Summer Special: नेचुरल खूबसूरती की छटा बिखेरता डलहौजी

अंगरेजों ने अपने शासनकाल के दौरान हिल स्टेशन तब बनवाए जब वे देश की भीषण गरमी से उकता गए. गरमी के मौसम में सुकून भरे पल किसी ठंडी और शांत जगह पर बिता सकें, इस के लिए देश के पहाड़ी इलाकों में खूबसूरत और मनोरम ठिकानों की तफ्तीश कर उन्होंने देश में हिल स्टेशन परंपरा शुरू की. आज भी देश में पर्यटन के सब से मजेदार और मनभावन ठिकाने यही स्टेशन माने जाते हैं. डलहौजी इसी हिल स्टेशन परंपरा का एक हिस्सा है.

डलहौजी का पर्वतीय सौंदर्य सैलानियों के दिल में ऐसी अनोखी छाप छोड़ देता है कि यहां बारबार आने का मन करता है. 19वीं सदी में अंगरेज शासकों द्वारा बसाया गया यह टाउन अपने ऐतिहासिक महत्त्व और प्राकृतिक रमणीयता के लिए जाना जाता है. यहां मौजूद शानदार गोल्फ कोर्स, प्राकृतिक अभयारण्य और नदियों की जलधाराओं के संगम जैसे अनेक स्थलों के आकर्षण में बंधे हजारों पर्यटक हर वर्ष आते हैं.

प्राकृतिक सौंदर्य, मनमोहक आबोहवा, ढेरों दर्शनीय स्थल और देवदार के घने जंगलों से घिरा डलहौजी, हिमाचल प्रदेश के चंपा जिले में स्थित खूबसूरत हिल स्टेशन है. यह स्थल 5 पहाडि़यों कठलौंग, पोट्रेन, तेहरा, बकरोटा और बलून पर बसा है.

समुद्रतल से 2 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह टाउन 13 किलोमीटर के छोटे से क्षेत्रफल में फैला है. एक ओर दूरदूर तक फैली बर्फीली चोटियां तो दूसरी ओर चिनाब, व्यास और रावी नदियों की कलकल करती जलधारा, मनमोहक नजारा पेश करती है.

पंचपुला और सतधारा

डलहौजी से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, पंचपुला. इस का नाम यहां पर मौजूद प्राकृतिक कुंड और उस पर बने छोटेछोटे 5 पुलों के आधार पर रखा गया है. यहां से कुछ दूरी पर एक अन्य रमणीय स्थल सतधारा झरना स्थित है. किसी समय तक यहां 7 जलधाराएं बहती थीं. लेकिन अब केवल एक ही धारा बची है. बावजूद इस के, इस झरने का सौंदर्य बरकरार है. माना जाता है कि सतधारा का जल प्राकृतिक औषधीय गुणों से भरपूर और अनेक रोगों का निवारण करने की क्षमता रखता है.

खजियार का सौंदर्य

डलहौजी हिल स्टेशन की यात्रा बगैर खजियार देखे अधूरी ही लगती है. यह स्थल डलहौजी से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. दरअसल, खजियार उस मनमोहक झील के लिए प्रसिद्ध है जिस का आकार तश्तरीनुमा है. यह स्थल देवदार के लंबे और घने जंगलों के बीच स्थित है.

गोल्फ खेलने के शौकीन पर्यटकों को यह स्थान विशेषरूप से पसंद आता है, क्योंकि यहां एक शानदार गोल्फ कोर्स भी मौजूद है. इस के साथ ही व्यास, रावी और चिनाब नदियों का अद्भुत संगम यहां से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित डायनकुंड में देखा जा सकता है. यह डलहौजी का सब से ऊंचा स्थल है.

चंबा का दिल कहे जाने वाले हरियाले चैगान के एक छोर पर बने हरिराय मंदिर में अद्वितीय कलाकौशल की झलक देखने को मिलती है. यहीं पर भूरी सिंह संग्रहालय है, जहां ऐतिहासिक दस्तावेज, पेंटिंग्स, पनघट शिलाएं, अस्त्रशस्त्र और सिक्के संग्रहीत हैं.

आकर्षक है डलहौजी का जीपीओ इलाका

डलहौजी का जीपीओ इलाका भी काफी चहलपहल भरा माना जाता है. जीपीओ से करीब 2 किलोमीटर दूर सुभाष बावली है. कहा जाता है कि इस जगह पर सुभाष चंद्र बोस करीब 5 महीने रुके थे. इस दौरान वे इसी बावली का पानी पीते थे. यहां से बर्फ से ढके ऊंचे पर्वतों का विहंगम नजारा देखते ही बनता है. सुभाष बावली से लगभग आधा किलोमीटर दूर स्थित जंध्री घाट में मनोहर पैलेस ऊंचेऊंचे चीड़ के पेड़ों के बीच स्थित है. यह जगह चंबा के पूर्व शासक के पैलेस के लिए भी प्रसिद्ध है.

कब जाएं

डलहौजी का मौसम वैसे तो साल भर सुहाना रहता है, लेकिन सब से उपयुक्त समय अप्रैल से जुलाई और अक्तूबर से दिसंबर के बीच का माना जाता है.

-राजेश कुमार, अशोक वशिष्ठ

ये भी पढ़ें- Travel Special: घूमने जाते समय मददगार साबित होंगे ये 15

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें