Film Review: ताज सीजन 2- सल्तनत के अंदर रिश्तों की बोर करती साजिश

  • रेटिंगः पांच में से दो स्टार
  • निर्माताः अभिमन्यु सिंह और रुपाली कादयान
  • लेखकःसाइमन फैंटुजो, और विलियम बोर्थविक
  • निर्देषकः विभु पुरी
  • कलाकारः नसीरुद्दीन शाह , आशिम गुलाटी , सौरसेनी मैत्रा , शुभम कुमार मेहरा , संध्या मृदुल और जरीना वहाब
  • अवधिः 41 से 52 मिट के आठ एपीसोड, लगभग छह घटे आठ मिनट
  • ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5

मुगलिया सल्तनत का इतिहास खून खराबा, कत्लेआम, भीतरी घात, दरबारी साजिश, बादशाह की रानियों, बादशाह के अति करीबी दरबरियों की साजिषो से सना हुआ है. जहां किसी रिष्ते की कोई अहमियत नही. इसी मुगल सल्तनम पर वेब सीरीज बन रही है. जिसका पहला भाग लगभग ढाई माह पहले ‘जी 5’ पर ही ‘‘ताजः द डिवाइडेड बाय ब्लड’’ के नाम से स्ट्रीम हुआ था, जिसका निर्देशन ब्रिटिश निर्देशक रॉन स्कैल्पेलो  ने किया था. अब उसका दूसरा सीजन ‘‘ताजः रेन आफ रिवेंज’ के नाम से दो जून से ‘जी 5’ पर ही स्ट्रीम हो रहा है. जिसके कुल आठ एपीसोड हैं. इस सीजन के निर्देशक विभु पुरी हैं. जोे कि 2015 में प्रदर्षित ‘‘हवाईजादा’’ जैसी असफल फिल्म के निर्देशक के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. अब पूरे आठ साल बाद निर्देशन में उतरे हैं. पर उनमें निर्देशकीय प्रतिभा नजर नही आती.

कहानीः

इस दूसरे सीजन की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां पहला सीजन खत्म हुआ था. पहले सीजन में अकबर (नसीरुद्दीन शाह) के तीन बेटों में से एक मुराद (ताहा साहा) को अकबर के करीबी अबुल फजल (पंकज सारस्वत)  ने सांप का जहर देकर मार दिया था. अकबर ने अपने बड़े बेटे सलीम (आशिम गुलाटी) को देश निकाला दे दिया था और सलीम की प्रेमिका अनारकली ( दिति राव हैदरी) को अकबर के तीसरे बेटे दनियाल (शुभम कुमार मेहरा)ने मार दिया था, जबकि  अनाकरली,  दनियाल की सगी मां थी. इस घटनाक्रम के पंदह वर्ष बाद शुरू होती है. अब अकबर के उत्तराधिकारी कट्टर दनियाल (शुभम कुमार मेहरा) है. सलीम के दोनों बेटे खुर्रम और खुसरो युवा हो चुके हैं.

सलीम,  एक फर कोट और चेहरे के बालों की एक गांठ में जुनूनी रूप से अनारकली (अदिति राव हैदरी) की कब्र की तलाश कर रहा है. देखकर तो वह जिप्सी डाकू लगता है, जो कि अरावली की पहाड़ियों से अपने पिता के रक्षकों पर छापा मारकर उनसे धन लूटता आया है. अपने गुरू शेख चिष्ती (धर्मेंद्र) से मिलने के बाद  अकबर,  सलीम से सुलाह के नाम पर उसे अपने दुष्मन मेवाड़ से लड़ने भेजना चाहते हैं, पर सलीम को यह कबूल नही.

उधर अकबर की बेगम बादशाह रूकैय्या(पद्मा दामोदरन) ने सलीम के बेटे खुसरू (जियांश अग्रवाल) को पालते हुए खुसरो के मन में सलीम के प्रति नफरत बढ़ दी है. वह खुसरो को ही मुगल सल्तनत का बादशाह बनाना चाहती है. सलीम का दूसरा बेटा खुर्रम (मितांश लुल्ला) मानता है कि हर सच के दो पहलू होते हैं. उधर सलीम तक महल की खबर पहुंचाने वाली मेहरुनिसा (सौरसेनी मैत्रा) की शादी अबू फजल की सलाह व अकबर के आदेश पर एक वहशी अली कुली (रोहल्ला काजिम) से करा दी जाती है, जिसे कुछ समय बाद कुश्ती के मैदान पर सलीम मौत की नींद सुला देते हैं.

चौथे एपीसोड के अंत में शेख चिष्ती , अकबर बादशाह को  सलाह देते है कि कत्लेआम रोकें और सलीम में तमाम बुराइयां हैं, फिर भी अकबर को चाहिए कि वह सलीम से सुलह कर लें. पांचवंे एपीसोड में सलीम के हाथों दनियाल मारे जाते हैं. अब अकबर बीमार रहने लगते है. जिसके चलते अब अबुल फजल, बेगम बादशाह रूकैया के साथ मिलकर साजिश रचते हैं. रूकैया,  मेहरुनिसा को जेल में डालकर प्रताड़ित करती है.  फिर अबुल फजल एक साजिश रचकर सलीम को मारने इलहाबाद पहुंचते हैं, जहां वह खुद उनके हाथों मारे जाते हैं, जिन पर उन्हे भरोसाथा. यह जानकर बादशाह अकबर,  रूकैया से सारे अधिकार छीन लेते हैं. सातवें एपीसोड मेहरूनिसा,  महारानी  व सलीम की मां जोधा बाई (संध्या मृदल ) व खुर्रम के साथ सलीम के पास सुलह करवाने के लिए पहुॅचती है. इधर अकबर को अपने अंतिम वक्त में अपने पाप याद आते हैं और वह रानी सलीमा (जरीना वहाब) से कबूल करते हंै कि उनके पहले शौहर पैगम खान की हत्या उन्होने की थी. सातवें एपीसोड के अंत में मरने से पहले अकबर सभी लोगो के सामने धीमी आवाज में मेहरूनिसा के पिता को बताते हैं कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा? वह सभी को बताते है कि अकबर ने सलीम का नाम लिया था. इससे खुसरो बगावत करना चाहता है. रूकैया उसे बगावत करने के लिए उकसाती है. खुसरो अपनी सेना के साथ आक्रमण करता है, हारने पर भागकर लाहौर पहंुचता है. इधर मेहरूनिसा और उसकी भतीजी अर्जुमंद को सच पता चल जाता है. पर सलीम तो उसका नाम नूरजहां रखकर बादशाह के अधिकार देकर खुसरो से युद्ध करने लाहौर जाते हैं और बंदी बनाकर लाते हैं. इधर महरूनिसा उर्फ नूरजहां, रूकैया को जेल मंे डालकर प्रताड़ित करती है. तथा सच जानकर खुर्ररम के साथ दरबार से भागी अर्जुमंद को मारने की सुपारी दे दी जाती है. फिर दरबार में सजा के तौर पर खुसरो की दूसरी आंख भी फोड़ देते हैं. पान महल, कष्मीर पहुॅचने पर सलीमा अकबर बादशाह का मरने से पहले लिखा हुआ पत्र पढ़कर चैंक जाती हैं. क्योंकि इस पत्र में लिखा है कि उन्होने अपना उत्तराधिकारी ख्ुार्ररम को चुना है. उधर राज्य के बहार रदी किनारे रह रहे ख्ुार्ररम,  अर्जुमंद को नया नाम मुमताज देते हैं.

लेखन व निर्देशनः

पहले सीजन के मुकाबले दूसरा सीजन गुणवत्ता के स्तर पर कमतर ही हुआ है. इस बार पअकथा में वह कसावट नही है, जो होनी चाहिए थी, जबकि जब दरबार व परिवार के अंदर ही साजिषें रची जा रही हों, तो रोचकता व रोमांच दोनो बढ़ जाना चाहिए, पर ऐसा कुछ भी नही है. . जिन्होने इतिहास पढ़ा है, उन्हे तो इसमें काफी गलतियंा भी नजर आएंगी. पटकथा में झोल ही झोल है. मसलन-अकबर के आदेश के बाद मेहरूनिसा को हरम में भेज दिया गया है. हरम से बाहर आना मुनासिब नही होता. पर वह जगह पहुॅच जाती हैं. फिल्म में किरदारों के पास दाढ़ी बनाने का वक्त नही हे. कहानी 15 साल आगे बढ़ी है, मगर खुर्रम व खुसरु के अलावा किसी भी किरदार पर उम्र का असर नही नजर आता. तो वही बेवजह के सेक्स दृष्य ठॅूंसे गए हैं. बिना व्याह किए सलीम के बच्चे की मां बनने जा रही मेरुनिसा के संग सेक्स दृष्य को विस्तार से फिल्माने की जरुरत निर्देशक को क्यों पड़ी. यह तो वही जाने. युद्ध के दृष्य अप्रभावशाली है. दनियाल, रूकैया, खुसरु, सलीम, अबुल फजल,  मानसिंह, मेहरुनिसा सहित कईयों के साजिश के बीच फंसे अकबर बादशाह. राज्य का खजाना खाली हो रहा है, जबकि तीनो रानियां अपने हरम में धन जमा कर रही हैं. इन सब बातों को लेकर बहुत अच्छे रोचक दृष्य रचे जा सकते थे, पर सब कुछ बहुत नीरस है. कहानी आगरा से बंगाल, कष्मीर, लाहौर, काबुल व दक्षिण तक जाती है, पर हर जगह के किरदारों की बोली में कोई अंतर नजर नही आता. जबकि भारत मेें हर  दस किलोमीटर पर बोली बदल जाती है.

अभिनयः

अकबर के किरदार में एक बार फिर नसिरूद्दीन शाह मात खा गए. बादशाह और पिता के बीच फंसे इंसान की व्यथा, सल्तनत के लिए हो रहे खून खराबा में अपनों को खोने के दर्द को भी वह अपने अभिनय से उकेरने में सफल नही रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे कि उन्होने बेमन इस सीरियल में अभिनय किया हो. बीमार बादशाह  के रूप में भी वह कोई प्रभाव नहीं छोड़ते.

सलीम के किरदार में आशिम गुलाटी इस सीजन में कुछ कमजोर नजर आते हैं.

रूकैया के किरदार में पद्मा ठीक ठाक हैं.

मेहरुनिसा के किरदार में सौरसेनी मैत्रा अपना प्रभाव छोड़ती हैं.

दनियाल की भूमिका में शुभम कुमार मेहरा ने पहले से बेहतर काम किया है.

पंकज सारस्वत, जियांश अग्रवाल, मित्तांश लुल्ला, शिल्पा कटारिया सिंह, संध्या मृदुल, राहुल बोस आदि का अभिनय ठीक ठाक है.

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