21मई को गोवा के कोर्ट द्वारा तहलका पत्रिका के प्रधान संपादक तरुण तेजपाल अपने पर 8 सालों से चल रहे बलात्कार के केस से बरी हो गए. 2013 में तरुण तेजपाल ने गोवा में तहलका पत्रिका के एक महाआयोजन के बीच एक पांचसितारा होटल की लिफ्ट में और होटल के कारिडौर में कम उम्र की एक सहकर्मी के साथ जिस तरह की अश्लील हरकतें की थीं, वे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत बलात्कार की श्रेणी में आती हैं. गोवा पुलिस ने 30 नवंबर, 2013 को तेजपाल को गिरफ्तार किया था, मगर कुछ वक्त जेल में काटने के बाद फरवरी, 2014 से जमानत पर चल रहे थे.

तरुण तेजपाल पर गोवा की पुलिस उपाधीक्षक सुनीता सावंत द्वारा आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत मंशा से कैद करना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), 376 (2) (महिला पर अधिकार की स्थिति रखने वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) और 376 (2) (के) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत यह मुकदमा दर्ज कराया गया था, मगर कोर्ट में वे इन में से किसी भी धारा के तहत दोषी साबित नहीं हुए.

क्या सुबूतों को मिटाया गया

उल्लेखनीय बात यह है कि यह मुकदमा गोवा पुलिस ने मीडिया में आई खबरों और प्रसारित वीडियो के चलते खुद संज्ञान ले कर दर्ज किया था. आखिर गोवा पुलिस की क्या दुश्मनी थी तरुण तेजपाल से कि जब उन्होंने कुछ किया ही नहीं था तो इतनी संगीन धाराओं में उन पर मुकदमा ठोंक दिया और 2,846 पन्नों की चार्जशीट लिख मारी?

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...