स्पोर्ट्स ब्रा से बदल गई खेलों में महिलाओं की कामयाबी की कहानी

पिछले दिनों इंग्लैंड के साथ एकमात्र क्रिकेट टेस्ट में 17 साल की शेफाली वर्मा छायी रहीं. उनकी तुलना बार बार सचिन और सहवाग जैसे भारत के सर्वकालिक दिग्गज क्रिकेटरों से होती रही. लेकिन यह एक शेफाली वर्मा की ही बात नहीं है. हाल के दशकों में देखें तो शायद ही कोई ऐसा खेल हो जिसमें महिलाओं ने पुरुषों के लगभग बराबरी जितना प्रदर्शन न किया हो. यहां तक कि जिन्हें हम पावर गेम्स कहते हैं- टेनिस, बैडमिंटन, क्रिकेट और हाॅकी, इन सब खेलों में भी कई तेजतर्रार महिला खिलाड़ियों ने कई महान पुरुष खिलाड़ियों के रिकाॅर्ड ध्वस्त किये हैं. बहुत सी महिला खिलाड़ियों ने पुरुषों को सीधे सीधे उसी खेल में हराया भी है.

आप कह सकते हैं इसमें कौन सी बड़ी बात है. आज भला कौन सा ऐसा क्षेत्र है, जिसमें महिलायें पुरुषों की बराबरी करती न दिख रही हों. बात सही है. लेकिन खेलों का मामला थोड़ा अलग है. क्योंकि खेल महज आपकी हिम्मत, कौशल और दिमागी ताकत पर ही निर्भर नहीं होते बल्कि खेल बहुत कुछ शारीरिक गठन,क्षमता और फुर्तीलेपन का भी नतीजा होते हैं. महिलाओं और पुरुषों में लंबे समय तक खेल की दुनिया में अगर गैरबराबरी रही तो उसकी एक बड़ी वजह महिलाओं के ब्रेस्ट थे. महिलाएं जब किसी भी खेल में जी जान लगाकर प्रदर्शन कर रही होती हैं, उस समय उनके हिलते स्तन न सिर्फ उनका कंसनट्रेशन तोड़ते हैं बल्कि शारीरिक रूप से थकाते भी हैं और बाधाएं भी खड़ी करते हैं.

वैसे कहने को तो प्राचीन रोम में भी महिला खिलाड़ियों को खेल के दौरान स्तनों को कसकर बांधे रखने के लिए आधुनिक ब्रा जैसी ही चीजें विकसित की गई थीं. लेकिन सब कुछ के बावजूद ये चीजें महिलाओं के लिए सुरक्षित व आरामदेह नहीं थीं. पहली व्यावसायिक रूप से उपलब्ध स्पोर्ट्स ब्रा “फ्री स्विंग टेनिस ब्रा” थी, जिसे 1975 में ग्लैमरिस फ़ाउंडेशन, इंक. द्वारा पेश किया गया था. लेकिन यह पॉवर गेम के लिए आधुनिक अनुकूल स्पोर्ट्स ब्रा सरीखी नहीं थी,यह एक सामान्य व्यायाम ब्रा, थी जिसे शुरू में “जॉकब्रा” कहा जाता था.  1977 में, इसमें कई किस्म के सुधार लिसा लिंडाहल और थिएटर कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर पोली स्मिथ ने किया. इस काम में स्मिथ की सहायक हिंडा श्राइबर की भी मदद ली गयी.

