पैठनी साड़ी से महाराष्ट्रियन लुक में लगाएं चार चांद, पढ़ें खबर

साड़ी में हर नारी के आभा ऐसी खिलती जैसे किसी कुम्भार ने मिट्टी में आभा उकेरी साड़ी किसी भी औरत या लड़की की किसी भी तरह के त्योहार या किसी फंगस में पहनने जाने वाली पहली पसंद होती है वैसे तो हर औरत के वॉडरोब में सिल्क, बनारसी, बांधनी, चंदेरी, कॉटन के साड़ियों का संग्रह मिल जाता है. पर कुछ और भी पारम्परिक और डिजाइन की साड़ी महिलाओं की पसंद बन सकती है.

ऐसे में औरंगाबाद के पैठन से हाथ कारीगरों के द्वारा बुनी हुई साड़ी को पैठानी साड़ी का नाम दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पैठनी साड़ी बुनने की शुरुआत पैठन से ही हुई थी, लेकिन मौजूदा समय मे महाराष्ट्र के नाशिक शहर के येवला में सबसे ज्यादा पैठनी साड़ियों को बनाया जाता है. रेशम के धागों से बुनी हुई यह सुंदर साड़ी महराष्ट्रियन शादी का एक एहम हिसा है. दुल्हन के लिए खास लाल और हरे रंग की पैठनी साड़ी का चुनाव किया जाता है. सिर्फ शादी ही नहीं बल्कि किसी भी शुभ अवसर के लिए महाराष्ट्र में पैठनी साड़ी का चलन सबसे अधिक है. लेकिन अब ये सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में इस रेशमी साड़ी को पहना जाता है. वजह है इसकी सुंदरता और रंगों का चुनाव.

काली पैठनी साड़ी

पैठनी साड़ीयो के इस सुंदर संग्रह की शुरुआत हम सबसे पहले काले रंग की पैठनी के साथ करते है, इस पैठनी साड़ी पर आपको एक बेहतरीन डिज़ाइनर ब्लाउज़ भी मिलेगा. काले रंग में सुनहरे और लाल रंग की जाने वाली कारीगरी साड़ी को खूबसूरत बनाती है.

पीली पैठनी

त्यौहारों के इस मौसम में पीला रंग पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. पीले रंग में हल्के सुनहरे रंग की बॉर्डर के साथ की जाने वाली कारीगरी साड़ी को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है. इसके पल्लू और बॉर्डर पर आपको रंग-बिरंगे फूलों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

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गुलाबी पैठनी

यह गुलाबी पैठान बिलकुल ऐसी है जैसे रेशम पर किसी खूबसूरत सी कारीगरी को बुन दिया गया हो. हेवी बॉर्डर पल्लू होने के कारण आप इसे फ्रंट पल्लू स्टाइल में भी आराम से पहन सकती हैं. इसके संग दिये हुए ब्लाउज़ पर आपको सुनहरी बूटियों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

गुलाबी हरी पैठनी

दिवाली हो या और कोई खास त्यौहार, यह पैठनी साड़ी हर मौके के लिए एकदम पर्फेक्ट चॉइस है. गुलाबी रंग को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. वजह है आप इस पैठनी को किसी भी खास और आम अवसर पर पहन सकती हैं. इस साड़ी के संग दिए हुए इसके विपरीत रंग के ब्लाउज़ ने इस साड़ी की शोभा को दुगना कर देता है.

लाल हरा पैठनी

लाल और हरे रंग का संगम हमेशा ही शानदार दिखाई देता है. लेकिन जब लाल रंग में ऐसी सुनहरी डिज़ाइन देखने को मिले तो साड़ी और भी खास हो जाती है. और इस संगम में सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि आपको ब्लाउज़ भी डिज़ाइनर ही मिलेगा.

नीली पैठनी

इस पैठनी साड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि यह डार्क ब्लू रंग में है. गहरा नीला रंग हर महिला पर सुंदर दिखाई देता है. इसकी बॉर्डर की डिज़ाइन को बैंगनी और गुलाबी रंग की कारीगरी से सजाया गया है.

हाफ वाइट पैठनी

सौम्य और खूबसूरत पैठनी साड़ी पहनने की इच्छा हो तो आप यह ऑफ व्हाइट रंग की पैठनी साड़ी को आराम से पसंद कर सकती हैं. इसके ऑफ व्हाइट रंग को संतुलित करने के लिए इसकी बॉर्डर में सुनहरे और कई सारे रंगों का प्रयोग किया गया है.

स्ट्राबेरी लाल पैठनी

स्ट्रॉबेरी रंग की यह पैठनी साड़ी युवतियों में सबसे ज्यादा चर्चित है. इसका रंग संयोजन बेहद ही कमाल का है. इसकी कारीगरी में भी आपको सुंदर फूलों का आकार दिखाई देगा.

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ग्रे पैठनी

अगर आप पैठनी के आम रंगों से हटकर किसी रंग में पैठनी पहनना चाहती है तो यह साड़ी केवल आपके लिए है. ग्रे रंग में प्रस्तुत यह साड़ी पर गोल्ड रंग की बॉर्डर शानदार लूक दे रही है.

चेक डिजाइन पैठनी

जितनी खूबसूरत यह चेक्स पैटर्न में पैठनी साड़ी है उससे कई ज्यादा सुंदर इसका ब्लाउज़ है. इस ब्लाउज़ को आप अपनी दूसरी रेशमी और पैठनी साड़ियों के संग पहन
सकती हैं.

FESTIVE SPECIAL: कहां-कैसी साड़ियां

समय के साथ बदला स्वरूप साड़ी की उत्पत्ति करीब दो हजार साल पहले उत्तर भारत में हुई थी. शुरुआती दौर में यह सफेद रंग की एकदम प्लेन होती थी. उस दौरान इसे धोती कहा जाता था. तब पुरुष भी इसी वस्त्र को पहना करते थे. जनाने-मर्दाने का विभेद करने के लिए बाद में इसमें किनारे बनाई जाने लगी. पुरुषों की धोती में छोटी और महिलाओं की साड़ी में मोटी किनारी. शुभ कार्यो में साड़ी को रंग कर पहना जाने लगा. राजा-महाराजा जहां इसे केसर में रंगवाते थे तो आम प्रजा हल्दी में रंगकर पहनने लगी. इसके बाद रंगों का आविष्कार हुआ तो साड़ी का यौवन परवान चढ़ने लगा. कभी प्रिंटेड तो कभी प्लेन साड़ी का दौर आया. मौजूदा समय में नेट की साड़ियों की सबसे ज्यादा मांग है. इसके साथ-साथ ब्राोकेड, टिश्यू, जार्जट, क्रेपकॉटन की भी अच्छी मांग है.

भारत में जैसा देश, वैसा वेष की तर्ज पर विभिन्न इलाकों में भिन्न-भिन्न तरह की साड़ियां पहनी जाती है. इनका पहनावा भौगोलिक स्थिति, पारंपरिक मूल्यों और रुचियों पर निर्भर करता है. अलग-अलग शैलियों की साड़ियों में कांजीवरम, बनारसी, पटोला, हकोबा, चंदेरी, माहेश्वरी, मधुबनी, मूंगा, पैथानी, तांची, जामदानी, बालू व कांथाटैगेल साड़ियां प्रमुख है.

– उत्तर प्रदेश में बनारसी साड़ियों का कारोबार व्यापक पैमाने पर होता है. बनारस और इसके आसपास के क्षेत्र चंदौली, मिर्जापुर और भदोही में अरसे से साड़ियां तैयार की जा रही है जो प्योर सिल्क से बनाई जाती है. बनारसी साड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है. इन साड़ियों का बड़े पैमाने पर दुनिया भर में निर्यात भी किया जाता है. इसके अलावा लखनऊ की चिकन एम्ब्राइडरी साड़ी प्रसिद्ध है.

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– राजस्थान में बंधेज और कोटा साड़ियों का निर्माण किया जाता है. कोटा साड़ी को कोटा डोरिया के नाम से भी जाना जाता है. पहले ये साड़ियां प्योरकॉटन से तैयार की जाती थीं लेकिन अब सिंथेटिक में भी बनाई जा रही है.

– गुजरात के पाटन में पटोला साड़ी बनाई जाती है. राज्य के सूरत, अहमदाबाद और बडोदरा में बड़े पैमाने पर सिंथेटिक और प्रिंटेड साड़ियां बनाई जाती है.

– महाराष्ट्र की पैथानी साड़ी खूब लोकप्रिय है. आंध््रा प्रदेश और कर्नाटक में पोचमपल्ली साड़ी गांव-गांव में पीढ़ियों से बनाई जा रही है. बाजार में इसकी कई रेंज मौजूद है. यहां विशेष साड़ियों पर जरी, मूंगा और सोने के धागे से वर्क किया जाता है.

– दक्षिण भारत की साउथ सिल्क, कांजीवरम की साड़ियां काफी प्रसिद्ध है.

– मध्य प्रदेश की बनी हुई चंदेरी और माहेश्वरी साड़ियों की दुनिया भर में अच्छी मांग है.

– कलकत्ता में बनने वाली हैडलूम की साड़ियां महिलाओं को खूब भाती है.

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