सावधान! कोरोना का नया रूप, आखिर क्या है म्यूकोर माइकोसिस ?

कोरोना के कहर से पूरा देश मानो मौत के साए में है हर पल….हर जगह अस्पताल बेहाल हैं. कई अस्पतालों का ये हाल है कि वहां पर बेड नहीं मिल रहा है. दवाइयां और ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना के मरीज पल-पल दम तोड़ रहे हैं. श्मशान में लाशों की लाइने लग रही हैं. अभी तक जो लोग कोरोना से ठीक हो रहे थें वो खुश थें कि चलो ठीक हो गए लेकिन अब ख़बर है कि शरीर से कोरोना के जाने के बाद भी इंसानों की जान जा रही है क्योंकि एक और बीमारी मरीजों के शरीर में अपनी जगह बना रही है. जिसे कोरोना का नया रूप कह सकते हैं.किसी ने सोचा भी नहीं होगा शायद कि कोरोना का कहर ऐसा होगा कि कोरोना से जंग जीतने के बाद भी इंसान ठीक नहीं होगा और मौत उसे अपने गले लगाने के लिए घात लगा कर बैठी है. कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीज आंख, नाक या जबड़ा गवां बैठ रहा है. यहां तक कि जिंदगी की जंग भी हार जाएगा..लेकिन दिल्ली से लेकर गुजरात तक ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं. अब जाहिर है कि आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि आखिर ये बला क्या है ? कौन सी बीमारी है ? जो कोरोना के जाने के बाद भी लोगों की जान ले लेता है. दरअसल इस बीमारी का नाम है “म्यूकोर माइकोसिस” जो कि बहुत ही खतरनाक साबित हो रहा है इतना ही नहीं कोरोना से ठीक हुए मरीजों की जान तक ले रहा है ये.

आखिर क्या है ये म्यूकोर माइकोसिस ?

दरअसल म्यूकोर माइकोसिस एक तरह का फंगल इन्फेक्शन है इसे ब्लैक फंगल इन्फेक्शन कहते हैं. कोरोना से जो मरीज ठीक हुए हैं उनमें ही ये इंफेक्शन पाया जा रहा है जिसके कारण डॉक्टर्स भी काफी परेशान हैं. अगर कोरोना से ठीक हुए व्यक्ति की नाक बंद रहती है, आंख या गाल में सूजन है और नाक में काली पपड़ी पड़ रही है तो इसका मतलब है कि आपको म्यूकोर माइकोसिस नाम का इंफेक्शन हो चुका है. फौरन सतर्क हो जाने वाली बात है .सीधा डॉक्टरों से संपर्क करें..क्योंकि इसके चलते आंखों में सूजन, आंखों के चिपकने की समस्या, धुंधला दिखना..और नाक में भी सूजन और तेज दर्द हो जाता है और तकलीफ इस हद तक बढ़ जाती है कि फिर ये मरीज की जान लेकर ही दम लेता है.डॉक्टरों के मुताबिक कुछ मरीजों की आंखों की रोशनी खत्म हो सकती है. नाक और जबड़े की हड्डी भी खत्म हो सकती है. ऐसे में मरीजों के जबड़े, नाक की हड्डियां, आंखें तक निकालनी पड़ जाती हैं. यहां तक कि दिमाग में म्यूकोर माइकोसिस के पहुंचने पर मरीज की मौत भी हो जाती है.

ये भी पढ़ें- मां बनने के लिए इनसे बचना है जरूरी

कोरोना के साइड इफेक्ट, के कारण ये फंगल इंफेक्शन दिमाग तक पर असर करता है. एक खबर के मुताबिक अहमदाबाद सिविल अस्पताल की डॉ. बेला बेन प्रजापति ने इसके लक्षण और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया.इतना ही नहीं दिल्ली में भी पिछले कुछ दिनों में ऐसे कई केस सामने आए. गुजरात में भी इस बीमारी की चपेट में कई लोग आ रहे हैं.

2 दिनों में दिल्ली में इस इंफेक्शन से पीड़ित 6 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. दिसंबर में भी सर गंगाराम हॉस्पिटल सहित कई अस्पतालों में कोरोना से रिकवर हुए मरीजों में म्यूकोर माइकोसिस नाम के फंगल इंफेक्शन के काफी केस देखने को मिले थे. तब इस बीमारी से कुछ मरीजों के आंखों की रोशनी भी चली गई थी और कई मरीजों की नाक और जबड़ा भी निकालना पड़ा था और अब हर स्टेट में ऐसे केस बढ़ते ही जा रहे हैं. खबरों के मुताबिक सूरत में 15 दिन के अंदर ऐसे 40 से अधिक केस सामने आए हैं. जिनमें 8 मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी हैं.

अहमदाबाद में अब तक ऐसे 60 से ज्यादा मरीजों की पहचान की गई है. जो म्यूकोर माइकोसिस की चपेट में आ गए हैं. इनमें से 9 लोगों की मौत भी हो चुकी है और तीन की आंखों की रोशनी जा चुकी है..ऐसे 30 से ज्यादा मरीज सिविल अस्पताल में भर्ती हैं. लोगों का ये मानना है कि कोरोना की दूसरी लहर में ये बीमारी ज्यादा सामने आ रही है. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज अगर आंख दर्द, सिर दर्द और गाल के सूजन को इग्नोर करता है.तो ये लापरवाही मरीज को भारी पड़ सकती है और उसकी मौत हो सकती है.

डॉक्टर्स का कहना है कि जुकाम वगैरह होने पर जो मरीज घर में ही इलाज शुरू कर रहे हैं वो खतरनाक भी हो सकता है. ऐसा होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने में ही भलाई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक म्यूकोर माइकोसिस नाम का फंगल इन्फेक्शन कोरोना ठीक होने के बाद पहले साइनस में होता है और 2 से 4 दिन में आंख तक पहुंच जाता है. इसके 24 घंटे के भीतर ये ब्रेन तक पहुंच जाता है.चूंकि साइनस और आंख के बीच हड्डी होती है. इसलिए आंख तक पहुंचने में इसे दो से ज्यादा दिन लगते हैं…आंख से ब्रेन के बीच कोई हड्डी नहीं होने से ये सीधा ब्रेन में पहुंच जाता है और आंख निकालने में देरी होने पर मरीज की मौत हो जाती है. जुकाम होने पर इसका असर कुछ इस तरह होता है कि कुछ समय बाद कफ जम जाता है और फिर नाक के पास गांठ बन जाती है.. इस गांठ का सीधा असर आंखों पर होता है, जिसके बाद आंखें चिपकने लगती हैं और सिर में तेज दर्द होने लगता है.. इसीलिए आंख, गाल में सूजन और नाक में रुकावट या नाक में काली सूखी पपड़ी पड़ने के तुरंत बाद एंटी-फंगल थैरेपी शुरू करा देना चाहिए.एक खबर के मुताबिक ….कोरोना के जो मरीज पहले से किसी न किसी बीमारी का शिकार हैं या फिर कोविड मरीजों के इलाज में अधिक स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जा रहा है तो इन कारणों से म्यूकोर माइकोसिस नाम का फंगल इंफेक्शन हो सकता है.. जिन कोविड मरीजों की इम्युनिटी कम है… वो सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं.. कुल मिलाकर लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है तभी इस कोरोना से छुटकारा मिलेगा और इस फंगल इंफेक्शन से भी.

ये भी पढ़ें- Summer Special: गरमी में फूड पौइजनिंग से बचाएंगी ये 5 चीजें

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें