पूजा चोपड़ा इंटरव्यू: आसान नहीं था मिस इंडिया से बौलीवुड तक का सफर

पूजा चोपड़ा उन हजारों लड़कियों में से एक है, जिनके जन्म से पिता खुश नहीं थे, क्योंकि वे एक बेटे के इंतजार में थे. यही वजह थी कि पूजा की मां नीरा चोपड़ा अपने दोनों बेटियों के साथ पति का घर छोड़ दिया और जॉब करने लगीं. इस दौरान परिवार के किसी ने उनका साथ नहीं दिया, पर उनकी मां ने हिम्मत नहीं हारी और एक स्ट्रोंग महिला बन दोनों बेटियों की परवरिश की. आज बेटी और अभिनेत्री पूजा अपनी कामयाबी को मां के लिए समर्पित करना चाहती हैं और जीवन में उनकी तरह ही स्ट्रोंग महिला बनने की कोशिश कर रही हैं.

असल में पूजा चोपड़ा एक भारतीय मॉडल-फिल्म अभिनेत्री हैं. वह वर्ष 2009 की मिस फेमिना मिस इंडिया का ताज अपने नाम कर चुकी हैं. पूजा चोपड़ा का जन्म 3 मई वर्ष 1986 पश्चिम बंगाल के कोलकात्ता में हुआ था. पूजा चोपड़ा ने अपनी शुरुआती पढाई कोलकाता और पुणे से पूरी की है. कई ब्यूटी पेजेंट जीतने के बाद उन्होंने मॉडलिंग शुरू की और धीरे-धीरे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी साख जमाई. मृदु भाषी और हंसमुख पूजा ने अपने जीवन के संघर्ष और फिल्म ‘जहां चार यार’के बारें में गृहशोभा के साथ शेयर करते हुए कहा कि ये मैगजीन मेरे घर में आती है,पुणे में रहने वाली मेरी नानी और मां इसे पढ़ती है, मैंने भी कई बार पढ़ी है, इसके सभी लेख आज के ज़माने की होती है, जो महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.

मानसिकता कम करना है जरुरी

अभिनेत्री पूजा आगे कहती है कि इस फिल्म की कहानी आज की है, केवल लखनऊ की नहीं, बल्कि मुंबई, पुणे, दिल्ली आदि में भी रहने वाली कुछ महिलाओं की हालत ऐसी ही होती है. आज भी पत्नी ऑफिस से आने पर घर के लोग, उसके ही हाथ से बने खाने का इंतजार करते है, ये एक मानसिकता है, जो हमारे देश में कायम है, इसे मनोरंजक तरीके से इस फिल्म में बताने की कोशिश की गई है. स्क्रिप्ट बहुत अच्छी है और मैंने इसमें एक मुस्लिम लड़की की भूमिका निभाई है, जो आत्मनिर्भर होना चाहती है.देखा जाय तो रियल लाइफ में मुस्लिम लड़कियों को बहुत दबाया जाता है, ऐसे में मेरे लिए एक मुस्लिम लड़की की भूमिका निभाना बड़ी बात है, क्योंकि मैं भी स्ट्रोंग और आत्मनिर्भर हूं. इससे अगर थोड़ी सी भी मेसेज प्रताड़ित महिलाओं को जाएँ, जो खुद को बेचारी समझती है और सहती रहती है,तो मुझे ख़ुशी होगी.

https://www.instagram.com/p/Cg0-4Krjlns/?utm_source=ig_web_copy_link

अलग चरित्र करना है जरुरी

पूजा हंसती हुई कहती है कि इससे चरित्र से मेरा कोई मेल नहीं है, ये लड़की सकीना शादी-शुदा है और अंदर से खाली है. शादी के बाद उसके मायके वालों से उसका कोई रिश्ता नहीं है. उनकी एक गूंगी सास और पति है, वह घर पर खुद को स्ट्रोंग दिखाती है, पर अंदर से कमजोर है. उस पर काफी जुल्म होता है, पर वह घर से निकल नहीं सकती. इसका सबसे अधिक और बड़ा उदहारण मेरी मां नीरा चोपड़ा है, जिसने दो बेटियों को लेकर बाहर निकल आई. एक पल के लिए उन्होंने कुछ सोचा नहीं, उन्होंने कई बड़ी-बड़ी होटलों में काम किया है. आज भी वह काम करती है. इस फिल्म में सकीना अंदर से कमजोर है, उसका कोई इस दुनिया में नहीं है, पति और सास उसपर अत्याचार के रहे है अब उसके पास 3 आप्शन है, या तो वह इसे सहती जाय, कुछ बोली तो घर से निकाल दिया जाएगा और घर से निकालने पर वह जायेगी कहा. अकेली कमजोर होते हुए खुद को मजबूत जाहिर करना बहुत चुनौतीपूर्ण था.

बदलाव को करें सेलिब्रेट

पूजा कुछ बदलाव आज देखती है और कहती है कि पारंपरिक परिवारों में आज भी महिलाओं पर अत्याचार होते रहते है, लेकिन इसके लिए किसी पर ऊँगली उठाना ठीक नहीं. दूसरों को कहने से पहले खुद को सम्हालना जरुरी है. अभी बहुत कुछ बदला है. आज महिलाओं को काफी घरों में सहयोग मिलता है. इसे सेलिब्रेट करने की जरुरत है. पूरी बदलावहोने में समय लगेगा. विश्व प्लेटफार्म पर आजकल शादी-शुदा महिला को भी ब्यूटी कांटेस्ट में भाग लेने का मौका मिलता है, ये बहुत बड़ी बदलाव है.

मिली प्रेरणा

पूजा ने कॉलेज में एक्टिंग या मॉडलिंग के बारें में दूर-दूर तक सोचा नहीं था, क्योंकि स्कूल कॉलेज में वह टॉम बॉय की तरह थी. लेकिन उसकी हाइट अधिक होने की वजह से उन्होंने कई फैशन शो और ब्यूटी कांटेस्ट में भाग लिया और जीत भी गई.पुणे में उन्होंने काफी प्रतियोगिताए जीती इससे उनके अंदर एक कॉन्फिडेंस आया. आसपास के दोस्त और रिश्तेदारों ने भीबड़ी-बड़ी होर्डिंग मर पूजा की तस्वीरें देखकर तारीफ़ करने लगे फिर उन्होंने  एक्टिंग की तरफ आने के बारे में सोचा.

https://www.instagram.com/reel/CiHNnn0jJcW/?utm_source=ig_web_copy_link

मिला सम्मान

अभिनेत्री पूजा कहती है कि मैंने मिस इंडिया के लिए काफी मेहनत की थी, क्योंकि मुझे जीतना था और मिस वर्ल्ड में देश की प्रतिनिधित्व करना था. मैं पहली भारतीय थी, जिन्होंने ब्यूटी विथ पॉर्पोज अवार्ड जीती थी. मिस इंडिया के बाद फिल्मों के ऑफर आने लगे थे और मैंने किया. मिस इंडिया जीतने से लोगों के बीच एक सम्मान और ओहदा मिला, जो एक नार्मल पूना से आई हुई लड़की को नहीं मिलता. किसी से मिलना चाहती हूं तो वो इंसान टाइम देता था. इससे जर्नी थोड़ी आसान हो गयी थी, लेकिन बाद में टैलेंट ही आपको आगे ले जाती है.

काम में पूरी शिद्दत

पूजा का कहना है कि मैं आउटसाइडर हूं, इसलिए मुझे सोच-सोचकर कदम बढ़ाना है ये मैं जानती थी. इसके अलावा मैंने अपनी मां से शिद्दत और मेहनत से काम करना सीखा है. मुझे सोशलाईज होना  पसंद नहीं, मेहनत और लगन  से ही काम करना आता है. मैं जिस किसी काम को आज तक किया, उसमे मैंने सौप्रतिशत कमिटमेंट देना सीखा है.

करती हूं सोशल वर्क

सोशल वर्क करने के बारें में अभिनेत्री पूजा बताती है कि सोशल वर्क मैं करती हूं, क्योंकि ऐसी कई लडकियां होंगी, जो मेरी तरह ऐसी माहौल से गुजरी होंगी, मेरी मां की तरह उन्होंने भी कष्ट झेले होंगे, या कही अनाथ होंगी. ऐसे में मैं उनकी कुछ मदद कर सकूँ, तो वह मेरे लिए अच्छी बात होगी. मैं अपने स्तर पर जो संभव हो करती जाती हूं.

https://www.instagram.com/p/CelUJ-BjsKL/?utm_source=ig_web_copy_link

मिला परिवार का सहयोग

पूजा के जीवन में उसकी मां और दीदी का बहुत सपोर्ट रहा, जिसकी वजह से वह यहाँ तक पहुँच पाई है. वह कहती है कि मेरा सपना हैं कि मेरी मां का 12 घंटे काम कर थक जाना अच्छा नहीं लगता, मैं उन्हें एक ऐसी जिंदगी दे दूँ,जिसमे वह खुश होकर अपनी जिंदगी बिता सकें और कहे कि अब मैं बहुत खुश हूं,मैंने देखा है कि मेरी मां खुश होने पर ग्लो करती है. मेरी दीदी जॉब करती है. उन्होंने भी मुझे यहाँ तक आने में बहुत सहयोग दिया है, जब मैं 7 वीं कक्षा में थी तो मेरी दीदी उस समय कॉलेज जाती थी. उन्होंने सुबह 4 बजे उठकर शेयर रिक्शा में पुणे में 6 से 7 किलोमीटर कैंट एरिया में जाकर अखबार वितरित करती थी. उससे आए एक्स्ट्रा पैसे से मैंने ट्यूशन लिया, क्योंकि मैं हिंदी और मराठी में बहुत कमजोर थी. मेरी दीदी मुझसे 4 साल बढ़ी है और उन्होंने मुझे नहलाना, धुलाना, खाना खिलाना आदि करती थी, क्योंकि मां जॉब करती थी और सुबह निकलकर रात को आती थी. इस तरह से मेरी दो माएं है.

खुद के सपने को खुद करें पूरा

पूजा महिलाओं को मेसेज देना चाहती है कि खुद को पुरुषों से कभी कम न समझे, जो भी सपना उन्होंने देखा है, उसे उठकर खुद पूरा करें, खुद में आत्मविश्वास रखें. अभी महिलाएं,वार फील्ड से लेकर हर क्षेत्र में काम कर रही है. पुरुषों को चाहिए कि वे महिलाओं को आगे आने में सपोर्ट करें, लड़कियों को लड़कों से कभी कम न आंके.

Mother’s Day 2020: मैं अपनी मां के त्याग को कभी नही भुला सकती- पूजा चोपड़ा

भारत में सदियों से ‘पितृसत्तात्मक सोच’के साथ साथ ‘वंश चलाने के लिए लड़की नहीं लड़का चाहिए’की सोच हावी रही है. इसी सोच के साथ लड़की के पैदा होते ही उसे मार दिया जाता रहा. अथवा लड़कियो की भ्रूण हत्याएं होती रही हंै. इसी चलन के चलते पूरे देष के अन्य राज्यों के मुकाबले पंजाब और हरियाणा में लड़कों के अनुपात में लड़कियों की संख्या बहुत कम रहती रही. यह अलग बात है कि कुछ वर्षों में इसमें सुधार आया है. अब कई नए कानून बनने व वक्त के साथ आए सामाजिक बदलाव के चलते लड़के व लड़कियों में काफी समानता की बातें होने लगी है.

मगर आज से पैंतिस वर्ष पहले 2009 की ‘मिस इंडिया’ विजेता और चर्चित फिल्म अभिनेत्री पूजा चोपड़ा का जब पंजाबी परिवार में जन्म हुआ था, तो उनके पिता ने लड़की होने के नाते उन्हे मार डालने की कोशिश की थी. पर पूजा चोपड़ा की मां नीरा चोपड़ा के विरोध के चलते पूजा चोपड़ा के पिता ने पूजा,  पूजा की बड़ी बहन शुब्रा और उनकी मम्मी नीरा को सदैव के लिए छोड़ दिया था. पूजा की मम्मी ने उसके बाद नौकरी कर अकेले ‘सिंगल पैरेंट्स’की हैसियत से उनकी परवरिश की. आज पूजा चोपड़ा एक जाना पहचाना नाम बना हुआ है. फिल्म अभिनेत्री होने के साथ साथ पूजा चोपड़ा दूसरी लड़कियों की भलाई के लिए भी कार्यरत हैं.

हाल ही में पूजा चोपड़ा से एक्सक्लूसिब मुलाकात हुई, तब उनसे उनकी जिंदगी व उनकी मां को लेकर हुई बातचीत इस प्रकार रही.

हमारे यहां लड़की के पैदा होते ही उसकी हत्या करने या भ्रूण हत्याएं होती रही हैं. कुछ हद तक आपके साथ भी ऐसा ही हुआ. आपका जन्म होते ही आपके पिता आपको व आपकी मम्मी को हमेशा के लिए छोड़ दिया था. आपको इस बात का पता कब चला कि आपके साथ ऐसा हुआ था?

-हम लोग पंजाबी परिवार से हैं. पंजाब और राजस्थान में हर कोई सिर्फ लड़के की मांग करता है. वह कहते है कि उन्हे मुंडा/लड़का चाहिए. मेरे पिता की भी ही इच्छा थी. जब मेरा जन्म हुआ, उस वक्त मुझसे बड़ी मेरी एक बहन शुब्रा चोपड़ा पहले से थी. जिसके चलते जब मैं पैदा हुई थी, तो मेरे डैडी, उनके मम्मी डैडी खुश नहीं हुए थे. सभी ने कहा कि  दूसरी कुड़ी हो गई. मुझे व मेरी मम्मी(नीरा चोपड़ा) को अस्पताल में देखने कोई नहीं आया था. हमारे यहां परंपरा है कि नवजात बच्चे को पुराने कपड़े पहनाए जाते हैं, मगर मेरे डैडी या ग्रैंडफादर वगैरह कोई भी मेेरे लिए कपड़े लेकर नहीं आया थ. मम्मी ने बताया कि उनके बगल वाले बेड पर एक लेफ्टिनेंट की पत्नी थी, उसने पुराने कपड़े मुझे पहनाए थे. जब मम्मी मुझे लेकर अस्पताल से घर पर गईं, तो माहौल अच्छा नहीं था. घर पहुंचने पर पापा ने कहा था कि, ‘यह लड़की नहीं चाहिए. इसको मार डालो. ’मम्मी ने कहा था, ‘नहीं यह तो मेरी बच्ची है. मैं इसको कैसे मार दूं. ’इस पर डैडी ने कहा था, ‘नहीं. . मुझे लड़का चाहिए. हम तीन बच्चे पैदा ही कर सकते. इसे मार दो, क्योंकि मुझे लड़की नहीं चाहिए. हम लड़के लिए फिर से कोशिश करेंगे. ’लेकिन मेरी मम्मी ने मना किया कि वह अपनी बेटी को नही मार सकती. फिर तीसरे दिन मतलब जब मैं 20 दिन की थी, मम्मी किचन में काम कर रही थी. मम्मी ने देखा कि डैड मुझे कुछ कर रहे थे. वास्तव में मेरी दीदी ने मम्मी को बताया. मम्मी ने किसी तरह मेरे डैड के हाथों से मुझे छुड़ाया.

 

View this post on Instagram

 

Can safely say, something’s in life just never change 😝 #majorthrowback #throwbackthursday

A post shared by Pooja Chopra (@poojachopraofficial) on

फिर मम्मी ने उसी समय पुराने, उन दिनों अल्यूमिनियम का ट्रंक होता था, उसमें कपड़े डाले. मुझे गोद में लेकर दीदी का हाथ पकड़कर डैड से कहा कि ‘मैं घर से जा रही हूं. यदि नही गयी, तो आप मेरे बच्चों को मार देंगे. ’इस पर मेरे डैड ने रोका नहीं बल्कि कहा-‘इस घर से बाहर जा रही है, यह तो अच्छी बात है. मैं यही चाहता हूं. पर वापस मत आना. अगर वापस आएगी भी तो बड़ी बेटी शुब्रा को ही लेकर आना. ’मां ने कहा कि, ‘हमारी दो बेटिया हैं. मैं इन दोनो के बिना नहीं रह सकी. ’फिर मां वहां से चल दी. डैड ने भी रोका नहीं. कुछ दिन बाद मेेरे डैड ने दूसरी षादी कर ली. उसके बाद मम्मी ने ही हम दोनों को अकेले पढ़ाया, लिखाया व बड़ा किया. उन्होने हम दोनो को अच्छी परवरिश दी और हम आज इस मुकाम पर हैं.

ये भी पढ़ें- Jasleen Matharu की शादी पर Anup Jalota का रिएक्शन, कही ये बात

हमें अच्छी परवरिश देने के लिए मेरी मम्मी ने नौकरी करनी शुरू कर दी थी. मेरी मम्मी आज भी पुणे के ‘मेन लाइन चाइना’में काम कर रही हैं. दीदी की शादी हो गई है.  दीदी खुश है. डैड से मैं कभी मिली नहीं. मैंने डैड की फोटो जरूर देखी है, पर मैं कभी भी उनसे मिली नहीं.  मैंने उनसे कभी भी फोन पर भी बात नहीं की. मेरे डैड या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने हम लोगों से कभी संपर्क नहीं किया.

2009 में जब मैं ‘मिस इंडिया’ चुनी गयी और टीवी पर मेरी मां के इंटरव्यू आए, तब मेरे डैड के परिवार से मेरी बुआ ने मेरी मम्मी को फोन करके पूछा था कि, ‘यह चोपड़ा की दूसरी बेटी है. ’. बुआ ने टीवी में मुझे देखकर नही पहचाना था, क्योंकि वह मुझसे कभी मिली ही नहीं थी. पर मेरे जन्म से पहले उन्होने मम्मी के संग कई वर्ष बिताए थे. मम्मी के इंटरव्यू तो हर जगह हुए थे, ताकि सबको पता चले मेरी कहानी क्या है. मम्मी से कई न्यूज चैनल ने इंटरव्यू लिया था. उन्होंने मम्मी को पहचाना. मेरी बुआ ने मम्मी से पूछा कि, ‘यह चोपड़ा की छोटी वाली लड़की है. ’इस पर मां ने कहा कि, ‘जी वही बेटी है, जो तुमको नहीं चाहिए थी. ’मिस इंडिया’से मिली शोहरत से मम्मी बहुत खुश थीं. मैं आज भी कोशिश करती हूं कि उनको खुश कर सकूं. क्योंकि मुझे लगता है जो सैक्रिफाइस उन्होंने हमारे लिए किया है, वह कम लोग ही करते हैं.  मेरे लिए मम्मी और दीदी ने बहुत त्याग किया है. उसको मैं कभी वापस नहीं कर पाऊंगी. मैं कभी भी उनके द्वारा किए गए सैक्रिफाइस को भुला नहीं सकती.

किस उम्र में आपको पहली बार अहसास हुआ कि आपकी मम्मी व आपके साथ आपके पिता ने ऐसा किया था. और उस वक्त आपकी अपनी क्या प्रतिक्रिया थी?

-पिता के कृत्य के बारे में मम्मी ने मुझसे कभी नहीं कहा. मेरी बहन ने मुझे बताया था. मेरी मम्मी ने कभी भी मुझे इन सारी बातों के बारे में नहीं बताया था. उन्होने मुझे कभी अहसास भी नहीं होने दिया था कि मेरे जन्म की वजह से मम्मी ने इतनी मुश्किलें सहन की है. उन्होने मुझे इसका अहसास आज तक नहीं कराया. लेकिन जब मैं नौंवीं कक्षा में थी, तब मैंने महसूस किया कि मेरी बहन मेरे से बहुत ज्यादा कड़क है. मेरी बहन चाहती है कि मैं पढ़ाई में फर्स्ट आउं. वह चाहती है कि एलोकेशन,  ड्रामा, गायन में भी पहले पायदान पर रहॅूं. जब मैं पढ़ने की बजाय मस्ती करती थी, तो दीदी कहती थी, ‘मुझे पता है कि मुझे क्या करना है. पर तुझे नहीं पता तेरी वजह से मम्मी ने इतना सब कुछ सहा है. तेरी वजह से यह सब हुआ है. ’यूं तो वह भी छोटी थी. मुझसे सिर्फ 8 साल ही बड़ी है.  पर उस समय वह कॉलेज में थी. तो उसको ऐसा लगता था कि मैं ऐसा कुछ काम करूं, जिसकी वजह से मेरी मम्मी को गर्व महसूस हो. दीदी के जेहन में यह बात थी. मम्मी नौकरी पर चली जाती थी, पर दीदी मेरे साथ रहती थी. नौवीं क्लास में जब दीदी ने मुझे टुकड़ों टुकड़ों में थोड़ा-थोड़ा बताया, तो मुझे अपने डैड पर बहुत गुस्सा आया. जब मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए पहुंची, तब पूरी कहानी सही ढंग से पता चली कि मेरे जन्म के बीस दिन बाद ही मेरे डैड ने हम सभी को लावारिस कर दिया था.

लेकिन मेरी दीदी ने मुझे हर चीज के लिए बहुत आगे बढ़ाया. मैं पढ़ाने में तेज थी. अपनी दीदी की वजह से ड्रामा और एलोकेशन में बहुत अच्छी थी. ‘मिस इंडिया’बनने में  मेरी दीदी और मेरी मम्मी दोनों ने मेरा सहयोग दिया था. पर मेरी दीदी मुझे बहुत ज्यादा आगे धकेलती रहती थी. वह बार बार यही कहती थी कि ‘तुम्हें कुछ करना है. . . तुम्हें कुछ करना है. . ’मेरी दीदी आज भी कहती हंै कि मुझे अभी और आगे जाना है. मेरी मम्मी और मेरी दीदी, मेरी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं और हमेशा रहेंगे.

आपकी मम्मी ने आपको कुछ नहीं बताया. लेकिन आपकी दीदी ने बताया होगा कि आपकी मम्मी को किस ढंग के ताने सुनने पड़ते थे? या किस तरह की तकलीफ से गुजरना पड़ा?

-जब हमारे डैड ने हमें छोड़ा, उस वक्त दीदी आठ साल की थी. समझदार नहीं थी. इसलिए दीदी को भी इतना ज्यादा याद नहीं है. पर जो दीदी को याद था, वह सब मैने आपको अभी बताया. डैड का घर छोड़कर मेरी मम्मी हम लोगों को लेकर नाना  नानी के घर गयी थीं. तेा जब हम नानी के घर गए थे, उस वक्त नानी के घर पर जो बातें होती थी, उन्हें मैं तो एक माह की भी नहीं थी, इसलिए समझ नहीं सकती थी. लेकिन दीदी तो सुनती थी. जब कोई बच्चा 8 – 9 साल का हो, तो उसको कुछ बातें समझ में आती हैं. दीदी ने मुझे बताया कि वह  अक्सर मम्मी और मामा के बीच हाने वाली बातें सुना करती थी. नानी के साथ होने वाली बातें भी सुनती थीं.  लेकिन मेरी मम्मी ने कभी भी मुझसे या दीदी से इस बारे में कुछ नही कहा.

आप ऐसे पिता के लिए क्या कहना चाहेंगी?

-ऐसे पिता या पुरूष के बारे में कुछ न कहना ही बहुत होगा. यह सच है कि मम्मी ने मुझे और दीदी को आज इस मुकाम तक पहुंचाया है, जहां मैंने अपना खुद का मुकाम हासिल किया है. मम्मी ने अकेले काम कर कर हम दोनों को इस मुकाम तक पहुंचाया है. उन्होने मुझे और दीदी को इतनी अच्छी पढ़ाई शिक्षा दी है. इतनी अच्छी परवरिश दी है. उन्होंने हमे लोगों से नफरत नहीं, प्यार करना सिखाया.  मुझे लगता है कि यही मेरे पिता के लिए एक जवाब है. मैं यह नहीं कहूंगी यह उनके लिए तमाचा है. पर यह अपने आप में उनके लिए एक जवाब है. मेरी मम्मी ने भी कुछ ना कहकर भी बहुत कुछ कह दिया है.

आपके जीवन में घटी इस घटना को 35 वर्ष बीत चुके हैं. अब समय व समाज बदला है. इस बदले हुए समय में आप क्या-क्या महसूस कर रही हैं?

-बहुत सारी चीजें बदल गई हैं. बहुत ज्यादा चीजें बदल गई हैं. उन दिनों जब लड़कियां शादी करती थीं, तो वह स्वतंत्र नहीं थी. कामकाजी नहीं थी. उस समय वह पूरी तरह से अपने पति पर निर्भर थीं. आज ऐसा नही है. आज सब कुछ बदल गया है.  आज अगर आपको तलाक लेना है,  तो ले सकते हो, कोई आपके उपर छींटाकशी नही करेगा. आज सब कुछ बराबरी में होता है. मेरी मम्मी ने मेरे डैडी से कुछ नही लिया. स्त्री धन भी नहीं लिया था. कोई हर्जाना, कुछ भी नहीं लिया था. सिर्फ एल्यूमीनियम के ट्ंक में दो जोड़ी कपडे़, मुझे व दीदी को लेकर ही घर सेे निकली थीं. मुझे लगता है कि आज की औरतें बहुत स्वतंत्र हैं. उनको नीचा नहीं दिखाया जाता. ‘तलाकशुदा’के टैग को पहले बहुत बुरा माना जाता था, अब ऐसा नहीं है. लड़कियों को आज बराबरी का हक देते हैं. अगर आज से 30-35 वर्ष पहले लड़कियों को मार दिया जाता था, तो मैं यह नहीं कहूंगी कि आज यह एकदम बंद हो गया है. अभी भी ऐसा हो रहा है, पर उस तादात में नही. . अब रेशियो बहुत ज्यादा कम हो गया है. मेरी राय में यह बदलाव बहुत अच्छा है. मुझे लगता है कि आने वाले समय में इसमें काफी बदलाव आएगा. समाज ज्यादा अच्छा होगा, बेहतर होगा. लड़कियों को समानता मिलेगी. लड़की हो या लड़का बच्चे हैं और दोनो आगे जाकर माता पिता का नाम रोशन करेंगे, यह सोच विकसित होगी.

लड़की और लड़के को समान नजर से देखा जाए, इसके लिए आप क्या करना चाहेगी?

-मुझसे जितना संभव है, वह मैं आज तक करती आ रही हूं. आगे भी करती रहूंगी. ‘मिस इंडिया’जीतने के बाद मै ‘मिस वल्र्ड’के सेमी फाइनल तक पहुंची थी, पर पैर फ्रैक्चर हो जाने के चलते मैं ‘मिस वल्र्ड’बनने से वंचित रह गयी थी. पर उस वक्त मुझे दस हजार अमरीकन डालर मिले थे, जिसे मैने ‘नन्ही कली’सस्था को दान कर दिए थे. मैं भी ‘नन्ही कली’से जुड़ी हुई हॅूं. मैं ‘नन्ही कली’के कुछ बच्चों को पढ़ाती हूं, जिनके छमाही और वार्षिक रिजल्ट मेरे ईमेल पर आते रहते हैं. मैं ‘नन्ही कली’की अपनी लड़कियों की पढ़ाई और उनकी एक्स्ट्रा एक्टिविटी के बारे में लगातर जानकारी लेते रहती हॅूं. जहां भी औरतों को कुछ करना होता है, चाहे पढ़ाई करनी हो, हेल्थ हाइजीन हो, जितना भी मुझसे संभव हो पाता है, मैं थोड़ा भी सहयोग दे सकती हूं मैं हमेशा ऐसे चैरिटेबल इंस्टिट्यूट के साथ काम करती हूं.

आपकी जिंदगी पर भी छोटी सी फिल्म बनी है. क्या आपने इस फिल्म को देखा है?

-मैं ऐसा नहीं कहूंगी कि यह मेरी जिंदगी पर है. क्योंकि असली स्ट्रगल/संघर्ष तो मेरी मां का था. मैं तो सबसे छोटी थी, मुझे तो मेरी मम्मी और दीदी ने बचाया है. दुनिया वालों की बातें, कड़वाहट वगैरह सब कुछ मेरी मम्मी ने सहा है. मुझे लगता है कि यह सब आज से 30 -35 वर्ष पहले बहुत मुश्किल रहा होगा. लेकिन जब मेरी मम्मी हमारे सामने आती थी, तो उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती थी. हमने कभी भी मम्मी को रोते हुए नहीं देखा. हमारे सामने तो वह कभी नहीं रोई. दीदी ने भी मुझे बहुत प्रोटेक्ट किया. तो यह मेरी जिंदगी का संघर्ष नहीं है.

ये भी पढ़ें- टीवी सेलेब्स के लिए आफत बना लॉकडाउन, कोई सर्जरी तो कोई बीमारी का हुआ शिकार

कनाडियन फिल्म मेकर निशा पाहुजा ने डाक्यूमेंटरीनुमा नब्बे मिनट की फिल्म‘‘वर्ल्ड बिफोर हर’’2012 में बनायी थी. निशा पाहुजा 2009 में ‘मिस इंडिया’से मेरी यात्रा को देखने के साथ ही मेरी जिंदगी को भी समझ रही थीं. मेरी जिंदगी की कहानी पहली बार मेरे ‘मिस इंडिया’जीतने पर ही सामने आयी थी. निशा की इस फिल्म को अनुराग कश्यप ने प्रजेंट किया था. इस फिल्म के लिए निशा ने मेरी मम्मी से इंटरव्यू किया था. इस फिल्म को देखते वक्त मेरी आंखों में भी आंसू आ गए थे.  मुझे लगता है मेरी मम्मी इस फिल्म की हीरो हैं.

आपने अपनी मम्मी के संघर्ष के चलते या अपनी दीदी की सलाह पर ‘मिस इंडिया’’के लिए तैयारी की थी?

-दोनों की ही नहीं थीं. दरअसल मेरा ही मन था. मेरे दिल ने कहा कि मुझे‘मिस इंडिया’के लिए कोशिश करनी चाहिए. मम्मी तो आज भी यही कहती है कि, ‘आपको जो करना है,  वह करो. जिसमें आपकी खुशी हो,  वह करो. ’जब मेरी मौसी कहती हैं कि अब पूजा की भी शादी करा दो, तो मेरी मम्मी कहती हैं, ‘नहीं, अगर बेटी को जिंदगी में कुछ करना है, तो वह करे. मैं जबर्दस्ती उसकी षादी नहीं करूंगी. पूजा खुश है, तो उसी में मेरी खुशी है. ’मेरी दीदी को शादी करनी थी. हम पंजाबी हैं, मगर दीदी को कैथलिक लड़के से शादी करनी थी. मम्मी ने उससे कहा कि यदि वह इस शादी से खुश रह सकती है, तो कर ले. और आज वह सच में बहुत खुश है.

जब मैं छोटी थी. जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, तब मैं अपनी मम्मी से कहती थी कि मुझे आईएएस ऑफिसर बनना है. जब मैं कॉलेज में गई, तो मैंने मम्मी से कहा कि मुझे मॉडलिंग करना है. मम्मी ने कहा ठीक है. जब ‘मिस इंडिया’में जाने की बात कही, तो भी उन्होने कहा ठीक है. मैंने मम्मी से कहा कि ‘मिस इंडिया’प्रतियोगिता में मुझे भाग लेना है, तो मम्मी ने कहा ठीक है. यह तो अच्छी बात है. मतलब मैं और दीदी चाहे जो करना चाहे, जिंदगी में मेरी मम्मी ने मना नहीं किया. आज अगर मैं मम्मी से कह दूं कि मुझे फिल्म इंडस्ट्री छोड़कर बिजनेस करना है, तब भी मेरी मम्मी कहेंगी कि ठीक है. वह बहुत सहयोगी है. उन्होने हमें इतना इंटेलीजेंट व  इतना स्ट्रांग बनाया है कि मुझे पता है कि उन्हे मुझ पर यकीन है कि हम गलत राह पर नही जाएंगे. हम हमेशा अच्छा काम करेंगें. हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे उनकी इज्जत या लाज पर आंच आए.  वह हमेशा कहती है कि वह हमेशा मुझे सहयोग देंगी, फिर मै चाहे जो काम करना चाहे. इससे ज्यादा सहयोग एक लड़की अपनी मां से क्या मांग सकती है.

पहले तलाक को शर्मनाक समझते थे लोग – पूजा चोपड़ा

मिस वर्ल्ड 2009 में सेमी फाइनलिस्ट की लिस्ट में पहुंचकर पहली भारतीय महिला का ख़िताब ‘ब्यूटी विथ ए पर्पज’ जितने वाली पूजा चोपड़ा पुणे की है. सिंगल मदर और ग्रैंडमदर के साथ रहकर बड़ी हुई पूजा को हमेशा से ही कुछ अलग करने की चाहत रही है, जिसमें साथ दिया उनकी मां नीरा चोपड़ा ने. पूजा को अपना बचपन हमेशा याद आता है, जब उसके पिता ने उसकी मां को इसलिए छोड़ दिया, क्योंकि उसने पूजा को जन्म दिया है, बेटे को नहीं. आज पूजा खुश है और अपनी कामयाबी को अपनी मां और बहन के साथ बांटना पसंद करती है. मिस इंडिया बनने के बाद उसने दक्षिण की कई फिल्मों और हिंदी फिल्मों में काम किया है. अभी उसकी फिल्म ‘बबलू बैचलर’ रिलीज पर है. पेश है उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश.

सवाल- इस फिल्म को करने की खास वजह क्या रही?

मुझे हमेशा से स्क्रिप्ट ही आकर्षित करती रही . मैंने कभी अपने चरित्र कि लेंथ नहीं देखी है. मैं अच्छी कहानी की एक हिस्सा बनना पसंद करती हूं. ये चाहे बड़ी हो या छोटी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस फिल्म में मेरी भूमिका एक पत्रकार अवंतिका की है, जो बहुत महत्वाकांक्षी है और अपने कैरियर को आगे बढाने के लिए मुंबई जाना चाहती है. इसके लिए किसी का प्यार भी उतना माइने नहीं रखता, जितना वह अपने कैरियर को लेकर जागरूक है. इस आत्मविश्वास को दिखाने की कोशिश की गयी है, जो आज के परिवेश में लागू होती है.

सवाल- अभिनय में आना इत्तफाक था या बचपन से ही आना चाहती थी?

मैं साल 2009 में मिस वर्ल्ड में जाने के बाद वहां स्टेज पर मेरे एक पैर का फ्रैक्चर हो गया, इसके बाद मुझे कुछ दिनों तक रेस्ट में रहना पड़ा, इसके बाद मैंने दक्षिण की फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया. इस दौरान मुझे हिंदी फिल्म ‘कमांडो’ मिली जिसमें लोगों ने मेरे काम की काफी सराहना की. इससे पहले मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अभिनय करुँगी. मैं स्कूल कॉलेज मैंने पढ़ते हुए आई ए एस ऑफिसर बनना चाहती थी. मेरे परिवार में किसी का भी फ़िल्मी दुनिया से कोई सम्बन्ध नहीं था. किसी को भी इस क्षेत्र के बारें में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन मुझे मिस इंडिया के बाद फिल्मों के काफी ऑफर मिल रहे थे, इसलिए मैंने उस दिशा में कुछ करने की सोची. कमांडो फिल्म मेरे लिए गेम चेंजर साबित हुई. इसके बाद मुझे इस दिशा में काम करने की प्रेरणा जगी. मुझे आज भी अगर स्क्रिप्ट पसंद नहीं आती, तो मैं बिना सोचे मना कर देती हूं और तब मैं जिम जाना, डांस की प्रैक्टिस करना आदि करती रहती हूं.

ये भी पढ़ें- #coronavirus की वजह से बंद हुई Ye Rishta की शूटिंग, दिल्ली रवाना हुए कायरव

सवाल- अभी किस तरह की संघर्ष या चुनौती आपके साथ रहता है?

इंडस्ट्री के बच्चों के लिए हर कोई मामा या चाचा आपके आसपास रहते है, जो उनके लिए लगातार अच्छी स्क्रिप्ट की सप्लाई करते रहते है. हमारे लिए एक बड़ी और अच्छी प्रोजेक्ट का मिलना बहुत मुश्किल होता है, साथ ही लोग हमें जाने ये साबित करना भी एक चुनौती होती है. एक अच्छा प्रोजेक्ट कामयाबी के लिए काफी नहीं होता. लगातार आपको काम कर दर्शकों के बीच में पहचान बनानी पड़ती है, जो बहुत कठिन और संघर्षपूर्ण होता है. कई बार क्या अच्छा होगा मेरे लिए इसे भी समझना मुश्किल होता है. ये एक लम्बी युद्ध आउटसाइडर के लिए होता है.

सवाल- आपको किस तरह की रिजेक्शन का सामना करना पड़ा?

मैं पार्टी पर्सन नहीं हूं और अगर कोई मुझसे मिलना भी चाहता है तो उसे दिन में ही मिलना मैं पसंद करती हूं. मैं स्पष्टभाषी हूं और कुछ भी गलत होने पर सामने ही कह देना पसंद करती हूं. इसके अलावा मैं कुछ भी गलत दृश्य जो मुझे असहज लगे, नहीं करना चाहती. इससे काम कम अवश्य मिलता है, पर मैं उससे मायूस नहीं होती.

सवाल- परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरी मां ने मुझे हर काम में भरपूर सहयोग दिया है और कभी कुछ करने से मना नहीं किया. उन्हें मुझपर भरोषा है और उसे मैं कभी तोडना नहीं चाहती. मैं जब भी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट को चुनती हूं, तो मां को पहले याद करती हूं. उन्होंने मेरी दुनिया बनायीं है. मेरे काम से मां को ख़ुशी मिलनी चाहिए और उसे मैं अवश्य देखती हूं. मैं अपनी दर्द और ख़ुशी दोनों में मां को याद करती हूं. मेरे पिता ने तब मेरी मां को छोड़ दिया था जब मैं बहुत छोटी थी. मेरी मां और दीदी ने मुझे बड़ा किया है. मैंने उनके संघर्ष को देखा है.

सवाल- मी टू का प्रभाव आउटसाइडर कलाकारों के लिए कितना कारगर रहा है?

ये केवल फिल्म इंडस्ट्री ही नहीं, हर फील्ड के लिए कारगर रहा है. मैं रात को किसी पार्टी में जाना पसंद नहीं करती, ताकि किसी को कुछ कहने का मौका ही न मिले.  मेरे हिसाब से जिन पुरुषों ने ऐसा गलत काम किया है, उन्हें इस मूवमेंट से शर्म आने की जरुरत है. इससे उनका स्वभाव कुछ हद तक बदलने की संभावना है.

ये भी पढ़ें- Coronavirus से हुआ ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ को बड़ा फायदा, पढ़ें पूरी खबर

सवाल- मिस इंडिया के बाद आपने किस तरह के सामाजिक कार्यों को करना पसंद किया है?

मैंने कॉलेज के समय से ही गरीब बच्चों को मैथ और साइंस पढ़ाने का काम किया है. मेरे पिता ने मां को इसलिए छोड़ दिया था कि मैं लड़की हूं. वे दूसरी गर्ल चाइल्ड नहीं चाहते थे. मैं जब 20 दिन की थी, तब उन्होंने मां को छोड़ दिया था. इसलिए मैंने ‘नन्ही कली’ संस्था को सपोर्ट करना शुरू कर दिया है. जहाँ गर्ल चाइल्ड को शिक्षा दी जाती है. मुझे जो भी अवार्ड मिस इंडिया वर्ल्ड के रूप में मिली, उसे मैंने नन्ही कली संस्था को दे दिया है. उससे 50 हज़ार लड़कियों को शिक्षा मिल रही है.

 

View this post on Instagram

 

1 day to go.. Link to book ur seats in the @tedxkginstitutions bio link ? #tedx

A post shared by Pooja Chopra (@poojachopraofficial) on

सवाल- महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम होने के बावजूद आज भी महिलाएं हर जगह प्रताड़ित होती है, इसकी वजह क्या मानती है?

केवल लड़कियों को ही नहीं, लड़कों को भी महिलाओं से अच्छे व्यवहार करना सिखाएं. औरतों ने  ही अपने लड़कों को सही शिक्षा नहीं दी है, तभी वे लड़कियों को मारते है. ये बदल रहा है और लड़कियां आत्मनिर्भर हो रही है. वे अपना निर्णय खुद ले पा रही है. पहले डिवोर्स को लोग शर्मनाक समझते थे. मुझे याद आता है, जब मेरे पिता ने मेरी मां को छोड़ दिया था और मैं स्कूल में नहीं कह पाती थी कि मेरी मां डिवोर्सी है. मैं अपने दोस्तों को कहती थी कि वे बाहर गाँव में रहते है. यही बहुत बड़ी बदलाव है.

https://www.youtube.com/watch?v=XIQRwZ-gza4

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें