवाब – सपने तो मैंने बहुत देखे है, लेकिन उससे बढ़कर मुझे ये भूमिका मिली है. जिसमें मुझे एक्टिंग की प्रतिभा को दिखाने का मौका मिला है.

सवाल – आज के यूथ प्यार,रोमांस को अधिक महत्व नहीं देते, प्यार हुआ और थोड़े दिनों बाद अलग भी हो गए, इस बारें में आप क्या कहना चाहती है?

जवाब –मैंने उस ओर अधिक ध्यान अभी नहीं दिया है, काम ही मेरा प्यार है. मुझे प्यार माँ, पिता और नानी के लिए होता है. पहले मेरी सहनशीलता भी बहुत कम थी, लेकिन मेरे पेरेंट्स ने शुरू से कह दिया था कि इस क्षेत्र में काम करने के लिए धैर्य बनाये रखना बहुत जरुरी है. मैंने भी अपनी धैर्य को काफी साल तक बनाये रखने की कोशिश की थी, जिससे अजीब तरह का व्यवहार करने लगी थी. फ्रस्ट्रेशन बहुत होने लगा था. मेरा उद्देश्य लीड काम करने का था. कई बार बना बनाया काम भी छूट जाता था, इससे मुझे काफी दुःख होता था.

सवाल – तनाव होने पर उसे कैसे कम करती है?

जवाब – तनाव होने पर मैं खुद को जिम्मेदार समझती हूँ, क्योंकि गलती मेरी थी और मुझे ही उसे निकलना होगा. ये तनाव मुझे लेट टीनेज में आई और लगा था कि मैंने अपना गलत कैरियर चुना है.

सवाल – आज की महिलाएं आगे बढ़ चुकी है, हर क्षेत्र में काम कर रही है, फिर भी डोमेस्टिक वायलेंस, रेप,मोलेस्टेशन होते रहते है, इसकी जिम्मेदारी किसे मानती है, समाज परिवार या घर्म?

जवाब – ये अचानक होने वाली वारदातें है. हर किसी को सतर्क रहने की जरुरत है. इसे बंद करना जरुरी है.

सवाल – क्या कोई ड्रीम है?

जवाब – ड्रीम बहुत सारे है, जिसमें करण जौहर, संजय लीला भंसाली, रोहित शेट्टी, आदि की फिल्मों में काम करने की ड्रीम है.

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