अर्ली डिटेक्शन है ओवेरियन कैंसर का इलाज

अधिकतर महिलाएं पहले परिवार की देखभाल के बाद स्वयं की देखभाल करती हैं इसका यह परिणाम होता है कि कई बार परिवार के सदस्यों की देखभाल की व्यस्तता में वह स्वयं की देखभाल करना ही बंद कर देती हैं. यही कारण है कि दुनियाभर में एडवांस स्टेज में कैंसर के निदान पर सुई महिलाओं की ओर इशारा करती है. यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, विशेष रूप से कैंसर के लिए, जिसे जल्दी पता चलने पर रोका जा सकता है या ठीक किया जा सकता है.

महिलाओं को अपने स्वास्थ्य को लेकर कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो उन्हें पुरुषों की तुलना में कुछ स्थितियों और बीमारियों के विकसित होने के हाई रिस्क में डालती हैं. इसलिए, महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है. इनमें से एक ओवेरियन कैंसर है, जहां शुरुआती पहचान से रोग का निदान और सफल उपचार की संभावना होती है. केरल के कार्किनोस हेल्थकेयर के स्त्री रोग ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ अश्वथी जी नाथ कहती है कि स्त्री रोग संबंधी कैंसर से पीड़ित महिलाओं में ओवेरियन कैंसर, मृत्यु का सबसे प्रमुख वजह होता है और ये महिलाओं में अक्सर मृत्यु का पांचवां सबसे बड़ा कारण है. भारत में ओवेरियन कैंसर के मरीज 2020 में 3,886 मिले, जो अनुमानित घटना के अनुसार 2025 में बढ़कर 49,644 होने की उम्मीद है, यह महत्वपूर्ण है कि ओवेरियन कैंसर का जल्द पता लगाया जाए.

कारण है क्या

इसके आगे डॉक्टर अश्वथी कहती है कि ओवेरियन कैंसर एक महिला के अंडाशय में उत्पन्न होता है. ओवरीज, अंडे और हार्मोन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होते हैं. अंडाशय के विभिन्न भागों में कैंसर कोशिकाएं विकसित हो सकती हैं, जिनमें सबसे आम प्रकार एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर है, जो अंडाशय की बाहरी परत में बनता है. हालांकि ओवेरियन कैंसर के सटीक कारण अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आए हैं. ऐसा माना जाता है कि यह आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों का मिलाजुला परिणाम है. कुछ ज्ञात रिस्क फैक्टर्स में 50 वर्ष से अधिक आयु वाले इसमें शामिल होते है. विशेष रूप से मेनोपॉज़ के बाद, ओवरी या स्तन कैंसर की फैमिली हिस्ट्री, आनुवांशिक परिवर्तन, मेनोपॉज़ के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का लंबे समय तक उपयोग और ऐसी महिलाएं जो कभी गर्भवती नहीं हुई हो या जिन्हें गर्भवती होने में कठिनाई हुई है आदि सभी शामिल हैं. जीवनशैली में परिवर्तन जैसे धूम्रपान, मोटापा, आहार, और पर्यावरणीय एजेंटों जैसे कीटनाशकों के संपर्क में आने से भी ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है.

लक्षण

  • पेट में सूजन
  • भोजन पेट जल्दी भरा हुआ महसूस होना
  • वजन का घटना
  • पेल्विक एरिया में बेचैनी
  • थकान
  • पीठ दर्द
  • कब्ज
  • बार-बार पेशाब आना आदि कई है.

डायग्नोसिस

ओवेरियन कैंसर के डायग्नोसिस की प्रक्रियां में शारीरिक परीक्षण एक कॉम्बिनेशन के तहत होता है. इमेजिंग परीक्षण, मसलन अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन और रक्त परीक्षण ये सभी इसमें शामिल होता हैं. इसके अलावा ट्यूमर मार्कर ( एक परीक्षण जो ऊतक, रक्त, मूत्र, या शरीर के अन्य तरल पदार्थों में ट्यूमर मार्कर नामक पदार्थों की मात्रा को मापता है) होते है, जो उपचार में सहायता करने के साथ-साथ कैंसर की पुनरावृत्ति न हो इसे भी डायग्नोस कर सकता है. यदि ये परीक्षण ओवेरियन कैंसर की संभावना का संकेत देते हैं, तो सीटी स्कैन में बीमारी की सीवियरनेस के आधार पर एक सर्जरी  या बायोप्सी की जाती है. एक बार डायग्नोसिस हो जाने के बाद, कैंसर की स्टेजिंग की जाती है. स्टेज I से लेकर स्टेज IV तक, जिसमें कैंसर दूर के अंगों तक फैलने की सम्भावना होती है. कैंसर के इलाज में उसका स्टेज सबसे महत्वपूर्ण होता है, जिसे सही डायग्नोसिस के द्वारा ही उसे समझा जा सकता है.

क्या है इलाज

डॉ. अश्वथी कहती है कि ओवेरियन कैंसर का उपचार कैंसर के स्टेज और प्रकार के साथ-साथ रोगी के समग्र स्वास्थ्य कंडीशन पर निर्भर करता है. प्राथमिक उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी और टारगेटेड थेरेपी शामिल हैं. सर्जरी अक्सर पहला कदम होता है, जिसका लक्ष्य जितना संभव हो, उतना कैंसर को मरीज के शरीर से दूर करना होता है. कीमोथेरेपी का उपयोग कैंसर की शेष कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है. टारगेटेड थेरेपी, एक नया उपचार विकल्प है, जो विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को टारगेट करता है और कीमोथेरेपी की तुलना में इसके साइड इफ़ेक्ट कम हो सकते हैं. ये सही है कि इन उपचारों के शारीरिक और भावनात्मक साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं, जिनमें बालों का झड़ना, थकान, मतली और प्रजनन संबंधी समस्याएं शामिल हैं. इसके अलावा, उपचार की कॉस्ट कई परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ हो सकती है, जिससे उन्हें आवश्यक देखभाल मिलना मुश्किल हो जाता है. इस जर्नी से गुजरने वाली महिलाओं को उनकी हेल्थ केयर देने वाले और उनके प्रियजनों दोनों की ओर से सहयोग का होना बहुत आवशयक है.

अर्ली डिटेक्शन है जरुरी

डॉक्टर आगे कहती है कि ओवेरियन कैंसर के अर्ली डिटेक्शन के महत्व को इग्नोर नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जितनी जल्दी इस बीमारी का पता चलेगा, उतनी ही जल्दी इस ठीक करना आसान होता है. ये दुःख की बात है कि ओवेरियन कैंसर अधिकतर लास्ट स्टेज में डायग्नोस होता है. यह इसके लक्षणों के कारण होता है जैसे पेट फूलना, जल्दी भरा हुआ महसूस होना, पेट और पेल्विस में दर्द, और बार-बार पेशाब आने की समस्या जिसे अधिकतर इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम, यूरिन इन्फेक्शन आदि समझकर नज़रअंदाज कर दिया जाता है, जिससे समय रहते इसका पता लगाना संभव नहीं होता.

प्रैग्नेंसी से पहले कैंसर से जुड़ीं सावधानियां बताएं?

सवाल

मेरी मां को डिंबाशय का कैंसर था. लेकिन अब उपचार से ठीक हो चुकी हैं. हाल ही में मेरी चाची को भी डिंबाशय के कैंसर का पता चला है. मुझे यह जानकारी है कि डिंबाशय का कैंसर आनुवंशिक रोग है, जिस के कारण मुझे इस की चपेट में आने का खतरा है. मुझे किन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और क्या मुझे जल्द ही किसी प्रकार की जांच करानी चाहिए?

जवाब-

डिंबाशय के कैंसर के सभी मामलों में 5 से 10% मामले ही आनुवंशिक होते हैं. इस रोग का पारिवारिक इतिहास होने के कारण आप के समक्ष जीन के उत्परिवर्तित होने का खतरा है. कैंसर के शीघ्र डायग्नोसिस के लिए कुछ जांचें करवाना जरूरी है. आप जीवनशैली में कुछ परिवर्तन ला कर भी इस से बची रह सकती हैं. डिंबाशय के कैंसर के प्रारंभिक चरणों में कोई लक्षण प्रकट नहीं होता, लेकिन यदि आप श्रोणि क्षेत्र या आमाशय अथवा गैस, पेट फूलने जैसी आंत्रजठरीय समस्याओं जैसे लक्षणों को महसूस करती हैं, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.

सवाल-

3 वर्ष पूर्व मेरे बाएं स्तन में कैंसर का पता चला था. चूंकि मुझ में बीआरसीए जीन पाया गया, इसलिए उस समय मेरे दोनों स्तनों को रिमूव कर दिया गया. मेरी 13 वर्ष की बेटी है. मुझे चिंता है कि कहीं वह भी स्तन कैंसर से ग्रस्त न हो जाए. हालांकि उस में कोई भी लक्षण प्रकट नहीं हुआ है, लेकिन मैं इस को ले कर आश्वस्त होना चाहती हूं. इस के लिए मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

प्राय: बच्चों में जो गांठें पाई जाती हैं उन के कैंसर के रूप में विकसित होने की संभावना बहुत कम होती है. स्तन कैंसर 15 से 39 वर्ष की महिलाओं में काफी कौमन एवं आक्रामक होता है. अपने इतिहास को जानने के बाद आप की चिंता स्वाभाविक है, लेकिन जब तक आप को कोई लक्षण न दिखाई दे तब तक भयभीत होने की जरूरत नहीं है. इस के लक्षणों में कांख अथवा स्तन क्षेत्र में गांठ, स्तनों के आकारप्रकार में परिवर्तन, उन से रक्त का डिस्चार्ज इत्यादि शामिल हैं. हालांकि ये लक्षण अन्य बीमारियों के भी हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्सक से संपर्क करें. दोनों स्तनों का अल्ट्रासाउंड कराएं. यदि किसी तरह का संदेह हो तो एमआरआई कराएं.

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सवाल-

मैं 30 वर्षीय कामकाजी महिला हूं. मैं और मेरे पति 2 वर्षों से गर्भधारण के लिए प्रयास कर रहे हैं. मुझ में हाल ही में गर्भग्रीवा के कैंसर का पता चला है. क्या मैं भविष्य में गर्भवती हो सकती हूं? और अगर मैं गर्भवती हो जाती हूं, तो क्या कैंसर का उपचार बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है?

जवाब-

ऐसी स्थिति में गर्भधारण मुमकिन नहीं है. विकिरण चिकित्सा से आप के डिंबाशय काम करना बंद कर सकते हैं तथा आप के गर्भाशय को रिमूव कर दिए जाने के कारण गर्भधारण मुमकिन नहीं हो सकता. यदि 2 सैंटीमीटर से कम ग्रोथ वाले गर्भग्रीवा के कैंसर का पहला चरण है, तो लैप्रोस्कोपिक पैल्विक लिंफैडेनेक्टोमी के साथ वैजाइनल ट्रैचेलैक्टोमी की सर्जरी के द्वारा गर्भाशय को बचाया जा सकता है. इस औपरेशन के बाद गर्भधारण के मामले देखे गए हैं. यदि गर्भावस्था के आखिरी तिमाही में कैंसर का पता चलता है, तो इस के उपचार को प्रसव के बाद तक टाला जा सकता है.

सवाल-

मैं 27 वर्षीय युवती हूं. मैं स्वस्थ हूं और नियमित व्यायाम करती हूं. जहां तक मेरे मासिकचक्र का प्रश्न है तो यह नियमित रहता है, लेकिन इस की उत्तरावस्था में माह में मुझे कम से कम 2 बार रक्तस्राव होता है, जिस में से दूसरा रक्तस्राव लंबे समय तक नहीं होता. इस के अतिरिक्त योनि से सफेद डिस्चार्ज होता है. मुझे सहवास के दौरान हलका दर्द होता है, लेकिन प्रारंभिक प्रवेश के बाद समाप्त हो जाता है. क्या मुझे ऐंडोमैट्रियल कैंसर हो सकता है? इस का उपचार क्या है?

जवाब-

27 वर्ष की अवस्था में ऐंडोमैट्रियल कैंसर की संभावना काफी कम होती है. लक्षणों का कारण पैल्विक इन्फ्लैमेटरी डिजीज है, जिस का ऐंटीबायोटिक्स द्वारा आसानी से उपचार किया जा सकता है. यदि मासिकधर्म लंबे समय तक अनियमित रहता है, तो डायलेशन ऐंड क्यूरेटेज (डीएनसी) किया जा सकता है. इस से उपचार में सहायता मिलती है.

सवाल-

मैं 33 वर्षीय महिला हूं. 3 माह की गर्भवती हूं. मुझे लगभग 2 वर्ष पूर्व गर्भपात हो गया था. मेरे गर्भाशय का आकार सामान्य से बड़ा है. मैं ने कहीं पढ़ा है कि यह कैंसर का लक्षण है. क्या मुझे कैंसर है?

जवाब-

हालांकि ये जेस्टेशनल ट्रोफोब्लास्टिक डिजीज (जीटीडी) के लक्षण हैं, लेकिन यदि आप का चिकित्सक यह सोचता है कि इस में चिंता की कोई बात नहीं है, तो फिर चिंता न करें. इस की अल्ट्रासाउंड से पुष्टि की जा सकती है. खून की कमी प्राय: गर्भावस्था के दौरान हो जाती है. आयरन से भरपूर भोजन करें. तनाव गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ठीक नहीं है.

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सवाल-

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. मेरी मां 3 माह पहले स्तन कैंसर से गुजर गई थीं. मैं स्वयं को भी कैंसर के खतरे के दायरे में मानती हूं. मैं यह जानना चाहती हूं कि मुझे कितनी पहले जांच करा लेनी चाहिए? मेरे लिए इस से बचने का कोई तरीका है?

जवाब-

आप जांच कराने में देरी न करें. अल्ट्रासाउंड किसी भी आयु में कराया जा सकता है, लेकिन मैमोग्राफी लगभग 40 वर्ष की अवस्था में कराई जानी चाहिए. बीआरसीए के उत्परिवर्तन के साथ महिलाओं के लिए सुनियोजित उपचार की अब भी खोज की जा रही है. तुरंत ओंकोलौजिस्ट से संपर्क करें.

– डा. एस. के. दास
ऐक्शन कैंसर हौस्पिटल, दिल्ली

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महिलाओं से जुड़ी बीमारियों का इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी भाभी को स्तन कैंसर है. मेरे लिए इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा कितना है?

जवाब-

आनुवंशिक कारक स्तन कैंसर होने का खतरा 5-10% तक बढ़ा देता है. अगर आप की मां, नानी, मौसी या बहन को स्तन कैंसर है तो आप के लिए इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा बढ़ सकता है. ऐसे में इन में से अगर किसी एक को स्तन कैंसर है तो बाकी सब को जरूरी जांचें कराने में देरी नहीं करनी चाहिए. लेकिन आप की भाभी को स्तन कैंसर होने से आप के लिए खतरा नहीं बढ़ता है क्योंकि आप का उन से सीधा कोई रक्त संबंध नहीं है.

सवाल-

मेरी उम्र 60 साल है. मेरी माहवारी बंद हुए 10 साल हो गए हैं. मुझे पिछले कुछ दिनों से सफेद पानी आ रहा है. यह कैंसर का लक्षण तो नहीं है?

जवाब

मेनोपौज यानी माहवारी बंद होने के बाद सफेद पानी आ सकता है. योनी से सफेद पानी निकालना हमेशा कैंसर नहीं होता. यह सामान्य संक्रमण भी हो सकता है. लेकिन अगर बहुत समय से सफेद पानी आ रहा है और बीचबीच में ब्लीडिंग भी हो रही हो तो यह कैंसर के कारण हो सकता है. आप तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. अल्ट्रासाउंड कराने के बाद ही पता चलेगा कि बच्चेदानी में कोई गांठ तो नहीं है.

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सवाल-

मुझे शारीरिक संबंध बनाने के बाद ब्लीडिंग होती है. इस का कारण क्या है?

जवाब-

शारीरिक संबंध बनाने के बाद होने वाली ब्लीडिंग सामान्य है. लेकिन अगर ब्लीडिंग अधिक हो रही है, नियमित रूप से हो रही है और माहवारी के बीच में भी हो रही है तो यह सर्वाइकल कैंसर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है. यह हमारे देश में स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में होने वाला सब से सामान्य कैंसर है. इस के मामले 30-65 वर्ष की आयु की महिलाओं में अधिक देखे जाते हैं. आप अपनी जांच कराएं तभी सर्विक्स या बच्चेदानी में मुंह पर विकसित होने वाली किसी ग्रोथ या पौलिप के बारे में पता चलेगा.

सवाल-

पिछले कुछ दिनों से मेरे पेट में बहुत दर्द है. जांच कराने पर गर्भाशय में गांठ होने का पता चला है. यह गर्भाशय के कैंसर का संकेत तो नहीं है?

जवाब-

आप ने यह नहीं बताया कि आप की माहवारी नियमित है या नहीं. माहवारी के बीच में ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है या माहवारी बंद तो नहीं हुई है. आप तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञा को दिखाएं. सब से पहले आप के गर्भाशय में जो गांठ है उस की बायोप्सी कराई जाएगी. अगर उन्हें ऐंडोमीट्रियल कैंसर की आशंका होगी तो वह पेल्विस की एमआरआई कराने को कहेंगे. उस के बाद स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.

सवाल-

मेरी उम्र 26 साल है. अल्ट्रासाउंड कराने पर पता चला है कि मेरे अंडाशय में गांठ है. क्या यह खतरनाक है?

जवाब-

अंडाशय हारमोंस से सीधे संबंधित होते हैं. हर महीने माहवारी के समय इन के आकार में बदलाव आता है. कभी इन का आकार बड़ा हो जाता है तो कभी छोटा. अगर दर्द लगातार बढ़ रहा है, कब्ज हो रही है या पेट फूल रहा है तो यह ओवेरियन कैंसर का लक्षण हो सकता है. डाक्टर आप को एक ब्लड टैस्ट ट्यूमर मार्कर कराने की सलाह देंगे. अगर यह बढ़ा हुआ है तो कैंसर की पुष्टि के लिए सीटी स्कैन कराया जाएगा.

सवाल-

मेरे परिवार में पिछले कुछ दिनों में 2 लोगों की कीमोथेरैपी हुई है. एक के बाल पूरे झड़ गए जबकि दूसरे के बाल बिलकुल नहीं झड़े हैं, ऐसा क्यों?

जवाब-

कीमोथेरैपी के बाद बाल उड़ना स्वाभाविक है. जिन के बाल झड़े हैं, उन को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि यह स्थाई नहीं है. 60% मरीजों में ऐसा होता है. यह दवाइयों और आप के शरीर से संबंधित होता है. इस के बाद जो बाल आते हैं वह पहले से अच्छे, घने और डार्क होते हैं. कीमोथेरैपी के बाद कुछ लोगों के बाल नहीं झड़ते हैं. लेकिन घबराएं नहीं. इस का कतई यह मतलब नहीं है कि कीमोथेरैपी असर नहीं कर रही है.

सवाल-

मुझे डाक्टर ने रैडिएशन थेरैपी कराने के लिए कहा है. लेकिन मुझे डर लग रहा है?

जवाब-

रैडिएशन थेरैपी के उपचार की एक बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया है. रैडिएशन हाई ऐनर्जी रेज होती हैं. इन में कोई करंट नहीं होता है. आप डरे नहीं क्योंकि इस में जलन या गरमी नहीं लगती है. सीटी स्कैन की तरह 5 मिनट के लिए मशीन में जाते हैं, फिर बाहर आ जाते हैं.

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सवाल-

मेरी उम्र 45 साल है. पिछले कुछ समय से मेरे निपल से सफेद फ्ल्यूड डिस्चार्ज हो रहा है?

जवाब-

निपल से सफेद फ्ल्यूड डिस्चार्ज होना सामान्य नहीं है.

यह स्तन कैंसर का संकेत हो सकता है. स्तन कैंसर से संबंधित जांच कराने में देरी न करें. अल्ट्रासाउंड और बाकी जांच कराने पर ही पता चलेगा कि इस का कारण स्तन कैंसर है या नहीं.

सवाल-

मेरी बेटी को स्तन कैंसर है. अभी उस की शादी भी नहीं हुई है. सुना है कीमोथेरैपी के बाद मां बनना संभव नहीं होता है?

जवाब-

युवा मरीजों में कीमोथेरैपी के बाद अंडाशय के अंडे खत्म हो जाते हैं. ऐसी महिलाएं जिन की शादी नहीं हुई है या जिन का परिवार पूरा नहीं हुआ है और वे बच्चे की इच्छुक हैं तो उन्हें अपने ओवम या अंडे फ्रीज करा लेने चाहिए ताकि बाद में इन का इस्तेमाल किया जा सके. यह जरूरी नहीं है कि अंडे आप के शरीर में इंप्लांट हो जाएं, लेकिन इस से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) से बच्चा पाना संभव है.

-डा. शुभम गर्ग

सीनियर औंकोसर्जन, फोर्टिस अस्पताल, नोएडा

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

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