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दरअसल लिंडाहल और उसकी बहन, विक्टोरिया वुडरो दोनों को  साधारण ब्रा में व्यायाम करने के अपने बुरे अनुभव थे. इससे उनके स्तनों में  झनझनाहट और दर्द होता था. लिंडाहल और स्मिथ ने एक बेहतर विकल्प की खोज के दौरान पाया कि महिलाओं के स्तनों के लिए एक जॉकस्ट्रैप की आवश्यकता थी. विकीपीडिया के मुताबिक़  वर्मोंट विश्वविद्यालय में रॉयल टायलर थिएटर की पोशाक की दुकान में, लिंडाहल और स्मिथ ने वास्तव में दो जॉकस्ट्रैप को एक साथ सिल दिया और इसे “जॉकब्रा” नाम दिया. बाद में इसका नाम बदलकर “जोगबरा” कर दिया गया. हालांकि अब भी यह पूरी तरह से आधुनिक ब्रा नहीं थी. लेकिन दो त्रिकोणियों पट्टियों को आपस में जोड़ देने से इसने महिलाओं के स्तनों को संभालने में ज्यादा सहूलियत प्रदान की. इस ब्रा के चलते जब महिलाएं व्यायाम करते समय इतने झटके नहीं लगते, जितने झटक साधारण ब्रा में लगते थे. इसने महिला खिलाड़ियों को बड़ी राहत दी, क्योंकि खेल के दौरान ताकतवर स्ट्रोक लगाते समय अब उनके स्तन उस तरह हिलते डुलते नहीं थे,जैसे पहले हिलते थे.

इससे महिलाओं के खेल और फिटनेस दोनो में फर्क आया. महिलाएं अब पहले से ज्यादा फिट रहने लगीं और उनका खेल निखरने लगा. बाद के दिनों में एरगोनाॅमिक्स की परिपक्वता और दुनियाभर में खेलों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण आधुनिक स्पोर्ट ब्रा में लगातार सुधार हुए और आज यह खेलों के बेहद अनुकूल है. आज स्पोर्ट ब्रा न सिर्फ महिला खिलाड़ियों के व्यक्तित्व में चार चांद लगा रही है बल्कि जबरदस्त शारीरिक लोच-लचक वाले खेलों से पहले जहां  महिलाओं के स्तनों के निप्पल चोटिल हो जाते थे, उस समस्या को भी इसने हल कर दिया है. यही वजह है कि आज स्पोर्ट ब्रा न सिर्फ महिला खिलाड़ियों के लिए बल्कि दूसरी आम घरेलू महिलाओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण इनर वियर के रूप में सामने आयी है. इसकी बदौलत आज कोई महिला वैसे ही सब काम कर सकती है, जैसे बिना स्तनों वाले पुरुष करते हैं. पहले महिलाएं दौड़ते समय बहुत परेशान होती थीं. क्योंकि स्तनों के हिलने डुलने से उनके मिगामेंट्स खिंच जाते थे. यही नहीं पहले जब महिलाएं लगातार वर्कआउट करती थीं तो उनके स्तनों का आकार खराब हो जाता था, वे लटक जाते थे. अब ये सब समस्याएं अतीत हो चुकी हैं. स्पोर्ट्स ब्रा ने एक किस्म से आज महिला खिलाड़ियों को ही नहीं किसी भी महिला को बहुत बड़ी ताकत दी है.

स्पोर्ट्स ब्रा ने शारीरिक व्यायाम को महिलाओं के लिए आसान और अनुकूल बना दिया है. स्पोर्ट्स ब्रा बिना पहने एक्सरसाइज करने से महिलाओं को कई तरह के नुक्सान होते हैं ,जिससे इसने छुटकारा दिला दिया है. स्पोर्ट्स ब्रा हर तरह के  स्पोर्ट्स में महिलाओं को सहयोग करती है. इससे अब महिलाओं के शरीर में दर्द नहीं होता, जैसे पहले हुआ करता था. सिर्फ स्तनों में होने वाले दर्द को ही नहीं स्पोर्ट्स ब्रा ने महिलाओं के कमर में होने वाले दर्द को भी खत्म किया है. खेलों के अलावा शारीरिक श्रम वाली गतिविधियों में भी स्पोर्ट्स ब्रा का सपोर्ट मिलता है. क्योंकि स्पोर्ट्स ब्रा से स्तनों का मूवमेंट खत्म या बिलकुल कम हो जाता है जिससे स्तनों के लिगामेंट्स में कोई असर नहीं पड़ता. स्पोर्ट्स ब्रा पसीने और तापमान को भी नियंत्रित करती है. हां, यह महंगी जरूर काफी होती है क्योंकि एडवांस टेक्नोलॉजी और बहुत अच्छा फैब्रिक इस्तेमाल होता है.

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